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सामाजिक न्याय

क्रिकेट में वेतन समानता

  • 29 Oct 2022
  • 10 min read

प्रिलिम्स के लिये:

समान वेतन समानता वाले देश और खेल, ग्लोबल जेंडर गैप इंडेक्स

मेन्स के लिये:

खेलों में समान वेतन लाने में चुनौतियाँ, ग्लोबल जेंडर गैप इंडेक्स की मुख्य विशेषताएँ, जेंडर गैप को कम करने के लिये सरकार की पहल

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) ने "पे इक्विटी पॉलिसी" की घोषणा करते हुए कहा कि केंद्रीय अनुबंधित पुरुष और महिला खिलाड़ियों को मैच में समान फीस मिलेगी।

  • यह कदम लैंगिक वेतन समानता लाने की दिशा में महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि ग्लोबल जेंडर गैप इंडेक्स 2022 के अनुसार, प्रगति की वर्तमान दर पर पूर्ण समता तक पहुँचने में 132 साल लगेंगे।

महिला खिलाड़ियों की फीस में वृद्धि:

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  • महिला खिलाड़ियों को अब प्रति टेस्ट मैच के लिये 15 लाख रुपए, एक दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय मैच (ODI) के लिये 6 लाख रुपए और T20 अंतर्राष्ट्रीय मैच के लिये 3 लाख रुपए मिलेंगे। अब तक उन्हें एक दिवसीय मैच के लिये 1 लाख रुपए और एक टेस्ट के लिये 4 लाख रुपए का भुगतान किया जाता था।
  • महिला क्रिकेटरों के लिये वार्षिक रिटेनरशिप समान रहती है - ग्रेड ए के लिये 50 लाख रुपए, ग्रेड B के लिये 30 लाख रुपए और ग्रेड C के लिये 10 लाख रुपए।
    • बेहतर खेलने वाले पुरुषों को उनके ग्रेड के आधार पर 1-7 करोड़ रुपए का भुगतान किया जाता है।

अन्य देश में खेलों में समान वेतन:

  • भारत अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में समान वेतन लागू करने वाला दूसरा देश बन गया है।
  • न्यूज़ीलैंड क्रिकेट (NZC) ने वर्षं 2022 में देश के खिलाड़ियों के संघ के साथ एक समझौता किया था, जिससे महिला क्रिकेटरों को पुरुष खिलाड़ियों के बराबर कमाई करने में मदद मिली।
    • यह संयुक्त राज्य अमेरिका की महिला राष्ट्रीय फुटबॉलरों द्वारा समान मुआवज़ा सुरक्षित करने के लिये अपने महासंघ के साथ छह वर्ष लंबी लड़ाई जीतने के चार महीने बाद आया था।
  • टेनिस ने अपने पुरुष और महिला खिलाड़ियों के बीच समान वेतन बढ़ाने के लिये कदम उठाए हैं, और आज सभी चार प्रमुख टेनिस टूर्नामेंट (ऑस्ट्रेलियाई ओपन, रोलैंड गैरोस, विंबलडन और यूएस ओपन) समान पुरस्कार राशि प्रदान करते हैं।

खेलों में लैंगिक स्तर पर समान वेतन संबंधी चुनौतियाँ:

  • राजस्व सृजन:
    • तर्क यह है कि पुरुष खिलाड़ियों द्वारा उत्पन्न प्रतिफल महिलाओं की तुलना में अधिक है।
    • खेलों में मौद्रिक लाभों का आकलन करते समय कुछ बातों पर ध्यान दिया जाता है, जिसमें विज्ञापन, स्पोर्ट्स मर्चेंडाइजिंग और टिकटों की बिक्री आदि शामिल हैं। हालाँकि यह दर्शकों की संख्या और फैनबेस पर आधारित है जो किसी भी खेल की एंड्रोसेंट्रिक प्रकृति से प्रभावित है।
    • खेल जगत में महिलाओं का प्रवेश सामाजिक प्रतिबंधों के कारण पुरुषों की तुलना में बहुत बाद में हुआ। इसके परिणामस्वरूप महिलाओं के खेल का 'मनोरंजन मूल्य' कम हो गया है।
  • प्रदर्शन में अंतर:
    • यह भी तर्क दिया जाता है कि चूँकि पुरुष 'मज़बूत' हैं और महिलाओं की तुलना में खेलों में बेहतर प्रदर्शन कर सकते हैं, इसलिये उन्हें अधिक राशि का भुगतान किया जाना चाहिये।
    • अच्छे स्तर के (प्रोफेशनल) टेनिस में, पुरुष प्रति मैच पाँच सेट खेलते हैं और महिलाएँ प्रति मैच तीन सेट खेलती हैं, यह नियम इस धारणा पर आधारित है कि पुरुषों की तुलना में महिलाएँ शारीरिक रूप से कमज़ोर हैं।
      • महिलाओं की पाँच सेट खेलने की इच्छा और क्षमता के बावज़ूद निर्णय लेने वालों (जो ज़्यादातर पुरुष थे) का मानना था कि अगर महिलाएँ पांच सेट खेलती हैं तो खेल की गुणवत्ता खराब हो जाएगी।
  • प्रतिनिधित्व संबंधी समस्या:
    • खेल प्रशासन संरचनाओं में महिलाओं का कमज़ोर प्रतिनिधित्व भी खेल उद्योग में वेतन अंतर के बने रहने का एक कारण है। कुछ शासन संरचनाओं में महिला प्रतिनिधित्व में सुधार हुआ है, लेकिन यह हाल ही में हुआ है। इसके अलावा अधिकांश शासी निकायों को अभी भी महिला सदस्यता बढ़ाने हेतु इस दिशा में सुदृढ़ रूप से कार्य करने की आवश्यकता है।

ग्लोबल जेंडर गैप इंडेक्स 2022 के प्रमुख बिंदु:

  • परिचय:
    • ग्लोबल जेंडर गैप इंडेक्स उप मैट्रिक्स के साथ चार प्रमुख आयामों में लैंगिक समानता की दिशा में उनकी प्रगति पर देशों को बेंचमार्क प्रदान करता है:
    • आर्थिक भागीदारी और अवसर, शैक्षिक प्राप्ति, स्वास्थ्य एवं उत्तरजीविता, राजनीतिक सश।
  • भारत का प्रदर्शन:

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  • भारत को कुल 146 देशों में 135वें स्थान पर रखा गया है।
  • भारत का कुल स्कोर 0.625 (2021 में) से सुधरकर 0.629 हो गया है, जो पिछले 16 वर्षों में इसका सातवाँ सर्वोच्च स्कोर है।
    • वर्ष 2021 में भारत 156 देशों में से 140वें स्थान पर था।
  • आर्थिक भागीदारी और अवसर (श्रम बल में महिलाओं का प्रतिशत, समान कार्य के लिये समान मज़दूरी एवं अर्जित आय):
    • भारत 146 देशों में से 143वें स्थान पर है, भले ही इसका स्कोर वर्ष 2021 में 0.326 से बढ़कर 0.350 हो गया है।
    • वर्ष 2021 में भारत 156 देशों में से 151वें स्थान पर था।
    • भारत का स्कोर वैश्विक औसत से काफी कम है और इस मामले में केवल ईरान, पाकिस्तान और अफगानिस्तान ही भारत से पीछे हैं।

सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक जीवन में लैंगिक अंतराल को कम करने हेतु भारत की पहल:

यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्न:

प्रश्न. निम्नलिखित में से कौन दुनिया के देशों को 'ग्लोबल जेंडर गैप इंडेक्स' रैंकिंग प्रदान करता है? (2017)

(a) वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम
(b) संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद
(c) संयुक्त राष्ट्र महिला
(d) विश्व स्वास्थ्य संगठन

उत्तर: (a)

व्याख्या:

  • ग्लोबल जेंडर गैप रिपोर्ट वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम द्वारा प्रकाशित की जाती है। रिपोर्ट का जेंडर गैप इंडेक्स, जिसे लैंगिक समानता रैंक देशों को मापने के लिये डिज़ाइन किया गया है, किसी देश में लैंगिक समानता की स्थिति को मापने के लिये चार प्रमुख क्षेत्रों (स्वास्थ्य, शिक्षा, अर्थव्यवस्था और राजनीति) में महिलाओं तथा पुरुषों के बीच लिंग अंतराल के अनुसार गणना की गई है: ।
  • ग्लोबल जेंडर गैप रिपोर्ट 2021 चार विषयगत आयामों में लैंगिक समानता की दिशा में उनकी प्रगति पर 156 देशों को बेंचमार्क करती है: आर्थिक भागीदारी और अवसर; शैक्षिक उपलब्धि, स्वास्थ्य एवं उत्तरजीविता, तथा राजनीतिक सशक्तीकरण। इसके अलावा इस वर्ष के संस्करण में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) से संबंधित कौशल लिंग अंतराल का अध्ययन किया गया।
  • डब्ल्यूईएफ जेंडर गैप इंडेक्स-2021 में भारत 140वें स्थान पर है।
  • अतः विकल्प (a) सही उत्तर है।

प्रश्न. क्या लैंगिक असमानता, गरीबी और कुपोषण के दुश्चक्र को महिलाओं के स्वयं सहायता समूहों को सूक्ष्म वित्त (माइक्रोफाइनेंस) प्रदान करके तोड़ा जा सकता है? सोदाहरण स्पष्ट कीजिये। (मेन्स- 2021)

प्रश्न. पितृसत्ता भारत में मध्यम वर्ग की कामकाजी महिलाओं की स्थिति को कैसे प्रभावित करती है? (मेन्स-2014)

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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