भारत-मध्य एशिया के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों की बैठक | 07 Dec 2022
प्रिलिम्स के लिये:मध्य एशिया, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA), चीन की बेल्ट एंड रोड पहल, चाबहार बंदरगाह, अश्गाबत समझौता, INSTC मेन्स के लिये:भारत-मध्य एशिया संबंध, मध्य एशिया में भारत के हितों की सुरक्षा, हाल के भू-राजनीतिक घटनाक्रम, मध्य एशिया में चीन का बढ़ता प्रभाव, अफगानिस्तान को मानवीय सहायता में भारत की भूमिका, भारत के लिये चाबहार बंदरगाह का महत्त्व |
चर्चा में क्यों?
6 दिसंबर, 2022 को भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (National Security Advisor- NSA) ने पहली बार मध्य एशियाई देशों- कज़ाखस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और उज़्बेकिस्तान के अपने समकक्षों के साथ एक विशेष बैठक की मेजबानी की।
- इससे पहले जनवरी 2022 में, भारत के प्रधानमंत्री ने वर्चुअल प्रारूप में प्रथम भारत-मध्य एशिया शिखर सम्मेलन (India-Central Asia Summit) की मेज़बानी की थी।
NSAs की बैठक के प्रमुख बिंदु:
- 30वीं वर्षगाँठ: यह पहली बार हुआ है जब कज़ाखस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान और उज़्बेकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSAs) किसी उच्च स्तरीय सुरक्षा बैठक के लिये दिल्ली में उपस्थित हुए।
- यह बैठक भारत और मध्य एशियाई देशों के बीच राजनयिक संबंधों की स्थापना की 30वीं वर्षगाँठ के अवसर पर आयोजित की गई।
- अफगानिस्तान वार्ता का केंद्र: इस बैठक में मुख्य रूप से अफगानिस्तान की सुरक्षा स्थिति और तालिबान शासन के तहत उस देश से उत्पन्न होने वाले आतंकवाद के खतरे पर चर्चा की गई।
- चाबहार पर विचार-विमर्श: बैठक में शामिल NSAs ने मध्य एशिया के माध्यम से ईरान को रूस से जोड़ने वाले अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारे (International North-South Transport Corridor- INSTC) के ढाँचे के भीतर चाबहार बंदरगाह को शामिल करने के भारत के प्रस्ताव का समर्थन किया।
- अन्य विचार-विमर्श: "नई और उभरती प्रौद्योगिकियों के दुरुपयोग, हथियारों और नशीली दवाओं की तस्करी, दुष्प्रचार फैलाने के लिये साइबर स्पेस के दुरुपयोग तथा मानव रहित हवाई प्रणालियों" के खिलाफ सामूहिक एवं समन्वित कार्रवाई की आवश्यकता पर विचार-विमर्श किया गया।
- प्रक्रिया को औपचारिक/संस्थागत रूप देना: बैठक के दौरान, नेताओं ने शिखर सम्मेलन की प्रक्रिया को द्विवार्षिक रूप से आयोजित करने का निर्णय लेकर इसे संस्थागत बनाने पर सहमति व्यक्त की।
- नए तंत्र/प्रक्रिया का समर्थन करने के लिये नई दिल्ली में भारत-मध्य एशिया सचिवालय (India-Central Asia Secretariat) स्थापित किया जाएगा।
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार
- ‘राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार’ (NSA) ‘राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद’ की अध्यक्षता करता है और प्रधानमंत्री का प्राथमिक सलाहकार भी होता है। वर्तमान राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल हैं।
A. भारतीय NSC एक त्रिस्तरीय संगठन है जो रणनीतिक राजनीतिक, आर्थिक, ऊर्जा और सुरक्षा संबंधी समस्याओं की देखरेख करता है।
- इसका गठन वर्ष 1998 में किया गया था और यह राष्ट्रीय सुरक्षा के सभी पहलुओं पर विचार-विमर्श करता है।
- NSC, सरकार की कार्यकारी शाखा और खुफिया सेवाओं के बीच संपर्क स्थापित करते हुए, प्रधान मंत्री के कार्यकारी कार्यालय के तहत कार्य करता है।
- गृह, रक्षा, विदेश और वित्त मंत्री इसके सदस्य होते हैं।
मध्य एशिया के साथ भारत के संबंध:
- ऐतिहासिक संबंध: मध्य एशिया निस्संदेह भारत के सभ्यतागत प्रभाव का क्षेत्र है, फरगना घाटी ‘ग्रेट सिल्क रोड’ में भारत का क्रॉसिंग-पॉइंट था।
- बौद्ध धर्म ने स्तूपों और मठों के रूप में कई मध्य एशियाई शहरों में प्रसार किया।
- अमीर खुसरो, देहलवी, अल-बरुनी आदि जैसे प्रमुख विद्वान मध्य एशिया से आए और भारत में अपना नाम स्थापित किेया।
- राजनयिक संबंध: भारत मध्य एशियाई देशों को "एशिया का दिल" मानता है और वे शंघाई सहयोग संगठन (Shanghai Cooperation Organisation- sco) के सदस्य भी हैं।
- मध्य एशियाई देश, पाकिस्तान द्वारा समर्थित आतंकवाद और विभिन्न आतंकी समूहों से इसके संबंधों के बारे में "जागरूक" हैं।
- आतंकवाद का मुकाबला करने में समान विचारधारा: भारत और मध्य एशियाई देशों में आतंकवाद और कट्टरता के खतरे का मुकाबला करने के दृष्टिकोण में समानता है।
- नवीनतम बैठक में अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद पर संयुक्त राष्ट्र व्यापक सम्मेलन को शीघ्र अपनाने का आह्वान किया गया था, जिसे भारत ने पहली बार वर्ष 1996 में प्रस्तावित किया था, लेकिन आतंकवाद की परिभाषा पर मतभेदों को लेकर दशकों से लटका हुआ है।
- अफगानिस्तान के संदर्भ में भारत की भूमिका: भारत और मध्य एशियाई देशों ने अफगानिस्तान से उत्पन्न आतंकवाद और क्षेत्रीय सुरक्षा के लिये इसके प्रभावों पर चिंताओं को साझा किया है। भारत अफगानिस्तान में फिर से शांति स्थापित करने का प्रबल समर्थक रहा है।
- नवंबर 2021 में भारत ने अफगानिस्तान की स्थिति पर एक क्षेत्रीय संवाद की मेज़बानी की थी, जिसमें रूस, ईरान, कज़ाखस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और उज़्बेकिस्तान के NSAs ने भाग लिया था।।
- चाबहार बंदरगाह पर पक्ष: भारत ने हाल ही में चाबहार बंदरगाह के नवीनीकरण के माध्यम से महत्त्वपूर्ण प्रगति दर्ज की है। यह अश्गाबात समझौते का भी सदस्य है।
- अफगानिस्तान में मानवीय संकट के दौरान अंतर्राष्ट्रीय संगठनों द्वारा अफगानी लोगों को आवश्यक सामान पहुँचाने में बंदरगाह ने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
- काबुल पर तालिबान के आधिपत्य से पहले भारत द्वारा विकसित बंदरगाह, शाहिद बेहेश्ती टर्मिनल के माध्यम से भारत ने अफगानिस्तान को 100,000 टन गेहूँ और दवाएँ वितरित किया।
- अफगानिस्तान में मानवीय संकट के दौरान अंतर्राष्ट्रीय संगठनों द्वारा अफगानी लोगों को आवश्यक सामान पहुँचाने में बंदरगाह ने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
भारत-मध्य एशिया संबंधों को मज़बूत बनाने के क्रम में चुनौतियाँ:
- पाकिस्तान की शत्रुता और अफगानिस्तान में व्याप्त अस्थिरता मध्य एशियाई देशों के साथ भारत के भौतिक संपर्क/कनेक्टिविटी को बाधित करने वाले प्रमुख कारक हैं।
- राजनीतिक रूप से, मध्य एशियाई देश अत्यधिक कमज़ोर हैं और आतंकवाद तथा इस्लामी कट्टरवाद जैसे खतरों से ग्रस्त हैं, जो इस क्षेत्र को एक परिवर्तनशील और अस्थिर बाज़ार बनाते हैं।
- बेल्ट एंड रोड पहल के माध्यम से चीन की भागीदारी ने इस क्षेत्र में भारत के प्रभाव को काफी कम कर दिया है।
- अफीम के बढ़ते उत्पादन (गोल्डन क्रिसेंट और गोल्डन ट्रायंगल) के साथ-साथ छिद्रपूर्ण सीमा (जहाँ से आसानी से घुसपैठ की जा सकती है) और बेलगाम भ्रष्टाचार इस क्षेत्र को नशीली दवाओं एवं धन की तस्करी का एक महत्त्वपूर्ण क्षेत्र बनाते हैं।
आगे की राह:
- जब अन्य देश अपने-अपने दृष्टिकोण से इस क्षेत्र के साथ जुड़ते हैं, जैसे- चीन द्वारा आर्थिक दृष्टिकोण , तुर्किये द्वारा जातीय दृष्टिकोण और इस्लामी विश्व द्वारा धार्मिक दृष्टिकोण , तब शिखर स्तरीय वार्षिक बैठक के माध्यम से इस क्षेत्र को सांस्कृतिक व ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य देना भारत के लिये उपयुक्त होगा।
- मूल्य आधारित सांस्कृतिक नीति भारत-मध्य एशिया संबंधों को मज़बूत करने में मदद कर सकती है।
- भारत की बढ़ती वैश्विक दृश्यता और SCO जैसे बहुपक्षीय मंचों में महत्त्वपूर्ण योगदान ने भारत को एक पर्यवेक्षक से इस क्षेत्र में एक महत्त्वपूर्ण हितधारक के रूप में बदल दिया है।
- यूरेशिया में अपने नेतृत्त्व की भूमिका को आगे बढ़ाने के लिये अपने राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक संबंधों का उपयोग करने हेतु मध्य एशिया भारत को एक आदर्श मंच प्रदान करता है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्न (PYQs)प्रश्न: भारत द्वारा चाबहार बंदरगाह को विकसित करने का क्या महत्त्व है? (वर्ष 2017) (a) अफ्रीकी देशों के साथ भारत के व्यापार में भारी वृद्धि होगी। उत्तर: (c) प्रश्न. अनेक बाहरी शक्तियों ने अपने आपको मध्य एशिया में स्थापित कर लिया है, जो कि भारत के हित का क्षेत्र है। इस संदर्भ में भारत के अश्गाबात समझौते में शामिल होने के निहितार्थों पर चर्चा कीजिये। (मुख्य परीक्षा, 2018) |