आंतरिक सुरक्षा
राष्ट्रीय जाँच एजेंसी
- 04 Jul 2022
- 13 min read
प्रिलिम्स के लिये:राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (NIA) अधिनियम, 2008, गैरकानूनी गतिविधियाँ (रोकथाम) अधिनियम, सार्क सम्मलेन (आतंकवाद उन्मूलन) अधिनियम, एनआईए विशेष न्यायालय, साइबर आतंकवाद, वामपंथी उग्रवाद (LWE), नकली मुद्रा। मेन्स के लिये:सूचीबद्ध अपराध, एनआईए विशेष न्यायालय, एनआईए में हालिया संशोधन, विभिन्न सुरक्षा बल और एजेंसियाँ और उनका जनादेश। |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने महाराष्ट्र के अमरावती में एक फार्मासिस्ट की बर्बर हत्या की जाँच राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (NIA) को सौंप दी है।
राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (NIA):
- परिचय:
- NIA भारत की केंद्रीय आतंक रोधी कानून प्रवर्तन एजेंसी है, जो भारत की संप्रभुता, सुरक्षा और अखंडता को प्रभावित करने वाले सभी अपराधों की जाँच करने के लिये अनिवार्य है। उसमे समाविष्ट हैं:
- विदेशी राज्यों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध।
- परमाणु और नाभिकीय सुविधाओं के विरुद्ध।
- हथियारों, ड्रग्स और नकली भारतीय मुद्रा की तस्करी तथा सीमाओं के पार से घुसपैठ।
- संयुक्त राष्ट्र, इसकी एजेंसियों और अन्य अंतर्राष्ट्रीय संगठनों की अंतर्राष्ट्रीय संधियों, समझौतों, सम्मेलनों एवं प्रस्तावों को लागू करने के लिये अधिनियमित वैधानिक कानूनों के तहत अपराध।
- इसका गठन राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (NIA) अधिनियम, 2008 के तहत किया गया था।
- एजेंसी को गृह मंत्रालय से लिखित उद्घोषणा के तहत राज्यों से विशेष अनुमति के बिना राज्यों में आतंकवाद से संबंधित अपराधों की जाँच करने का अधिकार है।
- मुख्यालय: नई दिल्ली
- NIA भारत की केंद्रीय आतंक रोधी कानून प्रवर्तन एजेंसी है, जो भारत की संप्रभुता, सुरक्षा और अखंडता को प्रभावित करने वाले सभी अपराधों की जाँच करने के लिये अनिवार्य है। उसमे समाविष्ट हैं:
- उद्भव:
- नवंबर 2008 में 26/11 मुंबई आतंकवादी हमले के मद्देनज़र, जिसने पूरी दुनिया को झकझोर दिया था, तत्कालीन संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार ने NIA की स्थापना का फैसला किया।
- दिसंबर 2008 में पूर्व केंद्रीय गृह मंत्री पी चिदंबरम ने राष्ट्रीय जाँच एजेंसी विधेयक पेश किया।
- एजेंसी 31 दिसंबर, 2008 को अस्तित्व में आई और वर्ष 2009 में इसने अपना कामकाज शुरू किया। अब तक NIA ने 447 मामले दर्ज किये हैं।
- नवंबर 2008 में 26/11 मुंबई आतंकवादी हमले के मद्देनज़र, जिसने पूरी दुनिया को झकझोर दिया था, तत्कालीन संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार ने NIA की स्थापना का फैसला किया।
- क्षेत्राधिकार:
- जिस कानून के तहत एजेंसी संचालित होती है वह पूरे भारत में तथा देश के बाहर भारतीय नागरिकों पर भी लागू होती है।
- सरकार की सेवा में व्यक्ति जहाँ कहीं भी तैनात हैं।
- भारत में पंजीकृत जहाज़ों और विमानों पर व्यक्ति, चाहे वे कहीं भी हों।
- वे व्यक्ति जो भारत के बाहर भारतीय नागरिक के विरुद्ध या भारत के हित को प्रभावित करने वाला सूचीबद्ध अपराध करते हैं।
सूचीबद्ध अपराध:
- अधिनियम के अंतर्गत अपराधों की एक सूची बनाई गई है जिन पर NIA जाँच कर सकती है और मुकदमा चला सकती है।
- सूची में शामिल हैं:
- विस्फोटक पदार्थ अधिनियम
- परमाणु ऊर्जा अधिनियम
- गैरकानूनी गतिविधियाँ (रोकथाम) अधिनियम
- अपहरण रोधी अधिनियम
- नागरिक उड्डयन अधिनियम की सुरक्षा के खिलाफ गैरकानूनी अधिनियमों का दमन
- सार्क सम्मलेन (आतंकवाद का उन्मूलन) अधिनियम
- कॉन्टिनेंटल शेल्फ़ एक्ट पर समुद्री नेविगेशन और फिक्स्ड प्लेटफॉर्म की सुरक्षा के विरुद्ध गैरकानूनी कृत्यों का उन्मूलन
- सामूहिक विनाश के हथियार और उनकी आपूर्ति प्रणाली (गैरकानूनी गतिविधियाँ निषेध) अधिनियम
- भारतीय दंड संहिता, शस्त्र अधिनियम और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम के तहत कोई अन्य प्रासंगिक अपराध
- स्वापक औषधि और मन:प्रभावी पदार्थ अधिनियम
NIA की जांँच प्रक्रिया:
- सिफारिश:
- राज्य सरकार:
- अधिनियम की धारा 6 के तहत राज्य सरकारें किसी भी पुलिस स्टेशन में दर्ज सूचीबद्ध अपराधों से संबंधित मामलों को NIA जांँच के लिये केंद्र सरकार (केंद्रीय गृह मंत्रालय) को भेज सकती हैं।
- उपलब्ध कराए गए विवरण का आकलन करने के बाद केंद्र एजेंसी को मामले को संभालने का निर्देश दे सकता है।
- राज्य सरकारों को NIA को सभी प्रकार की सहायता प्रदान करने की आवश्यकता है।
- अधिनियम की धारा 6 के तहत राज्य सरकारें किसी भी पुलिस स्टेशन में दर्ज सूचीबद्ध अपराधों से संबंधित मामलों को NIA जांँच के लिये केंद्र सरकार (केंद्रीय गृह मंत्रालय) को भेज सकती हैं।
- केंद्र सरकार:
- भारत में: जब केंद्र सरकार की राय है कि किये गए अनुसूचित अपराध की जाँच अधिनियम के तहत की जानी आवश्यक है, तो वह जांँच करने के लिये एजेंसी को निर्देश दे सकती है।
- भारत के बाहर: जब केंद्र सरकार को पता चलता है कि भारत के बाहर किसी भी स्थान पर जहाँ अनुसूचित अपराध किया गया है, यह अधिनियम लागू होता है, वह NIA को मामला दर्ज करने और जांँच करने का निर्देश भी दे सकती है।
- राज्य सरकार:
- अनुमोदन:
- गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम, 1967 (UAPA) और कुछ अन्य अनुसूचित अपराधों के तहत आरोपी पर मुकदमा चलाने के लिये एजेंसी केंद्र सरकार से मंज़ूरी मांगती है।
- UAPA की धारा 45 (2) के तहत गठित 'प्राधिकरण' की रिपोर्ट के आधार पर UAPA के तहत मंज़ूरी दी जाती है।
- गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम, 1967 (UAPA) और कुछ अन्य अनुसूचित अपराधों के तहत आरोपी पर मुकदमा चलाने के लिये एजेंसी केंद्र सरकार से मंज़ूरी मांगती है।
- अन्य:
- नक्सली समूहों के आतंकी वित्तपोषण पहलुओं से संबंधित मामलों से प्रभावी ढंग से निपटने के लिये एक विशेष वामपंथी उग्रवाद (LWE) सेल है।
- किसी भी सूचीबद्ध अपराध की जांँच करते समय एजेंसी किसी अन्य अपराध की जांँच भी कर सकती है, यदि अपराध सूचीबद्ध अपराध से जुड़ा है।
- जाँच के बाद मामलों को NIA की विशेष न्यायालय में रखा जाता है।
NIA का विशेष न्यायालय:
- अनुसूचित अपराधों के मुकदमे के लिये केंद्र सरकार NIA अधिनियम, 2008 की धारा 11 और 22 के तहत एक या अधिक विशेष न्यायालयों का गठन करती है।
- संरचना:
- विशेष न्यायालय की अध्यक्षता एक न्यायाधीश द्वारा की जाती है जिसकी नियुक्ति केंद्र सरकार द्वारा उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की सिफारिश पर की जाती है।
- यदि आवश्यक हो तो केंद्र सरकार विशेष न्यायालय में एक या एक से अधिक अतिरिक्त न्यायाधीशों की नियुक्ति भी उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की सिफारिश पर कर सकती है।
- विशेष न्यायालयों का अधिकार क्षेत्र:
- आपराधिक प्रक्रिया संहिता, 1973 के तहत सत्र न्यायालयों को प्राप्त सभी अधिकार विशेष न्यायालयों को भी प्राप्त हैं।
- किसी विशेष न्यायालय के अधिकार क्षेत्र पर किसी भी प्रश्न की स्थिति में इसे केंद्र सरकार को संदर्भित किया जाएगा जिसका निर्णय अंतिम होगा।
- सर्वोच्च न्यायालय किसी विशेष न्यायालय के समक्ष लंबित किसी मामले को उस राज्य के किसी अन्य विशेष न्यायालय को अथवा किसी असाधारण मामले में जहाँ शांतिपूर्ण, न्यायपूर्ण, निष्पक्ष और त्वरित सुनवाई संभव नहीं हो, किसी अन्य राज्य के विशेष न्यायालय को हस्तांतरित कर सकता है।
- इसी प्रकार उच्च न्यायालय के पास यह शक्ति है कि वह किसी विशेष न्यायालय के समक्ष लंबित किसी मामले को उस राज्य के किसी अन्य विशेष न्यायालय को हस्तांतरित कर सकता है।
NIA अधिनियम में हाल के संशोधन:
- NIA को 2019 में भारत के बाहर किये गए अपराधों सहित कुछ अपराधों की त्वरित जाँच और अभियोजन के उद्देश्य से संशोधित किया गया था।
- संशोधन के तीन मुख्य क्षेत्र:
- भारत के बाहर अपराध:
- मूल अधिनियम ने NIA को भारत में अपराधों की जाँच और मुकदमा चलाने की अनुमति दी।
- संशोधित अधिनियम ने एजेंसी को अंतर्राष्ट्रीय संधियों और अन्य देशों के घरेलू कानूनों के अधीन भारत के बाहर किये गए अपराधों की जाँच करने का अधिकार दिया।
- मूल अधिनियम ने NIA को भारत में अपराधों की जाँच और मुकदमा चलाने की अनुमति दी।
- कानून का दायरा बढ़ाना:
- संशोधन ने NIA को निम्नलिखित से संबंधित मामलों की जाँच करने की अनुमति दी है:
- मानव तस्करी
- जाली मुद्रा या बैंक नोट
- प्रतिबंधित हथियारों का निर्माण या बिक्री
- साइबर आतंकवाद
- विस्फोटक पदार्थ अधिनियम, 1908 (Explosive Substances Act) के तहत अपराध
- संशोधन ने NIA को निम्नलिखित से संबंधित मामलों की जाँच करने की अनुमति दी है:
- विशेष न्यायालय:
- 2008 के अधिनियम ने अपराधों की सुनवाई के लिये विशेष न्यायालयों का गठन किया।
- वर्ष के संशोधन ने केंद्र सरकार को अधिनियम के तहत अनुसूचित अपराधों के परीक्षण हेतु सत्र न्यायालयों को विशेष न्यायालयों के रूप में नामित करने की अनुमति दी।
- इसे विशेष न्यायालय के रूप में नामित करने से पहले केंद्र सरकार को उच्च न्यायालय के उस मुख्य न्यायाधीश से परामर्श करने की आवश्यकता होती है जिसके तहत सत्र न्यायालय कार्य कर रहा है।
- राज्य सरकारें अनुसूचित अपराधों के मुकदमे के लिये सत्र न्यायालयों को विशेष न्यायालयों के रूप में भी नामित कर सकती हैं।
- 2008 के अधिनियम ने अपराधों की सुनवाई के लिये विशेष न्यायालयों का गठन किया।
- भारत के बाहर अपराध:
यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्षों के प्रश्न:प्रश्न. संयुक्त राष्ट्र महासभा के अध्यक्ष द्वारा स्थापित स्टिग्लिट्ज आयोग अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा में था। किसके साथ सौदा करने हेतु आयोग का समर्थन किया गया था? (2010) (a) आसन्न वैश्विक जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न चुनौतियाँ और एक रोडमैप तैयार करना। उत्तर: (b) व्याख्या:
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