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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

मॉरीशस का नया सर्वोच्च न्यायालय भवन

  • 30 Jul 2020
  • 12 min read

प्रीलिम्स के लिये

मॉरीशस का नया सर्वोच्च न्यायालय भवन

मेन्स के लिये

भारत-मॉरीशस संबंध

चर्चा में क्यों?

भारतीय प्रधानमंत्री और मॉरीशस के प्रधानमंत्री 30 जुलाई, 2020 को मॉरीशस के नए सर्वोच्च न्यायालय भवन का उद्घाटन करेंगे। यह भवन मॉरीशस की राजधानी पोर्ट लुइस के भीतर भारत के द्वारा सहायता प्राप्त पहली बुनियादी ढाँचा परियोजना होगी।

Mauritius

प्रमुख बिंदु

  • दोनों देशों के बीच मज़बूत द्विपक्षीय साझेदारी के प्रतीक के रूप में यह नया भवन एक महत्त्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगा।
  • यह भारत सरकार द्वारा वर्ष 2016 में मॉरीशस में विस्तारित 353 मिलियन अमेरिकी डॉलर के ‘विशेष आर्थिक पैकेज’ के तहत कार्यान्वित पाँच परियोजनाओं में से एक है।

भारत-मॉरीशस  संबंध

  • भारत-मॉरीशस संबंध दोनों देशों के बीच मौजूद ऐतिहासिक, राजनीतिक, आर्थिक, सैन्य, सामाजिक और सांस्कृतिक संबंधों को संदर्भित करते हैं।
  • भारत और मॉरीशस के बीच के संबंध वर्ष 1730 से स्थापित है, हालाँकि दोनों देशों के मध्य राजनयिक संबंध मॉरीशस के एक स्वतंत्र राज्य (1968) बनने से पहले वर्ष 1948 में ही स्थापित हुए।
  • प्रवासी भारतीयों के संदर्भ में बात करें तो मॉरीशस भारत के लिये बहुत महत्त्वपूर्ण है। संभवतः इसका एक स्वाभाविक कारण यह है कि इस द्वीप पर भारतीय मूल के समुदाय काफी अधिक संख्या में रहते हैं। मॉरीशस की 68% से अधिक आबादी भारतीय मूल की है, जिसे आमतौर पर इंडो-मॉरीशस के रूप में जाना जाता है।
  • यह भारत के ‘प्रवासी भारतीय दिवस’ उत्सव का एक महत्त्वपूर्ण भागीदार देश है, इस मंच पर प्रवासी भारतीयों से संबंधित मुद्दों को संबोधित किया जाता है।

महत्त्व:

  • भू-रणनीतिक: हिंद महासागर क्षेत्र में भारत द्वारा स्वयं को एक महान शक्ति के रूप में स्थापित करने की दिशा में मॉरीशस के साथ मज़बूत संबंधों का विशेष रणनीतिक महत्त्व है।
    • वर्ष 2015 में भारत ने मॉरीशस के साथ आठ भारतीय नियंत्रित तटीय निगरानी रडार स्टेशनों की स्थापना के लिये एक समझौते पर हस्ताक्षर किये।
    • मॉरीशस भारत के सुरक्षा ग्रिड का हिस्सा है, जिसमें भारतीय नौसेना के राष्ट्रीय कमांड कंट्रोल कम्युनिकेशन इंटेलिजेंस नेटवर्क (Indian Navy’s National Command Control Communication Intelligence Network) के तटीय निगरानी रडार (CSR) स्टेशन शामिल हैं।
    • वर्ष 2015 में भारत ने SAGAR-Security and Growth for All नामक एक महत्वाकांक्षी नीति का अनावरण किया।
      • यह कई दशकों में हिंद महासागर के संबंध में भारत का पहला महत्त्वपूर्ण नीतिगत कदम था।
      • SAGAR के माध्यम से, भारत अपने समुद्री पड़ोसियों के साथ आर्थिक और सुरक्षा सहयोग को मज़बूत करने और उनकी समुद्री सुरक्षा क्षमताओं के निर्माण में सहायता पर बल दे रहा है।
    • वर्ष 2015 में भारत और मॉरीशस के मध्य एक समझौते पर हस्ताक्षर किये गए जो भारत को मॉरीशस के द्वीपों पर सैन्य ठिकानों की स्थापना करने हेतु बुनियादी ढाँचे को विकसित करने की अनुमति प्रदान करता है।
      • समझौते के उद्देश्यों के तहत एंटी-पायरेसी ऑपरेशंस मे दोनों देशों के साझा प्रयासों द्वारा अवैध रूप से मछली पकड़ने, अवैध शिकार, ड्रग और मानव तस्करी में लिप्त लोगों सहित संभावित आर्थिक अपराधियों को रोकने के लिये विशेष आर्थिक क्षेत्र (Exclusive Economic Zones-EEZ) में निगरानी बढ़ाना है।
  • भू-आर्थिक (Geo-Economic):
    • विशेष भौगोलिक अवस्थिति के कारण हिंद महासागर क्षेत्र में मॉरीशस का वाणिज्यिक एवं कनेक्टिविटी के लिहाज़ से विशेष महत्त्व है। 
    • अफ्रीकी संघ, इंडियन ओशियन रिम एसोसिएशन और हिंद महासागर आयोग के सदस्य के तौर पर भी मॉरीशस की भौगोलिक अवस्थिति बहुत महत्त्वपूर्ण है।  
    • SIDS (Small Island Developing States) के संस्थापक सदस्य के रूप में यह एक विशेष पड़ोसी राष्ट्र है।
    • भारत मॉरीशस का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार देश है जो वर्ष 2007 से मॉरीशस में वस्तुओं और सेवाओं का सबसे बड़ा निर्यातक बना हुआ है।
    • मॉरीशस भारत के लिये सिंगापुर के बाद प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (Foreign Direct Investment- FDI) का दूसरा सबसे बड़ा स्रोत है।
  • क्षेत्रीय केंद्र के रूप में: मॉरीशस में नए निवेश अफ्रीका से आते हैं, अतः मॉरीशस भारत की अपनी अफ्रीकी आर्थिक आउटरीच के लिये सबसे बड़ा केंद्र हो सकता है।
    • भारत तकनीकी नवाचार के एक क्षेत्रीय केंद्र के रूप में मॉरीशस के विकास में योगदान दे सकता है। अतः भारत को उच्च शिक्षा सुविधाओं के लिये मॉरीशस की माँगों पर अपनी सकारात्मक प्रतिक्रिया देनी  चाहिये।
    • मॉरीशस क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय समुद्री वैज्ञानिक अनुसंधान के लिये एक महत्त्वपूर्ण क्षेत्र साबित हो सकता है।
  • द्वीप नीति का केंद्र बिंदु: अभी तक भारत दक्षिण पश्चिमी हिंद महासागर के वैनिला द्वीप (Vanilla islands) कहे जाने वाले देशों; जिनमें कोमोरोस, मेडागास्कर, मॉरीशस, मैयट, रीयूनियन और सेशेल्स शामिल हैं, का द्विपक्षीय रणनीतिक आधार पर सामना करने का प्रयास कर रहा है।
    • यदि भारत मॉरीशस के विकास में सहयोगात्मक दृष्टिकोण अपनाता है तो आने वाले समय में मॉरीशस दिल्ली की द्वीपीय नीति का केंद्र बिंदु बन जाएगा।
    • यह दक्षिण-पश्चिमी हिंद महासागर में एक बैंकिंग गेटवे और पर्यटन के केंद्र के रूप में भारत की वाणिज्यिक गतिविधियों को बढ़ावा दे सकता है।
  • चीन के संदर्भ में बात करें तो: चीन ने “स्ट्रिंग्स ऑफ पर्ल्स” की अपनी नीति के तहत ग्वादर (पाकिस्तान) से लेकर हम्बनटोटा (श्रीलंका), यौप्यु (म्यांमार) तक हिंद महासागर क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण संबंध स्थापित किये हैं।
    • ऐसे में भारत को अपनी समुद्री क्षमताओं को मज़बूत करने में और क्षमता वृद्धि करने के लिये मॉरीशस, मालदीव, श्रीलंका और सेशल्स जैसे हिंद महासागर के तटवर्ती राज्यों की सहायता करनी चाहिये।

चुनौतियाँ:

  • अवधारणा बदलने की ज़रूरत है: भारत को मॉरीशस के संबंध में अपनी इस अवधारणा में तत्काल परिवर्तन की आवश्यकता है कि मॉरीशस केवल भारत की विस्तारवादी नीति का एक भाग है।
    • मॉरीशस एक संप्रभु इकाई है, हिंद महासागर में अपनी विशेष स्थिति के चलते यह आर्थिक रूप से संपन्न केंद्र और एक आकर्षक रणनीतिक स्थान के कारण एक विशेष अंतर्राष्ट्रीय पहचान रखता है।
  • चीन की ओर केंद्रित: हिंद महासागर के उत्तरी भाग में चीन की तेज़ी से बढ़ती उपस्थिति के साथ-साथ इस क्षेत्र में चीनी पनडुब्बियों और जहाज़ों की तैनाती भारत के लिये एक चुनौती है।
    • हालाँकि भारत पर अक्सर अपने पड़ोसियों के साथ संबंधों में आत्म-केंद्रित होने का आरोप लगाया जाता रहा है।
    • अक्सर इस क्षेत्र में मुख्य रूप से बड़ी और महत्वाकांक्षी बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं के माध्यम से पड़ोसी देशों तक अपनी पहुँच का विस्तार करने के भारत के कदम को चीन की बढ़ती भागीदारी से प्रेरित माना जाता है।
  • अति-उत्साही सुरक्षा नीति: अपने पड़ोसियों के प्रति भारत की एक अति-उत्साही सुरक्षा संचालित नीति से अतीत में भारत को कोई विशेष मदद नहीं मिली है।
    • जलवायु परिवर्तन, सतत् विकास और नीली अर्थव्यवस्था जैसी कुछ सामान्य चुनौतियों पर भारत को मॉरीशस के दृष्टिकोण पर पुनर्विचार करना चाहिये।
  • वैश्विक एकीकरण: मॉरीशस एक द्वीपीय राष्ट्र होने के नाते दुनिया के बाकी हिस्सों से भौतिक रूप से कटा हुआ है, हालाँकि इसके बावजूद दुनिया में जो कुछ भी होता है, जैसे- विश्व आर्थिक संकट, FDI में गिरावट, व्यापार युद्ध आदि से मॉरीशस भी प्रभावित होता है।
    • इसलिये, भारत के लिये IOR के समुद्री सुरक्षा के दायरे से परे अपने दृष्टिकोण को व्यापक करना बहुत ज़रूरी हो गया है।
  • हिंद महासागर क्षेत्र (Indian Ocean Region): जैसे-जैसे हिंद महासागर क्षेत्र (IOR) में शक्ति संतुलन में परिवर्तन हो रहा है, दुनिया ने मॉरीशस को नए सुरक्षा प्रारूप के अभिन्न अंग के रूप में देखना शुरू कर दिया है।
    • हिंद महासागर क्षेत्र में चीन की बढ़ती उपस्थिति और छोटे देशों का लाभ उठाने के लिये अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, फ्राँस और यू.के. जैसे देशों की निरंतर बढ़ती कोशिशें भारत के लिये चिंताजनक हैं।

आगे की राह: 

  • मॉरीशस में पंजीकृत कंपनियाँ भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (foreign direct investment-FDI) का सबसे बड़ा स्रोत हैं, जिससे भारत के लिये अपनी द्विपक्षीय कर संधि का फिर से उन्नयन करना आवश्यक हो गया है।
  • जैसा कि भारत दक्षिण पश्चिमी हिंद महासागर में सुरक्षा सहयोग के लिये एक एकीकृत दृष्टिकोण प्रस्तुत करता है जिसमें मॉरीशस का स्वाभाविक रूप से एक अत्यंत महत्त्वपूर्ण स्थान है इसलिये, भारत की नेबरहुड फर्स्ट पॉलिसी (Neighbourhood First policy) में सुधार करना आवश्यक हो गया है।

स्रोत: PIB

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