मोरक्को और इज़राइल के सामान्य होते संबंध | 11 Dec 2020
चर्चा में क्यों?
हाल ही में मोरक्को और इज़राइल ने संयुक्त राज्य अमेरिका (USA) की मध्यस्थता में अपने संबंधों को सामान्य करने पर सहमति व्यक्त की है।
- संयुक्त अरब अमीरात, बहरीन (अब्राहम समझौता) और सूडान के बाद मोरक्को चौथा अरब देश है, जिसने पिछले चार महीनों में इज़राइल के साथ शत्रुता को समाप्त कर शांति के लिये कदम बढ़ाया है।
प्रमुख बिंदु:
समझौते की मुख्य विशेषताएँ:
- मोरक्को, इज़राइल के साथ पूर्ण राजनयिक संबंध स्थापित करेगा और आधिकारिक संपर्क फिर से शुरू करेगा, साथ ही वह रबात (मोरक्को की राजधानी) और तेल अवीव (इज़राइल का एक शहर) में अपने संपर्क कार्यालयों को फिर से खोल देगा ताकि दूतावासों की शुरुआत की जा सके और इज़राइल तथा मोरक्को की कंपनियों के मध्य आर्थिक सहयोग बढ़ाया जा सके।
- मोरक्को, इज़राइल के पर्यटकों के लिये मोरक्को से इज़राइल और इज़राइल से मोरक्को के लिये सीधी उड़ानों की सुविधा देना चाहता है।
- संयुक्त राज्य अमेरिका ने अपनी बहुकालीन नीति को बदल दिया है और पश्चिमी सहारा पर मोरक्को की संप्रभुता को मान्यता दे दी है।
- वर्ष 2007 के बाद से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UN Security Council), जिसमें संयुक्त राज्य अमेरिका एक वीटो-सक्षम स्थायी सदस्य है, ने मोरक्को और पोलिसारियो को "पारस्परिक रूप से स्वीकार्य राजनीतिक समाधान" के लिये पूर्व शर्त के बिना वार्ता में शामिल होने का आह्वान किया है जो पश्चिमी सहारा के लोगों के आत्मनिर्णय के लिये होगा। ”
लाभ:
- USA, ईरान के खिलाफ एकजुट मोर्चा खोलने और तेहरान के क्षेत्रीय प्रभाव को कम करने के प्रयासों में लगा हुआ है।
- इसे एक संप्रभु कदम माना जा सकता है और यह क्षेत्र में स्थिरता, समृद्धि एवं स्थायी शांति के लिये सार्वजनिक अनुसंधान सुनिश्चित करने में योगदान देगा।
- यह समझौता पश्चिम के साथ मोरक्को के जुड़ाव को और मज़बूत करेगा तथा इज़राइल के उस प्रयोजन को भी बढ़ावा देगा, जिसके चलते इसने फिलिस्तीनियों के साथ किसी भी प्रकार की प्रगति के अभाव में अफ्रीका एवं अरब जगत के उन देशों के साथ संबंध स्थापित करने को प्राथमिकता दी जो कि पूर्व में इसके प्रतिरोधी हुआ करते थे।
प्रतिक्रिया:
- फिलिस्तीन ने इस समझौते के संबंध में कहा है कि यह सामान्यीकरण तभी संभव है जब इज़राइल वर्ष 2002 की अरब शांति पहल के अनुसार, फिलिस्तीन और अरब भूमि पर से अपना कब्ज़ा खत्म कर लेगा।
- मिस्र और संयुक्त अरब अमीरात ने मोरक्को के फैसले का स्वागत किया है।
- मिस्र और इज़राइल ने वर्ष 1979 में एक शांति संधि पर हस्ताक्षर किये थे।
- पोलिसारियो मोर्चे ने USA की नीति में किये गए बदलाव पर 'अत्यधिक अफसोस" जताया है, जिसे उसने "अजीब लेकिन आश्चर्यजनक नहीं" कहा। उसका मानना है कि यह समझौता संघर्ष की वास्तविक स्थिति और पश्चिमी सहारा के लोगों के आत्मनिर्णय के अधिकार को नहीं बदलेगा।
पश्चिमी सहारा
- पश्चिमी सहारा एक रेगिस्तानी इलाका है, जो पूर्व में एक स्पेनिश उपनिवेश था और वर्ष 1975 में मोरक्को द्वारा इसे हड़प लिया गया था।
- यह इसकी स्वतंत्रता के समर्थक पोलिसारियो मोर्चा के नेतृत्व में मोरक्को और उसके स्वदेशी सहरावी लोगों के मध्य लंबे समय से चले आ रहे क्षेत्रीय विवाद का विषय रहा है।
- मोरक्को का कहना है कि यह सदैव उसके क्षेत्र का हिस्सा रहा है, जबकि अफ्रीकी संघ इसे एक स्वतंत्र राज्य के रूप में मान्यता देता है।
- वर्ष 1991 में संयुक्त राष्ट्र की युद्धविराम मध्यस्थता समझौते के कारण 16 वर्षों से चले आ रहे उग्रवाद का अंत तो हो गया परंतु स्वतंत्रता के लिये जनमत संग्रह हेतु किया गया वादा अभी पूर्ण होना बाकी है।
- USA ने मोरक्को और पोलिसारियो मोर्चे के मध्य संघर्ष विराम का समर्थन किया।
- नवंबर 2020 में पोलिसारियो उस समझौते से बाहर हो गया और उसने पुनः सशस्त्र संघर्ष की घोषणा कर दी।
- पश्चिमी सहारा पर संप्रभुता के लिये मोरक्को के दावे के संबंध में USA का समर्थन एक बड़ी बात है क्योंकि यह उन लोगों को निराश कर देगा जो दशकों से उस क्षेत्र की स्वतंत्रता की महत्त्वाकांक्षा रखते हैं।
आगे की राह:
- राष्ट्रपति जो बिडेन इस दुविधा में पड़ सकते हैं कि क्या पश्चिमी सहारा पर USA के समझौते को स्वीकार करना चाहिये, क्योंकि अब तक किसी अन्य पश्चिमी देश ने ऐसा कदम नहीं उठाया है।
- बिडेन को उम्मीद है कि वह USA की विदेश नीति में "अमेरिका फर्स्ट" की स्थिति को बदलेंगे। वह इज़राइल, अरब और मुस्लिम राष्ट्रों के मध्य "अब्राहम समझौते" के लक्ष्य को जारी रखेंगे।