इंदौर शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 11 नवंबर से शुरू   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

डेली अपडेट्स


शासन व्यवस्था

गोवावासियों का पासपोर्ट निरस्तीकरण

  • 22 Apr 2024
  • 12 min read

प्रिलिम्स के लिये:

ओवरसीज़ सिटीज़नशिप ऑफ इंडिया (OCI), PIO, पासपोर्ट अधिनियम, 1967, नागरिकता

मेन्स के लिये:

नागरिकता, पुर्तगाली शासन, भारतीय प्रवासियों की भूमिका

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस 

चर्चा में क्यों?

हाल ही में विदेश मंत्रालय (MEA) द्वारा जारी एक ज्ञापन के कारण पिछले कुछ महीनों में गोवा के 100 से अधिक लोगों के पासपोर्ट निरस्त कर दिये गए हैं।

  • इन लोगों, जो शायद ज्ञापन के बारे में नहीं जानते होंगे, पर पुर्तगाल के नागरिक बनने के बाद अपने पासपोर्ट सरेंडर करने का प्रयास करते समय महत्त्वपूर्ण जानकारी छिपाने का आरोप है।

पासपोर्ट क्यों निरस्त किये जा रहे हैं?

  • गोवा का पुर्तगाली संबंध:
    • गोवा एक पूर्व पुर्तगाली उपनिवेश है, जो वर्ष 1510 से वर्ष 1961 यानी लगभग 450 वर्षों तक पुर्तगाली शासन के अधीन रहा।
    • पुर्तगाली कानून के अनुसार:
      • 19 दिसंबर, 1961 (जिस दिन गोवा पुर्तगाली शासन से मुक्त हुआ था) से पहले गोवा में पैदा हुए लोगों और आने वाली दो पीढ़ियों के पास पुर्तगाली नागरिक के रूप में पंजीकरण कराने का विकल्प है।
      • कई गोवावासियों ने सेंट्रल रजिस्ट्री में अपना जन्म स्थान लिस्बन लिखा है और पुर्तगाली नागरिकता हासिल कर ली है।
      • पुर्तगाली पासपोर्ट UK और यूरोपीय संघ सहित कई देशों में वीज़ा-मुक्त प्रवेश प्रदान करता है।
      • विदेशी रोज़गार और शैक्षिक अवसरों के आकर्षण ने गोवावासियों को पुर्तगाली नागरिकता लेने के लिये प्रेरित किया है।
  • विदेश मंत्रालय का वर्ष 2022 का ज्ञापन:
    • विदेश मंत्रालय ने 30 नवंबर, 2022 को एक ज्ञापन जारी किया, जिसके अनुसार विशेष रूप से "पूर्व भारतीय नागरिक द्वारा विदेशी राष्ट्रीयता प्राप्त करने के बाद भारतीय पासपोर्ट को जमा किया जाना था।
    • ज्ञापन में पासपोर्ट जमा/सरेंडर प्रमाणपत्रों से संबंधित मामलों को वर्गीकृत किया गया है और एक विशेष श्रेणी के परिणामस्वरूप कुछ गोवावासियों के पासपोर्ट निरस्त कर दिये गए हैं।
      • पासपोर्ट अधिनियम 1967 की धारा 10 (3) (b) के तहत दूसरे देश की नागरिकता का तथ्य छिपाकर प्राप्त किया पासपोर्ट रद्द किया जा सकता है, भले ही उसका उपयोग यात्रा के लिये न किया गया हो।
    • विदेश मंत्रालय के इस ज्ञापन से पहले पासपोर्ट अधिकारी द्वारा भारतीय पासपोर्ट को सरेंडर करने और सरेंडर प्रमाणपत्र जारी करने पर ज़ुर्माना लगाया जाता था, जिसे वर्ष 2020 के केरल उच्च न्यायालय के निर्णय में अमान्य घोषित कर दिया गया था, जिसमें कहा गया था कि पासपोर्ट अधिकारी ज़ुर्माना नहीं लगा सकता है, बल्कि केवल पासपोर्ट अधिनियम के उल्लंघन के लिये मुकदमा चला सकता है।
  • पासपोर्ट का निरसन और OCI कार्ड जारी करना:
    • दोहरी नागरिकता: चूँकि भारत दोहरी नागरिकता की अनुमति नहीं देता है। इसलिये आधिकारिक पुर्तगाली पासपोर्ट प्राप्त करने वाले गोवावासियों को अपनी भारतीय नागरिकता छोड़नी होगी।
    • OCI स्थिति: भारतीय पासपोर्ट रद्द होने से ये व्यक्ति ओवरसीज़ सिटीज़नशिप ऑफ इंडिया (OCI) के लिये आवेदन करने में असमर्थ हो गए हैं।
      • पासपोर्ट जारी करने वाले अधिकारियों द्वारा जारी 'सरेंडर सर्टिफिकेट' की अब तक उन लोगों को आवश्यकता रही है, जो OCI कार्ड के लिये आवेदन करना चाहते हैं।
        • हालाँकि पासपोर्ट रद्द होने के कारण ये लोग इस सुविधा का लाभ नहीं उठा सके।
      • विदेश मंत्रालय का वर्तमान ज्ञापन, पासपोर्ट अधिकारियों को उन मामलों में सरेंडर सर्टिफिकेट के बजाय 'निरस्तीकरण प्रमाणपत्र' जारी करने का निर्देश देता है, जहाँ जानकारी छिपाकर भारतीय पासपोर्ट प्राप्त किये गए थे।
        • इससे पुर्तगाली नागरिकता प्राप्त करने वाले पूर्व पुर्तगाली क्षेत्रों के भारतीय नागरिकों को भारत की विदेशी नागरिकता (OCI) के लिये आवेदन करने की अनुमति मिल जाएगी।
    • OCI स्टेटस भारतीय मूल के विदेशी नागरिकों को अनिश्चित काल तक भारत में रहने और काम करने की अनुमति देता है।

गोवा में पुर्तगाली शासन:

  • भारत के पश्चिमी तट पर स्थित गोवा वर्ष 1510 से वर्ष 1961 तक एक पुर्तगाली उपनिवेश था।
  • इस छोटे तटीय क्षेत्र को अफोंसो-डी-अल्बुकर्क ने जीत लिया, जो पूर्वी मसाला व्यापार के लिये एक महत्त्वपूर्ण व्यापार केंद्र बन गया।
  • उल्लेखनीय रूप से गोवा ने 450 वर्षों तक केप ऑफ गुड होप के पूर्व में संपूर्ण पुर्तगाली साम्राज्य की राजधानी के रूप में कार्य किया।
  • वर्ष 1940 के दशक में जैसे ही भारत, ब्रिटिशराज से स्वतंत्र हुआ, गोवा में भी स्वतंत्रता के लिये संघर्ष शुरू हो गया।
  • अंततः 19 दिसंबर, 1961 को अपने उपनिवेशीकरण की चार शताब्दियों से भी अधिक समय पश्चात् गोवा को पुर्तगाली शासन से मुक्त कर दिया गया।

भारत का विदेशी नागरिकता (OCI) कार्ड:

  • परिचय:
    • OCI की अवधारणा विशेष रूप से विकसित देशों में भारतीय प्रवासियों द्वारा दोहरी नागरिकता की मांग के जवाब में प्रस्तुत की गई थी।
    • गृह मंत्रालय OCI को ऐसे व्यक्ति के रूप में परिभाषित करता है, जो:
      • 26 जनवरी, 1950 को या उसके बाद भारत का नागरिक था; या
      • 26 जनवरी, 1950 को भारत का नागरिक बनने के योग्य था; या
      • अन्य पात्रता मानदंडों के बीच ऐसे व्यक्ति का बच्चा या पोता है
    • OCI कार्ड नियमों की धारा 7A के अनुसार, कोई आवेदक OCI कार्ड के लिये पात्र नहीं है यदि वह, उसके माता-पिता या दादा-दादी कभी पाकिस्तान या बाँग्लादेश के नागरिक रहे हों।
    • भारत सरकार ने नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, 2015 के माध्यम से वर्ष 2015 में भारतीय मूल के व्यक्ति (PIO) श्रेणी को OCI श्रेणी के साथ विलय कर दिया।
  • ऐतिहासिक पृष्ठभूमि:
    • OCI कार्ड योजना वर्ष 2005 में प्रवासी भारतीय दिवस के दौरान शुरू की गई थी।
    • इसे अपने मूल देश के प्रति प्रवासी भारतीयों के भावनात्मक लगाव और राष्ट्र के विकास में प्रवासी भारतीयों की भूमिका को स्वीकार करने के रूप में प्रस्तुत किया गया था।
  • OCI कार्ड के लाभ:
    • भारत आने के लिये एक से अधिक बार प्रवेश, जीवनपर्यंत वीज़ा।
    • ठहरने की किसी भी अवधि तक पुलिस प्राधिकारियों को रिपोर्ट करने से छूट, विदेशी क्षेत्रीय पंजीकरण कार्यालय (FRRO) से पंजीकरण कराने की आवश्यकता नहीं।
    • वित्तीय, आर्थिक और शैक्षिक क्षेत्रों में अनिवासी भारतीयों (NRI) के साथ समानता।
  • सीमाएँ एवं प्रतिबंध:
    • उन्हें मतदान का अधिकार नहीं है।
    • वे कृषि अथवा कृषि भूमि नहीं खरीद सकते।
    • अनुसंधान कार्य को छोड़कर सभी गतिविधियाँ जिनके लिये संबंधित भारतीय मिशन अथवा पोस्ट या FRRO से विशेष अनुमति प्राप्त करने की आवश्यकता होती है।
    • कार्ड धारक चुनाव में भाग नहीं ले सकते अथवा सार्वजनिक पद धारण नहीं कर सकते, जो नागरिकता एवं विदेशी नागरिकता के बीच स्पष्ट सीमाएँ बनाए रखने पर सरकार के रुख को दर्शाता है।
  • वर्तमान परिदृश्य:
    • OCI कार्ड योजना, प्रवासी भारतीयों के साथ संबंधों को गहरा करने के भारत सरकार के प्रयास का एक प्रमुख तत्त्व रही है।
    • मार्च 2020 तक गृह मंत्रालय ने 3.5 मिलियन से अधिक OCI कार्ड जारी किये थे।
      • इनमें से अधिकांश संयुक्त राज्य अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम, ऑस्ट्रेलिया एवं कनाडा में विदेशी नागरिकों को जारी किये गए थे।

PIO_VS_OCI

दृष्टि मुख्य परीक्षा प्रश्न:

प्रश्न. भारत के सामाजिक-आर्थिक विकास पर भारतीय प्रवासियों की भूमिका तथा भारत की विदेश नीति पर इसके प्रभाव को लेकर चर्चा कीजिये। प्रवासी भारतीयों ने भारत को सॉफ्ट पावर बनाने एवं वैश्विक प्रतिष्ठा के निर्माण में किस प्रकार योगदान दिया है?

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. भारत के संदर्भ मे निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2021)

  1. भारत में केवल एक ही नागरिकता और एक ही अधिवास है। 
  2. जो व्यक्ति जन्म से नागरिक हो, केवल वही राष्ट्राध्यक्ष बन सकता है। 
  3. जिस विदेशी को एक बार नागरिकता दे दी गई है, किसी भी परिस्थिति में उसे इससे वंचित नहीं किया जा सकता।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) केवल 1 और 3
(d) केवल 2 और 3

उत्तर: (a)


प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2018)

  1. आधार कार्ड का प्रयोग नागरिकता या अधिवास के प्रमाण के रूप में किया जा सकता है। 
  2. एक बार जारी होने के पश्चात् इसे निर्गत करने वाला प्राधिकरण आधार संख्या को निष्क्रिय या लुप्त नहीं कर सकता।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1 
(b) केवल 2 
(c) 1 और 2 दोनों  
(d) न तो 1 और न ही 2 

उत्तर: (d)


मेन्स:

प्रश्न. अमेरिका एवं यूरोपीय देशों की राजनीति एवं अर्थव्यवस्था में भारतीय प्रवासियों को एक निर्णायक भूमिका निभानी है। उदाहरणों सहित टिप्पणी कीजिये। (2020)

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2