पूर्वोत्तर क्षेत्र हेतु प्रधानमंत्री की विकास पहल (पीएम-डिवाइन) | 13 Oct 2022
प्रिलिम्स के लिये:पीएम-डिवाइन, पीएम गति शक्ति, पूर्वोत्तर क्षेत्र मेन्स के लिये:भारत के लिये पूर्वोत्तर का महत्त्व, पूर्वोत्तर भारत से संबंधित चुनौतियाँ |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने एक नई योजना, पूर्वोत्तर क्षेत्र हेतु प्रधानमंत्री विकास पहल (पीएम-डिवाइन/PM-DevINE) को मंज़ूरी दी।
- पूर्वोत्तर क्षेत्र (NER) में विकास अंतराल को दूर करने के लिये केंद्रीय बजट 2022-23 में पीएम-डिवाइन की घोषणा की गई थी।
पीएम-डिवाइन योजना:
- परिचय:
- यह 100% केंद्रीय वित्तपोषण के साथ केंद्रीय क्षेत्र की योजना है।
- पीएम-डिवाइन योजना में वर्ष 2022-23 से 2025-26 (15वें वित्त आयोग की अवधि के शेष वर्षों) तक चार साल की अवधि में 6,600 करोड़ रुपए का परिव्यय होगा।
- पीएम-डिवाइन पूर्वोत्तर क्षेत्र के विकास के लिये उपलब्ध संसाधनों के अतिरिक्त है। यह मौजूदा केंद्र और राज्य की योजनाओं का विकल्प नहीं होगी।
- कार्यान्वयन:
- यह योजना पूर्वोत्तर क्षेत्र के विकास मंत्रालय द्वारा पूर्वोत्तर परिषद या केंद्रीय मंत्रालयों/ एजेंसियों के माध्यम से लागू की जाएगी।
- उद्देश्य:
- पीएम गति शक्ति में सम्मिलित रूप से बुनियादी ढाँचे को निधि देना;
- एनईआर द्वारा महसूस की गई ज़रूरतों के आधार पर सामाजिक विकास परियोजनाओं का समर्थन करना;
- युवाओं और महिलाओं के लिये आजीविका संबंधी कार्यों को सक्षम करना;
- विभिन्न क्षेत्रों में विकास अंतराल को कम करना।
भारत के लिये पूर्वोत्तर का महत्त्व:
- सामरिक महत्त्व: पूर्वोत्तर भारत दक्षिण-पूर्व एशिया और उससे आगे का प्रवेश द्वार है। यह म्याँमार के लिये भारत का भूमि-पुल है।
- भारत की ‘एक्ट ईस्ट’ नीति पूर्वोत्तर राज्यों को भारत के पूर्व की ओर संलग्नता की क्षेत्रीय अग्रिम पंक्ति पर रखती है।
- सांस्कृतिक महत्त्व: पूर्वोत्तर भारत दुनिया के सबसे सांस्कृतिक रूप से विविध क्षेत्रों में से एक है। यह 200 से अधिक जनजातियों का घर है। लोकप्रिय त्योहारों में नगालैंड का हॉर्नबिल महोत्सव, सिक्किम का पांग ल्हाबसोल आदि शामिल हैं।
- पूर्वोत्तर भारत दहेज प्रथा जैसी कुरीतियों से मुक्त क्षेत्र है।
- पूर्वोत्तर की संस्कृतियों की समृद्धता कपड़ों पर बनी चित्रकारी और इसके अत्यधिक विकसित लोक नृत्य रूपों जैसे बिहू (असम) में परिलक्षित होती है।
- मणिपुर में पवित्र उपवनों में प्रकृति की पूजा करने की परंपरा है, जिसे उमंगलाई कहा जाता है।
- आर्थिक महत्त्व: आर्थिक रूप से यह क्षेत्र चाय, तेल और लकड़ी जैसे प्राकृतिक संसाधनों में समृद्ध है।
- यहाँ 50000 मेगावाट की जलविद्युत शक्ति और जीवाश्म ईंधन के प्रचुर भंडार के साथ एक स्थापित विद्युतगृह है।
- पारिस्थितिक महत्त्व: पूर्वोत्तर भारत-बर्मा जैव विविधता हॉटस्पॉट का एक हिस्सा है। यह भारतीय उपमहाद्वीप में पक्षियों और पादपों की जैवविविधता में से एक का प्रतिनिधित्व करता है।
पूर्वोत्तर भारत से संबंधित वर्तमान चुनौतियाँ:
- शेष भारत से अलगाव: भौगोलिक कारणों और शेष भारत के साथ अविकसित परिवहन ढाँचे के कारण इस क्षेत्र तक पहुँच हमेशा कमज़ोर रही है।
- कुशल बुनियादी ढाँचे का अभाव: बुनियादी ढाँचे यानी भौतिक (जैसे सड़क मार्ग, जलमार्ग, ऊर्जा आदि) के साथ-साथ सामाजिक बुनियादी ढाँचा (उदाहरण के लिये शैक्षणिक संस्थान, स्वास्थ्य सुविधाएँ) किसी भी क्षेत्र के मानव विकास और आर्थिक विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।।
- पूर्वोत्तर राज्यों के आर्थिक पिछड़ेपन का एक प्रमुख कारण बुनियादी ढाँचागत सुविधाओं की खराब स्थिति है।
- औद्योगिक विकास की धीमी गति: औद्योगिक विकास के मामले में पूर्वोत्तर ऐतिहासिक रूप से अविकसित रहा है।
- प्रादेशिक संघर्ष: पूर्वोत्तर के भीतर मौजूदा अंतर-राज्यीय और अंतर्राष्ट्रीय क्षेत्रीय संघर्ष रहे हैं, जो अक्सर ऐतिहासिक सीमा विवादों एवं भिन्न जातीय, आदिवासी या सांस्कृतिक समानता पर आधारित होते हैं। उदाहरण: असम-मिज़ोरम सीमा विवाद।
- विद्रोह और राजनीतिक मुद्दे: उग्रवाद या आतंकवाद एक राजनीतिक हथियार है और अक्सर राजनीतिक, आर्थिक तथा सामाजिक कारणों से जन्म लेता है।
- पूर्वोत्तर राज्यों ने अन्य भारतीय राज्यों से शोषण और अलगाव की भावना के साथ विद्रोही गतिविधियों एवं क्षेत्रीय आंदोलनों का उदय देखा है।
पूर्वोत्तर में प्रमुख बुनियादी ढाँचा परियोजनाएँ:
- रेल, सड़क और हवाई कनेक्टिविटी:
- 4,000 किमी. सड़कें, 2,011 किमी. की 20 रेलवे परियोजनाएंँ और 15 हवाई कनेक्टिविटी परियोजनाएंँ विकसित की जा रही हैं।
- जलमार्ग कनेक्टिविटी:
- गंगा, ब्रह्मपुत्र व बराक नदियों के राष्ट्रीय जलमार्ग (गंगा पर NW-1, ब्रह्मपुत्र पर NW-2 और बराक पर NW-16) बेहतर कनेक्टिविटी प्रदान करने के लिये विकास के चरण में हैं।
- ईस्टर्न वाटरवेज़ कनेक्टिविटी ट्रांसपोर्ट ग्रिड:
- यह 5,000 किमी. नौगम्य जलमार्ग प्रदान करके पूर्वोत्तर को शेष भारत से जोड़ेगा।
- पूर्वोत्तर क्षेत्र विद्युत प्रणाली सुधार परियोजना (NERPSIP):
- NERPSIP इंट्रा-स्टेट ट्रांसमिशन एंड डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम को मज़बूत करने हेतु पूर्वोत्तर क्षेत्र के आर्थिक विकास की दिशा में एक बड़ा कदम है।
- सरकार विद्युत पारेषण और वितरण, मोबाइल नेटवर्क, 4जी तथा ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी से संबंधित परियोजनाओं पर भी ज़ोर दे रही है।
आगे की राह
- बुनियादी ढाँचे में निवेश से रोज़गार का सृजन होगा और यह पूर्वोत्तर क्षेत्र में अलगाववादी आंदोलनों को विफल करने में प्रमुख भूमिका निभाएगा।
- भारत का पूर्वोत्तर क्षेत्र राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं से घिरा हुआ है, इसलिये भारत के पूर्वोत्तर में समावेशी विकास के लिये राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय परियोजना के अंतर्गत बुनियादी ढाँचा विकास सबसे अच्छा विकल्प होगा।
- यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा पिछले वर्ष के प्रश्न (पीवाईक्यू):
- पूर्वोत्तर भारत में उपप्लवियों की सीमा पार आवाजाही, सीमा की पुलिसिंग के सामने अनेक सुरक्षा चुनौतियों में से केवल एक है। भारत-म्याँमार सीमा के आरपार वर्तमान में आरंभ होने वाली विभिन्न चुनौतियों का परीक्षण कीजिये । साथ ही इन चुनौतियों का प्रतिरोध करने के कदमों पर चर्चा कीजिये। (2019)