शासन व्यवस्था
पश्चिम बंगाल में नई शिक्षा नीति
- 11 Sep 2023
- 15 min read
प्रिलिम्स के लिये:पश्चिम बंगाल में नई शिक्षा नीति, राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020, समवर्ती विषय, क्षेत्रीय स्वायत्तता, परख (समग्र विकास के लिये कार्य-प्रदर्शन आकलन, समीक्षा और ज्ञान का विश्लेषण) मेन्स के लिये:पश्चिम बंगाल में नई शिक्षा नीति, राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के बारे में राज्यों द्वारा व्यक्त चिंताएँ |
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
चर्चा में क्यों?
हाल ही में पश्चिम बंगाल सरकार ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के कुछ पहलुओं को कम करते हुए वर्ष 2023 के लिये अपनी राज्य शिक्षा नीति की घोषणा की है।
- केरल, कर्नाटक और तमिलनाडु जैसे कई राज्यों ने भी राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को पूरी तरह से अपनाने से इनकार कर दिया है।
पश्चिम बंगाल शिक्षा नीति के प्रमुख बिंदु:
- 5+4+2+2 पैटर्न पहले की ही तरह लागू:
- राज्य स्कूली शिक्षा के लिये मौजूदा 5+4+2+2 पैटर्न को बनाए रखेगा।
- यह संरचना पूर्व-प्राथमिक शिक्षा के एक वर्ष पहले से शुरू होती है, इसके बाद चार वर्ष की प्राथमिक शिक्षा (कक्षा 4 तक), चार वर्ष की उच्च प्राथमिक शिक्षा (कक्षा V से VIII), दो वर्ष की माध्यमिक शिक्षा और अंततः, दो वर्ष की उच्चतर माध्यमिक शिक्षा के रूप में लागू होती है।
- NEP के अनुसार, स्कूल प्रणाली 5+3+3+4 पैटर्न में होनी चाहिये, जिसमें कक्षा 9-12 के छात्रों को विषय संबंधी विकल्प मिलने शुरू हो जाते हैं, लेकिन पश्चिम बंगाल राज्य सरकार ने इसे अस्वीकार कर दिया है।
- त्रिभाषा सूत्र:
- यह नीति कक्षा V से VIII तक के छात्रों के लिये त्रि-भाषा फॉर्मूला शुरू करने की सिफारिश करती है।
- पहली भाषा, जिसे "मातृभाषा" कहा जाता है, शिक्षा का माध्यम होगी।
- उदाहरण के लिये नेपाली-माध्यम स्कूलों में, शिक्षा का माध्यम नेपाली होगी, संथाली-माध्यम स्कूलों में संथाली तथा इसी तरह अन्य भाषाएँ अन्य माध्यमों के लिये।
- दूसरी भाषा अंग्रेज़ी अथवा पहली भाषा के अतिरिक्त कोई भी भाषा हो सकती है, यह छात्र की पसंद पर निर्भर करता है।
- तीसरी भाषा पहली और दूसरी भाषा से भिन्न, छात्र द्वारा चुनी गई कोई भी भाषा हो सकती है।
- एक विषय के रूप में 'बांग्ला' का परिचय:
- शिक्षा के माध्यम के रूप में बांग्ला के अलावा अन्य भाषाओं वाले स्कूलों में छात्र-छात्राओं के लिये कक्षा I से कक्षा XII तक बांग्ला को एक विषय के रूप में पेश किया जाएगा।
- हालाँकि इसे प्रथम भाषा के रूप में अनुशंसित नहीं किया गया है।
- उच्चतर माध्यमिक स्तर पर सेमेस्टर प्रणाली:
- उच्च माध्यमिक शिक्षा (कक्षा XI और XII) में इसने स्कूल से विश्वविद्यालय तक सहज परिवर्तन की सुविधा के लिये एक सेमेस्टर प्रणाली शुरू की है।
- सेमेस्टर परीक्षाओं में बहुविकल्पीय प्रश्नों (MCQs) और वर्णनात्मक प्रश्नों का संयोजन शामिल हो सकता है।
- उच्च माध्यमिक शिक्षा (कक्षा XI और XII) में इसने स्कूल से विश्वविद्यालय तक सहज परिवर्तन की सुविधा के लिये एक सेमेस्टर प्रणाली शुरू की है।
पश्चिम बंगाल द्वारा NEP, 2020 को लागू करने के बदले स्वयं की शिक्षा नीति:
- स्वायत्तता और क्षेत्रीय आवश्यकताएँ:
- इसके प्राथमिक कारणों में से एक पश्चिम बंगाल की विशिष्ट आवश्यकताओं और प्राथमिकताओं के अनुसार शिक्षा प्रणाली को आकार देने में स्वायत्तता की इच्छा है।
- भारत में शिक्षा एक समवर्ती विषय है, जिसका अर्थ है कि केंद्र और राज्य दोनों सरकारें इस पर कानून बना सकती हैं। राज्य प्रायः अपने सांस्कृतिक, भाषायी तथा सामाजिक-आर्थिक संदर्भों के अनुरूप शैक्षिक नीतियों को अनुकूलित करना चाहते हैं।
- ग्रामीण छात्रों को हानि:
- NEP 2020 द्वारा सुझाए गए स्नातक पाठ्यक्रमों के लिये एक सामान्य प्रवेश परीक्षा के प्रस्ताव ने बंगाल में चिंता बढ़ा दी है।
- राज्य सरकार को डर है कि इससे ग्रामीण छात्रों को नुकसान हो सकता है और सभी के लिये निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिये विकेंद्रीकृत प्रवेश दृष्टिकोण को प्राथमिकता दी जाती है।
- ऐतिहासिक और सांस्कृतिक कारक:
- पश्चिम बंगाल में समृद्ध सांस्कृतिक और भाषायी विविधता है, जिसमें बांग्ला प्रमुख भाषा है।
- राज्य ने महसूस किया है कि अपनी शिक्षा नीति के माध्यम से बांग्ला भाषा और संस्कृति को संरक्षित करना और बढ़ावा देना महत्त्वपूर्ण है।
- इससे NEP में भिन्नता आ सकती है, जो पूरे देश में एक समान नीति लागू करने का प्रयास करती है।
- विवाद का एक अन्य मुद्दा NEP द्वारा शिक्षा में निजी क्षेत्र की भागीदारी को प्रोत्साहित करना है।
- बंगाल इस बारे में सतर्क रहता है और समान एवं सुलभ शिक्षा के अवसर सुनिश्चित करने के लिये सार्वजनिक क्षेत्र की मज़बूत भूमिका का समर्थन करता है।
- विकल्पों पर विचार:
- पश्चिम बंगाल सरकार ने वैकल्पिक दृष्टिकोण प्रस्तावित करने के लिये महाराष्ट्र और केरल जैसे राज्यों में शैक्षिक पहलों का विश्लेषण करने के अपने इरादे का संकेत दिया है।
- यह विभिन्न मॉडलों का पता लगाने तथा अन्य राज्यों से सर्वोत्तम प्रथाओं को अपनाने की उसकी इच्छा का संकेत देता है।
एनईपी (NEP) 2020:
- परिचय:
- NEP 2020 का लक्ष्य "भारत को एक वैश्विक ज्ञान महाशक्ति (Global Knowledge Superpower)" बनाना है। स्वतंत्रता के बाद से यह भारत के शिक्षा ढाँचे में तीसरा बड़ा सुधार है।
- पहले की दो शिक्षा नीतियाँ वर्ष 1968 और 1986 में लाई गई थीं।
- NEP 2020 का लक्ष्य "भारत को एक वैश्विक ज्ञान महाशक्ति (Global Knowledge Superpower)" बनाना है। स्वतंत्रता के बाद से यह भारत के शिक्षा ढाँचे में तीसरा बड़ा सुधार है।
- मुख्य विशेषताएँ:
- प्री-प्राइमरी स्कूल से कक्षा 12 तक स्कूली शिक्षा के सभी स्तरों पर सार्वभौमिक पहुँच सुनिश्चित करना।
- 3-6 वर्ष के बीच के सभी बच्चों के लिये गुणवत्तापूर्ण प्रारंभिक बचपन की देखभाल और शिक्षा सुनिश्चित करना।
- नई पाठ्यचर्या और शैक्षणिक संरचना (5+3+3+4) क्रमशः 3-8, 8-11, 11-14 एवं 14-18 वर्ष के आयु समूहों से सुमेलित है।
- इसमें स्कूली शिक्षा के चार चरण शामिल हैं: मूलभूत चरण (5 वर्ष), प्रारंभिक चरण (3 वर्ष), मध्य चरण (3 वर्ष) और माध्यमिक चरण (4 वर्ष)।
- कला तथा विज्ञान के बीच, पाठ्यचर्या व पाठ्येतर गतिविधियों के बीच, व्यावसायिक और शैक्षणिक धाराओं के बीच कोई सख्त अलगाव नहीं।
- बहुभाषावाद और भारतीय भाषाओं को बढ़ावा देने पर ज़ोर।
- एक नए राष्ट्रीय मूल्यांकन केंद्र, परख (प्रदर्शन मूल्यांकन, समीक्षा एवं समग्र विकास के लिये ज्ञान का विश्लेषण) की स्थापना।
- वंचित क्षेत्रों और समूहों के लिये एक भिन्न लैंगिक समावेशन निधि और विशेष शिक्षा क्षेत्र।
NEP 2020 से संबंधित समस्याएँ:
- आकार और विविधता:
- भारत का शिक्षा क्षेत्र विशाल और विविधतापूर्ण है, जिससे संपूर्ण देश में एक समान नीतियाँ लागू करना चुनौतीपूर्ण हो गया है।
- देश की विशाल आबादी, कई भाषाएँ तथा भिन्न-भिन्न सामाजिक-आर्थिक परिस्थितियों के कारण शिक्षा के लिये स्थानीयकृत दृष्टिकोण की आवश्यकता होती है, जिसे NEP का वन साइज़ फिट्स ऑल दृष्टिकोण पर्याप्त रूप से संबोधित नहीं कर सकता है।
- क्षमता सीमा:
- NEP 2020 स्कूल स्तर से लेकर उच्च शिक्षा तक शिक्षा क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण बदलाव का प्रस्ताव करता है।
- हालाँकि कई राज्यों तथा नियामक निकायों में ऐसे व्यापक परिवर्तनों को प्रभावी ढँग से लागू करने के लिये आवश्यक आंतरिक क्षमताओं एवं संसाधनों की कमी है।
- भाषा और पाठ्यक्रम:
- मातृभाषा में पढ़ाई जाने वाली पाठ्यक्रम सामग्री को अपनाना NEP 2020 की एक प्रमुख विशेषता है।
- हालाँकि 22 आधिकारिक भाषाओं और कई बोलियों के साथ भारत की भाषायी विविधता NEP के लिये एक महत्त्वपूर्ण चुनौती खड़ी करती है।
- राज्य इस पहलू को लागू करने की व्यावहारिकता तथा कई भाषाओं में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुनिश्चित करने को लेकर चिंतित हैं।
- डिजिटल डिवाइड:
- NEP ई-लर्निंग और डिजिटलीकरण सहित शिक्षा में प्रौद्योगिकी के उपयोग पर ज़ोर देती है।
- हालाँकि भारत डिजिटल विभाजन का सामना कर रहा है जहाँ आबादी के एक बड़े हिस्से के पास स्मार्टफोन और कंप्यूटर तक पहुँच नहीं है।
- इस विभाजन के कारण शैक्षिक संसाधनों और अवसरों, वंचित समुदायों तक असमान पहुँच हो सकती है।
- सीमित संसाधन:
- NEP में सकल घरेलू उत्पाद के 6% का लक्ष्य रखते हुए शिक्षा के लिये संसाधनों के आवंटन में पर्याप्त वृद्धि का आह्वान किया गया है।
- स्वास्थ्य देखभाल, बुनियादी ढाँचे और सामाजिक कल्याण कार्यक्रमों जैसे सरकारी वित्त पर प्रतिस्पर्द्धी मांगों को देखते हुए इस स्तर की फंडिंग हासिल करना मुश्किल हो सकता है। राज्यों को NEP उद्देश्यों को पूरा करने के लिये पर्याप्त संसाधन आवंटित करने में संघर्ष करना पड़ सकता है।
- स्थानीय स्वायत्तता:
- कुछ राज्य NEP की शिक्षा नीति और निर्णय लेने के कथित केंद्रीकरण के विषय को लेकर चिंतित हैं।
- उनका मानना है कि यह उनकी विशिष्ट आवश्यकताओं और प्राथमिकताओं के अनुरूप शिक्षा नीतियों को डिज़ाइन और लागू करने की उनकी स्वायत्तता का उल्लंघन करता है।
आगे की राह
- राज्य सरकारों, शिक्षकों, अभिभावकों और छात्रों सहित सभी हितधारकों के साथ सार्थक परामर्श को प्रोत्साहित करना। चिंताओं को दूर करने और NEP में आवश्यक समायोजन के लिये फीडबैक और इनपुट प्राप्त करना।
- भारत के शिक्षा परिदृश्य की विविधता को पहचानना और उसका सम्मान करना। राज्यों को उनके विशिष्ट भाषायी, सांस्कृतिक एवं सामाजिक-आर्थिक संदर्भों को पूरा करने के लिये नीतियों को लागू करने में लचीलेपन की अनुमति देना। NEP के प्रावधानों को क्षेत्रीय रूप से अधिक प्रासंगिक बनाने के लिये अपनाना।
- NEP को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिये शिक्षा मंत्रालय, नियामक निकायों और शिक्षकों की क्षमता निर्माण में निवेश करना। शिक्षा प्रणाली में बदलाव हेतु चुनौतियों को देखते हुए उन्हें तैयार करने के लिये प्रशिक्षण और संसाधन प्रदान करना।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. भारत के संविधान के निम्नलिखित में से किस प्रावधान का शिक्षा पर प्रभाव है? (2012)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 और 2 उत्तर: (d) मेन्स:प्रश्न. राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020, धारणीय विकास लक्ष्य- 4 (2030) के अनुरूप है। उसका ध्येय भारत में शिक्षा प्रणाली की पुनः संरचना और पुनः स्थापना है। इस कथन का समालोचनात्मक परीक्षण कीजिये। (2020) |