महामारी संधि | 03 Jun 2024

प्रिलिम्स के लिये:

विश्व स्वास्थ्य सभा (WHA), जीनोमिक अनुक्रम, रोगाणुरोधी प्रतिरोध, अंतर्राष्ट्रीय चिंता संबंधी सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल (PHEIC), अंतर्राष्ट्रीय स्वास्थ्य विनियम (2005)

मेन्स के लिये:

महामारी संधि मसौदे के प्रमुख घटक तथा संधि का विकास, वैश्विक स्वास्थ्य पर सहयोग हेतु मौज़ूदा ढाँचा

स्रोत: विश्व स्वास्थ्य संगठन

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में विश्व स्वास्थ्य सभा (World Health Assembly- WHA) ने अपनी वार्षिक बैठक में अंतर्राष्ट्रीय स्वास्थ्य विनियम (International Health Regulations-IHR), 2005 में महत्त्वपूर्ण संशोधनों पर सहमति तथा वर्ष 2025 तक वैश्विक महामारी समझौते पर वार्ता पूरी करने की प्रतिबद्धता व्यक्त की।

  • ये संशोधन महामारी सहित सार्वजनिक स्वास्थ्य आपात स्थितियों के प्रति वैश्विक तैयारी, निगरानी और प्रतिक्रिया को मज़बूती प्रदान करेंगे।

विश्व स्वास्थ्य सभा (WHA) क्या है?

  • परिचय:
    • विश्व स्वास्थ्य सभा (WHA), WHO की निर्णयकारी सभा है जिसमें WHO के सभी सदस्य देशों के प्रतिनिधिमंडल शामिल होते हैं। 
    • इस सभा का आयोजन प्रतिवर्ष WHO के मुख्यालय, यानी जिनेवा, स्विट्ज़रलैंड में किया जाता है।
  • WHA के कार्य:
    • संगठन की नीतियों पर निर्णय लेना।
    • WHO के महानिदेशक की नियुक्ति।
    • वित्तीय नीतियों का प्रशासन।
    • प्रस्तावित कार्यक्रम हेतु बजट की समीक्षा और अनुमोदन।

IHR में किन प्रमुख संशोधनों पर सहमति बनी है?

  • परिभाषा:
    • संभावित महामारियों की अनुक्रिया में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग बढ़ाने हेतु महामारी आपातकाल (Pandemic Emergency) की परिभाषा को शामिल करना।
    • परिभाषा में महामारी के व्यापक भौगोलिक प्रसार, स्वास्थ्य प्रणाली क्षमता की तुलना में अधिक व्यापकता, सामाजिक एवं आर्थिक व्यवधान की उत्पत्ति और त्वरित अंतर्राष्ट्रीय कार्रवाई की आवश्यकता जैसे मानदंड शामिल हैं।
  • एकजुटता और समानता के प्रति प्रतिबद्धता:
    • इसमें विकासशील देशों की आवश्यकताओं एवं प्राथमिकताओं की पूर्ति हेतु आवश्यक वित्तपोषण के अभिनिर्धारण व वित्त तक पहुँच सुनिश्चित करने के लिये एक समन्वयकारी वित्तीय तंत्र (Coordinating Financial Mechanism) की स्थापना करना शामिल है।
    • इसमें मुख्य क्षमताओं और अन्य महामारी आपातकालीन रोकथाम, तैयारी एवं प्रतिक्रिया-संबंधी क्षमताओं को विकसित तथा उन्हें मज़बूत करना भी शामिल होगा।
    • इसमें महामारी की आपात स्थितियों की रोकथाम, तैयारी और प्रतिक्रिया से संबंधित अन्य क्षमताओं के साथ-साथ मूलभूत क्षमताओं में वृद्धि करना तथा उन्हें सुदृढ़ करना भी शामिल होगा।
  • प्रभावी कार्यान्वयन के लिये सहयोग:
    • इसमें सहयोग को बढ़ावा देने और संशोधित विनियमों के प्रभावी कार्यान्वयन हेतु राज्य पक्षकार समिति (States Parties Committee) का गठन करना शामिल है।
    • देशों के भीतर और देशों के बीच कार्यान्वयन संबंधी समन्वय में सुधार करने हेतु राष्ट्रीय IHR प्राधिकरणों (National IHR Authorities) का सृजन किया जाएगा।

वैश्विक स्वास्थ्य सहयोग क्यों आवश्यक है?

  • संक्रामक रोगों पर अंकुश लगाने हेतु:
    • कोविड-19 जैसी महामारियों ने हमारे विश्व के परस्पर संबंधों को उजागर किया है। इसने यह दर्शाया है कि किस प्रकार एक देश में उत्पन्न बीमारी का प्रकोप तीव्रता से अन्य देशों तक फैल सकता है। वैश्विक सहयोग से निम्नलिखित लाभ हो सकते हैं- 
      • सूचना साझाकरण: बीमारी/रोग के प्रकोप का शीघ्र पता लगाने और उसे साझा करने से वैश्विक अनुक्रिया में तेज़ी आती है। कोविड-19 के वैरिएंट्स की पहचान करने तथा उन पर नज़र रखने में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की भूमिका इसका एक प्रमुख उदाहरण है।
      • समन्वित अनुसंधान एवं विकास: यह सहयोग टीकों, निदान और उपचारों के तीव्र विकास को संभव बनाता है।
  • रोगाणुरोधी प्रतिरोध का समाधान करने के लिये:
    • किसी एक देश में एंटीबायोटिक दवाओं के अत्यधिक उपयोग और दुरुपयोग से प्रतिरोधी बैक्टीरिया उत्पन्न उत्पन्न हो सकते हैं, जिनका प्रसार विश्व स्तर पर हो सकता है। इस संदर्भ में वैश्विक सहयोग सहायक हो सकता है:
      • मानकीकृत प्रथाओं के विकास में: मनुष्यों और पशुओं में एंटीबायोटिक के उपयोग के लिये सामान्य दिशा-निर्देश स्थापित करने से प्रतिरोध को धीमा कम में सहायता मिलती है।
        • विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, रोगाणुरोधी प्रतिरोध (Antimicrobial Resistance) एक वैश्विक स्वास्थ्य जोखिम है, जिसका यदि मिलकर समाधान नहीं किया गया तो इससे प्रतिवर्ष लगभग लाखों लोगों की मृत्यु हो सकती है।
  • चिरकालिक रोगों के प्रबंधन के लिये:
    • हृदय रोग और मधुमेह (Diabetes) जैसे गैर-संचारी रोग वैश्विक स्तर पर चिंता का विषय बन रहे हैं। इस संदर्भ में वैश्विक सहयोग संबंधित जानकारी को साझा करने में सहायक होता है।
      • रोकथाम, उपचार और जीवनशैली आदि से संबंधित सर्वोत्तम व्यवहारों को साझा करने से देशों को एक-दूसरे से सीखने का मौका मिलता है। उदाहरण के लिये, ग्लोबल अलायंस फॉर क्रॉनिक डिज़ीज़ (GACD)
  • स्वास्थ्य समानता और पहुँच के लिये: 
    • कई देशों में स्वास्थ्य चुनौतियों से प्रभावी ढंग से निपटने हेतु संसाधनों का अभाव है। ऐसे में वैश्विक सहयोग का उद्देश्य प्रौद्योगिकी हस्तांतरण को प्रोत्साहित करना है।
      • जानकारी/सूचना और प्रौद्योगिकी को साझा करने से विकासशील देशों को अपनी स्वास्थ्य सेवा प्रणाली में सुधार करने में सहायता मिलती है। मेडिसिन पेटेंट पूल जैसी पहल सस्ती जेनेरिक दवाओं तक पहुँच को सरल बनाती है।

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वैश्विक स्वास्थ्य सहयोग के लिये मौज़ूदा फ्रेमवर्क क्या है?

  • बहुपक्षीय एजेंसियाँ: 
    • विश्व स्वास्थ्य संगठनयूनिसेफ, UNFPA और UNAIDS जैसे विभिन्न बहुपक्षीय संगठन बाल स्वास्थ्य, प्रजनन स्वास्थ्य तथा HIV/एड्स जैसे विशिष्ट स्वास्थ्य क्षेत्रों में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
    • विश्व स्वास्थ्य संगठन, संयुक्त राष्ट्र प्रणाली के अंतर्गत वैश्विक स्वास्थ्य पर केंद्रीय समन्वय प्राधिकरण के रूप में कार्य करता है।
      • यह अंतर्राष्ट्रीय स्वास्थ्य मानक निर्धारित करता है, देशों को प्रौद्योगिकीय सहायता प्रदान करता है तथा स्वास्थ्य आपात स्थितियों पर वैश्विक अनुक्रिया की निगरानी एवं समन्वय करता है।
  • अंतर्राष्ट्रीय स्वास्थ्य विनियम (IHR):
    • यह 196 देशों के बीच कानूनी रूप से बाध्यकारी समझौता है। यह अंतर्राष्ट्रीय निहितार्थों वाली सार्वजनिक स्वास्थ्य घटनाओं के संबंध में देशों के अधिकारों और दायित्वों की रूप-रेखा तैयार करता है।
  • वैश्विक स्वास्थ्य पहलें:
    • ये विशिष्ट स्वास्थ्य चुनौतियों से निपटने हेतु लक्षित कार्यक्रम हैं। इसके उदाहरणों में ग्लोबल फंड टू फाइट एड्स, ट्यूबरक्लोसिस एंड मलेरिया तथा वैक्सीन एलायंस गावी (GAVI) शामिल हैं।
  • सार्वजनिक-निजी साझेदारी:
    • सरकारों, गैर-सरकारी संगठनों और निजी क्षेत्र के बीच सहयोग से संसाधनों एवं विशेषज्ञता का लाभ उठाने का अवसर प्राप्त होता है।
      • उदाहरण- बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन
  • क्षेत्रीय संगठन: 
    • अमेरिका और अफ्रीकी संघ के लिये पैन अमेरिकन हेल्थ ऑर्गनाइज़ेशन (PAHO) जैसे क्षेत्रीय निकाय अपने क्षेत्रों में स्वास्थ्य प्रयासों के समन्वय में भूमिका निभाते हैं।

निष्कर्ष:

विश्व स्वास्थ्य सभा (WHA) के अंतर्राष्ट्रीय स्वास्थ्य विनियमों (IHR) में हालिया संशोधन और वर्ष 2025 तक वैश्विक महामारी समझौते के प्रति प्रतिबद्धता बेहतर वैश्विक स्वास्थ्य सुरक्षा में सुधार की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम का संकेत है।

महामारी संबंधी आपात स्थितियों की परिभाषा, इक्विटी एवं वित्तपोषण पर ध्यान केंद्रित करना तथा मज़बूत राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय सहयोग सहित इन परिवर्तनों का उद्देश्य विश्व को भविष्य के स्वास्थ्य खतरों का बेहतर ढंग से पता लगाने, उन्हें रोकने और तद्नुसार प्रतिक्रिया के लिये तैयार करना है।

दृष्टि मेन्स प्रश्न: 

प्रश्न. महामारी संधि के संबंध में हाल ही में किन संशोधनों पर सहमति बनी है? वैश्विक स्वास्थ्य सहयोग के लिये मौज़ूदा ढाँचे पर भी प्रकाश डालिये।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. भारत में कृषि के संदर्भ में, प्रायः समाचारों में आने वाले 'जीनोम अनुक्रमण (जीनोम सीक्वेंसिंग)' की तकनीक का आसन्न भविष्य में किस प्रकार उपयोग किया जा सकता है ? (2017)

  1. विभिन्न फसली पौधों में रोग प्रतिरोध और सूखा सहिष्णुता के लिये आनुवंशिक सूचकों का अभिज्ञान करने के लिये जीनोम अनुक्रमण का उपयोग किया जा सकता है।
  2. यह तकनीक, फसली पौधों की नई किस्मों को विकसित करने में लगने वाले आवश्यक समय को कम करने में सहायता करती है।
  3. इसका प्रयोग, फसलों में पोषी-रोगाणु संबंधों को समझने के लिये किया जा सकता है।

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये :

(a) केवल 1
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1,2 और 3

उत्तर: (d)


मेन्स:

प्रश्न. अनुप्रयुक्त जैव-प्रौद्योगिकी में शोध तथा विकास-संबंधी उपलब्धियाँ क्या हैं ? ये उपलब्धियाँ समाज के निर्धन वर्गों के उत्थान में किस प्रकार सहायक होंगी ? (2021)

प्रश्न. वैक्सीन विकास का आधारभूत सिद्धांत क्या है? वैक्सीन कैसे कार्य करते हैं? कोविड-19 टीकों के निर्माण हेतु भारतीय वैक्सीन निर्माताओं ने क्या-क्या पद्धतियाँ अपनाई हैं? (2022)