P-8I पैट्रोल विमान | 05 May 2021
चर्चा में क्यों?
अमेरिकी राज्य विभाग ने भारत को छह P-8I पैट्रोल विमान और संबंधित उपकरणों की बिक्री को मंज़ूरी दी है।
- यह छह विमान एन्क्रिप्टेड सिस्टम (Encrypted Systems) से युक्त होकर भारत आएंगे, जैसा कि भारत ने अमेरिका के साथ संचार संगतता और सुरक्षा समझौते (COMCASA) पर हस्ताक्षर किया था।
- वर्ष 2019 में रक्षा अधिग्रहण परिषद ने विमान की खरीद को मंज़ूरी दी।
प्रमुख बिंदु
P-8I विमान के बारे में:
- यह एक लंबी दूरी का समुद्री गश्ती एवं पनडुब्बी रोधी युद्धक विमान है।
- यह P-8A पोसाइडन विमान का एक प्रकार है जिसे बोइंग कंपनी ने अमेरिकी नौसेना के पुराने P-3 बेड़े के प्रतिस्थापक के रूप में विकसित किया है।
- 907 किमी प्रति घंटे की अधिकतम गति और 1,200 समुद्री मील से अधिक की दूरी पर एक ऑपरेटिंग रेंज के साथ P-8I खतरों का पता लगाता है और आवश्यकता पड़ने पर भारतीय तटों के आसपास पहुँचने से पहले उन्हें अप्रभावी कर देता है।
- वर्ष 2009 में भारतीय नौसेना P-8I विमान के लिये पहला अंतर्राष्ट्रीय ग्राहक बनी।
भारत-अमेरिका रक्षा संबंध:
- यह प्रस्तावित बिक्री अमेरिका-भारत रणनीतिक संबंधों को मज़बूती प्रदान करने में मदद करता है।
- अमेरिका के लिये, हिंद-प्रशांत और दक्षिण एशियाई क्षेत्र में राजनीतिक स्थिरता, शांति एवं आर्थिक प्रगति की दिशा में भारत एक महत्वपूर्ण शक्ति बना हुआ है।
- संयुक्त राज्य अमेरिका से रक्षा खरीद दोनों देशों के बीच बढ़ते संबंधों का एक अभिन्न अंग है।
- भारत-अमेरिका के बीच रक्षा व्यापार वर्ष 2008 में लगभग शून्य था जो वर्ष 2020 में लगभग 20 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँच गया है, जिसने दोनों देशों के बीच प्रमुख नीति उन्नयन में मदद की।
- वर्ष 2016 में अमेरिका ने भारत को एक “मेजर डिफेंस पार्टनर” नामित किया था। वर्ष 2018 में अमेरिका ने सामरिक व्यापार प्राधिकरण-1 (STA-1) के तहत भारत को नाटो सहयोगी देश और ऑस्ट्रेलिया, जापान और दक्षिण कोरिया के समान रक्षा प्रौद्योगिकी तक पहुँच प्रदान की है।
संचार संगतता और सुरक्षा समझौता (COMCASA):
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संचार संगतता और सुरक्षा समझौता (COMCASA) अमेरिका और भारत के संचार सुरक्षा उपकरणों के हस्तांतरण के लिये एक कानूनी ढाँचा है जो उनकी सेनाओं के बीच " इंटरऑपरेबिलिटी या अंत:संचालन" की सुविधा और संभवतः डेटा लिंक सुरक्षा के लिये अन्य सेनाओं के साथ अमेरिका-आधारित तंत्र का उपयोग करेगा।
- यह उन चार मूलभूत समझौतों में से एक है जो अमेरिका के सहयोगी और करीबी पार्टनर देशों को उच्च क्षमता तकनीक एवं सेनाओं के बीच अंत:संचालन की सुविधा का संकेत देता है।
- यह संचार और सूचना पर सुरक्षा ज्ञापन समझौते (CISMOA) का एक भारत-विशिष्ट संस्करण है।
अमेरिका और उनके भागीदारों के बीच चार मूलभूत समझौते
- मिलिट्री इनफार्मेशन एग्रीमेंट ऑफ़ जनरल सिक्योरिटी (GSOMIA)
- यह सेनाओं को उनके द्वारा एकत्रित खुफिया जानकारी को साझा करने की अनुमति देता है।
- इस पर भारत ने वर्ष 2002 में हस्ताक्षर किया।
- लॉजिस्टिक्स एक्सचेंज मेमोरैंडम ऑफ एग्रीमेंट (LEMOA):
- यह समझौता दोनों देशों की सेनाओं की एक-दूसरे की सैन्य सुविधाओं तक पहुँच को आसान बनाता है। यह नौसेना का यू.एस.ए. के साथ समुद्र में ईंधन हस्तांतरण के लिये एक ईंधन विनिमय समझौता है।
- इस पर भारत ने वर्ष 2016 में हस्ताक्षर किये।
- संचार और सूचना पर सुरक्षा ज्ञापन समझौता (CISMOA)
- COMCASA समझौता, CISMOA का संचार और सूचना से संबंधित भारत-विशिष्ट संस्करण है।.
- इस पर भारत ने वर्ष 2018 में हस्ताक्षर किया।
- बुनियादी विनिमय और सहयोग समझौता (BECA)
- BECA भारत और अमेरिकी सैनिकों को एक दूसरे के साथ भू-स्थानिक जानकारी और उपग्रह डेटा साझा करने की अनुमति देगा।
- BECA पर भारत ने वर्ष 2020 में हस्ताक्षर किये।
रक्षा अधिग्रहण परिषद (DAC)
- रक्षा अधिग्रहण परिषद तीन सेवाओं (सेना, नौसेना और वायु सेना) और भारतीय तटरक्षक बल के लिये नई नीतियों व पूँजी अधिग्रहण संबंधी मामलों पर निर्णय लेने वाली रक्षा मंत्रालय की सर्वोच्च संस्था है।
- DAC की अध्यक्षता रक्षा मंत्री द्वारा की जाती है।
- कारगिल युद्ध (वर्ष 1999) के पश्चात् राष्ट्रीय सुरक्षा प्रणाली में सुधार पर मंत्रिमंडल की सिफारिशों के बाद वर्ष 2001 में रक्षा अधिग्रहण परिषद की स्थापना गई थी।