शासन व्यवस्था
मेकेदातु परियोजना
- 05 Jun 2023
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प्रिलिम्स के लिये:मेकेदातु परियोजना, कावेरी और उसकी सहायक नदी अर्कावती, कावेरी जल विवाद न्यायाधिकरण, राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड (NBWL), केंद्रीय जल आयोग (CWC) मेन्स के लिये:अंतर-राज्यीय जल विवाद, अंतर-राज्यीय जल विवादों को सुलझाने में कूटनीति, जल प्रशासन |
चर्चा में क्यों?
कर्नाटक विधानसभा ने मेकेदातु पेयजल और संतुलन जलाशय परियोजना (Mekedatu Drinking Water and Balancing Reservoir Project) के लिये मंज़ूरी का अनुरोध करते हुए सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव अपनाया है।
- यह संकल्प परियोजना के लिये तमिलनाडु के विरोध के जवाब में था।
मेकेदातु पेयजल:
- परिचय:
- मेकेदातु परियोजना एक बहुउद्देशीय परियोजना है जिसमें कर्नाटक के रामनगर ज़िले में कनकपुरा के पास एक संतुलन जलाशय का निर्माण शामिल है।
- मेकेदातु (जिसका अर्थ है बकरी की छलांग) कावेरी और उसकी सहायक अर्कावती नदियों के संगम पर स्थित एक गहरी खाई है।
- इसका प्राथमिक उद्देश्य बंगलूरू और पड़ोसी क्षेत्रों में कुल 4.75 TMC पेयजल उपलब्ध कराना और 400 मेगावाट बिजली पैदा करना है।
- परियोजना के लाभ:
- पानी की कमी और भूजल पर निर्भरता का सामना कर रहे बंगलूरू तथा इसके आसपास के क्षेत्रों में पीने के पानी की बढ़ती मांग को पूरा करना।
- 400 मेगावाट जलविद्युत शक्ति उत्पन्न करके नवीकरणीय ऊर्जा का उपयोग करना।
- अक्षय ऊर्जा उत्पादन में योगदान और कार्बन उत्सर्जन को कम करना।
- बाढ़ और सूखे को रोकने के लिये पानी के प्रवाह को विनियमित करना, किसानों तथा समुदायों को लाभ पहुँचाना।
- वर्तमान स्थिति:
- कर्नाटक ने तमिलनाडु की सहमति प्राप्त नहीं की है, जो कि अनिवार्य है।
- यह परियोजना अभी भी अपने प्रारंभिक चरण में है एवं इसने केंद्रीय जल आयोग (Central Water Commission- CWC), पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) तथा राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड (National Board for Wildlife (NBWL- NBWL) के अधिकारियों से आवश्यक मंज़ूरी एवं अनुमोदन प्राप्त नहीं किया है।
- तमिलनाडु द्वारा विरोध:
- तमिलनाडु राज्य का तर्क है कि मेकेदातु बाँध नीचे की ओर जल प्रवाह को काफी कम कर देगा, जिससे राज्य की कृषि गतिविधियों और जल आपूर्ति पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
- कावेरी नदी तमिलनाडु राज्य हेतु महत्त्वपूर्ण जल स्रोत है, जो इसके कृषक समुदायों की सहायता करती है और इसके निवासियों की पेयजल आवश्यकताओं को पूरा करती है।
- राज्य का दावा है कि यह परियोजना कावेरी जल विवाद अधिकरण (Cauvery Water Disputes Tribunal- CWDT) के अंतिम फैसले का उल्लंघन करती है, जिसमें तमिलनाडु राज्य सहित प्रत्येक संबंधित राज्य को जल का एक विशिष्ट हिस्सा आवंटित किया गया था।
कावेरी नदी विवाद:
- कावेरी नदी (कावेरी):
- तमिल भाषा में इसे 'पोन्नी' के नाम से भी जाना जाता है और यह दक्षिण भारत की चौथी सबसे बड़ी नदी है।
- यह दक्षिण भारत की एक पवित्र नदी है। इसका उद्गम दक्षिण-पश्चिमी कर्नाटक राज्य के पश्चिमी घाटों में स्थित ब्रह्मगिरि पहाड़ी से होता है तथा यह कर्नाटक एवं तमिलनाडु राज्यों से होती हुई दक्षिण-पूर्व दिशा में बहती है और एक शृंखला बनाती हुई पूर्वी घाटों में उतरती है, इसके बाद पुद्दुचेरी होती हुई बंगाल की खाड़ी में गिरती है।
- बाएँ किनारे की सहायक नदियाँ: अर्कवती, हेमवती, शिमसा और हरंगी।
- दाहिने किनारे की सहायक नदियाँ: लक्ष्मणतीर्थ, सुवर्णवती, नोयिल, भवानी, काबिनी और अमरावती।
- विवाद:
- ऐतिहासिक पृष्ठभूमि:
- चूँकि इस नदी का उद्गम कर्नाटक से होता है और केरल से आने वाली प्रमुख सहायक नदियों के साथ यह तमिलनाडु से होकर बहती है तथा पुद्दुचेरी से होते हुए बंगाल की खाड़ी में गिरती है, इसलिये इस विवाद में 3 राज्य और एक केंद्रशासित प्रदेश शामिल हैं।
- विवाद की उत्पत्ति 150 वर्ष पुरानी है तथा वर्ष 1892 और 1924 में तत्कालीन मद्रास प्रेसीडेंसी एवं मैसूर के बीच मध्यस्थता के दो समझौहे हुए।
- इसने इस सिद्धांत को लागू किया कि ऊपरी तटवर्ती राज्य को किसी भी निर्माण गतिविधि के लिये निचले तटवर्ती राज्य की सहमति प्राप्त करनी होगी जैसे कावेरी नदी पर जलाशय।
- कर्नाटक और तमिलनाडु के बीच कावेरी जल विवाद वर्ष 1974 में शुरू हुआ जब कर्नाटक ने तमिलनाडु की सहमति के बिना जलधारा को मोड़ना शुरू कर दिया।
- कई वर्षों के बाद इस मुद्दे को हल करने के लिये वर्ष 1990 में कावेरी जल विवाद न्यायाधिकरण (CWDT) की स्थापना की गई। CWDT को वर्ष 2007 में अंतिम आदेश तक पहुँचने में 17 वर्ष लग गए, जिसमें चार तटीय राज्यों के बीच कावेरी जल के बँटवारे को रेखांकित किया गया था। संकट के वर्षों के दौरान जल को आनुपातिक आधार पर साझा किया जाएगा।
- वर्ष 2018 में सर्वोच्च न्यायालय ने कावेरी को एक राष्ट्रीय संपत्ति घोषित किया और CWDT द्वारा निर्धारित जल-बँटवारे की व्यवस्था को बड़े पैमाने पर बरकरार रखा।
- इसने केंद्र को कावेरी प्रबंधन योजना को अधिसूचित करने का भी निर्देश दिया। केंद्र सरकार ने जून 2018 में 'कावेरी जल प्रबंधन प्राधिकरण' और 'कावेरी जल नियमन समिति' का गठन करते हुए 'कावेरी जल प्रबंधन योजना' अधिसूचित की।
- ऐतिहासिक पृष्ठभूमि:
आगे की राह
- संयुक्त नदी कायाकल्प:
- प्रदूषण और आवास क्षरण को ध्यान में रखते हुए पूरी कावेरी नदी को बहाल करने हेतु एक सहयोगी पहल की शुरुआत की जानी चाहिये।
- पर्यावरण के अनुकूल डिज़ाइन:
- मेकेदातु परियोजना को पर्यावरण के अनुकूल सुविधाओं और न्यूनतम पर्यावरणीय प्रभाव के साथ फिर से डिज़ाइन करना चाहिये।
- नदी के प्राकृतिक प्रवाह और आसपास के पारिस्थितिकी तंत्र में न्यूनतम व्यवधान सुनिश्चित करने हेतु नवीन इंजीनियरिंग समाधानों का अन्वेषण करना।
- मेकेदातु परियोजना को पर्यावरण के अनुकूल सुविधाओं और न्यूनतम पर्यावरणीय प्रभाव के साथ फिर से डिज़ाइन करना चाहिये।
- सांस्कृतिक आदान-प्रदान:
- कर्नाटक और तमिलनाडु दोनों की साझा सांस्कृतिक विरासत तथा परंपराओं का जश्न मनाने हेतु सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन करते हैं, जो एकता एवं आपसी सम्मान की भावना को बढ़ावा देते हैं, राज्यों के बीच बंधन को मज़बूत करने और विवाद को सुलझाने के लिये अनुकूल वातावरण बनाने में मदद करते हैं।
- रीयल-टाइम मॉनीटरिंग और डेटा शेयरिंग:
- यह जल स्तर, वर्षा प्रणाली और नदी के प्रवाह की वास्तविक समय की निगरानी के लिये एक मज़बूत प्रणाली लागू करता है। इस डेटा को सूचित निर्णय लेने और विश्वास को बढ़ावा देने के लिये राज्यों के बीच पारदर्शी रूप से साझा किया जाना चाहिये।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. निम्नलिखित में से कौन-सा ‘संरक्षित क्षेत्र’ कावेरी बेसिन में स्थित है? (2020)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 और 2 उत्तर: c मेन्स:प्रश्न. अंतर-राज्यीय जल विवादों का समाधान करने में सांविधानिक प्रक्रियाएँ समस्याओं को संबोधित करने व हल करने में असफल रहीं हैं। क्या यह असफलता संरचनात्मक अथवा प्रक्रियात्मक अपर्याप्तता अथवा दोनों के कारण हुई है? विवेचना कीजिये। (2013) |