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राष्ट्रव्यापी न्यूमोकोकल कॉन्जुगेट वैक्सीन अभियान

  • 30 Oct 2021
  • 6 min read

प्रिलिम्स के लिये:

न्यूमोकोकल कॉन्जुगेट वैक्सीन, निमोनिया, सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम, आज़ादी का अमृत महोत्सव, मिशन इंद्रधनुष

मेन्स के लिये:

सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम के तहत न्यूमोकोकल कॉन्जुगेट वैक्सीन (PCV) के राष्ट्रव्यापी विस्तार के लाभ एवं भारत में स्वास्थ्य संबंधी सुधार

चर्चा में क्यों?

हाल ही में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने निमोनिया के कारण 5 वर्ष से कम आयु के बच्चों की मृत्यु दर को कम करने के उद्देश्य से न्यूमोकोकल 13-वैलेंट कॉन्जुगेट वैक्सीन (PCV) का राष्ट्रव्यापी विस्तार का कार्य शुरू किया है।

  • इसे 'आज़ादी का अमृत महोत्सव' के भाग के रूप में सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम (UIP) के तहत लॉन्च किया गया था।
  • यह देश में पहली बार था कि पीसीवी सार्वभौमिक उपयोग के लिये उपलब्ध होगा।

प्रमुख बिंदु

  • न्यूमोकोकल कॉन्जुगेट वैक्सीन (PCV):
    • एक न्यूमोकोकल कॉन्जुगेट वैक्सीन जिसमें स्ट्रेप्टोकोकस न्यूमोनिया जीवाणु के 13 अलग-अलग स्ट्रेन होते हैं, का इस्तेमाल बच्चों में न्यूमोकोकल रोग की रोकथाम और प्रतिरक्षा प्रणाली वाले रोगियों के अध्ययन में किया जाता है।
      • कॉन्जुगेट वैक्सीन को दो अलग-अलग घटकों के संयोजन का उपयोग करके बनाया जाता है।
  • न्यूमोकोकल रोग:
    • परिचय: यह स्ट्रेप्टोकोकस न्यूमोनिया के कारण होने वाला एक जीवाणु संक्रमण है, जिसे कभी-कभी न्यूमोकोकस के रूप में जाना जाता है।
    • लक्षण: ये बैक्टीरिया कई तरह की बीमारियों का कारण बन सकते हैं, जिनमें निमोनिया भी शामिल है, जो एक प्रकार का फेफड़ों का संक्रमण है। न्यूमोकोकल बैक्टीरिया निमोनिया के सबसे सामान्य कारणों में से एक है।
    • सुभेद्य जनसंख्या: 2 वर्ष से कम उम्र के बच्चे, विशेष चिकित्सीय स्थितियों वाले लोग, 65 वर्ष या उससे अधिक उम्र के वयस्क और सिगरेट पीने वालों को इससे सबसे अधिक जोखिम होता है।
    • भारत में स्थिति: भारत में लगभग 16% बच्चों की मृत्यु निमोनिया के कारण होती है।
      • निमोनिया संक्रामक है और खाँसने या छींकने से फैल सकता है। यह तरल पदार्थों जैसे बच्चे के जन्म के दौरान रक्त और दूषित सतहों के माध्यम से भी फैल सकता है।
  • सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम (UIP):
    • शुरुआत:
      • भारत में टीकाकरण कार्यक्रम को वर्ष 1978 में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा 'प्रतिरक्षण के विस्तारित कार्यक्रम (EPI)' के रूप में प्रस्तुत किया गया था।
      • वर्ष 1985 में कार्यक्रम को 'सार्वभौमिक प्रतिरक्षण कार्यक्रम (UIP)' के रूप में संशोधित किया गया था।
    • कार्यक्रम का उद्देश्य:
      • तीव्र टीकाकरण कवरेज़,
      • सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार,
      • स्वास्थ्य सुविधा स्तर पर विश्वसनीय कोल्ड चेन सिस्टम स्थापित करना,
      • प्रदर्शन की निगरानी के लिये ज़िलेवार प्रणाली की शुरुआत
      • वैक्सीन उत्पादन के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता प्राप्त करना।
    • विशेषताएँ:
      • UIP वैक्सीन-रोकथाम योग्य 12 बीमारियों के खिलाफ बच्चों और गर्भवती महिलाओं में मृत्यु दर तथा रुग्णता को रोकती है। अतीत में यह देखा गया कि प्रतिरक्षण कवरेज़ में वृद्धि की दर धीमी हो गई और वर्ष 2009 से वर्ष 2013 के बीच इसमें प्रतिवर्ष 1% की दर से वृद्धि देखी गई थी।
        • राष्ट्रीय स्तर पर 10 बीमारियों के खिलाफ प्रतिरक्षा - डिप्थीरिया, पर्टुसिस, टेटनस, पोलियो, खसरा, रूबेला, बचपन में तपेदिक का गंभीर रूप, रोटावायरस डायरिया, हेपेटाइटिस बी और मेनिनजाइटिस व हीमोफिलस इन्फ्लुएंज़ा टाइप बी के कारण होने वाला निमोनिया।
        • उप-राष्ट्रीय स्तर पर 2 बीमारियों के खिलाफ- न्यूमोकोकल न्यूमोनिया और जापानी एन्सेफलाइटिस जिनमें से न्यूमोकोकल कॉन्जुगेट वैक्सीन का राष्ट्रीय स्तर पर विस्तार किया गया है,जबकि जेई वैक्सीन केवल स्थानिक ज़िलों में उपलब्ध कराई जाती है।
      • कवरेज में तेज़ी लाने के लिये मिशन इंद्रधनुष की परिकल्पना की गई थी तथा इसका कार्यान्वयन वर्ष 2015 से किया गया था ताकि पूर्ण टीकाकरण कवरेज़ को 90% तक बढ़ाया जा सके।
      • हाल ही में उन बच्चों और गर्भवती महिलाओं को कवर करने के लिये सघन मिशन इंद्रधनुष (IMI) 3.0 योजना शुरू की गई है, जो कोविड-19 महामारी के दौरान नियमित टीकाकरण से वंचित रह गए थे

स्रोत: द हिंदू

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