शासन व्यवस्था
उत्तर-पूर्वी राज्यों का एकीकरण
यह एडिटोरियल 16/08/2022 को ‘द हिंदू’ में प्रकाशित “India at 75 / The fragility of the Northeast’s integration” लेख पर आधारित है। इसमें स्वतंत्रता के समय से आज तक पूर्वोत्तर भारत के एकीकरण की यात्रा की पड़ताल की गई है।
संदर्भ
पूर्वोत्तर भारत—जिसे स्नेह से ‘सात बहनों की भूमि’ (land of seven sisters) भी पुकारा जाता है, देश के भौगोलिक और राजनीतिक प्रशासनिक विभाजन दोनों का ही प्रतिनिधित्व करता है। पूर्वोत्तर भारतीय राज्य भौगोलिक एवं पारिस्थितिक परिस्थितियों की एक विस्तृत शृंखला से समृद्ध हैं और भारत के अधिकांश स्थानिक वनस्पतियों और जीवों के लिये भौगोलिक ‘प्रवेश द्वार’ हैं।
- भारतीय संविधान की छठी अनुसूची पूर्वोत्तर राज्यों असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिज़ोरम के जनजातीय क्षेत्रों के प्रशासन के प्रावधानों से संबंधित है (अनुच्छेद 244)।
- पूर्वोत्तर भारत राष्ट्रीय आबादी में 3.8% की हिस्सेदारी रखता है और भारत के कुल भौगोलिक क्षेत्र के लगभग 8% को कवर करता है। सिलीगुड़ी कॉरिडोर—पश्चिम बंगाल में भूमि की एक संकरी पट्टी जिसे ‘चिकन नेक’ के रूप में भी जाना जाता है, इस क्षेत्र को भारत की शेष मुख्य भूमि से जोड़ता है।
- एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में भारत की यात्रा के आरंभ से ही पूर्वोत्तर भारत का भारतीय जीवन की मुख्यधारा में एकीकरण राष्ट्रीय एजेंडा पर रहा है। इन क्षेत्रों में सांस्कृतिक और जनसांख्यिकीय अखंडता एक प्रमुख चिंता का विषय रहा है जिस पर राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक और तकनीकी प्रगति के संदर्भ में पर्याप्त ध्यान नहीं दिया जाता है।
भारत के लिये पूर्वोत्तर का महत्त्व
- रणनीतिक महत्त्व: पूर्वोत्तर भारत दक्षिण-पूर्व एशिया और उससे आगे के लिये प्रवेश द्वार है। यह म्यांमार की ओर भारत का भूमि-सेतु है।
- भारत की ‘एक्ट ईस्ट’ नीति पूर्वोत्तर राज्यों को भारत के पूर्व की ओर संलग्नता की क्षेत्रीय अग्रिम पंक्ति पर रखती है।
- सांस्कृतिक महत्त्व: पूर्वोत्तर भारत विश्व के सर्वाधिक सांस्कृतिक रूप से विविधतापूर्ण क्षेत्रों में से एक है। यहाँ 200 से अधिक जनजातियाँ पाई जाती हैं। यहाँ के लोकप्रिय त्योहारों में नगालैंड का हॉर्नबिल महोत्सव, सिक्किम का पांग ल्हबसोल (Pang Lhabsol) आदि शामिल हैं।
- पूर्वोत्तर भारत दहेज की कुरीति से मुक्त है।
- पूर्वोत्तर भारत की संस्कृतियों का समृद्ध चित्रपट इसके अत्यधिक विकसित शास्त्रीय नृत्य रूपों (जैसे असम में बिहू) में परिलक्षित होता है।
- मणिपुर में पवित्र उपवनों में प्रकृति की पूजा करने की परंपरा है, जिसे उमंगलाई (UmangLai) कहा जाता है।
- आर्थिक महत्त्व: आर्थिक रूप से यह क्षेत्र ‘TOT’ (Tea, Oil and Timber) के प्राकृतिक संसाधनों में समृद्ध है।
- यह क्षेत्र 50000 मेगावाट जलविद्युत शक्ति की संभावना और जीवाश्म ईंधन के प्रचुर भंडार के साथ एक वास्तविक ‘पावरहाउस’ है।
- पारिस्थितिक महत्त्व: पूर्वोत्तर क्षेत्र भारत-बर्मा जैव विविधता हॉटस्पॉट का अंग है। यह भारतीय उपमहाद्वीप के उच्चतम पक्षी और पादप जैव विविधता में से एक का प्रतिनिधित्व करता है।
- इस क्षेत्र में भारत में मौजूद सभी भालू प्रजातियाँ पाई जाती हैं।
उत्तर-पूर्वी भारत से संबंधित वर्तमान चुनौतियाँ
- शेष भारत से पृथकता: भौगोलिक कारणों और शेष भारत के साथ अविकसित परिवहन लिंक के कारण इस क्षेत्र तक पहुँच हमेशा से दुर्गम रही है।
- पूर्वोत्तर राज्यों की भौतिक स्थिति यह अनिवार्य बनाती है कि वे अपने पड़ोसियों के सामंजस्य में विकसित हों ।
- इसके साथ ही, चूँकि ब्रह्मपुत्र और बराक घाटियों में बाढ़ और भूस्खलन की घटनाएँ देखी जाती हैं, न केवल असम बल्कि अन्य पूर्वोत्तर राज्यों की अर्थव्यवस्था पर भी इसका पर्याप्त दबाव पड़ता है।
- कुशल अवसंरचना की कमी: अवसंरचना, यानी भौतिक (जैसे सड़क मार्ग, जलमार्ग, ऊर्जा आदि) के साथ-साथ सामाजिक अवसंरचना (जैसे शैक्षणिक संस्थान, स्वास्थ्य सुविधाएँ) किसी भी क्षेत्र के मानव विकास और आर्थिक विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
- पूर्वोत्तर राज्यों के आर्थिक पिछड़ेपन का एक कारण अवसंरचनात्मक सुविधाओं की बदतर स्थिति भी है।
- इस क्षेत्र में अवसंरचनात्मक कमी के प्रमुख संकेतक हैं: भीड़भाड़ युक्त सड़कें, बिजली का बार-बार कटना, पेयजल की कमी आदि।
- औद्योगिक विकास की धीमी गति: औद्योगिक विकास के मामले में पूर्वोत्तर भारत ऐतिहासिक रूप से अविकसित रहा है।
- स्वतंत्रता के बाद भारत के विभाजन के कारण पूर्वोत्तर भारत में औद्योगिक क्षेत्र को गंभीर आघात सहना पड़ा क्योंकि इसके व्यापार मार्ग देश के बाकी हिस्सों से कट गए थे।
- इसने भारत के अन्य हिस्सों के साथ आर्थिक एकीकरण में बाधा डाली और निवेश के गंतव्य के रूप में इस क्षेत्र के आकर्षण को भी कम कर दिया।
- स्वतंत्रता के बाद भारत के विभाजन के कारण पूर्वोत्तर भारत में औद्योगिक क्षेत्र को गंभीर आघात सहना पड़ा क्योंकि इसके व्यापार मार्ग देश के बाकी हिस्सों से कट गए थे।
- प्रादेशिक संघर्ष: पूर्वोत्तर भारत में आज भी अंतर-राज्यीय और अंतर्राष्ट्रीय क्षेत्रीय संघर्ष की स्थिति मौजूद हैं जो प्रायः ऐतिहासिक सीमा विवादों और भिन्न जातीय, जनजातीय या सांस्कृतिक समानता से प्रेरित हैं। उदाहरण के लिये असम-मिज़ोरम सीमा विवाद।
- इस क्षेत्र में अपना प्रभाव बढ़ाने की अपनी सक्रिय योजनाओं के साथ चीन चिंता का एक प्रमुख स्रोत बना हुआ है। सिलीगुड़ी कॉरिडोर की भेद्यता एक प्रमुख चिंता है।
- उग्रवाद और राजनीतिक समस्याएँ: उग्रवाद या आतंकवाद एक राजनीतिक हथियार है और प्रायः राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक कारणों से संचित आक्रोश का परिणाम होता है।
- पूर्वोत्तर राज्यों ने अन्य भारतीय राज्यों से शोषण और अलगाव की भावना के साथ विद्रोही गतिविधियों और क्षेत्रीय आंदोलनों का उभार देखा है।
- यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम/उल्फा, पीपुल्स लिबरेशन आर्मी, नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नगालैंड, ऑल त्रिपुरा टाइगर फोर्स (ATTF) इस भूभाग में सक्रिय प्रमुख उग्रवादी संगठन रहे हैं।
- पूर्वोत्तर राज्यों ने अन्य भारतीय राज्यों से शोषण और अलगाव की भावना के साथ विद्रोही गतिविधियों और क्षेत्रीय आंदोलनों का उभार देखा है।
पूर्वोत्तर के विकास के लिये सरकार की प्रमुख पहलें
- आधारभूत संरचना क्षेत्र में:
- कनेक्टिविटी के क्षेत्र में:
- कलादान मल्टी-मोडल पारगमन परिवहन परियोजना
- भारत-म्यांमार-थाईलैंड त्रिपक्षीय राजमार्ग
- पर्यटन के क्षेत्र में:
- अन्य:
- डिजिटल नॉर्थ ईस्ट विजन 2022
- राष्ट्रीय बाँस मिशन
आगे की राह
- पूर्वोत्तर से ‘एक्ट-ईस्ट’: एक्ट ईस्ट नीति का व्यापक कार्यान्वयन पूरे देश के लिये प्रासंगिक है लेकिन पूर्वोत्तर के दीर्घकालिक विकास के लिये विशेष रूप से महत्त्वपूर्ण है।
- इसके कार्यान्वयन का एजेंडा पूर्वोत्तर राज्यों की राज्य सरकारों के सक्रिय सहयोग से तैयार किया जाना चाहिये।
- भारत का संभावित पावरहाउस: इसकी भू-सामरिक स्थिति और प्राकृतिक संसाधन भी इसे विकास और प्रगति के लिये भारत का एक संभावित पावरहाउस बनाता है।
- क्षेत्र को एक पसंदीदा निवेश गंतव्य बनाने के लिये एक व्यापक ढाँचे को विकसित करने की आवश्यकता है।
- सीमित उद्यम आधार में सुधार के लिये, स्थानीय उद्यमियों हेतु एक प्रमुख क्षमता निर्माण अभ्यास अपनाया किया जाना चाहिये।
- क्षेत्र को एक पसंदीदा निवेश गंतव्य बनाने के लिये एक व्यापक ढाँचे को विकसित करने की आवश्यकता है।
- पर्यटन का विकास: पूर्वोत्तर के विकास का एक प्रमुख पहलू पर्यटन है, जिसमें इस क्षेत्र को मुख्यधारा के विकास में शामिल कर सकने की क्षमता है।
- यहाँ के कुछ प्रसिद्ध पर्यटन स्थल हैं: काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान (जो एक सींग वाले गैंडे के लिये प्रसिद्ध है), असम में डिब्रू सैखोवा, अरुणाचल प्रदेश में नामदफा।
- कनेक्टिविटी की वृद्धि: कनेक्टिविटी या संपर्क से वाणिज्य को बढ़ावा मिलता है; इस दृष्टिकोण से पूर्वोत्तर राज्यों के लिये हवाई संपर्क प्राथमिकता होनी चाहिये। सड़क और रेलवे परियोजनाओं का विकास आपदा-रोधी उपायों के अनुसार होना चाहिये।
- पूर्वोत्तर क्षेत्र के विकास और आसियान (दक्षिणपूर्व एशियाई देशों के संघ) से संपर्क बढ़ाने के हमारे प्रयासों में जापान एक प्रमुख भागीदार के रूप में उभरा है।
- राजनीतिक और सामाजिक जागरूकता: एक उपेक्षित और कुशासित जनजातीय क्षेत्र से एक वास्तविक सॉफ्ट पावर के रूप में पूर्वोत्तर भारत की छवि को स्थापित करने के लिये धारणाओं को बदलना होगा, जिसके लिये समावेशिता को बढ़ावा देना और जागरूकता अभियान चलाना आवश्यक है।
- भौतिक और सामाजिक अवसंरचना का विकास: सड़क और पुल निर्माण गतिविधियों का समर्थन करने हेतु भौतिक आधारभूत संरचना व्यवहार्यता अनुसंधान के लिये एक अलग इकाई स्थापित की जानी चाहिये।
- पूर्वोत्तर क्षेत्र में उच्च शैक्षिक बुनियादी ढाँचे की कमी के कारण बड़ी संख्या में यहाँ के छात्र शिक्षा के लिये देश के अन्य भागों में जाने के लिये विवश होते हैं, जिससे जनशक्ति और वित्तीय संसाधनों दोनों की निकासी होती है।
- यह पूर्वोत्तर राज्यों में व्यावसायिक और उच्च शिक्षा के लिये उत्कृष्टता केंद्र स्थापित करने की आवश्यकता पर हमारा ध्यान आकर्षित करता है।
- इसके अलावा, पूर्वोत्तर भारत में डिजिटल कनेक्टिविटी का विस्तार करने और डिजिटल समावेशन की ओर आगे बढ़ने की आवश्यकता है।
- पूर्वोत्तर क्षेत्र में उच्च शैक्षिक बुनियादी ढाँचे की कमी के कारण बड़ी संख्या में यहाँ के छात्र शिक्षा के लिये देश के अन्य भागों में जाने के लिये विवश होते हैं, जिससे जनशक्ति और वित्तीय संसाधनों दोनों की निकासी होती है।
- भूमि अभिलेख प्रबंधन: पूर्वोत्तर में औपचारिक भूमि अभिलेखों के रखरखाव की व्यवस्था कमज़ोर है और जनजातीय क्षेत्रों में व्यावहारिक रूप से अनुपस्थित है।
- यह भूमिधारकों को ऋण प्राप्ति से वंचित करता है और विभिन्न भूमि संबंधी विवादों को जन्म देता है।
- भूमि अभिलेखों के रखरखाव की एक विश्वसनीय प्रणाली विकसित करना आवश्यक है।
- ‘स्पोर्ट्स पावरहाउस’: पूर्वोत्तर भारत देश के स्पोर्ट्स पावरहाउस के रूप में उभर रहा है जहाँ से कई बेहतरीन खिलाड़ी राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय फलक पर उभरकर सामने आए हैं।
- मणिपुर की मैरी कॉम ने वर्ष 2012 में लंदन में आयोजित ओलंपिक खेलों में कांस्य पदक जीतकर अनगिनत बालिकाओं को इस क्षेत्र में उत्कृष्टता प्राप्त करने के लिये प्रेरित किया था। वर्ष 2020 में टोक्यो ओलंपिक में मणिपुर की ही मीराबाई चानू ने रजत पदक जीतकर परंपरा को और समृद्ध किया।
अभ्यास प्रश्न: ‘‘स्वतंत्रता के समय से ही सुलगता रहा पूर्वोत्तर भारत एक उपचारात्मक स्पर्श की प्रतीक्षा करता रहा है।’’ व्याख्या कीजिये।
यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा में विगत वर्ष के प्रश्न (PYQs)Q. भारत के संविधान की किस अनुसूची में कई राज्यों में अनुसूचित क्षेत्रों के प्रशासन और नियंत्रण के लिए विशेष प्रावधान हैं? (वर्ष 2008) (a) तिसरी उत्तर: (B) |