पीटलैंड संरक्षण | 26 Feb 2025
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स्रोतः डाउन टू अर्थ
चर्चा में क्यों?
एक हालिया अध्ययन में पीट भूमि अथवा पीटलैंड के अपर्याप्त संरक्षण की चिंताजनक स्थिति पर प्रकाश डाला गया है, जिनकी कार्बन भंडारण और जलवायु नियमन में महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है।
पीटलैंड पर अध्ययन संबधी मुख्य तथ्य कौन-से हैं?
- सीमित संरक्षण: वैश्विक पीटलैंड का मात्र 17% विधिक संरक्षण के अंतर्गत है, जो अन्य महत्त्वपूर्ण पारिस्थितिकी प्रणालियों जैसे मैंग्रोव (42%) और साल्टमार्श (50%) और उष्णकटिबंधीय वनों (38%) की तुलना में बहुत कम है।
- उच्च मानवीय दबाव: समग्र विश्व में लगभग 22% पीटलैंड (मुख्यतः अमेरिका और यूरोप) अत्यधिक मानवीय दबाव में हैं।
- अलवणीय जल की सुरक्षा और जैवविविधता: पीटलैंड में विश्व के 10% अहिमित अलवणीय जल का भंडार है और यह यहाँ विविध पारिस्थितिकी तंत्र पाए जाते हैं।
- संरक्षण में स्वदेशी भूमिका: वैश्विक पीटलैंड का 27% हिस्सा स्वदेशी लोगों की भूमि पर है , जहां पारंपरिक संरक्षण परंपरा ने बेहतर दृष्टिकोण तंत्र संरक्षण को बढ़ावा दिया है , फिर भी 85% संवैधानिक संरक्षण क्षेत्र से बाहर हैं।
- संरक्षण में मूल निवासियों की भूमिका: वैश्विक पीटलैंड का 27% भाग मूल निवासियों की भूमि पर है, जहाँ परंपरागत संरक्षण प्रथाओं से बेहतर पारिस्थितिकी तंत्र संरक्षण को बढ़ावा मिला किंतु अभी भी 85% क्षेत्र औपचारिक संरक्षण तंत्र के अंतर्गत नहीं हैं।
- कार्बन भंडारण और जलवायु प्रभाव: पीटलैंड 600 गीगाटन कार्बन संग्रहीत करते हैं, जो विश्व के सभी वनों से भी अधिक है, लेकिन, जब इनका क्षय होता है तो इनसे CO₂ का उत्सर्जन होता है, जो वार्षिक मानव-जनित ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन का 2-5% है।
पीटलैंड क्या हैं?
- परिचय:
- पीटलैंड स्थलीय आर्द्रभूमि पारिस्थितिकी तंत्र हैं, जिनकी विशेषता जलाक्रांत की स्थिति है, जिससे पौधों की सामग्री का पूर्ण अपघटन बाधित होता है, जिसके परिणामस्वरूप पीट (एक मृदा प्रकार) का संचय होता है।
- इनमें किसी भी अन्य स्थलीय पारिस्थितिकी तंत्र की तुलना में अधिक कार्बन संग्रहित होता है, जिससे जलवायु नियमन में भूमिका महत्त्वपूर्ण हो जाती है।
- वैश्विक वितरण:
- पीटलैंड लगभग 4.23 मिलियन वर्ग किमी. (पृथ्वी की स्थलीय सतह का 2.84%) क्षेत्र में विस्तृत हैं और हर जलवायवी अनुक्षेत्र में पाए जाते हैं।
- कनाडा, रूस, इंडोनेशिया, अमेरिका और ब्राज़ील में वैश्विक पीटलैंड का 70% हिस्सा है।
- प्रकार:
- उत्तरी और शीतोष्ण पीटलैंड: ये मुख्य रूप से यूरोप, उत्तरी अमेरिका और रूस में पाए जाते हैं, जो उच्च वर्षा और कम तापमान की स्थितियों में निर्मित होते हैं।
- उष्णकटिबंधीय पीटलैंड: ये मुख्यतः दक्षिण पूर्व एशिया, मध्य और दक्षिण अमेरिका, अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया में पाए जाते हैं, जहाँ प्रायः वर्षावन और मैंग्रोव होते हैं।
- महत्त्व:
- जल सुरक्षा और आपदा जोखिम न्यूनीकरण: जल प्रवाह को विनियमित करने, बाढ़, अनावृष्टि और समुद्री जल अंतर्वेशन को कम करने में पीटलैंड की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है।
- हानिरहित पीटलैंड (अतिसिक्त और स्पंजी) तापमान को कम करने, वनाग्नि की रोकथाम करने और सुरक्षित जल के लिये प्राकृतिक रूप से जल का निस्यंदन करने में मदद करते हैं, जबकि खराब जल निकासी से जल प्रदूषण होता है।
- जैवविविधता संरक्षण: पीटलैंड जैवविविधता के हॉटस्पॉट हैं, जो बोर्नियन ऑरंगुटान जैसी संकटापन्न प्रजातियों के लिये अनुकूल हैं।
- यहाँ पराग डेटा और प्राचीन कलाकृतियाँ जैसे पुरातात्त्विक और पारिस्थितिक रिकॉर्ड भी संरक्षित हैं।
- जूनोटिक रोग के जोखिम का शमन: पीटलैंड के क्षरण से मानव-वन्यजीव संपर्क बढ़ता है, जिससे इबोला और HIV/AIDS (कांगो के पीटलैंड से उत्पन्न) जैसे जूनोटिक रोगों का खतरा बढ़ जाता है।
- जैवविविधता ह्रास से मलेरिया और डेंगू जैसी वेक्टर जनित बीमारियों का भी खतरा बढ़ जाता है।
- आजीविका और आर्थिक महत्त्व: वे भोजन, फाइबर और कच्चा माल उपलब्ध कराकर स्थानीय अर्थव्यवस्था, पारंपरिक ज्ञान और सांस्कृतिक विरासत को समर्थन प्रदान करते हैं।
- जल सुरक्षा और आपदा जोखिम न्यूनीकरण: जल प्रवाह को विनियमित करने, बाढ़, अनावृष्टि और समुद्री जल अंतर्वेशन को कम करने में पीटलैंड की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है।
पीटलैंड संरक्षण में चुनौतियाँ क्या हैं?
- कमज़ोर कानूनी संरक्षण: वैश्विक पीटलैंड का केवल 17% ही कानूनी संरक्षण में है।
- कमज़ोर प्रवर्तन, नौकरशाही विलंबता और प्रतिस्पर्द्धी हित बहाली प्रयासों में बाधा डालते हैं।
- आर्थिक शोषण: पीटलैंड को नकदी फसलों (ताड़ का तेल, चावल), औद्योगिक कृषि, वानिकी और पीट निष्कर्षण के लिये बड़े पैमाने पर जल निकासी का सामना करना पड़ता है, जबकि शहरीकरण और बुनियादी ढाँचे के विस्तार से अपरिवर्तनीय क्षरण होता है।
- जलवायु परिवर्तन और प्राकृतिक क्षरण: बढ़ते तापमान और सूखे से पीटलैंड सूखने में तेज़ी आती है, वनाग्नि और CO₂ उत्सर्जन बढ़ता है, जबकि मानवीय गतिविधियाँ उनके पारिस्थितिकी तंत्र के संतुलन को और बाधित करती हैं।
- वित्तीय बाधाएँ: संरक्षण के लिये सीमित वित्तपोषण और अल्पकालिक आर्थिक प्राथमिकताओं के कारण प्रायः भूमि का उपयोग असंवहनीय हो जाता है, जिससे पुनर्स्थापन के प्रयास कमज़ोर हो जाते हैं।
- कमज़ोर स्वदेशी भूमि अधिकार: मूल निवासियों की भूमि पर स्थित 85% से अधिक पीटलैंड अन्य संरक्षित क्षेत्रों का हिस्सा नहीं हैं।
- सीमित जागरूकता और अनुसंधान अंतराल प्रभावी नीति उपायों में बाधा डालते हैं।
आगे की राह
- सुरक्षा एवं स्थायित्व: दीर्घकालिक कार्बन पृथक्करण सुनिश्चित करने के लिये सतत् पीटलैंड प्रबंधन को बढ़ावा देते हुए, पीटलैंड को कृषि के लिये उपयोग में लाने और जल निकासी जैसी हानिकारक गतिविधियों को रोकना।
- पुनर्स्थापन एवं पुनरुद्धार: पीटलैंड को पुनर्जीवित करने के लिये जल स्तर को पुनः बढ़ाना, जिससे वे कार्बन भंडारण के लिये प्रभावी बनेंगे तथा उत्सर्जन को स्थायी रूप से कम कर सकेंगे।
- नीति एवं कानूनी ढाँचा: पीटलैंड बहाली के लिये स्पष्ट राष्ट्रीय और वैश्विक लक्ष्य स्थापित करना, उन्हें पेरिस समझौते के तहत जलवायु कार्यवाही योजनाओं में शामिल करना, और आगे की क्षति को रोकने के लिये कानूनों को मज़बूत करना।
- मानकीकृत परिभाषाएँ: औद्योगिक हितों की तुलना में संरक्षण, पुनर्स्थापन और सतत् प्रबंधन को प्राथमिकता देते हुए पीटलैंड की विश्व स्तर पर सुसंगत परिभाषाओं को अपनाना।
- वैश्विक सहयोग और ज्ञान साझाकरण: पीटलैंड का मानचित्रण, संरक्षण और पुनर्स्थापन, उत्सर्जन की निगरानी और सतत् प्रबंधन के लिये स्थानीय समुदायों को शामिल करने के लिये UNEP, FAO, रामसर कन्वेंशन और IUCN के तहत अंतर्राष्ट्रीय प्रयासों को मज़बूत करना।
- जलवायु समझौतों में समावेशन: वैश्विक जलवायु और जैवविविधता ढाँचे में पीटलैंड को महत्त्वपूर्ण पारिस्थितिकी तंत्र के रूप में मान्यता देना तथा UNFCCC के तहत राष्ट्रीय जलवायु कार्य योजनाओं में उनके पुनरुद्धार को शामिल करना।
दृष्टि मेन्स प्रश्न: प्रश्न: पीटलैंड जलवायु विनियमन और जैवविविधता के लिये महत्त्वपूर्ण हैं, लेकिन कमज़ोर संरक्षण और दोहन के कारण इनका क्षरण हो रहा है। इनके महत्त्व पर चर्चा कीजिये और सतत् संरक्षण के उपाय सुझाइए। |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. यदि अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व के एक आर्द्रभूमि को 'मोंट्रेक्स रिकॉर्ड' के अंतर्गत लाया जाता है, तो इसका क्या अर्थ है? (2014) (A) मानवीय हस्तक्षेप के परिणामस्वरूप आर्द्रभूमि के पारिस्थितिक स्वरूप में परिवर्तन हुआ है, हो रहा है या होने की संभावना है। उत्तर: (a) मेन्स:प्रश्न. आर्द्रभूमि क्या है? आर्द्रभूमि संरक्षण के संदर्भ में 'बुद्धिमत्तापूर्ण उपयोग' की रामसर संकल्पना को स्पष्ट कीजिये। भारत से रामसर स्थलों के दो उदाहरणों का उद्धरण दीजिये। (2018) |