भारत में फोन टैपिंग | 23 Apr 2022
प्रिलिम्स के लिये:केंद्रीय जाँच ब्यूरो (CBI), प्रवर्तन निदेशालय, नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो, केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड, राजस्व खुफिया निदेशालय, राष्ट्रीय जाँच एजेंसी। मेन्स के लिये:भारत में ‘फोन टैपिंग’ और संबंधित मुद्दे। |
चर्चा में क्यों?
फोन टैपिंग क्या है और भारत में फोन टैपिंग कैसे की जाती है?
- फोन टैपिंग का तात्पर्य जानकारी प्राप्त करने के लिये गुप्त रूप से किसी संचार चैनल (विशेष रूप से टेलीफोन) की वार्ता को सुनना या रिकॉर्ड करना है। इसे कुछ देशों (मुख्य रूप से USA में) ‘वायर-टैपिंग’ (Wiretapping) या अवरोधन (Interception) के रूप में भी जाना जाता है।
- फोन टैपिंग केवल अधिकृत तरीके से संबंधित विभाग की अनुमति लेकर ही की जा सकती है।
- फोन टैपिंग यदि अनधिकृत तरीके से की जाती है तो यह अवैध है और इससे गोपनीयता भंग होने पर ज़िम्मेदार व्यक्ति के विरुद्ध आपराधिक मुकदमा चलाया जा सकता है।
- भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 में कहा गया है कि कानून द्वारा स्थापित प्रक्रियाओं के अनुसार, ‘किसी भी व्यक्ति को उसके जीवन या उसकी व्यक्तिगत स्वतंत्रता से वंचित नहीं किया जाएगा’।
- एक नागरिक को व्यक्तिगत निजता के अलावा अपने परिवार, शिक्षा, विवाह, मातृत्व, बच्चे और वंश वृद्धि आदि के संबंध में गोपनीयता का अधिकार है।
फोन टैपिंग कौन कर सकता है?
- राज्य स्तर पर:
- राज्यों में पुलिस को फोन टैप करने का अधिकार है।
- केंद्रीय स्तर पर:
- इंटेलिजेंस ब्यूरो, केंद्रीय जाँच ब्यूरो (CBI), प्रवर्तन निदेशालय, नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो, केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड, राजस्व खुफिया निदेशालय, राष्ट्रीय जाँच एजेंसी, अनुसंधान और विश्लेषण विंग (RAW), सिग्नल इंटेलिजेंस निदेशालय, दिल्ली पुलिस आयुक्त।
भारत में फोन टैपिंग को नियंत्रित करने वाले कानून:
- भारतीय टेलीग्राफ अधिनियम, 1885:
- अधिनियम की धारा 5(2) के अनुसार, कोई भी सार्वजनिक आपातस्थिति होने पर या जन सुरक्षा के हित में केंद्र या राज्य सरकार द्वारा फोन टैपिंग की जा सकती है।
- यह आदेश तब जारी किया जा सकता है यदि केंद्र या राज्य सरकार इस बात से संतुष्ट है कि "भारत की संप्रभुता और अखंडता, राज्य की सुरक्षा, विदेशी राज्यों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध या सार्वजनिक व्यवस्था अथवा किसी अपराध को रोकने के लिये" सार्वजनिक सुरक्षा के हित में ऐसा करना आवश्यक है|
- अपवाद:
- केंद्र सरकार या राज्य सरकार से मान्यता प्राप्त संवाददाताओं के भारत में प्रकाशित होने वाले प्रेस संदेशों को इंटरसेप्ट नहीं किया जाएगा, जब तक कि इसकी उप-धारा के अंतर्गत उनके प्रसारण को प्रतिबंधित न किया गया हो।
- सक्षम प्राधिकारी को लिखित रूप में टैपिंग के कारणों की जानकारी देना अनिवार्य है।
फोन टैपिंग हेतु प्राधिकार:
- फोन टैपिंग करने का प्रावधान भारतीय टेलीग्राफ (संशोधन) नियम, 2007 की धारा 419A में किया गया है।
- केंद्र सरकार के मामले में फोन टैपिंग भारत सरकार के गृह मंत्रालय के सचिव द्वारा दिये गए आदेश के तहत की जा सकती है।
- राज्य सरकार के मामले में फोन टैपिंग राज्य सरकार के गृह विभाग के सचिव द्वारा दिये गए आदेश के तहत की जा सकती है।
- आपातकालीन स्थिति में:
- ऐसी स्थिति में एक ऐसे अधिकारी द्वारा आदेश जारी किया जा सकता है, जो भारत के संयुक्त सचिव के पद से नीचे का न हो और जिसे केंद्रीय गृह सचिव या राज्य के गृह सचिव द्वारा अधिकृत किया गया हो।
- दूरदराज़ के क्षेत्रों में या संचालन संबंधी कारणों से यदि पूर्व निर्देश प्राप्त करना संभव नहीं है, तो केंद्रीय स्तर पर अधिकृत कानून प्रवर्तन एजेंसी के प्रमुख या दूसरे वरिष्ठतम अधिकारी के पूर्व अनुमोदन से कॉल को इंटरसेप्ट किया जा सकता है, साथ ही राज्य के स्तर पर अधिकृत अधिकारी पुलिस महानिरीक्षक के पद से नीचे का न हो।
- प्राप्त आदेश के संबंध में तीन दिनों के अंदर सक्षम प्राधिकारी को सूचित करना अनिवार्य है, जिसे सात कार्य दिवसों के अंदर स्वीकृत या अस्वीकृत किया जा सकता है।
- यदि सक्षम प्राधिकारी से पुष्टि निर्धारित सात दिनों के भीतर प्राप्त नहीं होती है, तो ऐसा अवरोधन (इंटरसेप्शन) स्वतः समाप्त हो जाएगा।
- उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार ने वर्ष 2021 में इंडियन टेलीग्राफ राइट ऑफ वे (संशोधन) नियम, 2021 को अधिसूचित किया।
उपचार:
- अंतिम उपाय के रूप में:
- कानून में स्पष्ट किया गया है कि इंटरसेप्शन का आदेश तभी दिया जाना चाहिये जब सूचना प्राप्त करने का कोई अन्य तरीका न बचा हो।
- इंटरसेप्शन का नवीनीकरण:
- इंटरसेप्शन के निर्देश लागू रहते हैं, लेकिन यह अनुमति केवल 60 दिनों के लिये वैध होती है।
- इंटरसेप्शन के निर्देश को परिवर्तित किया जा सकता है,लेकिन इसे 180 दिनों से अधिक नहीं बढ़ाया जा सकता है।
- इंटरसेप्शन के निर्देश लागू रहते हैं, लेकिन यह अनुमति केवल 60 दिनों के लिये वैध होती है।
- आवश्यक कारण:
- सक्षम प्राधिकारी द्वारा जारी किये गए किसी भी आदेश में आवश्यक कारण होने चाहिये,और उसकी एक प्रति समीक्षा समिति को सात कार्य दिवसों के भीतर अग्रेषित की जानी चाहिये।
- केंद्र में समिति की अध्यक्षता कैबिनेट सचिव द्वारा की जाती है, जिसमें कानून और दूरसंचार सचिव सदस्य होते हैं।
- राज्यों में इसकी अध्यक्षता मुख्य सचिव द्वारा की जाती है, जिसमें कानून और गृह सचिव सदस्य होते हैं।
- समिति से अपेक्षा की जाती है कि सभी अवरोधन (इंटरसेप्शन) अनुरोधों की समीक्षा के लिये दो महीने में कम-से-कम एक बार बैठक अवश्य करे।
- सक्षम प्राधिकारी द्वारा जारी किये गए किसी भी आदेश में आवश्यक कारण होने चाहिये,और उसकी एक प्रति समीक्षा समिति को सात कार्य दिवसों के भीतर अग्रेषित की जानी चाहिये।
- अभिलेखों को नष्ट करना:
- नियमों के तहत ऐसे निर्देशों से संबंधित रिकॉर्ड हर छह महीने में नष्ट कर दिये जाएंगे, जब तक कि ये कार्यात्मक आवश्यकताओं के लिये ज़रूरी न हों या होने की संभावना न हो।
- सेवा प्रदाताओं को भी अवरोधन (इंटरसेप्शन) बंद करने के दो महीने के भीतर अवरोधन (इंटरसेप्शन) के निर्देशों से संबंधित रिकॉर्ड को नष्ट करने की आवश्यकता होती है।
आगे की राह
- 'निजता के अधिकार' और 'व्यक्तिगत स्वतंत्रता' के बीच के संबंध को न्यायालय द्वारा स्पष्ट रूप से देखा गया, साथ ही व्यक्तिगत संचार को भी टैप करने की आवश्यकता है।
- व्यक्तियों के अधिकारों की रक्षा और गोपनीयता बनाए रखने की आवश्यकता सर्वोपरि है लेकिन जब सार्वजनिक आपातस्थिति या जनहित में सुरक्षा की बात आती है तो किसी व्यक्ति की गोपनीयता भंग करते हुए व एकत्रित की गई जानकारी की संवेदनशील प्रकृति के कारण गोपनीय रखते हुए न्यायालय द्वारा स्थापित प्रक्रिया का पालन किया जाना चाहिये।
- न्यायालय द्वारा नियंत्रण और संतुलन बनाए रखने के लिये एक निष्पक्ष एवं न्यायसंगत प्रक्रिया स्थापित की जाए ताकि अधिकारों का दुरुपयोग न हो।