नगर निगम (संशोधन) विधेयक, 2022 | 25 Mar 2022
प्रिलिम्स के लिये:शहरी स्थानीय निकाय, नगर निगम, भारतीय संविधान का 74वाँ संशोधन। मेन्स के लिये:शहरी स्थानीय निकायों की कार्यात्मक स्वायत्तता के लिये चुनौतियाँ। |
चर्चा में क्यों?
नगर निगम (संशोधन) विधेयक, 2022 जल्द ही संसद में पेश किया जाएगा।
- इसका उद्देश्य नगर निकाय के विभाजन के 10 साल बाद राजधानी दिल्ली के तीनों (दक्षिण, उत्तर और पूर्व दिल्ली) नगर निगमों का विलय करना है।
विलय की पृष्ठभूमि और आवश्यकता:
- पृष्ठभूमि:
- वर्ष 2011 में सरकार ने बेहतर दक्षता के लिये एमसीडी को तीन भागों में बाँटने का प्रस्ताव रखा था।
- गृह मंत्रालय द्वारा नवंबर 2011 में इस प्रस्ताव को मंज़ूरी दी गई थी, जिसके बाद दिल्ली सरकार ने एक विशेष विधानसभा सत्र बुलाया और दिसंबर 2011 में दिल्ली नगर निगम (संशोधन) विधेयक पारित किया।
- त्रि विभाजन के लिये अंतिम अधिसूचना जनवरी 2012 में जारी की गई, जिसके अंतर्गत उत्तर और दक्षिण नगर निगम को 104 वार्ड तथा पूर्वी दिल्ली नगर निगम को 64 वार्ड प्रदान किये गए।
- आवश्यकता:
- कई समस्याओं का सामना करना:
- तीन भागों में विभाजित एमसीडी को कई समस्याओं का सामना करना पड़ा जैसे कि सफाई कर्मचारियों (स्वीपर्स) के वेतन का भुगतान न करना, तीन नागरिक निकायों के बीच संपत्ति का असमान वितरण, अक्षम प्रबंधन और बढ़ता नुकसान आदि।
- असमान विभाजन:
- क्षेत्रीय विभाजन और प्रत्येक निगम की राजस्व-सृजन क्षमता के संदर्भ में तीनों नगर निगमों का विभाजन असमान था।
- परिणामस्वरूप तीनों निगमों के दायित्वों तथा उपलब्ध संसाधनों में बहुत अधिक अंतर था।
- अधिक अंतराल :
- समय के साथ यह अंतर बढ़ता गया तथा तीनों नगर निगमों की वित्तीय कठिनाइयों में वृद्धि होने लगी, जिससे वे अपने कर्मचारियों को समय पर वेतन एवं सेवानिवृत्ति लाभों का भुगतान करने में असमर्थ हो गए तथा इस प्रकार दिल्ली में नागरिक सेवाओं को बनाए रखने में गंभीर बाधाएँ उत्पन्न होने लगीं।
- कई समस्याओं का सामना करना:
नगर निगम:
- परिचय:
- भारत में नगर निगम दस लाख से अधिक लोगों की आबादी वाले किसी भी महानगर/शहर के विकास के लिये ज़िम्मेदार एक शहरी स्थानीय निकाय है।
- महानगर पालिका, नगर पालिका, नगर निगम, सिटी कारपोरेशन आदि इसके कुछ अन्य नाम हैं।
- राज्यों में नगर निगमों की स्थापना राज्य विधानसभाओं के अधिनियमों द्वारा तथा केंद्रशासित प्रदेशों में संसद के अधिनियमों के माध्यम से की जाती है।
- नगरपालिका अपने कार्यों के संचालन के लिये संपत्ति कर राजस्व पर अधिक निर्भर रहती है।
- भारत में पहला नगर निगम वर्ष 1688 में मद्रास में स्थापित किया गया तथा उसके बाद वर्ष 1726 में बॉम्बे और कलकत्ता में नगर निगम स्थापित किये गए।
- भारत में नगर निगम दस लाख से अधिक लोगों की आबादी वाले किसी भी महानगर/शहर के विकास के लिये ज़िम्मेदार एक शहरी स्थानीय निकाय है।
- नगर निगम के निर्माण की आवश्यकता:
- भारत के शहरों में बढ़ती आबादी और शहरीकरण ने स्वास्थ्य देखभाल, शिक्षा, आवास एवं परिवहन जैसी आवश्यक सामुदायिक सेवाएँ प्रदान करने हेतु राज्य सरकार से संपत्ति कर तथा निश्चित अनुदान एकत्र करने में सक्षम एक स्थानीय शासी निकाय की स्थापना की आवश्यकता को जन्म दिया है।
- संवैधानिक प्रावधान:
- भारत के संविधान में राज्य के नीति निदेशक सिद्धांतों में अनुच्छेद-40 को शामिल करने के अलावा स्थानीय स्वशासन की स्थापना के लिये कोई विशिष्ट प्रावधान नहीं किया गया था।
- 74वें संशोधन अधिनियम, 1992 ने संविधान में एक नया भाग IX-A सम्मिलित किया है, जो नगर पालिकाओं और नगर पालिकाओं के प्रशासन से संबंधित है।
- इसमें अनुच्छेद 243P से 243ZG शामिल हैं। इसने संविधान में एक नई बारहवीं अनुसूची भी जोड़ी। 12वीं अनुसूची में 18 मद शामिल हैं।
- संरचना:
- प्रत्येक नगरपालिका क्षेत्र को उस विशेष शहर की जनसंख्या के आधार पर वार्ड के रूप में ज्ञात भौगोलिक निर्वाचन क्षेत्रों में विभाजित किया जाता है।
- प्रत्येक वार्ड एक प्रतिनिधि का चुनाव करता है, जिसे उस वार्ड के निवासियों द्वारा चुना जाता है। वार्ड समिति के सदस्यों का चुनाव वयस्क मताधिकार के आधार पर पाँच वर्ष के लिये किया जाता है।
- एक पार्षद या नगरसेवक एक निश्चित वार्ड का चुना हुआ प्रतिनिधि होता है।
- नगर की जनसंख्या नगर निगम क्षेत्र में वार्डों की संख्या निर्धारित करती है। इसमें अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, वंचित वर्ग और महिलाओं के लिये सीटें आरक्षित होती हैं।
विगत वर्षों के प्रश्नभारत के संविधान के निम्नलिखित में से किस प्रावधान का शिक्षा पर प्रभाव है? (2012) 1. राज्य के नीति निर्देशक सिद्धांत नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 और 2 उत्तर: (d) |