राष्ट्रीय बहुआयामी गरीबी सूचकांक : नीति आयोग | 30 Nov 2021
प्रिलिम्स के लिये:नीति आयोग, संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम, वैश्विक बहुआयामी गरीबी सूचकांक, NFHS-5 मेन्स के लिये:नीति आयोग का 'बहुआयामी गरीबी सूचकांक : महत्त्व एवं कार्यप्रणाली |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में नीति आयोग ने बहुआयामी गरीबी सूचकांक (MPI) जारी किया है।
- इससे पहले संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) और ऑक्सफोर्ड पॉवर्टी एंड ह्यूमन डेवलपमेंट इनीशिएटिव (OPHI) द्वारा वैश्विक बहुआयामी गरीबी सूचकांक 2021 जारी किया गया था।
प्रमुख बिंदु
- परिचय:
- MPI गरीबी को उसके कई आयामों में मापने का प्रयास करता है और वास्तव में प्रति व्यक्ति खपत व्यय के आधार पर मौज़ूदा गरीबी के आँकड़े प्रदान करता है।
- वैश्विक MPI 2021 के अनुसार, 109 देशों में भारत की रैंक 66वीं है। राष्ट्रीय MPI परियोजना का उद्देश्य वैश्विक MPI रैंकिंग में भारत की स्थिति में सुधार के लक्ष्य के साथ व्यापक सुधार संबंधी कार्य योजनाओं को तैयार करने के लिये विश्व स्तर पर गठबंधन के साथ-साथ भारत के लिये एक व्यवस्थित एमपीआई सुनिश्चित करना है।
- इसके तीन समान रूप से भारित आयाम हैं - स्वास्थ्य, शिक्षा और जीवन स्तर।
- इन तीन आयामों को 12 संकेतकों द्वारा दर्शाया जाता है, जैसे- पोषण, स्कूल में नामांकन, स्कूली शिक्षा, पेयजल, स्वच्छता, आवास, बैंक खाते आदि।
- कार्यप्रणाली और डेटा:
- राष्ट्रीय एमपीआई के मापन हेतु संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) और ऑक्सफोर्ड पॉवर्टी एंड ह्यूमन डेवलपमेंट इनीशिएटिव (OPHI) द्वारा विकसित विश्व स्तर पर स्वीकृत एवं मज़बूत कार्यप्रणाली का उपयोग किया जाता है।
- राष्ट्रीय बहुआयामी गरीबी सूचकांक की बेसलाइन रिपोर्ट राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-4 (NFHS-4) पर आधारित है, जिसे वर्ष 2015-16 में लागू किया गया था।
- NFHS-4 के डेटा का उपयोग केंद्र सरकार की विभिन्न योजनाओं के बड़े पैमाने पर शुरू होने से पहले स्थिति के मापन हेतु आधारभूत बहुआयामी गरीबी पर एक उपयोगी स्रोत के रूप में कार्य करता है।
- NFHS-4 का उद्देश्य आवास, पेयजल, स्वच्छता, बिजली, खाना पकाने के ईंधन, वित्तीय समावेशन, स्कूल में नामांकन, पोषण, मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य आदि में सुधार के उपाय करना है।
- हालाँकि यहाँ यह ध्यान दिया जाना चाहिये कि NFHS-5 डेटा फैक्टशीट से प्राप्त प्रारंभिक अवलोकन उन स्वच्छ खाना पकाने के ईंधन, स्वच्छता और बिजली तक पहुँच में सुधार का सुझाव देती है, जो कि अभाव का संकेत देते हैं।
- सूचकांक के निष्कर्ष:
- गरीबी का स्तर:
- बिहार राज्य की आबादी में गरीबी का अनुपात सबसे अधिक है, इसके बाद झारखंड और उत्तर प्रदेश का स्थान है जहाँ बहुआयामी गरीबी का स्तर पाया जाता है।
- केरल राज्य की जनसंख्या में सबसे कम गरीबी स्तर दर्ज किया गया, इसके बाद पुद्दुचेरी, लक्षद्वीप, गोवा और सिक्किम का स्थान है।
- कुपोषित लोग:
- बिहार में कुपोषित लोगों की संख्या सबसे अधिक है, इसके बाद झारखंड, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और छत्तीसगढ़ का स्थान है।
- गरीबी का स्तर:
- सूचकांक का महत्त्व:
- सार्वजनिक नीति उपकरण स्थापित करने में योगदान:
- सूचकांक का विकास एक सार्वजनिक नीति उपकरण स्थापित करने की दिशा में महत्त्वपूर्ण योगदान देता है जो बहुआयामी गरीबी का निरीक्षण करता है, साक्ष्य-आधारित और केंद्रित हस्तक्षेपों को सूचित करता है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि विकास की दौड़ में कोई भी पीछे न छूटे।
- गरीबी की समग्र तस्वीर प्रस्तुत करना:
- यह देश में गरीबी की एक समग्र तस्वीर प्रस्तुत करता है, साथ ही उन क्षेत्रों - राज्य या ज़िलों, एवं विशिष्ट क्षेत्रों का और अधिक गहन विश्लेषण प्रस्तुत करता है जो मौजूदा मौद्रिक गरीबी आंँकड़ों के लिये एक पूरक के रूप में कार्य करता है।
- सतत् विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने में सहायक:
- यह सतत् विकास लक्ष्यों (Sustainable Development Goals-SDGs) के लक्ष्य-2 की प्रगति को मापने की दिशा में योगदान देता है, जिसका उद्देश्य गरीबी में जीवन यापन करने वाले सभी उम्र के पुरुषों, महिलाओं और बच्चों के अनुपात को कम-से-कम आधा करना है।
- सार्वजनिक नीति उपकरण स्थापित करने में योगदान:
- संबंधित सरकारी पहलें:
- राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (NRLM)
- महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी अधिनियम 2005 (MNREGA)
- प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण (PMAY-G)
- सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS)
- प्रधानमंत्री आवास योजना (PMAY)
- जल जीवन मिशन (JJM)
- स्वच्छ भारत मिशन (SBM)
- प्रधानमंत्री सहज बिजली हर घर योजना (सौभाग्य)
- प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना (PMUY)