सामाजिक न्याय
रोटावायरस वैक्सीन
- 17 Jul 2019
- 6 min read
चर्चा में क्यों?
केंद्र सरकार सितंबर 2019 तक सभी राज्यों में रोटावायरस टीकाकरण अभियान लागू करने की योजना बना रही है।
प्रमुख बिंदु
- रोटावायरस के उन्मूलन हेतु इस टीकाकरण योजना का कार्यान्वयन सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम (Universal Immunisation Programme-UIP) के तहत किया जाएगा।
- रोटावायरस वैक्सीन (rotavirus vaccine) को भारत के सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम (Universal Immunisation Programme-UIP) में शामिल किया गया है।
- UIP में निष्क्रिय पोलियो वैक्सीन (Inactivated Polio Vaccine-IPV), Haemophilus Influenzae type b (Hib), मीजल्स, रूबेला वैक्सीन (Measles, Rubella (MR) vaccine), वयस्क जापानी इंसेफेलाइटिस वैक्सीन (Adult Japanese Encephalitis (JE) vaccine), तपेदिक (Tuberculosis), डिप्थीरिया (Diphtheria), काली खाँसी (Pertussis), हेपेटाइटिस बी (Hepatitis B), न्यूमोनिया (Pneumonia) और हीमोफिलस इन्फ्लुएंजा टाइप बी (Haemophilus Influenzae type b-Hib) के कारण होने वाले मेनिनजाइटिस (Meningitis) रोग पहले से ही शामिल हैं।
- नि:शुल्क टीकाकरण के माध्यम से हर साल लगभग 2.6 करोड़ बच्चे (नवजात) लाभान्वित होंगे यह टीकाकरण उन्हें डायरिया से बचाएगा।
- यह टीकाकरण कार्यक्रम केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा निर्धारित तीन 100-दिवसीय लक्ष्यों में से एक है।
- वर्तमान में यह टीकाकरण कार्यक्रम हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, ओडिशा, आंध्र प्रदेश, असम, त्रिपुरा, राजस्थान, मध्य प्रदेश और तमिलनाडु में संचालित किया जा रहा है।
- सितंबर 2019 तक, सभी 25 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को इस कार्यक्रम के तहत कवर किया जाएगा।
- मंत्रालय द्वारा निर्धारित अन्य दो 100-दिवसीय लक्ष्यों के अंतर्गत देश के प्रत्येक ज़िले में कम-से-कम एक मेडिकल कॉलेज या स्नातकोत्तर चिकित्सा संस्थान में (सार्वजनिक या निजी) यह कार्यक्रम लागू करना है। फिलहाल यह प्रस्ताव मंज़ूरी के लिये व्यय वित्त समिति (Expenditure Finance Committee) के पास है।
रोटावायरस क्या है?
- रोटावायरस एक संक्रामक रोग है जो छोटे बच्चों में आसानी से फैलता है।
- रोटावायरस मुख के माध्यम से शरीर में प्रवेश करता है एवं यह फैलता है:
- जब कोई व्यक्ति किसी रोटावायरस से ग्रसित रोगी के मल के संपर्क में आता है और फिर अपने स्वयं के मुख को स्पर्श करता है। उदाहरण के लिये, रोटावायरस तब फैलता है जब रोटावायरस से ग्रसित बच्चा पेशाब/शौच के पश्चात् अपने हाथ ठीक से नहीं धोता है और फिर भोजन या अन्य वस्तुओं को स्पर्श करता है।
- डायरिया रोग, रोटावायरस के कारण होता है, इस रोग में शरीर में जल की कमी (Dehydration) हो जाती है।
लक्षण
- गंभीर दस्त (Severe diarrhea)
- उल्टी (Throwing up)
- डिहाइड्रेशन (Dehydration)
- बुखार (Fever)
- पेट दर्द (Stomach pain)
- विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organisation-WHO) के अनुसार रोटावायरस वैक्सीन की पहली खुराक 6 सप्ताह की उम्र के बाद जितनी ज़ल्दी हो सके, DTP (डिप्थीरिया, टेटनस और पर्टुसिस) के टीके के साथ ही दी जानी चाहिये।
- WHO ने उन देशों के राष्ट्रीय अनुसूची में रोटावायरस वैक्सीन को शामिल करने की सिफारिश की है जहाँ पाँच वर्ष तक की उम्र के बच्चों की मौतों में से 10% से अधिक के लिये डायरिया ज़िम्मेदार है।
- वर्तमान में रोटावायरस से बचाव के लिये दो वैक्सीन उपलब्ध हैं-
- रोटारिक्स (ग्लैक्सोस्मिथक्लाइन) [Rotarix (GlaxoSmithKline)]: यह एकल संयोजक वैक्सीन (Monovalent Vaccine) है जो 6-12 सप्ताह में दो खुराकों में मौखिक रूप से दिया जाता है।
- रोटा टेक (मर्क) [Rota Teq (Merck)]: यह एक पेंटावैलेंट वैक्सीन (Pentavalent Vaccine) 6-12 सप्ताह की उम्र में तीन खुराकों में मौखिक रूप से दी जाती है।
मोनोवैलेंट वैक्सीन और पेंटावैलेंट वैक्सीन
(Monovalent vaccine and Pentavalent vaccine)
- मोनोवैलेंट वैक्सीन एक एकल प्रतिजन (Single Antigen) या एकल सूक्ष्मजीव (Single Microorganism) के विरुद्ध टीकाकरण करने हेतु बनाये जाते हैं।
- पेंटावैलेंट वैक्सीन (Pentavalent vaccine ) बच्चों को पाँच जानलेवा बीमारियों से सुरक्षा प्रदान करता है डिप्थीरिया, काली खाँसी, टेटनस, हेपेटाइटिस बी और हीमोफिलस इन्फ्लुएंजा टाइप बी (Hib)।