शासन व्यवस्था
प्रधानमंत्री मत्स्य किसान समृद्धि सह योजना और मत्स्य पालन एवं जलीय कृषि अवसंरचना विकास कोष
- 12 Feb 2024
- 13 min read
प्रिलिम्स के लिये:प्रधानमंत्री मत्स्य किसान समृद्धि सह-योजना, प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा, मत्स्य पालन क्षेत्र, किसान क्रेडिट कार्ड, मत्स्य पालन एवं जलीय कृषि अवसंरचना विकास कोष। मेन्स के लिये:भारत में मत्स्य पालन क्षेत्र, भारत में मत्स्य पालन क्षेत्र में सुधार के लिये उठाए गए कदम |
स्रोत: पी.आई.बी.
चर्चा में क्यों?
हाल ही में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने "प्रधानमंत्री मत्स्य किसान समृद्धि सह-योजना (Pradhan Mantri Matsya Kisan Samridhi Sah-Yojana- PM-MKSSY) को मंजूरी दे दी है और मत्स्य पालन एवं जलीय कृषि अवसंरचना विकास कोष (Fisheries Infrastructure Development Fund - FIDF) को 2025-26 तक अतिरिक्त 3 वर्षों के लिये विस्तार प्रदान किया है।
- इसके विस्तार का उद्देश्य मत्स्य पालन क्षेत्र के अवसंरचनात्मक विकास की ज़रूरतों को पूरा करना, निरंतर विकास और वृद्धि सुनिश्चित करना है।
प्रधानमंत्री मत्स्य किसान समृद्धि सह-योजना क्या है?
- परिचय:
- PM-MKSS, मत्स्य पालन क्षेत्र को औपचारिक बनाने और वित्त वर्ष 2023-24 से वित्तीय वर्ष 2026-27 तक सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में अगले चार वर्षों की अवधि में 6,000 करोड़ रुपए से अधिक के निवेश के साथ मत्स्य पालन सूक्ष्म एवं लघु उद्यमों का समर्थन करने के लिये प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा (Pradhan Mantri Matsya Sampada- PMMSY) के तहत एक केंद्रीय क्षेत्र की उप-योजना है।
- उद्देश्य:
- राष्ट्रीय मत्स्य पालन क्षेत्र डिजिटल प्लेटफॉर्म (Fisheries Sector Digital Platform- NFDP) के तहत मछुआरों, मत्स्य किसानों और सहायक श्रमिकों के स्व-पंजीकरण के माध्यम से असंगठित मत्स्य पालन क्षेत्र का क्रमिक औपचारिककरण।
- मत्स्य पालन क्षेत्र के सूक्ष्म और लघु उद्यमों के लिये संस्थागत वित्तपोषण तक पहुँच को सुविधाजनक बनाना।
- जलीय कृषि बीमा खरीदने के लिये लाभार्थियों को एकमुश्त प्रोत्साहन प्रदान करना।
- मत्स्य, मत्स्योत्पाद और नौकरियों के रखरखाव के लिये सुरक्षा एवं गुणवत्ता आश्वासन प्रणालियों को अपनाने तथा उनके विस्तार को प्रोत्साहित करना।
- लक्षित लाभार्थी:
- मछुआरे, मत्स्य (जलकृषि) किसान, मत्स्य श्रमिक, विक्रेता, और मत्स्य पालन मूल्य शृंखला में शामिल अन्य हितधारक।
- सूक्ष्म व लघु उद्यम स्वामित्व फर्म, साझेदारी फर्म, सहकारी समितियाँ, संघ, स्टार्टअप, मत्स्य FPO (कृषक उत्पादक संगठन) और मत्स्य पालन एवं जलीय कृषि में लगे हुए हैं।
- FFPO में किसान उत्पादक संगठन (Farmers Producer Organizations - FPOs) भी शामिल हैं।
- कोई अन्य लाभार्थी जिन्हें मत्स्य पालन विभाग द्वारा लक्षित लाभार्थियों के रूप में शामिल किया जा सकता है।
- कार्यान्वित रणनीति:
- घटक 1-A: मत्स्य पालन क्षेत्र का औपचारिकीकरण:
- हितधारकों की एक राष्ट्रीय रजिस्ट्री बनाकर असंगठित मत्स्य पालन क्षेत्र को औपचारिक बनाने के लिये NFDP की स्थापना की जाएगी।
- NFDP के कार्य: प्रशिक्षण, वित्तीय साक्षरता में सुधार, परियोजना तैयारी सहायता, और मत्स्य पालन सहकारी समितियों को मज़बूत करना।
- घटक 1-B: जलकृषि बीमा को अपनाने की सुविधा:
- जलीय कृषि के लिये बीमा उत्पादों की स्थापना, कम से कम 1 लाख हेक्टेयर को कवर करना, प्रति किसान अधिकतम 1,00,000 रुपए का प्रोत्साहन (प्रोत्साहन के लिये कृषि क्षेयर न्यनतम 4 हेक्टेयर होना चाहिये) और गहन जलीय कृषि विधियों के लिये 40% प्रोत्साहन।
- अनुसूचित जाति (SC), अनुसूचित जनजाति (ST) और महिला लाभार्थियों को अतिरिक्त 10% प्रोत्साहन मिलता है।
- घटक 2: मत्स्य पालन क्षेत्र मूल्य शृंखला दक्षता में सुधार के लिये सूक्ष्म उद्यमों का समर्थन करना:
- प्रदर्शन अनुदान के प्रावधान के तहत मूल्य शृंखला दक्षता में सुधार करना। प्रदर्शन अनुदान के लिये पैमाना और मानदंड:
- अति लघु उद्योग:
- सामान्य श्रेणी: अनुदान कुल निवेश का 25% या 35 लाख रुपए तक सीमित है।
- SC, ST, महिला स्वामित्व: अनुदान कुल निवेश का 35% या 45 लाख रुपए तक सीमित है।
- ग्राम स्तरीय संगठन और संघ: अनुदान कुल निवेश का 35% या 200 लाख रुपए (जो भी कम हो) से अधिक नहीं होना चाहिये।
- घटक 3: मछली और मत्स्य उत्पादों के लिये सुरक्षा एवं गुणवत्ता आश्वासन प्रणाली:
- सुरक्षा और गुणवत्ता, बाज़ार विस्तार और विशेषकर महिलाओं के लिये रोज़गार सृजन को बढ़ावा देने हेतु मत्स्य पालन उद्यमों को प्रोत्साहित करना।
- अनुदान:
- सूक्ष्म उद्यम: मूल्य शृंखला दक्षताओं के समान।
- लघु उद्यम: कुल निवेश का 25% या 75 लाख रुपए (सामान्य श्रेणी), कुल निवेश का 35% या 100 लाख रुपए (SC/ST/महिला-स्वामित्व वाली)।
- ग्राम-स्तरीय संगठन और महासंघ: मूल्य शृंखला दक्षता के समान।
- घटक 4: परियोजना प्रबंधन, निगरानी और रिपोर्टिंग:
- परियोजना गतिविधियों के प्रबंधन, कार्यान्वयन, निगरानी और मूल्यांकन के लिये परियोजना प्रबंधन इकाइयों (PMU) की स्थापना।
- घटक 1-A: मत्स्य पालन क्षेत्र का औपचारिकीकरण:
भारत में मत्स्य पालन क्षेत्र:
- वर्ष 2022-23 में भारत का कुल मतस्य उत्पादन 174 लाख टन रहा। भारत, विश्व का तीसरा सबसे बड़ा मतस्य उत्पादक है, जो कुल वैश्विक मतस्य उत्पादन में 8% का योगदान देता है।
- 10 वर्षों की अवधि में (2013-2023-24) के दौरान:
- मतस्य उत्पादन 79.66 लाख टन बढ़ा।
- इस अवधि के दौरान तटीय जलीय कृषि में मज़बूत वृद्धि देखी गई।
- झींगा का उत्पादन 270% बढ़ा।
- झींगा निर्यात 123% की वृद्धि प्रदर्शित करते हुए दोगुने से भी अधिक हो गया।
- ~63 लाख मछुआरों और मछली किसानों के लिये रोज़गार और आजीविका के अवसर उत्पन्न हुए।
- समूह दुर्घटना बीमा योजना (GAIS) के तहत प्रति मछुआरा कवरेज 1.00 लाख रुपए से बढ़कर 5.00 लाख रुपए हो गया, जिससे कुल मिलाकर 267.76 लाख मछुआरों को लाभ हुआ।
- वर्ष 2019 में मत्स्य पालन के लिये किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) के विस्तार के साथ 1.8 लाख कार्ड जारी किये गए।
- महत्त्वपूर्ण उपलब्धियों के बावजूद, इस क्षेत्र में चुनौतियाँ अभी भी बनी हुई हैं, जिनमें इसकी अनौपचारिक प्रकृति, फसल जोखिम शमन की कमी, कार्य-आधारित पहचान प्राप्त न होना, संस्थागत ऋण तक बेहतर पहुँच न होना और सूक्ष्म एवं लघु उद्यमों द्वारा बेची जाने वाली मछली की उप-इष्टतम सुरक्षा एवं गुणवत्ता मानक शामिल हैं।
मत्स्य पालन अवसंरचना विकास निधि (FIDF) क्या है?
- परिचय:
- इसकी स्थापना मत्स्य पालन विभाग (मत्स्य पालन, पशुपालन एवं डेयरी मंत्रालय) द्वारा की गई है। FIDF PMMSY तथा KCC जैसी योजनाओं के निधि पूरक के रूप में कार्य करता है।
- FIDF का उद्देश्य समुद्री और अंतर्देशीय मत्स्य पालन क्षेत्रों में मत्स्य पालन हेतु बुनियादी सुविधाएँ प्रदान करना है।
- कार्यान्वयन तंत्र:
- रियायती वित्त: FIDF पात्र संस्थाओं (EE) को नोडल ऋण संस्थाओं (NLE) अर्थात् नाबार्ड, राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (NCDC) और सभी अनुसूचित बैंकों के माध्यम से रियायती वित्त प्रदान करता है।
- FIDF के तहत पात्र संस्थाओं (EE) में राज्य सरकारें, सहकारी समितियाँ, मत्स्य पालन सहकारी संघ, गैर सरकारी संगठन, महिला उद्यमी, निजी कंपनियाँ इत्यादि शामिल हैं।
- ब्याज अनुदान/सहायता:
- भारत सरकार प्रति वर्ष 3% तक की ब्याज पर छूट प्रदान करती है।
- पुनर्भुगतान/चुकौती की अवधि 12 वर्ष तक होती है जिसमें NLE द्वारा 5% प्रति वर्ष की न्यूनतम ब्याज़ दर पर रियायती वित्त प्रदान करने के लिये 2 वर्ष का अधिस्थगन भी शामिल है।
- रियायती वित्त: FIDF पात्र संस्थाओं (EE) को नोडल ऋण संस्थाओं (NLE) अर्थात् नाबार्ड, राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (NCDC) और सभी अनुसूचित बैंकों के माध्यम से रियायती वित्त प्रदान करता है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. अवैध शिकार के अतिरिक्त गंगा नदी डॉल्फिन की आबादी में गिरावट के संभावित कारण क्या हैं? (2014)
नीचे दिये गए कूट का उपयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 और 2 उत्तर: (c) प्रश्न. किसान क्रेडिट कार्ड योजना के अंतर्गत निम्नलिखित में से किन उद्देश्यों के लिये कृषकों को अल्पकालिक ऋण समर्थन उपलब्ध कराया जाता है? (2020)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1, 2 और 5 उत्तर: (b) मेन्स:प्रश्न. ‘नीली क्रांति’ को परिभाषित करते हुए भारत में मत्स्य पालन की समस्याओं और रणनीतियों को समझाइये। (2018) |