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जैव विविधता और पर्यावरण

एक-सींग वाले गैंडे में परजीवी संक्रमण

  • 15 Oct 2020
  • 4 min read

प्रिलिम्स के लिये

एक-सींग वाला गैंडा

मेन्स के लिये

एक-सींग वाले गैंडे में परजीवी संक्रमण

चर्चा में क्यों?

हाल ही में वर्ल्ड वाइल्डलाइफ फंड (World Wildlife Fund- WWF)  इंडिया ने असम और पश्चिम बंगाल के लिये ‘प्रीवलेंस ऑफ एंडोपैरासिटिक इन्फेक्शंस इन फ्री-रेंजिंग ग्रेटर वन होर्नेड राइनॉसॅरॅस’ (Prevalence of Endoparasitic Infections in Free-Ranging Greater One-Horned Rhinoceros) शीर्षक से रिपोर्ट प्रकाशित की है।

रिपोर्ट के प्रमुख बिंदु:

  • गैंडों की मौत का मुख्य कारण उनका अवैध शिकार माना जाता है, हालाँकि उनकी मौत प्राकृतिक कारणों से भी होती है जिसका विस्तार से अध्ययन नहीं किया गया है।
  • वर्ष 2017 के बाद असम और WWF INDIA की राइनो टास्क फोर्स ने असम, उत्तर प्रदेश एवं पश्चिम बंगाल में गैंडों के ताज़ा गोबर के नमूनों में पाए गए रोगजनकों का अध्ययन किया है।
  • भारत में इससे पहले गैडों की आबादी में रोग-परजीवी और इनके कारण होने वाली बीमारियों के प्रसार पर कोई व्यवस्थित अध्ययन नहीं किया गया था।
  • अध्ययनकर्त्ताओं के अनुसार, गैंडों के निवास स्थान में गिरावट रोगजनकों की संख्या में वृद्धि का कारण बन सकती है।
  • संरक्षित क्षेत्रों पर पशुधन के बढ़ते दबाव के कारण घरेलू पशुओं से जंगली जानवरों में रोगजनकों के स्थानांतरित होने की आशंका है।
  • असम और पश्चिम बंगाल से प्राप्त नमूनों के अध्ययन से यह निष्कर्ष निकाला गया है कि भारत में गैंडों की कुल आबादी के अनुमानित 68% हिस्से में चार जेनेरा के परजीवी (Parasites from Four Genera) मौजूद थे।
  • गैंडों में एंडोपैरासाइट्स की समग्र व्यापकता असम में 58.57% और पश्चिम बंगाल में 88.46% थी, वहीं उत्तर प्रदेश से संबंधित परिणाम अभी लंबित हैं।

जो परजीवी अपने मेज़बान के ऊतकों और अंगों में रहते हैं, जैसे कि टैपवार्म, फ्लूक एवं कशेरुकीय प्राणियों से संबंधित परजीवी। एंडोपैरासाइट्स परजीवी होते हैं।

एक-सींग वाला गैंडा (भारतीय गैंडा)

The Great one-horned Rhinoceros (Indian Rhinoceros):

  • यह IUCN (International Union for Conservation of Nature) की रेड लिस्ट में सुभेद्य (Vulnerable) श्रेणी में शामिल है।
  • भारत में गैंडे मुख्य रूप से काजीरंगामानस राष्ट्रीय उद्यान, पबितोरा वन्यजीव अभयारण्य में पाए जाते हैं। ये हिमालय की तलहटी में लंबी घास भूमियों वाले प्रदेशों में भी पाए जाते हैं।
  • गैंडे की सभी प्रजातियों में यह सबसे बड़ा होता है।
  • गैंडों की संख्या में वृद्धि के लिये ‘इंडियन राइनो विज़न’ 2020 ( Indian Rhino Vision 2020) कार्यक्रम चलाया जा रहा है।
  • गैंडों को वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 की अनुसूची I के तहत सूचीबद्ध किया गया है।
  • राष्ट्रीय राइनो संरक्षण रणनीति: इसे वर्ष 2019 में एक-सींग वाले गैंडों के संरक्षण के लिये लॉन्च किया गया था।

स्रोत-इंडियन एक्सप्रेस

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