शासन व्यवस्था
विधि अधिकारियों की नियुक्तियों में आरक्षण से अधिक योग्यता को प्राथमिकता
- 12 Dec 2023
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प्रिलिम्स के लिये:अनुच्छेद 16(4), भारत में आरक्षण, अनुच्छेद 16(1), समानता का अधिकार, अनुच्छेद 14, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अल्पसंख्यक, मद्रास उच्च न्यायालय, उबेरिमा फाइडेस, महाधिवक्ता मेन्स के लिये:आरक्षण नीति और सामाजिक समानता पर इसके निहितार्थ |
स्रोत: द हिंदू
चर्चा में क्यों?
हाल ही में मद्रास उच्च न्यायालय ने फैसला सुनाया कि विधि अधिकारियों की नियुक्ति में आरक्षण के नियम का पालन करने की आवश्यकता नहीं है।
- न्यायालय ने कहा कि ऐसी नियुक्तियों के लिये योग्यता ही एकमात्र मानदंड होनी चाहिये क्योंकि सरकार न्यायालयों के समक्ष अपने प्रतिनिधित्व के लिये केवल सबसे कुशल और सक्षम वकीलों को नियुक्त करने के लिये बाध्य है।
फैसले के मुख्य बिंदु क्या हैं?
- विधि अधिकारियों की नियुक्ति में महिलाओं, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अल्पसंख्यकों के लिये पारदर्शिता तथा पर्याप्त प्रतिनिधित्व पर ज़ोर देने वाली 2017 में दायर एक जनहित याचिका को खारिज़ करते हुए यह फैसला सुनाया गया।
- याचिकाकर्त्ता ने इस बात पर प्रकाश डाला कि मद्रास उच्च न्यायालय के विधि अधिकारियों की नियुक्ति ऊर्ध्वाधर और क्षैतिज आरक्षण प्रदान करने में विफल रही है।
- डिवीज़न बेंच ने कहा है कि एक वकील और उसके मुवक्किल के बीच का रिश्ता अत्यधिक विश्वास एवं भरोसे का होता है तथा यह उबेरिमा फाइड्स के सिद्धांत द्वारा शासित होता है।
- सरकार और विधि अधिकारियों के मध्य का रिश्ता पूरी तरह पेशेवर है, न कि मालिक और नौकर का।
- विधि अधिकारियों को किसी सिविल पद पर नियुक्त नहीं किया जाता है और न ही वे सरकार के कर्मचारी हैं। इसलिये यह नहीं माना जा सकता कि सरकार द्वारा विधि अधिकारियों की नियुक्ति करते समय आरक्षण प्रदान किया जाना आवश्यक है।
- न्यायालय ने सुझाव दिया कि आवेदनों के लिये निमंत्रण समावेशी होना चाहिये, ताकि सरकार विधिक अधिकारियों के रूप में अत्यधिक सक्षम और मेधावी वकीलों का चयन कर सके।
- उबेरिमा फाइड्स का सिद्धांत:
- उबेरिमा फाइड्स का सिद्धांत एक लैटिन वाक्यांश है जिसका अनुवाद "अत्यंत सद्भावना” (utmost good faith) है। इसमें वकील से ग्राहक के सर्वोत्तम हित में कार्य करने की अपेक्षा की जाती है।
सार्वजनिक रोज़गार में आरक्षण से संबंधित नियम/निर्णय क्या हैं?
- कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (DoPT) द्वारा वर्ष 2021 में जारी कार्यालय ज्ञापन के अनुसार, आरक्षण का नियम 45 दिनों से कम समय वाली नियुक्तियों को छोड़कर संविदात्मक और अस्थायी नियुक्तियों पर भी लागू किया जाना चाहिये।
- इंद्रा साहनी मामले, 1992 में सर्वोच्च न्यायालय ने निर्णय सुनाया कि कुछ सेवाओं और पदों के लिये आरक्षण प्रदान करना कर्त्तव्यों के प्रदर्शन के लिये उचित नहीं हो सकता है।
- विधिक अधिकारी का पद एक ऐसा पद है जिसे आरक्षण के नियम से मुक्त रखा जाना चाहिये।
- वर्ष 2022 में न्यायमूर्ति नागेश्वर राव, संजीव खन्ना और बी.आर. गवई ने एक निर्णय में इस बात पर ज़ोर दिया कि राज्य सरकारों को SC और ST से संबंधित उम्मीदवारों की पदोन्नति के लिये आरक्षण नीतियों को उचित ठहराने हेतु आकलन योग्य डेटा प्रदान करना चाहिये।
- न्यायालय ने राज्य प्राधिकारियों को SC/ST उम्मीदवारों को बढ़ावा देने के अपने निर्णयों का एक ठोस और आकलन योग्य साक्ष्य के साथ समर्थन करने की आवश्यकता को बरकरार रखा।
- भारत में आरक्षण को नियंत्रित करने वाले संवैधानिक प्रावधान:
- संविधान के अनुच्छेद 15(4) और 16(4) राज्य तथा केंद्र सरकारों को SC एवं ST के सदस्यों के लिये सरकारी सेवाओं में सीटें आरक्षित करने में सक्षम बनाते हैं।
- संविधान के 81वें संशोधन अधिनियम, 2000 में अनुच्छेद 16 (4B) शामिल किया गया, जो राज्य को एक वर्ष की अधूरी रिक्तियों को भरने में सक्षम बनाता है जो कि अगले वर्ष में SC/ST के लिये आरक्षित हैं, जिससे उस वर्ष रिक्तियों की कुल संख्या पर 50% आरक्षण की सीमा समाप्त हो जाती है।
- संविधान के अनुच्छेद 335 में कहा गया है कि प्रशासन कार्यपटुता बनाए रखने की भावना के अनुसार अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जातियों के सदस्यों के दावों का ध्यान रखेगा।
- महाधिवक्ता:
- भारत के संविधान के अनुच्छेद 165 के तहत प्रत्येक राज्य का राज्यपाल, उच्च न्यायालय का न्यायाधीश नियुक्त होने के लिये अर्हित किसी व्यक्ति को राज्य का महाधिवक्ता नियुक्त करेगा।
- भारत में महाधिवक्ता राज्य का उच्च विधि अधिकारी होता है।
- उसके पास राज्य के भीतर किसी भी न्यायालय में खुद को पेश करने का पूर्ण अधिकार है।
- उसके पास राज्य विधानमंडल अथवा राज्य विधानमंडल द्वारा शुरू की गई किसी भी समिति की कार्यवाही में मतदान के विशेषाधिकार का अभाव है। हालाँकि उसके पास बोलने तथा इन कार्यवाहियों में भाग लेने का अधिकार बरकरार है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2022)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a)केवल 1 उत्तर: d मेन्स:प्रश्न. क्या राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग (NCSC) धार्मिक अल्पसंख्यक संस्थानों में अनुसूचित जातियों के लिये संवैधानिक आरक्षण के क्रियान्वयन का प्रवर्तन करा सकता है? परीक्षण कीजिये। (2018) |