नो मनी फॉर टेरर कॉन्फ्रेंस 2022 | 19 Nov 2022
प्रिलिम्स के लिये:नो मनी फॉर टेरर कॉन्फ्रेंस मेन्स के लिये:आतंकवाद में प्रौद्योगिकी का उपयोग, आतंकवाद से निपटने की पहल, आतंकवाद से निपटने में चुनौतियाँ |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में आतंकवाद-विरोधी वित्तपोषण पर तीसरा 'नो मनी फॉर टेरर' (NMFT) मंत्रिस्तरीय सम्मेलन नई दिल्ली, भारत में आयोजित किया गया।
- भारत के प्रधानमंत्री ने दृढ़ता से आतंकवाद से निपटने में किसी भी अस्पष्टता से बचने के लिये कहा है और उन देशों के खिलाफ भी चेतावनी दी है जो आतंकवाद को विदेश नीति के एक उपकरण के रूप में उपयोग करते हैं।
नो मनी फॉर टेरर कॉन्फ्रेंस:
- परिचय:
- "नो मनी फॉर टेरर" कॉन्फ्रेंस 2018 में फ्राँसीसी सरकार की एक पहल के रूप में शुरू किया गया था, जो विशेष रूप से देशों के बीच आतंकवाद के वित्तपोषण को रोकने के लिये सहयोग पर ध्यान केंद्रित करने के लिये था।
- वर्ष 2019 में सम्मेलन ऑस्ट्रेलिया में आयोजित किया गया था।
- इसे वर्ष 2020 में भारत में आयोजित किया जाना था लेकिन कोविड-19 महामारी के कारण इसे स्थगित कर दिया गया था।
- "नो मनी फॉर टेरर" कॉन्फ्रेंस 2018 में फ्राँसीसी सरकार की एक पहल के रूप में शुरू किया गया था, जो विशेष रूप से देशों के बीच आतंकवाद के वित्तपोषण को रोकने के लिये सहयोग पर ध्यान केंद्रित करने के लिये था।
- महत्त्व:
- ईसने भाग लेने वाले देशों और संगठनों को आतंकवाद के वित्तपोषण पर वर्तमान अंतर्राष्ट्रीय शासन की प्रभावशीलता एवं उभरती चुनौतियों से निपटने के लिये आवश्यक कदमों पर विचार-विमर्श करने हेतु एक अनूठा मंच प्रदान किया।
- सम्मेलन 2022:
- इसमें 72 देशों और 15 अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
- सम्मेलन के दौरान चार सत्रों में विभिन्न मुद्दों पर विचार-विमर्श किया गया था, जिसमें निम्नलिखित बिंदु प्रमुख थे:
- आतंकवाद और आतंकवादी गतिविधियों के वित्तपोषण में वैश्विक रुझान।
- आतंकवाद के लिये धन के औपचारिक और अनौपचारिक माध्यमों का उपयोग।
- उभरती प्रौद्योगिकियाँ और आतंकवादी वित्तपोषण।
- आतंकवादी वित्तपोषण का सामना करने में चुनौतियों का समाधान करने के लिये अंतर्राष्ट्रीय सहयोग।
NMFT सम्मेलन 2022 में भारत का पक्ष:
- अफगानिस्तान में सत्ता परिवर्तन:
- इस तथ्य के आलोक में कि अफगानिस्तान में पिछले शासन परिवर्तन के परिणामस्वरूप 9/11 हमला हुआ था, भारत ने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को इससे उत्पन्न खतरों से अवगत होने की सलाह दी।
- सत्ता परिवर्तन और अल कायदा और इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड सीरिया (ISIS) का बढ़ता प्रभाव क्षेत्रीय सुरक्षा के लिये एक गंभीर चुनौती के रूप में उभरा है।
- आतंकवादियों के सुरक्षित ठिकानों का पर्दाफाश:
- भारत ने इस बात पर ज़ोर दिया कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को कभी भी आतंकवादियों के सुरक्षित ठिकानों या उनके संसाधनों की अनदेखी नहीं करनी चाहिये।
- उन्हें प्रायोजित और समर्थन करने वाले ऐसे तत्त्वों की दोहरी नीतियों का पर्दाफाश करना ज़रूरी है।
- यह महत्त्वपूर्ण है कि इस सम्मेलन में भाग लेने वाले देशों और संगठनों को इस क्षेत्र की चुनौतियों का चयनात्मक या आत्मसंतुष्ट दृष्टिकोण नहीं अपनाना चाहिये।
- उभरती प्रौद्योगिकियों से खतरे:
- आतंकवादी समूह डार्क नेट और क्रिप्टोकरेंसी जैसे आधुनिक सूचना प्रौद्योगिकी हथियारों की बारीकियों को बहुत अच्छी तरह से समझते हैं।
- आतंकवाद का डायनामाइट से लेकर मेटावर्स और एके-47 से आभासी परिसंपत्ति में परिवर्तन निश्चित रूप से विश्व के लिये चिंता का विषय है।
- आतंकवाद और ऑनलाइन कट्टरता के लिये उपयोग किये जाने वाले बुनियादी उपकरणों को वितरित किया जाता है।
- प्रत्येक देश अपनी पहुँच के भीतर आने वाली सभी शृंखलाओं के खिलाफ कार्रवाई कर सकतें है और उन्हें कार्रवाई करनी चाहिये।
- आतंकवादी समूह डार्क नेट और क्रिप्टोकरेंसी जैसे आधुनिक सूचना प्रौद्योगिकी हथियारों की बारीकियों को बहुत अच्छी तरह से समझते हैं।
- आतंकवाद समर्थक देशों की लागत:
- कुछ देश अपनी विदेश नीति के तहत आतंकवाद का समर्थन करते हैं। वे उन्हें राजनीतिक, वैचारिक और वित्तीय सहायता प्रदान करते हैं।
- आतंकवाद का समर्थन करने वाले देशों को इसकी कीमत चुकानी होगी। आतंकवादियों के प्रति सहानुभूति पैदा करने की कोशिश करने वाले संगठनों और व्यक्तियों को भी अलग-थलग किया जाना चाहिये।
- संगठित अपराध से खतरा:
- संगठित अपराध को अलग करके नहीं देखा जाना चाहिये और इन गिरोहों के अक्सर आतंकवादी संगठनों के साथ गहरे संबंध होते हैं।
- बंदूक बनाने से मिलने वाले पैसे, ड्रग्स और तस्करी के माध्यम से कमाए गए पैसे को आतंकवाद में लगाया जाता है।
- यहाँ तक कि मनी लॉन्ड्रिंग और वित्तीय अपराध जैसी गतिविधियों को आतंक के वित्तपोषण में मदद करने के लिये जाना जाता है।
आतंकवाद का मुकाबला करने हेतु पहल:
- राष्ट्रीय:
- जनवरी 2009 में 26/11 आतंकवादी हमले के मद्देनज़र, आतंकवादी अपराधों से निपटने के लिये राष्ट्रीय जाँच एजेंसी की स्थापना की गई थी।
- भारत में, गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) संशोधन अधिनियम प्राथमिक आतंकवाद विरोधी कानून है।
- सुरक्षा से संबंधित जानकारी जुटाने के लिये राष्ट्रीय आसूचना ग्रिड (NATGRID) की स्थापना की गई है।
- आतंकवादी हमलों के खिलाफ तेज़ी से प्रतिक्रिया सुनिश्चित करने के लिये राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड के लिये एक परिचालन केंद्र बनाया गया है।
वैश्विक:
- संयुक्त राष्ट्र आतंकवाद विरोधी कार्यालय (UNOCT)
- ड्रग्स और अपराध पर संयुक्त राष्ट्र कार्यालय (UNODC) की आतंकवाद रोकथाम शाखा (TPB)
- वित्तीय कार्रवाई कार्यबल (FATF)
- आतंकवाद के खिलाफ भारत का वार्षिक संकल्प:
यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रश्न. आतंकवाद की जटिलता और तीव्रता, इसके कारणों, संबंधों एवं अप्रिय गठजोड़ का विश्लेषण कीजिये। आतंकवाद के खतरे के उन्मूलन के लिये आवश्यक उपायों का भी सुझाव दीजिये। (मेन्स-2021) प्रश्न. जम्मू और कश्मीर में ‘जमात ए इस्लामी’ पर पाबंदी लगाने से आतंकवादी संगठनों को सहायता पहुँचाने में भूमि-उपरि कार्यकर्त्ताओं (ओ-जी-डब्ल्यू-) की भूमिका ध्यान का केंद्र बन गई है। उपप्लव (बगावत) प्रभावित क्षेत्रों में आतंकवादी संगठनों को सहायता पहुँचाने में भूमि-उपरि कार्यकर्त्ताओं द्वारा निभाई जा रही भूमिका का परीक्षण कीजिये। भूमि उपरि कार्यकर्त्ताओं के प्रभाव को निष्प्रभावित करने के उपायों की चर्चा कीजिये। (मेन्स-2019) प्रश्न. "भारत में बढ़ते हुए सीमापारीय आतंकी हमले और अनेक सदस्य-राज्यों के आंतरिक मामलों में पाकिस्तान द्वारा बढ़ता हुआ हस्तक्षेप सार्क (दक्षिणी एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन) के भविष्य के लिये सहायक नहीं है।" उपयुक्त उदहारण के साथ स्पष्ट कीजिये। (मेन्स-2016) |