संयुक्त राष्ट्र महासभा में प्रधानमंत्री का भाषण | 28 Sep 2021
प्रिलिम्स के लिये:संयुक्त राष्ट्र महासभा, यूएनएससी प्रस्ताव 2593, यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस, पीएम जन आरोग्य योजना, पीएम आवास योजना, जल जीवन मिशन, mRNA वैक्सीन, हरित हाइड्रोजन। मेन्स के लिये:कोविड-19 महामारी, आतंकवाद, जलवायु परिवर्तन आदि से निपटने के लिये महासागरों में नेविगेशन की स्वतंत्रता तथा इसकी सुरक्षा की आवश्यकता। |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारत के प्रधानमंत्री ने संयुक्त राष्ट्र महासभा (United Nations General Assembly- UNGA) के 76वें सत्र को संबोधित किया।
- इस वर्ष के लिये यूएनजीए का विषय "कोविड-19 से उबरने की आशा के माध्यम से लचीले रुख का निर्माण, स्थायी रूप से पुनर्निर्माण, ग्रह की ज़रूरतों का जवाब देना, लोगों के अधिकारों का सम्मान करना और संयुक्त राष्ट्र को पुनर्जीवित करना" है।
- पीएम ने कोविड-19 महामारी, आतंकवाद के खतरे, जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिये भारत की कार्रवाई और महासागरों में नेविगेशन की स्वतंत्रता की रक्षा करने की आवश्यकता जैसे विषयों पर बात की।
संयुक्त राष्ट्र महासभा
- महासभा संयुक्त राष्ट्र का महत्त्वपूर्ण अंग है। यह विचार-विमर्श, नीति-निर्धारण जैसे कार्यों के लिये उत्तरदायी है।
- महासभा में संयुक्त राष्ट्र के सभी 193 सदस्य राष्ट्रों का प्रतिनिधित्व है, जो इसे सार्वभौमिक प्रतिनिधित्व वाला एकमात्र संयुक्त राष्ट्र निकाय बनाता है।
- प्रतिवर्ष सितंबर में संयुक्त राष्ट्र के सदस्यों की वार्षिक महासभा का आयोजन न्यूयॉर्क के जनरल असेंबली में किया जाता है और इसमें सामान्य बहस होती है तथा कई राष्ट्र प्रमुखता से भाग लेते हैं।
- महासभा में महत्त्वपूर्ण प्रश्नों पर निर्णय लेने, जैसे कि शांति एवं सुरक्षा, नए सदस्यों के प्रवेश तथा बजटीय मामलों के लिये दो-तिहाई बहुमत की आवश्यकता होती है।
- अन्य प्रश्नों पर निर्णय साधारण बहुमत से लिया जाता है।
- महासभा के अध्यक्ष को प्रत्येक वर्ष महासभा द्वारा एक वर्ष के कार्यकाल के लिये चुना जाता है।
- मालदीव के विदेश मंत्री अब्दुल्ला शाहिद को वर्ष 2021-22 के लिये यूएनजीए के 76वें सत्र के लिये अध्यक्ष चुना गया है।
- यूएनजीए ने एंटोनियो गुटेरेस को 1 जनवरी, 2022 से शुरू होने वाले और 31 दिसंबर, 2026 को समाप्त होने वाले दूसरे कार्यकाल के लिये नौवें संयुक्त राष्ट्र महासचिव (UNSG) के रूप में नियुक्त किया है।
प्रमुख बिंदु
- आतंकवाद का खतरा: विश्व प्रतिगामी सोच और उग्रवाद के बढ़ते खतरे का सामना कर रहा है तथा कई देश "आतंकवाद को एक राजनीतिक उपकरण के रूप में उपयोग कर रहे हैं"।
- इन्होंने यूएनएससी प्रस्ताव 2593 का पालन करने पर भी ज़ोर दिया।
- इस प्रस्ताव में मांग की गई है कि किसी भी देश को धमकाने, हमला करने, आतंकवादियों को पनाह देने और प्रशिक्षित करने के लिये अफगान क्षेत्र का इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिये।
- भारत का महत्त्व: आज विश्व का हर छठा व्यक्ति भारतीय है। इस प्रकार जब भारतीय प्रगति करते हैं, तो विश्व के विकास को भी गति मिलती है।
- इन्होंने भारत को 'लोकतंत्र की जननी' माना और लोकतंत्र के माध्यम से कई सामाजिक-आर्थिक समस्याओं का समाधान किया जा सकता है।
- भारत का विकासात्मक मॉडल: दीन दयाल उपाध्याय के एकात्म मानववाद का हवाला देते हुए भारत के विकास मॉडल में एक सर्व-समावेशी, सर्व-व्यापक और सार्वभौमिक दृष्टिकोण की परिकल्पना की गई है। उदाहरण के लिये:
- यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (UP) और जन धन खातों ने वित्तीय समावेशन को बढ़ाया है।
- पीएम जन आरोग्य योजना ने 500 मिलियन से अधिक लोगों को अस्पतालों में मुफ्त इलाज की सुविधा प्रदान की है और उन्हें गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुँच प्रदान की है।
- पीएम आवास योजना के तहत बेघर परिवारों के लिये करीब 3 करोड़ घर बनाए जा रहे हैं।
- जल जीवन मिशन द्वारा यह सुनिश्चित करने की परिकल्पना की गई है कि पाइप के माध्यम से साफ पानी 170 मिलियन से अधिक घरों तक पहुँचे।
- कोविड-19 से निपटना: भारत ने विश्व का पहला डीएनए वैक्सीन विकसित कर लिया है। इसे 12 वर्ष से ऊपर के किसी भी व्यक्ति को लगाया जा सकता है।
- mRNA वैक्सीन विकास के अंतिम चरण में है।
- भारतीय वैज्ञानिक भी कोविड-19 का नोज़ल वैक्सीन (Nasal Vaccine) विकसित कर रहे हैं।
- अर्थव्यवस्था और पारिस्थितिकी संतुलन: भारत 450 गीगावाट अक्षय ऊर्जा के लक्ष्य की ओर बढ़ रहा है।
- साथ ही भारत विश्व का सबसे बड़ा हरित हाइड्रोजन (Green Hydrogen) हब बनने के लिये तैयार है।
- नौवहन की स्वतंत्रता सुनिश्चित करना: भारत-प्रशांत क्षेत्र में चीन के विस्तारवाद पर प्रकाश डालते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि महासागर अंतर्राष्ट्रीय व्यापार की जीवन रेखा हैं और उन्हें विस्तार तथा बहिष्कार की दौड़ से संरक्षित किया जाना चाहिये।
- इस संदर्भ में भारत की अध्यक्षता के दौरान सुरक्षा परिषद में बनी व्यापक सहमति विश्व को समुद्री सुरक्षा के लिये आगे का रास्ता दिखाती है।