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क्लाइमेट फाइनेंस प्रोवाइडेड एंड मोबिलाइज़्ड इन 2013-2022

  • 31 May 2024
  • 10 min read

प्रिलिम्स के लिये:

आर्थिक सहयोग और विकास संगठन, जलवायु वित्त लक्ष्य, विश्व बैंक, बहुपक्षीय विकास बैंक, नया सामूहिक परिमाणित लक्ष्य 

मेन्स के लिये:

विकासशील देशों के लिये जलवायु वित्त, अंतर्राष्ट्रीय जलवायु वित्त तंत्र की प्रभावशीलता, आर्थिक विकास और पर्यावरण की संधारणीयता 

स्रोत: डाउन टू अर्थ

चर्चा में क्यों? 

आर्थिक सहयोग एवं विकास संगठन (Organisation for Economic Cooperation and Development- OECD) द्वारा जारी “क्लाइमेट फाइनेंस प्रोवाइडेड एंड मोबिलाइज़्ड इन 2013-2022” नामक रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष 2022 में विकसित देशों ने विकासशील देशों के लिये जलवायु वित्त के रूप में 100 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक की धनराशि उपलब्ध कराई और संग्रहीत की, जबकि विगत वर्षों के दौरान ये देश ऐसा करने में असफल रहे थे।

OECD रिपोर्ट के प्रमुख निष्कर्ष क्या हैं?

  • जलवायु वित्त लक्ष्य: विकसित देशों ने वर्ष 2022 में विकासशील देशों को जलवायु वित्त के रूप में 115.9 बिलियन अमेरिकी डॉलर उपलब्ध कराए और संग्रहीत किये। यह उपलब्धि मूल लक्ष्य वर्ष 2020 से दो वर्ष बाद प्राप्त हुई है।
  • सार्वजनिक जलवायु वित्त का प्रभुत्व: वर्ष 2022 में कुल वित्तीय प्रवाह में लगभग 80% हिस्सेदारी द्विपक्षीय (देशों) और बहुपक्षीय स्रोतों (जैसे विश्व बैंक) से प्राप्त सार्वजनिक जलवायु वित्त की थी। बहुपक्षीय विकास बैंकों (Multilateral Development Banks- MDBs) से लगभग 90% वित्तपोषण, ऋण के रूप में प्राप्त हुआ।
    • द्विपक्षीय स्रोतों से 41 बिलियन अमेरिकी डॉलर, जबकि बहुपक्षीय स्रोतों से 50.6 बिलियन अमेरिकी डॉलर की राशि प्राप्त हुई। वर्ष 2022 में जुटाए गए निजी वित्त का योगदान 21.9 बिलियन अमेरिकी डॉलर रहा।
  • वित्तीय साधनों की प्रकृति: सार्वजनिक जलवायु वित्त में 70% हिस्सा ऋणों का था, जिससे विकासशील देशों पर ऋण के बोझ संबंधी चिंताओं में वृद्धि हुई। कुल सार्वजनिक जलवायु वित्त का केवल 28% ही अनुदानों के रूप में प्राप्त हुआ।
  • आय स्तर के अनुसार वितरण: निम्न आय वाले देशों को उनके सार्वजनिक जलवायु वित्त का 64%, जबकि निम्न-मध्यम आय वाले देशों को केवल 13% अनुदान के रूप में प्राप्त हुआ।
  • शमन तथा अनुकूलन के लिये वित्तपोषण में अंतराल: अधिकांश वित्तपोषण शमन प्रयासों के लिये किया गया, जबकि अनुकूलन गतिविधियों को वर्ष 2022 में 32.4 बिलियन अमेरिकी डॉलर प्राप्त हुए।
  • विशेषज्ञों की चिंताएँ और सिफारिशें: विशेषज्ञों ने जलवायु वित्त के लिये अधिक पारदर्शी लेखापरीक्षण और स्पष्ट परिभाषा की मांग की।
    • आलोचकों का तर्क है कि ऋण पर अत्यधिक निर्भरता जलवायु न्याय के सिद्धांतों को कमज़ोर बनाती है।
    • विकासशील देशों को जलवायु परिवर्तन से प्रभावी रूप से निपटने के लिये वर्ष 2030 तक प्रतिवर्ष अनुमानित 1 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की आवश्यकता की तुलना में 100 बिलियन अमेरिकी डॉलर का लक्ष्य अपर्याप्त माना जा रहा है।

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जलवायु वित्त लक्ष्य का भविष्य क्या है?

  • जलवायु वित्त पर एक नया, अधिक महत्त्वाकांक्षी नया सामूहिक परिमाणित लक्ष्य (New Collective Quantified Goal- NCQG) स्थापित करने के लिये वार्ता जारी रही है। नवंबर 2024 में बाकू, अज़रबैजान में COP29 शिखर सम्मेलन में इसे अपनाए जाने की आशा है।
    • NCQG के तहत वर्ष 2025 के बाद से विकासशील देशों को जलवायु वित्त प्रदान करने के लिये विकसित देशों को अनिवार्य रूप से बैठक करनी होगी और यह वर्ष 2015 के पेरिस समझौते का स्थान लेगा।
  • संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन (UN Climate Change) द्वारा वर्ष 2021 में प्रस्तुत एक रिपोर्ट में अनुमान व्यक्त किया गया है कि विकासशील देशों को अपनी जलवायु कार्य योजनाओं को लागू करने के लिये वर्ष 2030 तक सालाना लगभग 6 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की आवश्यकता होगी।
    • भारत ने विकसित देशों से आग्रह किया है कि वे ग्लोबल वार्मिंग की समस्या से निपटने के लिये वर्ष 2025 से विकासशील देशों को प्रति वर्ष कम-से-कम 1 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर का जलवायु वित्त उपलब्ध कराएँ

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आर्थिक सहयोग एवं विकास संगठन (OECD):

  • OECD 38 लोकतांत्रिक देशों का एक अंतर्राष्ट्रीय संगठन है, जो बाज़ार अर्थव्यवस्था के लिये प्रतिबद्ध है।
  • इसकी स्थापना वर्ष 1960 में 18 यूरोपीय देशों, संयुक्त राज्य अमेरिका और कनाडा द्वारा की गई थी, तथा इसका मुख्यालय पेरिस, फ्राँस में है।
  • OECD का लक्ष्य ऐसी नीतियों को आकार देना है जो सभी के लिये समृद्धि, समानता, अवसर और कल्याण को बढ़ावा दें। यह आर्थिक रिपोर्ट, सांख्यिकीय डेटाबेस, विश्लेषण और वैश्विक आर्थिक विकास पर पूर्वानुमान प्रस्तुत करता है।
  • यह विश्व भर में रिश्वतखोरी और वित्तीय अपराध को समाप्त करने की दिशा में भी कार्य करता है तथा असहयोगी टैक्स हैवन देशों की "ब्लैक लिस्ट" को भी प्रबंधित करता है।
  • OECD के अपने सदस्य देशों के अतिरिक्त भारत जैसी गैर-सदस्य अर्थव्यवस्थाओं के साथ भी कार्यकारी संबंध रखता है।

दृष्टि मेन्स प्रश्न:

प्रश्न. चर्चा कीजिये कि वैश्विक तापमान वृद्धि को रोकने और जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न होने वाले मुद्दों को कम करने के लिये पेरिस समझौते द्वारा निर्धारित लक्ष्यों को पूरा करने की दिशा में विश्व की पहुँच कहाँ तक है?

और पढ़ें: क्लाइमेट फाइनेंस रोड से COP29 तक, भारत की जलवायु प्रोफ़ाइल (भाग - II)

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. वर्ष 2015 में पेरिस में UNFCCC बैठक में हुए समझौते के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?  (2016)

  1. इस समझौते पर UN के सभी सदस्य देशों ने हस्ताक्षर किये और यह वर्ष 2017 से लागू होगा।
  2. यह समझौता ग्रीनहाउस गैस के उत्सर्जन को सीमित करने का लक्ष्य रखता है जिससे इस सदी के अंत तक औसत वैश्विकं तापमान की वृद्धि उद्योग-पूर्व स्तर (pre-industrial levels) से 2 डिग्री सेल्सियस या कोशिश करें कि 1.5 डिग्री सेल्सियस से भी अधिक न होने पाए।
  3. विकसित देशों ने वैश्विक तापन में अपनी ऐतिहासिक जिम्मेदारी को स्वीकारा और जलवायु परिवर्तन का सामना करने के लिये विकासशील देशों की सहायता के लिये 2020 से प्रतिवर्ष 1000 अरब डॉलर देने की प्रतिबद्धता जताई।

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1 और 3
(b) केवल 2
(c) केवल 2 और 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (b)


मेन्स:

प्रश्न. संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन ऑन क्लाइमेट चेंज (UNFCCC) के पक्षकारों के सम्मेलन (COP) के 26वें सत्र के प्रमुख परिणामों का वर्णन कीजिये। इस सम्मेलन में भारत द्वारा की गई प्रतिबद्धताएँ क्या हैं? (2021)

प्रश्न. नवंबर, 2021 में ग्लासगो में विश्व के नेताओं के शिखर सम्मेलन में सी.ओ.पी. 26 संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन में, आरंभ की गई हारित ग्रिड पहल का प्रयोजन स्पष्ट कीजिये। अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (आई.एस.ए.) में यह विचार पहली बार कब दिया गया था? (2021)

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