नोबेल शांति पुरस्कार- 2020 | 10 Oct 2020
प्रिलिम्स के लिये:नोबेल शांति पुरस्कार, विश्व खाद्य कार्यक्रम, सतत् विकास लक्ष्य मेन्स के लिये:खाद्य सुरक्षा और संयुक्त राष्ट्र, खाद्य सुरक्षा पर COVID-19 का प्रभाव |
चर्चा में क्यों?
संयुक्त राष्ट्र के ‘विश्व खाद्य कार्यक्रम’ (World Food Programme-WFP) को वर्ष 2020 के नोबेल शांति पुरस्कार (Nobel Peace Prize) से सम्मानित किया गया है।
प्रमुख बिंदु:
- ‘विश्व खाद्य कार्यक्रम’ (WFP) को यह सम्मान ‘भूख से लड़ने, संघर्ष प्रभावित क्षेत्रों में शांति के लिये स्थितियों को बेहतर बनाने में योगदान देने और युद्ध व संघर्ष में भूख को एक हथियार के रूप में प्रयोग किये जाने से रोकने के प्रयासों में एक प्रेरक शक्ति के रूप में कार्य करने के लिये’ प्रदान किया गया है।
- इस वर्ष नोबेल शांति पुरस्कार के लिये WFP के चयन के माध्यम से नोबेल समिति ने विश्व के उन लाखों लोगों की तरफ लोगों का ध्यान आकर्षित करने का प्रयास किया है, जो भुखमरी से पीड़ित हैं या इसके खतरे का सामना कर रहे हैं।
- वर्ष 1901 में नोबेल शांति पुरस्कार की स्थापना के बाद से WFP 28वाँ संगठन है जिसे यह सम्मान दिया गया है।
- यह 12वाँ मौका है जब संयुक्त राष्ट्र/इसकी किसी एजेंसी या इससे जुड़े किसी व्यक्ति को नोबेल शांति पुरस्कार प्रदान किया गया है।
‘विश्व खाद्य कार्यक्रम’
(World Food Programme-WFP):
- विश्व खाद्य कार्यक्रम संयुक्त राष्ट्र की खाद्य-सहायता शाखा है, यह वैश्विक स्तर पर भुखमरी की समस्या से लड़ने और खाद्य सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिये कार्य करने वाली सबसे बड़ी मानवीय संस्था है।
- विश्व खाद्य कार्यक्रम की स्थापना वर्ष 1961 में की गई थी।
- इसका मुख्यालय रोम (इटली) में स्थित है।
- विश्व खाद्य कार्यक्रम का संचालन एक कार्यकारी बोर्ड द्वारा किया जाता है, जिसमें 36 सदस्य देश शामिल होते हैं।
- इसकी अध्यक्षता एक कार्यकारी निदेशक द्वारा की जाती है, जिसकी नियुक्ति संयुक्त राष्ट्र महासचिव और संयुक्त राष्ट्र खाद्य एवं कृषि संगठन के महानिदेशक द्वारा की जाती है। कार्यकारी निदेशक को पाँच वर्ष के कार्यकाल के लिये नियुक्त किया जाता है।
विश्व खाद्य कार्यक्रम के कार्य:
- इसकी स्थापना के कुछ ही माह बाद वर्ष 1962 में उत्तरी ईरान के बोईन ज़हरा शहर में आए भूकंप के दौरान WFP द्वारा बड़ी मात्रा में गेहूँ, चीनी आदि उपलब्ध कराया गया।
- इसके बाद WFP ने थाईलैंड और अल्जीरिया में खाद्य सहायता प्रदान करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
- वर्ष 1963 में WFP द्वारा पहले विकास कार्यक्रम (सूडान में न्युबियन समुदाय के लिये) की शुरुआत की गई और इसी वर्ष WFP की पहली स्कूली भोजन परियोजना (टोगो गणराज्य में) को मंज़ूरी दी गई।
- वर्ष 2019 में WFP द्वारा विश्व के 88 देशों में 97 मिलियन लोगों को सहायता उपलब्ध कराई गई।
- वर्ष 2019 के दौरान WFP ने लगभग 4.4 टन खाद्य सामग्री का वितरण किया और 91 देशों से 1.7 बिलियन अमेरिकी डॉलर मूल्य के खाद्य पदार्थों की खरीद की।
खाद्य सुरक्षा में WFP की भूमिका:
- संयुक्त राष्ट्र द्वारा निर्धारित सतत् विकास लक्ष्यों (Sustainable Development Goals-SDG) के तहत वर्ष 2030 तक विश्व भर से भुखमरी की समस्या को समाप्त करने का लक्ष्य रखा गया है।
- इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिये WFP संयुक्त राष्ट्र की प्राथमिक एजेंसी के रूप में कार्य करता है।
- WFP के अनुसार, विश्व भर में 690 मिलियन लोगों को भोजन की कमी का सामना करना पड़ता है और इनमें से 60% लोग संघर्ष प्रभावित देशों में रहते हैं।
भारत में खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने में WFP की भूमिका:
- भारत में WFP वर्ष 1963 से कार्य कर रहा है। भारत की लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली (Targeted Public Distribution System) में सुधारों पर ध्यान केंद्रित करने के अलावा यह लोगों तक भोजन की पहुँच में सुधार के लिये नीतिगत इनपुट, तकनीकी सहायता आदि प्रदान करता है।
- WFP द्वारा TPDS के प्रभावी क्रियान्वयन हेतु ‘स्वचालित अन्न वितरण मशीन’ (अन्नपूर्ति) और ‘मोबाइल स्टोरेज यूनिट’ (Mobile Storage Units-MSU) जैसी कुछ पहलों का प्रस्ताव किया गया है।
- अन्नपूर्ति, लाभार्थियों को किसी भी समय अपने खाद्यान्न कोटे से सटीक मात्रा में अनाज प्राप्त करने की सुविधा प्रदान करती है। यह दो खाद्यान्नों को 25 किलोग्राम प्रति 1.3 मिनट की गति से वितरित कर सकती है। इसकी भंडारण क्षमता 200 किलोग्राम से 500 किलोग्राम है।
- इसके तहत देश के पाँच राज्यों - उत्तराखंड, महाराष्ट्र, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश और हरियाणा में स्वचालित अनाज वितरण मशीनों की स्थापना की जाएगी।
- मोबाइल स्टोरेज यूनिट (MSU), खाद्यान्न भंडारण के लिये एक किफायती उपाय है। इसका संचालन ओडिशा और उत्तराखंड में एक पायलट योजना के तहत किया जा रहा है।
- WFP के अनुसार, दिसंबर 2018 से 4,145 टन ‘फोर्टिफाइड चावल' का उत्पादन किया गया है और इसे वाराणसी में एक पायलट योजना के तहत 3 लाख स्कूली बच्चों में वितरित किया गया ।
COVID-19 और WFP:
- नोबेल समिति के अनुसार, COVID-19 महामारी के कारण दुनिया में भुखमरी के शिकार लोगों की संख्या में भारी वृद्धि हुई है।
- यमन, कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य, नाइजीरिया, दक्षिण सूडान और बुर्किना फासो आदि देशों में हिंसक संघर्ष और COVID-19 महामारी के संयोजन से भुखमरी के कगार पर पहुँचने वाले लोगों की संख्या में भारी वृद्धि हुई है।
- संयुक्त राष्ट्र द्वारा जुलाई 2020 में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, COVID-19 से होने वाली वैश्विक मंदी के कारण 83 से 132 मिलियन लोगों के सामने भुखमरी का संकट उत्पन्न हो सकता है।
- COVID-19 महामारी के दौरान WFP की भारतीय इकाई द्वारा उत्तर प्रदेश के 18 ज़िलों में पूरक पोषण उत्पादन इकाइयों की स्थापना में तकनीकी सहायता प्रदान करने के लिये उत्तर प्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के साथ एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किये गए हैं।
- इस समझौते के तहत WFP द्वारा आँगनवाड़ी योजना के लगभग 33 लाख लाभार्थियों को गुणवत्ता वाले भोजन की आपूर्ति के लिये पूरक पोषण उत्पादन इकाइयों की स्थापना में तकनीकी सहायता प्रदान की जाएगी।
- COVID-19 के दौरान स्वचालित अन्न वितरण मशीन का प्रयोग और अधिक प्रासंगिक हुआ है क्योंकि इसके माध्यम से लाभार्थी अपने चुने हुए समय पर निर्धारित अनाज प्राप्त कर सकते हैं, इसके माध्यम से सोशल डिस्टेंसिंग का पालन सुनिश्चित करने में आसानी होती है।
चुनौतियाँ:
- विशेषज्ञों के अनुसार, पिछले तीन दशकों की प्रगति के बावजूद वर्ष 2030 तक भुखमरी को समाप्त करने के संयुक्त राष्ट्र के लक्ष्य को प्राप्त करना बहुत ही कठिन होगा।
- शांति और स्थिरता वाले देशों में रहने वाले लोगों की तुलना में संघर्ष के क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के कुपोषित होने की संभावना तीन गुना अधिक होती है।
- उदाहरण के लिये वर्ष 2015 में यमन में सऊदी अरब के नेतृत्त्व वाली सेना और ईरान समर्थित हूती विद्रोहियों के बीच शुरू हुए संघर्ष के कारण हज़ारों लोगों की मौत हो गई है। इस संघर्ष ने तीस लाख लोगों को विस्थापित किया है और देश को अकाल की ओर धकेल दिया।
भारत सरकार के प्रयास:
- सरकार द्वारा राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (National Food Security Act-NFSA) और सार्वजनिक वितरण प्रणाली (Public Distribution System-PDS) के माध्यम ज़रूरतमंद लोगों को अनाज उपलब्ध कराया जाता है।
- COVID-19 के कारण उत्पन्न चुनौती से निपटने के लिये सरकार द्वारा प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (PMGKAY) की शुरुआत की गई है।
- भारत सरकार द्वारा 31 मार्च, 2021 तक पूरे देश में ‘एक राष्ट्र, एक राशन कार्ड’ (One nation-one ration card) योजना लागू करने की घोषणा की गई है।