तीसरा भारत-अमेरिका टू-प्लस-टू वार्ता
प्रिलिम्स के लिये:भारत-अमेरिका 2+2 संवाद, भू-स्थानिक सहयोग के लिये बुनियादी विनिमय तथा सहयोग समझौते, BECA मेन्स के लिये:भारत-अमेरिका 2+2 संवाद |
चर्चा में क्यों?
भारत-अमेरिका के बीच तीसरी टू-प्लस-टू वार्ता (2+2 Dialogue) 27 अक्तूबर को नई दिल्ली में आयोजित की गई।
प्रमुख बिंदु:
- ‘टू-प्लस-टू वार्ता’ भारत-अमेरिका के विदेश और रक्षा मंत्रियों के नेतृत्त्व में आयोजित की गई।
- भारत और अमेरिका के बीच ‘टू प्लस टू वार्ता’ दोनों देशों के मध्य एक उच्चतम स्तर का संस्थागत तंत्र है जो भारत और अमेरिका के बीच सुरक्षा, रक्षा तथा रणनीतिक साझेदारी की समीक्षा के लिये मंच प्रदान करता है।
- ‘टू-प्लस-टू वार्ता’ के प्रथम दो दौर वर्ष 2018 और वर्ष 2019 में आयोजित किये गए थे।
- भारत द्वारा ऑस्ट्रेलिया, जापान और अमेरिका के साथ ‘टू-प्लस-टू’ स्तर की वार्ता आयोजित की जाती है।
वार्ता के दौरान प्रमुख समझौते:
भू-स्थानिक सहयोग के लिये बुनियादी विनिमय तथा सहयोग समझौता (BECA):
- भारत द्वारा अमेरिका के साथ ‘भू-स्थानिक सहयोग के लिये बुनियादी विनिमय तथा सहयोग समझौते’ (Basic Exchange and Cooperation Agreement for Geo-Spatial cooperation- BECA) पर हस्ताक्षर किये गए।
- यह अमेरिकी रक्षा विभाग और भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय की राष्ट्रीय भू-स्थानिक खुफ़िया एजेंसी के बीच प्रस्तावित एक संचार समझौता है।
- यह समझौता भारत और अमेरिका को उन्नत उपग्रह तथा स्थलाकृतिक डेटा जैसे- मानचित्र, सामुद्रिक एवं वैमानिकी चार्ट, भू-गणितीय, भू-भौतिकी, भू-चुंबकीय एवं गुरुत्वाकर्षण डेटा सहित सैन्य जानकारी साझा करने की अनुमति देगा।
- साझा की गई अधिकांश जानकारी अवर्गीकृत होगी। हालाँकि किसी तीसरे पक्ष के साथ जानकारी साझा करने से रोकने के लिये सुरक्षा उपायों के साथ वर्गीकृत जानकारी साझा करने का प्रावधान शामिल है।
- ECA दोनों देशों के बीच हस्ताक्षरित चार मूलभूत सैन्य संचार समझौतों में से एक है। अन्य तीन इस प्रकार हैं:
- लॉजिस्टिक्स एक्सचेंज मेमोरैंडम ऑफ एग्रीमेंट (Logistics Exchange Memorandum of Agreement- LEMOA);
- संचार संगतता और सुरक्षा समझौता (Communications Compatibility and Security Agreement- COMCASA);
- सैन्य सूचना समझौते की सामान्य सुरक्षा (General Security Of Military Information Agreement- GSMIA)।
एशिया-प्रशांत क्षेत्र पर संयुक्त वक्तव्य:
- एक संयुक्त वक्तव्य के माध्यम से एशिया-प्रशांत क्षेत्र में भारत और अमेरिका के साझा लक्ष्यों को रेखांकित किया गया।
- दोनों देशों ने दक्षिण चीन सागर के संबंध में अंतर्राष्ट्रीय कानून के अनुसार एक वैध ‘आचार संहिता के निर्माण पर बल दिया ताकि किसी भी देश के वैध अधिकारों और हितों की रक्षा की जा सके।
- अमेरिका द्वारा एशिया-प्रशांत क्षेत्र में 'चीनी कम्युनिस्ट पार्टी' की भूमिका और COVID-19 महामारी के दौरान चीन के रवैये को विश्व के समक्ष सबसे बड़ा खतरा बताया गया।
- अमेरिका ने कानून का शासन, पारदर्शिता और स्वतंत्र नेवीगेशन प्रणाली के साथ ही एक मुक्त एवं खुले और समृद्ध भारत-प्रशांत क्षेत्र की आवश्यकता पर बल दिया गया।
सहयोग के अन्य क्षेत्र:
- पृथ्वी अवलोकन और पृथ्वी विज्ञान में तकनीकी सहयोग को लेकर एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये गए हैं।
- 'परमाणु ऊर्जा भागीदारी के लिये वैश्विक केंद्र' (Global Center for Nuclear Energy Partnership) संबंधी समझौता ज्ञापन की समयावधि बढ़ाने के लिये भी सहमति व्यक्त की गई।
- दोनों पक्षों द्वारा सीमा शुल्क डेटा के इलेक्ट्रॉनिक विनिमय के लिये एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये गए।
- पारंपरिक भारतीय दवाओं में सहयोग के बारे में एक लैटर ऑफ इंटेंट पर भी हस्ताक्षर किये गए।
- दोनों देशों द्वारा अफगानिस्तान की स्थिति पर चर्चा और उसकी शांति प्रक्रिया के लिये समर्थन पर सहमति व्यक्त की गई।
समझौतों का महत्त्व:
- BECA के माध्यम से अमेरिका के साथ भू-स्थानिक खुफिया जानकारी साझा करने से स्वचालित हार्डवेयर सिस्टम, क्रूज़ मिसाइलों, बैलिस्टिक मिसाइलों, ड्रोन जैसे हथियारों के क्षेत्र में भारतीय सेना की दक्षता को बढ़ावा मिलेगा।
- भारत और अमेरिका के अलावा 'क्वाड' के दो अन्य सदस्य ऑस्ट्रेलिया और जापान के साथ सहयोग बढ़ाने में मदद मिलेगी।
- भारत-अमेरिका के समक्ष चुनौतियों के कारण ही दोनों देशों के बीच साझेदारी लगातार मज़बूत होती जा रही है। हस्ताक्षरित BECA समझौता दोनों देशों को चीन द्वारा उत्पन्न चुनौतियों से निपटने के साथ ही मुक्त एवं खुले और समृद्ध भारत-प्रशांत क्षेत्र के निर्माण में मदद करेगा।