भारतीय अर्थव्यवस्था
वैश्विक बहुआयामी गरीबी सूचकांक 2021
- 11 Oct 2021
- 8 min read
प्रिलिम्स के लिये:गरीबी, बहुआयामी गरीबी सूचकांक, UNDP, OPHI मेन्स के लिये:वैश्विक बहुआयामी गरीबी सूचकांक 2021 |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) और ऑक्सफोर्ड पॉवर्टी एंड ह्यूमन डेवलपमेंट इनीशिएटिव (OPHI) द्वारा वैश्विक बहुआयामी गरीबी सूचकांक 2021 जारी किया गया था।
- सूचकांक 109 देशों और 5.9 अरब लोगों के डेटा का आकलन करता है।
प्रमुख बिंदु
- वैश्विक डेटा:
- 1.3 अरब लोग बहुआयामी गरीब हैं।
- इनमें से लगभग आधे (644 मिलियन) 18 वर्ष से कम आयु के बच्चे हैं।
- लगभग 85% उप-सहारा अफ्रीका (556 मिलियन) या दक्षिण एशिया (532 मिलियन) में रहते हैं।
- 67% से अधिक मध्यम आय वाले देशों में रहते हैं।
- गरीबी में आवधिक कमी:
- 80 देशों और पाँच अरब लोगों (जिनके आवधिक और डेटा दोनों उपलब्ध है) में से कम-से-कम एक अवधि में 70 देशों ने MPI को कम कर दिया, जिसमें सिएरा लियोन (2013-2017) में सबसे तेज़ी से बदलाव आए, इसके बाद टोगो (2013/2014-2017) का स्थान है।
- गरीबी में पूर्ण कमी:
- कुछ देशों ने अपने सबसे गरीब क्षेत्रों में सबसे तेज़ी से पूर्ण कटौती देखी, जिसने किसी को भी पीछे नहीं छोड़ने की उनकी प्रतिज्ञा को पूरा करने में मदद की।
- इन क्षेत्रों में लाइबेरिया में उत्तर मध्य (2013-2019/2020) और नेपाल में प्रांत 2 (2016-2019) शामिल हैं।
- कुछ देशों ने अपने सबसे गरीब क्षेत्रों में सबसे तेज़ी से पूर्ण कटौती देखी, जिसने किसी को भी पीछे नहीं छोड़ने की उनकी प्रतिज्ञा को पूरा करने में मदद की।
- जातीय और नस्लीय समूहों में गरीबी:
- कुछ मामलों में जातीय और नस्लीय समूहों में बहुआयामी गरीबी में असमानताएँ भौगोलिक उपराष्ट्रीय क्षेत्रों में असमानताओं से अधिक है।
- एक देश के भीतर विभिन्न जातीय समूहों के बीच बहुआयामी गरीबी बहुत भिन्न हो सकती है।
- इसलिये बहुआयामी गरीबी को कम करने के लिये विभिन्न नीतिगत कार्रवाइयों की आवश्यकता है।
- शिक्षा:
- दुनिया भर में लगभग दो-तिहाई बहुआयामी गरीब (836 मिलियन) ऐसे घरों में रहते हैं जहाँ किसी भी महिला या लड़की ने कम-से-कम छह साल की स्कूली शिक्षा पूरी नहीं की है।
- 227 मिलियन गरीब भारत में रहते हैं।
- सभी बहुआयामी गरीब लोगों में से ⅙ (215 मिलियन) ऐसे घरों में रहते हैं जिनमें कम-से-कम एक लड़के या पुरुष ने स्कूली शिक्षा के छह या अधिक वर्ष पूरे कर लिये हैं लेकिन किसी लड़की या महिला ने नहीं।
- रिपोर्ट में यह भी पाया गया है कि बहुआयामी गरीबी में रहने वाली महिलाओं और लड़कियों को अंतरंग साथी से हिंसा का अधिक खतरा होता है।
- दुनिया भर में लगभग दो-तिहाई बहुआयामी गरीब (836 मिलियन) ऐसे घरों में रहते हैं जहाँ किसी भी महिला या लड़की ने कम-से-कम छह साल की स्कूली शिक्षा पूरी नहीं की है।
- जीवन स्तर:
- 1 अरब लोग ठोस अपशिष्ट आधारित भोजन पकाने के ईंधन के संपर्क में हैं, अन्य लोग (अरब) अपर्याप्त स्वच्छता के साथ रहते हैं, साथ ही कई (अरबों) के पास निम्न कोटि का आवास है।
- 788 मिलियन लोग कम-से-कम एक कुपोषित व्यक्ति वाले घर में रहते हैं।
- 30 मिनट के राउंड ट्रिप वॉक के भीतर 568 मिलियन के पास बेहतर पेयजल की कमी है।
- कोविड का प्रभाव:
- कोविड-19 महामारी ने दुनिया भर में विकास की प्रगति को नष्ट कर दिया है और हम अभी भी इसके पूर्ण प्रभावों को समझने के लिये जूझ रहे हैं।
- इसने दुनिया भर में सामाजिक सुरक्षा प्रणालियों, शिक्षा और श्रमिकों की भेद्यता में कमज़ोरी को उजागर किया है।
- बहुआयामी गरीबी के उच्च स्तर वाले देशों में ये कमज़ोरियाँ सबसे अधिक हैं।
- भारतीय परिदृश्य:
- चूँकि भारत में जातियों और जनजातियों के बीच सामाजिक स्तरीकरण की एक अधिक प्रचलित रेखा है, यह सूचकांक जातियों और जनजातियों तथा उन व्यक्तियों के बीच बहुआयामी गरीबी की घटना एवं तीव्रता को प्रस्तुत करता है जो किसी जाति या जनजाति के सदस्य नहीं हैं।
- भारत में छह बहुआयामी गरीब लोगों में से पाँच निचली जनजातियों या जातियों से हैं।
- अनुसूचित जनजाति समूह का 9.4% बहुआयामी गरीबी में रहते हैं।
- अनुसूचित जाति समूह का 33.3% बहुआयामी गरीबी में रहते हैं।
- अन्य पिछड़ा वर्ग समूह का 27.2% बहुआयामी गरीबी में रहते हैं।
- भारत में लगभग 12% जनसंख्या महिला प्रधान परिवारों में रहती है।
बहुआयामी गरीबी सूचकांक (MPI)
- इसे ‘ऑक्सफोर्ड पॉवर्टी एंड ह्यूमन डेवलपमेंट इनीशिएटिव’ (OPHI) और ‘संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम’ (UNDP) द्वारा वर्ष 2010 में विकसित किया गया था।
- MPI इस विचार पर आधारित है कि गरीबी एक आयाम नहीं है (यह न केवल आय पर निर्भर करती है और एक व्यक्ति में शिक्षा, स्वास्थ्य आदि जैसी कई बुनियादी ज़रूरतों की कमी हो सकती है), बल्कि यह बहुआयामी है।
- यह सूचकांक वैश्विक बहुआयामी गरीबी सूचकांक पर आधारित है, जो प्रत्येक वर्ष व्यक्तिगत और सामूहिक रूप से गरीब लोगों के जीवन की जटिलताओं की माप करता है।
- MPI तीन आयामों और दस संकेतकों का उपयोग करता है जो इस प्रकार हैं:
- शिक्षा: स्कूली शिक्षा और बाल नामांकन के वर्ष (प्रत्येक का 1/6 भार, कुल 2/6)
- स्वास्थ्य: बाल मृत्यु दर और पोषण (प्रत्येक का 1/6 भार, कुल 2/6)
- जीवन स्तर: बिजली, फर्श, पीने का पानी, स्वच्छता, खाना पकाने का ईंधन और संपत्ति (प्रत्येक का 1/18 भार, कुल 2/6)
- यह बताता है कि लोग तीन प्रमुख आयामों में किस प्रकार पीछे रह जाते हैं: स्वास्थ्य, शिक्षा और जीवन स्तर, जिसमें 10 संकेतक शामिल हैं। जो लोग इन भारित संकेतकों में से कम-से-कम एक-तिहाई (अर्थात् 33% या अधिक) में अभाव का अनुभव करते हैं, वे बहुआयामी रूप से गरीब की श्रेणी में आते हैं।
- MPI इसलिये महत्त्वपूर्ण है क्योंकि यह पारंपरिक पद्धति की तुलना में गरीबी को विभिन्न आयामों से पहचानता है जो केवल आय या मौद्रिक शर्तों से गरीबी को मापता है।