पेगासस स्पायवेयर | 02 Jan 2024
प्रिलिम्स के लिये:पेगासस स्पायवेयर, ज़ीरो-क्लिक तथा ज़ीरो-डे वल्नरेबिलिटीज़, राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा रणनीति, साइबर सुरक्षित भारत मेन्स के लिये:स्पायवेयर तथा निजता संबंधी चिंताएँ, साइबर हमले, सरकारी पहल |
स्रोत: द हिंदू
चर्चा में क्यों?
पेगासस स्पायवेयर के कारण पुनः एक बार निजता और सुरक्षा संबंधी मुद्दे चर्चा में आए हैं। एमनेस्टी इंटरनेशनल की हालिया रिपोर्टें दो प्रमुख भारतीय पत्रकारों के फोन को लक्षित करने में इसके उपयोग की ओर संकेत करती हैं, जिससे संभावित सरकारी भागीदारी के बारे में पूछताछ शुरू हो गई है।
- एमनेस्टी इंटरनेशनल 10 मिलियन से अधिक लोगों का एक वैश्विक आंदोलन है जो एक ऐसे भविष्य की परिकल्पना के लिये प्रतिबद्ध है जहाँ सभी के मानवाधिकारों को सुनिश्चित किया जा सके।
पेगासस स्पायवेयर क्या है?
- परिचय:
- पेगासस स्पायवेयर एक अत्यधिक सुदृढ़ मोबाइल आवेक्षण टूल है जो विभिन्न ऐप्स और स्रोतों से डेटा तथा जानकारी एकत्र कर सेलफोन तक गुप्त रूप से पहुँच सकता है एवं निगरानी कर सकता है।
- इसे इज़रायली साइबर-इंटेलिजेंस फर्म NSO ग्रुप द्वारा विकसित किया गया था, जो इसे मात्र अपराध तथा आतंकवाद की रोकथाम के लिये सरकारी एजेंसियों को बेचने का दावा करता है।
- NSO उन पत्रकारों, वकीलों तथा मानवाधिकार रक्षकों को निशाना बनाने से बचने के लिये सुरक्षा उपायों पर ज़ोर देता है जो आतंक अथवा गंभीर अपराधों में शामिल नहीं हैं।
- परिचालन प्रक्रिया:
- पेगासस डिवाइस को लक्षित करने के लिये “ज़ीरो-क्लिक” विधियों का उपयोग करता है, यह एक सॉफ्टवेयर है जो उपयोगकर्त्ता की सहमति के बिना उसके डिवाइस पर स्पायवेयर इंस्टॉल करने की अनुमति देता है।
- स्पायवेयर को इंस्टॉलेशन के लिये किसी उपयोगकर्त्ता कार्रवाई की आवश्यकता नहीं होती है जो इसे नियमित ऐप्स से अलग करता है जिनके इंस्टॉलेशन में स्पष्ट उपयोगकर्त्ता पुष्टि की आवश्यकता होती है।
- यह व्हाट्सएप, आईमैसेज या फेसटाइम जैसे ऐप्स में कमज़ोरियों का फायदा उठा सकता है और एक संदेश या कॉल भेज सकता है जो स्पायवेयर की स्थापना को ट्रिगर करता है, भले ही उपयोगकर्त्ता इसे न देखें या इसका जवाब न दें।
- पेगासस एक स्पायवेयर है जो एप्पल उत्पादों पर स्पायवेयर तैनात करने के लिये ज़ीरो-डे भेद्यता की कमज़ोरियों का लाभ उठा सकता है।
- ज़ीरो-डे भेद्यता एक ऑपरेटिंग सिस्टम में एक अनदेखा दोष या बग है जिसके बारे में मोबाइल फोन के निर्माता को अभी तक पता नहीं लग पाया है और इसलिये वह इसे ठीक करने में सक्षम नहीं है।
- पेगासस डिवाइस को लक्षित करने के लिये “ज़ीरो-क्लिक” विधियों का उपयोग करता है, यह एक सॉफ्टवेयर है जो उपयोगकर्त्ता की सहमति के बिना उसके डिवाइस पर स्पायवेयर इंस्टॉल करने की अनुमति देता है।
- लक्ष्य:
- कई जाँचों और रिपोर्टों से पता चला है कि पेगासस स्पायवेयर का इस्तेमाल पत्रकारों, मानवाधिकार कार्यकर्त्ताओं, वकीलों, विपक्षी नेताओं और राष्ट्राध्यक्षों की जासूसी करने के लिये किया गया है।
- जिन देशों पर अपने आलोचकों और दुश्मनों को निशाना बनाने के लिये पेगासस स्पायवेयर का उपयोग करने का आरोप लगाया गया है उनमें सऊदी अरब, मैक्सिको, भारत, मोरक्को, हंगरी, अज़रबैजान तथा रवांडा शामिल हैं।
- आशय:
- पेगासस स्पायवेयर भ्रष्टाचार को उजागर करने, मानवाधिकारों की रक्षा करने तथा लोकतंत्र का समर्थन करने वाले व्यक्तियों एवं समूहों की गोपनीयता और सुरक्षा को खतरे में डालता है।
- यह पत्रकारों के स्रोतों, तरीकों और सामग्रियों को उजागर करके, उनकी स्वतंत्रता से समझौता करके प्रेस की स्वतंत्रता को कमज़ोर करता है।
- स्पायवेयर राष्ट्रों की संप्रभुता और स्थिरता के लिये खतरा उत्पन्न करता है, आंतरिक मामलों एवं निर्णय लेने की प्रक्रियाओं में विदेशी हस्तक्षेप तथा जासूसी को सक्षम बनाता है।
- चुनौतियाँ:
- पेगासस स्पायवेयर का पता लगाना और उसे हटाना मुश्किल है, क्योंकि यह डिवाइस पर अपनी उपस्थिति एवं गतिविधि को छिपा सकता है तथा अगर इसे पता चलता है कि इसकी खोज या विश्लेषण किया जा रहा है तो यह स्वयं को नष्ट कर सकता है।
- कानूनी रूप से अस्पष्ट क्षेत्रों में इसके संचालन के कारण पेगासस स्पायवेयर को विनियमित और नियंत्रित करना मुश्किल है।
- NSO समूह और उसके ग्राहक आमतौर पर स्पायवेयर के दुरुपयोग के लिये ज़िम्मेदारी से इनकार करते हैं या उससे बचते हैं।
साइबर खतरों के प्रमुख प्रकार:
संबंधित साइबर सुरक्षा पहल क्या हैं?
- भारत:
- सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000
- राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा रणनीति
- साइबर सुरक्षित भारत
- कंप्यूटर आपातकालीन प्रतिक्रिया टीम - भारत (CERT-In)
- महत्त्वपूर्ण सूचना अवसंरचना
- भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (I4C)
- अंतर्राष्ट्रीय तंत्र:
आगे की राह
- निगरानी उपकरणों के किसी भी अनैतिक उपयोग के लिये कंपनियों को जवाबदेह ठहराने और स्वतंत्र ऑडिट की सुविधा के लिये एक अंतर्राष्ट्रीय निरीक्षण तंत्र स्थापित की जानी चाहिये।
- स्पायवेयर के उपयोग को स्पष्ट रूप से प्रतिबंधित करने और लक्षित व्यक्तियों की गोपनीयता एवं मानवाधिकारों की रक्षा के लिये राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय कानूनी ढाँचे को मज़बूत की जानी चाहिये।
- स्पायवेयर से उत्पन्न जोखिमों और संभावित घुसपैठ के खिलाफ अपने उपकरणों की सुरक्षा के बारे में लोगों को शिक्षित करने के लिये जन जागरूकता अभियान चलाएँ।
- संभावित स्पायवेयर गतिविधियों की निरंतर निगरानी सहित साइबर खतरों का सक्रिय रूप से पता लगाने और उन्हें बेअसर करने के लिये राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा बुनियादी ढाँचे को मज़बूत करें।
- तकनीकी कंपनियों को नैतिक दिशा-निर्देशों को अपनाने के लिये प्रोत्साहित करें जो मानवाधिकार सिद्धांतों के अनुरूप हों तथा ज़िम्मेदार कॉर्पोरेट व्यवहार को बढ़ावा दें।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न1. ‘वान्नाक्राई, पेट्या और इंटर्नलब्लू’ पद जो हाल ही में समाचारों में उल्लिखित थे, निम्नलिखित में से किसके साथ संबंधित हैं? (2018) (a) एक्सोप्लैनेट्स उत्तर: (c) प्रश्न2. भारत में, किसी व्यक्ति के साइबर बीमा कराने पर निधि की हानि की भरपाई एवं अन्य लाभों के अतिरिक्त सामान्यत: निम्नलिखित में से कौन-कौन से लाभ दिये जाते हैं? (2020)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये– (a) केवल 1, 2 और 4 उत्तर: (b) प्रश्न1. भारत में, साइबर सुरक्षा घटनाओं पर रिपोर्ट करना निम्नलिखित में से किसके/किनके लिये विधितः अधिदेशात्मक है/हैं? (2017) 1- सेवा प्रदाता (सर्विस प्रोवाइडर) नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 उत्तर: (d) मेन्स:प्रश्न1. साइबर सुरक्षा के विभिन्न तत्त्व क्या हैं? साइबर सुरक्षा में चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए समीक्षा कीजिये कि भारत ने किस हद तक एक व्यापक राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा रणनीति सफलतापूर्वक विकसित की है। (2022) |