शासन व्यवस्था
पीएम मित्र पार्क
- 07 May 2022
- 6 min read
प्रिलिम्स के लिये:पीएम मित्र पार्क। मेन्स के लिये:कपड़ा उद्योग। |
चर्चा में क्यों?
कपड़ा मंत्रालय ने पीएम मेगा इंटीग्रेटेड टेक्सटाइल रीजन एंड अपैरल पार्क (पीएम मित्र) योजना पर एक राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया है।
पीएम मित्र पार्क योजना:
- परिचय:
- ‘पीएम मित्र’ पार्क को सार्वजनिक निजी भागीदारी (PPP) मोड में एक विशेष प्रयोजन वाहन (Special Purpose Vehicle- SPV) के ज़रिये विकसित किया जाएगा, जिसका स्वामित्व केंद्र और राज्य सरकार के पास होगा।
- प्रत्येक ‘मित्र’ पार्क में एक इन्क्यूबेशन सेंटर, कॉमन प्रोसेसिंग हाउस और एक कॉमन एफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट तथा टेक्सटाइल संबंधी सुविधाएँ जैसे- डिज़ाइन सेंटर एवं टेस्टिंग सेंटर होंगे।
- यह ‘विशेष प्रयोजन वाहन’/मास्टर डेवलपर न केवल औद्योगिक पार्क का विकास करेगा, बल्कि रियायत अवधि के दौरान इसका रखरखाव भी करेगा।
- वित्तपोषण:
- इस योजना के तहत केंद्र सरकार सामान्य बुनियादी अवसंरचना के विकास हेतु प्रत्येक ग्रीनफील्ड ‘मित्र’ पार्क के लिये 500 करोड़ रुपए और प्रत्येक ब्राउनफील्ड पार्क के लिये 200 करोड़ रुपए की विकास पूंजी सहायता प्रदान करेगी।
- ग्रीनफील्ड का आशय एक पूर्णतः नई परियोजना से है, जिसे शून्य स्तर से शुरू किया जाना है, जबकि ब्राउनफील्ड परियोजना वह है जिस पर काम शुरू किया जा चुका है।
- इस योजना के तहत केंद्र सरकार सामान्य बुनियादी अवसंरचना के विकास हेतु प्रत्येक ग्रीनफील्ड ‘मित्र’ पार्क के लिये 500 करोड़ रुपए और प्रत्येक ब्राउनफील्ड पार्क के लिये 200 करोड़ रुपए की विकास पूंजी सहायता प्रदान करेगी।
- प्रोत्साहन के लिये पात्रता:
- इनमें से प्रत्येक पार्क में वस्त्र निर्माण इकाइयों की शीघ्र स्थापना के लिये प्रतिस्पर्द्धात्मक प्रोत्साहन सहायता के रूप में अतिरिक्त 300 करोड़ रुपए प्रदान किये जाएंगे।
- कम-से-कम 100 लोगों को रोज़गार देने वाले ‘एंकर प्लांट’ स्थापित करने वाले निवेशक तीन वर्ष तक प्रतिवर्ष 10 करोड़ रुपए तक प्रोत्साहन पाने के लिये पात्र होंगे।
- महत्त्व:
- रसद लागत में कमी:
- यह रसद लागत को कम करेगा और कपड़ा क्षेत्र की मूल्य शृंखला को विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्द्धी बनने हेतु मज़बूत करेगा।
- कपड़ा निर्यात को बढ़ावा देने के भारत के लक्ष्य में उच्च रसद लागत को एक प्रमुख बाधा माना जाता है।
- रोज़गार सृजन:
- प्रत्येक पार्क से प्रत्यक्ष रूप से 1 लाख रोज़गार और परोक्ष रूप से 2 लाख अतिरिक्त रोज़गार सृजित होने की उम्मीद है।
- FDI को आकर्षित करना:
- प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI ) को आकर्षित करने के लिये ये पार्क महत्त्वपूर्ण हैं।
- अप्रैल 2000 से सितंबर 2020 तक भारत के कपड़ा क्षेत्र को 20,468.62 करोड़ रुपए का FDI प्राप्त हुआ, जो इस अवधि के दौरान कुल FDI प्रवाह का मात्र 0.69% है।
- रसद लागत में कमी:
भारत के कपड़ा क्षेत्र की स्थिति:
- परिचय:
- भारत का कपड़ा क्षेत्र भारतीय अर्थव्यवस्था के सबसे पुराने उद्योगों में से एक है और पारंपरिक कौशल, विरासत तथा संस्कृति का भंडार एवं वाहक है।
- यह भारतीय सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में 2.3%, औद्योगिक उत्पादन का 7%, भारत की निर्यात आय में 12% और कुल रोज़गार में 21% से अधिक का योगदान देता है।
- भारत 6% वैश्विक हिस्सेदारी के साथ तकनीकी वस्त्रों (Technical Textile) का छठा (विश्व में कपास और जूट का सबसे बड़ा उत्पादक) बड़ा उत्पादक देश है।
- तकनीकी वस्त्र कार्यात्मक कपड़े होते हैं जो ऑटोमोबाइल, सिविल इंजीनियरिंग और निर्माण, कृषि, स्वास्थ्य देखभाल, औद्योगिक सुरक्षा, व्यक्तिगत सुरक्षा आदि सहित विभिन्न उद्योगों में अनुप्रयोग होते हैं।
- भारत विश्व में दूसरा सबसे बड़ा रेशम उत्पादक देश भी है जिसकी विश्व में हाथ से बुने हुए कपड़े के मामले में 95% हिस्सेदारी है।
- प्रमुख पहलें:
- उत्पादन आधारित प्रोत्साहन योजना
- राष्ट्रीय तकनीकी वस्त्र मिशन
- संशोधित प्रौद्योगिकी उन्नयन कोष योजना (ATUFS)
- एकीकृत वस्त्र पार्क योजना (SITP)
- समर्थ योजना
- पूर्वोत्तर क्षेत्र वस्त्र संवर्द्धन योजना (NERTPS)
- रेशम समग्र योजना:
- जूट आईकेयर