शासन व्यवस्था
पीएम-डिवाइन और पूर्वोत्तर विशेष अवसंरचना विकास योजनाएँ
- 23 Aug 2023
- 9 min read
प्रिलिम्स के लिये:मेन्स के लिये:भारत के लिये पूर्वोत्तर का महत्त्व, पूर्वोत्तर भारत से संबंधित चुनौतियाँ |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में पूर्वोत्तर भारत के विकास को बढ़ावा देने के लिये डिज़ाइन की गई पूर्वोत्तर क्षेत्र हेतु प्रधानमंत्री विकास पहल (Prime Minister's Development Initiative for North Eastern Region- PM-DevINE) में क्षेत्र की आवश्यकताओं और आकांक्षाओं के अनुरूप महत्त्वपूर्ण संशोधन किये गए हैं।
- ये नए दिशा-निर्देश 12 अक्तूबर, 2022 से प्रभावी सभी पीएम-डिवाइन परियोजनाओं को नियंत्रित करते हैं।
- इसके अतिरिक्त पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय (Ministry of Development of the North Eastern Region- MDoNER) 15वें वित्त आयोग की शेष अवधि (2022-2026) के दौरान कैबिनेट द्वारा अनुमोदित पूर्वोत्तर विशेष अवसंरचना विकास योजना (North East Special Infrastructure Development Scheme- NESIDS) को लागू करने के लिये नए योजना दिशा-निर्देश जारी करता है।
पीएम-डिवाइन योजना के संशोधित दिशा-निर्देश:
- परियोजना निरीक्षण और शासन:
- MDoNER, NEC या केंद्रीय मंत्रालयों/एजेंसियों के माध्यम से कार्यान्वयन के साथ राज्य सरकारों, उत्तर-पूर्वी परिषद (North Eastern Council- NEC) और संबंधित केंद्रीय मंत्रालयों के परामर्श से परियोजना चयन, अनुमोदन एवं निगरानी का निरीक्षण करेगा।
- ये दिशा-निर्देश प्रक्रिया की रूपरेखा तैयार करते हैं, जिसमें परियोजना की पहचान, चयन, DPR तैयार करना, मंज़ूरी, फंड जारी करना, निगरानी तथा परियोजना पूर्ण करना शामिल है।
- अधिकार प्राप्त अंतर-मंत्रालयी समिति (Empowered Inter-Ministerial Committee- EIMC):
- पीएम-डिवाइन के अंतर्गत विभिन्न कार्यों की देख-रेख के लिये अधिकार प्राप्त अंतर-मंत्रालयी समिति का गठन।
- इसकी अध्यक्षता पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय के सचिव द्वारा की जाएगी।
- राज्य स्तरीय अधिकार प्राप्त समिति (State Level Empowered Committee- SLEC):
- परियोजना की समीक्षा एवं अनुमोदन हेतु राज्य स्तरीय अधिकार प्राप्त समिति का गठन।
- मुख्य सचिव, संबंधित सचिव और NEC के प्रतिनिधि इसके सदस्यों के अंतर्गत आते हैं।
- परियोजना चयन के संबंध में:
- पूर्वोत्तर राज्यों को राज्य रसद नीति को अधिसूचित करना और भूमि राजस्व चार्ट सहित गति शक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान डेटा अनुभागों को अद्यतन करना चाहिये। इसके साथ-साथ सचिवों के अधिकार प्राप्त समूह, नेटवर्क योजना समूह और तकनीकी सहायता इकाई जैसे गति शक्ति कार्यान्वयन तंत्र की स्थापना करनी चाहिये।
- इन मानदंडों को पूरा नहीं करने वाले राज्यों को वर्ष 2023-24 से नई पीएम-डिवाइन परियोजना की मंजूरी नहीं दी जाएगी।
- पूर्वोत्तर राज्यों को राज्य रसद नीति को अधिसूचित करना और भूमि राजस्व चार्ट सहित गति शक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान डेटा अनुभागों को अद्यतन करना चाहिये। इसके साथ-साथ सचिवों के अधिकार प्राप्त समूह, नेटवर्क योजना समूह और तकनीकी सहायता इकाई जैसे गति शक्ति कार्यान्वयन तंत्र की स्थापना करनी चाहिये।
पीएम-डिवाइन:
- पीएम-डिवाइन की शुरुआत:
- पीएम-डिवाइन योजना एक केंद्रीय क्षेत्र की योजना है, इसे केंद्रीय बजट 2022-23 के एक हिस्से के रूप में पेश किया गया था।
- 12 अक्तूबर, 2022 को कैबिनेट ने पीएम-डिवाइन योजना को मंज़ूरी दी थी। यह पूर्णतः अर्थात् 100% केंद्र द्वारा वित्तपोषित है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि संसाधन सीधे-सीधे विकास पहलों के लिये आवंटित किये जाएँ।
- इसका क्रियान्वयन पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय द्वारा किया जाता है।
- पीएम-डिवाइन के उद्देश्य:
- अवसंरचना विकास: पीएम गति-शक्ति की भावना के अनुरूप, पीएम-डिवाइन का लक्ष्य संपूर्ण NER में निर्बाध कनेक्टिविटी और पहुँच सुनिश्चित करते हुए एक समेकित तरीके से अवसंरचना परियोजनाओं को वित्तपोषित करना है।
- सामाजिक विकास परियोजनाओं का समर्थन: NER की विशिष्ट ज़रूरतों और चुनौतियों की पहचान करते हुए यह योजना उन सामाजिक विकास परियोजनाओं का समर्थन करने का प्रयास करती है जो महत्त्वपूर्ण मुद्दों का समाधान कर क्षेत्र के निवासियों के जीवन की समग्र गुणवत्ता में सुधार करती हैं।
- युवाओं और महिलाओं का सशक्तीकरण: पीएम-डिवाइन विशेष रूप से NER के युवाओं और महिलाओं को लक्षित करके आजीविका के अवसर उत्पन्न करने में मदद करती है, जिससे वे क्षेत्र के विकास और प्रगति में सक्रिय रूप से भाग लेने में सक्षम होंगे।
- पीएम-डिवाइन के तहत अयोग्य परियोजनाएँ:
- दीर्घकालिक व्यक्तिगत लाभ या "प्रत्यक्ष लाभ अंतरण" प्रदान करने वाली परियोजनाएँ।
- सरकारी कार्यालयों/एजेंसियों के प्रशासनिक भवनों या संस्थागत आवश्यकताओं के लिये परियोजनाएँ।
- अन्य MDoNER योजनाओं द्वारा सम्मिलित किये गए क्षेत्र और DoNER मंत्रालय द्वारा नकारात्मक सूची में निर्दिष्ट क्षेत्र।
पूर्वोत्तर विशेष अवसंरचना विकास योजना (NESIDS):
- NESIDS 100% केंद्रीय वित्तपोषण वाली एक केंद्रीय क्षेत्र योजना है, जिसका वर्ष 2022-23 से 2025-26 के लिये नवीनीकृत अनुमोदित परिव्यय 8139.50 करोड़ रुपए है।
- इस योजना में दो घटक शामिल हैं- NESIDS- सड़क और NESIDS- सड़क से अन्य बुनियादी ढाँचा (OTR)।
- पहले से मौजूद नॉर्थ-ईस्ट रोड सेक्टर डेवलपमेंट स्कीम (NERSDS) के NESIDS-सड़क में विलय के बाद नए दिशा-निर्देश तैयार किये गए।
- NESIDS का लक्ष्य पूर्वोत्तर राज्यों के चिह्नित क्षेत्रों में बुनियादी ढाँचे का विकास, विशेष रूप से समन्वय को बढ़ावा देना है।
पूर्वोत्तर क्षेत्र के विकास से संबंधित अन्य पहल:
- उत्तर-पूर्वी परिषद (NEC)
- कनेक्टिविटी परियोजनाएँ: कलादान मल्टी-मोडल ट्रांज़िट प्रोजेक्ट (म्यांँमार) और बांग्लादेश-चीन-भारत-म्याँमार (BCIM) कॉरिडोर।
- भारतमाला परियोजना ( NER में 5,301 किमी. सड़क का विस्तार)
- RCS-UDAN (उड़ान को और अधिक किफायती बनाने के लिये) के तहत पूर्वोत्तर को प्राथमिकता वाले क्षेत्र के रूप में रखा गया है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रश्न. उत्तर-पूर्वी भारत में उपप्लवियों की सीमा के आर-पार आवाजाही, सीमा की पुलिसिंग के सामने अनेक सुरक्षा चुनौतियों में से केवल एक है। भारत-म्यांँमार सीमा के आर-पार वर्तमान में आरंभ होने वाली विभिन्न चुनौतियों का परीक्षण कीजिये। साथ ही चुनौतियों का प्रतिरोध करने के कदमों पर चर्चा कीजिये। (2019) |