सामाजिक न्याय
शिक्षा में PwD को सशक्त बनाने पर राष्ट्रीय कार्यशाला
- 18 May 2023
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प्रिलिम्स के लिये:राज्य के नीति निर्देशक सिद्धांतों (DPSP) का अनुच्छेद 41, राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020, दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम, 2016, सुगम्य भारत अभियान, दीनदयाल दिव्यांग पुनर्वास योजना, दिव्यांग छात्रों के लिये राष्ट्रीय फैलोशिप मेन्स के लिये:भारत में दिव्यांग व्यक्तियों के लिये संवैधानिक और विधायी ढाँचा, भारत में दिव्यांग व्यक्तियों से जुड़े मुद्दे |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में मध्य प्रदेश के जबलपुर में राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के संदर्भ में "दिव्यांग के क्षेत्र में प्रशिक्षण संस्थानों और मानव संसाधन विकास की क्षमता निर्माण" पर राष्ट्रीय कार्यशाला का उद्घाटन किया गया।
- भारतीय पुनर्वास परिषद (RCI) द्वारा आयोजित कार्यशाला का उद्देश्य दिव्यांग व्यक्तियों को सशक्त बनाना और NEP 2020 के लक्ष्यों को लागू करना है।
- इसके अलावा दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकारिता विभाग, सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय, 18 मई, 2023 को वैश्विक पहुँच जागरूकता दिवस (GAAD) मना रहा है।
वैश्विक सुगम्यता जागरूकता दिवस (GAAD):
- GAAD मई के तीसरे गुरुवार को मनाया जाने वाला एक वार्षिक कार्यक्रम है, जो दिव्यांग व्यक्तियों के लिये डिजिटल एक्सेसिबिलिटी/सुगम्यता के साथ जागरूकता और समझ को बढ़ावा देने के लिये समर्पित है।
- यह सुगम्यता को ध्यान में रखते हुए डिजिटल तकनीकों को डिज़ाइन करने और विकसित करने के महत्त्व पर ज़ोर देता है, यह सुनिश्चित करता है कि हर कोई जानकारी तक पहुँच सके, ऑनलाइन गतिविधियों में संलग्न हो सके तथा बिना किसी बाधा के डिजिटल दुनिया में भाग ले सके।
भारत में दिव्यांग व्यक्तियों (PwD) के लिये संवैधानिक और विधायी ढाँचा:
- भारत का संविधान सभी व्यक्तियों की समानता, स्वतंत्रता, न्याय और गरिमा सुनिश्चित करता है तथा दिव्यांग व्यक्तियों सहित सभी के लिये एक समावेशी समाज को स्पष्ट रूप से अधिदेशित करता है।
- राज्य के नीति निर्देशक सिद्धांतों (Directive Principles of State Policy- DPSP) के अनुच्छेद 41 में कहा गया है कि राज्य अपनी आर्थिक क्षमता और विकास की सीमाओं के अंदर कार्य, शिक्षा और बेरोज़गारी, बुढ़ापा, बीमारी तथा अक्षमता के मामलों में सार्वजनिक सहायता के अधिकार को सुरक्षित करने के लिये प्रभावी प्रावधान करेगा।
- दिव्यांगता अधिकारों पर मुख्य कानून दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकार अधिनियम, 2016 है।
- यह अधिनियम निर्दिष्ट दिव्यांगों की एक विस्तृत शृंखला को कवर करता है और बेंचमार्क दिव्यांगों एवं उच्च समर्थन की आवश्यकताओं वाले लोगों को अतिरिक्त लाभ प्रदान करता है।
- यह अधिनियम ज़िला न्यायालय या राज्य सरकार द्वारा नामित किसी प्राधिकरण की संरक्षकता प्रदान करने का भी प्रावधान करता है जिसके तहत अभिभावक एवं दिव्यांग व्यक्तियों के बीच संयुक्त निर्णय लिया जाएगा
भारत में दिव्यांग व्यक्ति से जुड़े मुद्दे:
- अभिगम्यता चिंता: सार्वजनिक क्षेत्रों, परिवहन, संरचनाओं और बुनियादी ढाँचे में पहुँच की कमी मुख्य चुनौतियों में से एक है। कई जगहों पर रैंप, लिफ्ट या सुलभ शौचालय नहीं हैं, जिससे दिव्यांग व्यक्तियों के लिये स्वतंत्र रूप से घूमना मुश्किल हो जाता है।
- शिक्षा तक पहुँच का अभाव: दिव्यांग व्यक्तियों के लिये गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तक पहुँच सीमित है।
- विशेष शिक्षा सुविधाएँ और प्रशिक्षित शिक्षकों का अभाव है तथा समावेशी शिक्षा प्रथाओं को व्यापक रूप से लागू नहीं किया जाता है। शैक्षिक अवसरों की यह कमी उनके व्यक्तिगत और व्यावसायिक विकास में बाधा डालती है।
- उचित स्वास्थ्य सेवा का अभाव: बड़ी संख्या में दिव्यांगताओं को रोका जा सकता है, जिनमें जन्म के दौरान चिकित्सा संबंधी समस्याएँ, मातृ स्थिति, कुपोषण, साथ ही इसमें दुर्घटनाओं के कारण चोट लगना शामिल है।
- हालाँकि यहाँ जागरूकता की कमी, देखभाल और अच्छी एवं सुलभ चिकित्सा सुविधाओं की कमी है।
- सामाजिक कलंक और भेदभाव: भारतीय समाज में निःशक्तता को लेकर नकारात्मक दृष्टिकोण और सामाजिक कलंक प्रचलित हैं।
- दिव्यांग लोगों को अक्सर भेदभाव, बहिष्करण और उपेक्षा का सामना करना पड़ता है, जो उनके आत्मसम्मान और सामाजिक संबंधों को प्रभावित करता है।
पीडब्ल्यूडी (PWD) के सशक्तीकरण के लिये हाल की पहलें:
- भारत:
- सुगम्य भारत अभियान (Accessible India Campaign)
- दीनदयाल दिव्यांग पुनर्वास योजना (DeenDayal Disabled Rehabilitation Scheme)
- दिव्यांग छात्रों के लिये राष्ट्रीय फैलोशिप (National Fellowship for Students with Disabilities )
- वैश्विक सम्मेलन जिसका भारत हस्ताक्षरकर्त्ता है:
- एशिया-प्रशांत क्षेत्र में दिव्यांग लोगों की पूर्ण भागीदारी और समानता पर घोषणा।
- बिवाको मिलेनियम फ्रेमवर्क
- दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकारों और गरिमा के संरक्षण और संवर्द्धन पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन
नोट: भारतीय पुनर्वास परिषद, संसद के एक अधिनियम द्वारा एक वैधानिक निकाय के रूप में स्थापित, प्रशिक्षण कार्यक्रमों को मानकीकृत, विनियमित एवं मॉनिटर करने, केंद्रीय पुनर्वास रजिस्टर (Central Rehabilitation Register- CRR) को बनाए रखने एवं विशेष शिक्षा व दिव्यांगता के क्षेत्र में अनुसंधान को बढ़ावा देने हेतु अधिकृत है।
आगे की राह
- समावेशन को बढ़ावा: सुलभ भवनों, सार्वजनिक स्थानों, ट्रांज़िट नेटवर्क और संचार प्रौद्योगिकी के डिज़ाइन एवं निर्माण को प्राथमिकता देने की आवश्यकता है। रैंप, लिफ्ट, टैक्टाइल वॉकवे, ऑडियो अनाउंसमेंट और ब्रेल संकेत ऐसी सुविधाएँ इसके उदाहरण हैं।
- अत्याधुनिक समाधानों के साथ क्षमताओं को सशक्त बनाना: प्रोस्थेटिक्स, गतिशीलता उपकरणों, श्रवण यंत्रों और संचार उपकरणों जैसी सस्ती एवं स्थानीय रूप से सहायक तकनीकों के विकास तथा इन्हें अपनाने को बढ़ावा देने की आवश्यकता है। इन व्यक्तियों हेतु समाधानों को अनुकूलित करने के लिये 3D प्रिंटिंग व कृत्रिम बुद्धिमत्ता जैसी उभरती प्रौद्योगिकियों को अपनाने पर ज़ोर दिया जाना चाहिये।
- ज्ञान और समानता के अवसर: समावेशी शिक्षा नीतियों हेतु लागू करना जो दिव्यांग छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तक समान पहुँच सुनिश्चित करती है। इसमें सहायक उपकरण, शिक्षकों हेतु विशेष प्रशिक्षण, सुलभ शिक्षण सामग्री एवं समावेशी पाठ्यक्रम विकास शामिल है।
- जागरूकता और संवेदनशीलता के माध्यम से कलंक/स्टिग्मा का समापन: समावेशिता को बढ़ावा देने और दिव्यांगता संबंधी सामाजिक कलंक को कम करने हेतु जागरूकता अभियान चलाने की आवश्यकता है।
- इसमें दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकारों और क्षमताओं के बारे में समुदायों, नियोक्ताओं, शिक्षकों एवं स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं को संवेदनशील बनाना शामिल है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रश्न. भारत लाखों विकलांग लोगों का घर है। कानून के तहत उन्हें क्या लाभ मिलते हैं? (वर्ष 2011)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (d) |