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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

आईएमसीजी की बैठक

  • 13 Apr 2022
  • 10 min read

प्रिलिम्स के लिये:

नेबरहुड फर्स्ट नीति, सार्क, क्वाड

मेन्स के लिये:

नेबरहुड फर्स्ट नीति और चुनौतियाँ, भारत की 'नेबरहुड फर्स्ट नीति का महत्त्व 

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में भारत के विदेश सचिव द्वारा सचिव स्तर पर अंतर-मंत्रिस्तरीय समन्वय समूह  (Inter-Ministerial Coordination Group- IMCG) की पहली बैठक बुलाई गई।

  • IMCG को भारत की ‘नेबरहुड फर्स्ट नीति’ के दृष्टिकोण को मुख्यधारा में लाने की दिशा में एक उच्च-स्तरीय तंत्र के रूप में स्थापित किया गया है, जिसका बल भारत के पड़ोसी देशों के साथ बेहतर संबंध विकसित करने पर है।
  • IMCG को विदेश मंत्रालय में संयुक्त सचिवों द्वारा बुलाई गई अंतर-मंत्रालयी संयुक्त कार्य बल (Joint Task Forces- JTF) द्वारा समर्थित किया जाता है।

प्रमुख बिंदु 

बैठक की मुख्य विशेषताएंँ:

  • बैठक के बारे में:
    • IMCG ने बेहतर कनेक्टिविटी, मज़बूत इंटरलिंकेज और पड़ोसी देशों के नागरिकों के मध्य  मज़बूत जुड़ाव को बढ़ावा देने हेतु एक संपूर्ण सरकारी दृष्टिकोण के साथ व्यापक दिशा प्रदान की।
    • बैठक का फोकस सीमा अवसंरचना का निर्माण करना था जो नेपाल जैसे पड़ोसी देशों के साथ अधिक व्यापार की सुविधा प्रदान करने, आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति के मामले में भूटान और मालदीव जैसे देशों की विशेष ज़रूरतों को पूरा करने,  बांग्लादेश के साथ रेल संपर्क खोलने, अफगानिस्तान और म्याँमार को मानवीय सहायता प्रदान करने तथा श्रीलंका के साथ मत्स्य पालन के मुद्दे पर केंद्रित था।
  • महत्त्व:
    • IMCG देशों की सरकारों के मध्य संस्थागत समन्वय में और अधिक सुधार करेगा तथा अपने पड़ोसी देशों के साथ भारत के संबंधों के लिये इस पूरे सरकारी दृष्टिकोण को व्यापक दिशा प्रदान करेगा।

नेबरहुड फर्स्ट नीति’ विज़न का उद्देश्य:

  • कनेक्टिविटी:
    • भारत द्वारा दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संघ (सार्क) के सदस्यों के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये गए हैं। ये समझौते सीमाओं के पार संसाधनों, ऊर्जा, माल, श्रम और सूचना के मुक्त प्रवाह को सुनिश्चित करते हैं।
  • पड़ोसी देशों के साथ संबंधों में सुधार:
    • भारत की प्राथमिकता तत्काल पड़ोसी देशों के साथ संबंधों में सुधार करना है क्योंकि विकास के एजेंडे को साकार करने के लिये दक्षिण एशिया में शांति आवश्यक है।
  • संवाद:
    • यह पड़ोसी देशों के साथ जुड़कर और बातचीत के माध्यम से राजनीतिक संबंधों का निर्माण करके मज़बूत क्षेत्रीय कूटनीति पर ध्यान केंद्रित करता है।
  • द्विपक्षीय विवादों का समाधान:
    • नीति आपसी समझौते के माध्यम से द्विपक्षीय मुद्दों को हल करने पर केंद्रित है।
  • आर्थिक सहयोग:
    • यह पड़ोसियों के साथ व्यापार संबंधों को बढ़ाने पर केंद्रित है। भारत इस क्षेत्र में विकास के एक माध्यम के रूप में सार्क में शामिल हुआ है और इसमें निवेश किया है। 
      • 'ऊर्जा विकास के लिये ऐसा ही एक उदाहरण बांग्लादेश-भूटान-भारत-नेपाल (Bangladesh-Bhutan-India-Nepal- BBIN) समूह अर्थात् मोटर वाहन, जलशक्ति प्रबंधन और इंटर-ग्रिड कनेक्टिविटी है।
  • आपदा प्रबंधन: 
    • यह नीति आपदा प्रतिक्रिया, संसाधन प्रबंधन, मौसम पूर्वानुमान और संचार पर सहयोग करने तथा सभी दक्षिण एशियाई नागरिकों हेतुआपदा प्रबंधन में क्षमताओं एवं विशेषज्ञता पर भी ध्यान केंद्रित करती है।
  • सैन्य और रक्षा सहयोग:
    • भारत विभिन्न रक्षा अभ्यासों के आयोजन में भाग लेकर सैन्य सहयोग के माध्यम से क्षेत्र में सुरक्षा सुनिश्चित करने पर भी ध्यान केंद्रित कर रहा है।

नेबरहुड फर्स्ट नीति से संबंधित मुद्दे

  • चीन का बढ़ता दबाव:
    • भारत की ‘नेबरहुड फर्स्ट नीति’ एक सार्थक दिशा प्रदान करने में विफल रही है और बढ़ते चीनी दबाव ने देश को इस क्षेत्र में सहयोगी पक्षों का समर्थन प्राप्त करने से रोक दिया है।
  • घरेलू मामलों में हस्तक्षेप:
    • भारत अपने पड़ोसी देशों विशेषकर नेपाल के घरेलू मामलों में उसकी संप्रभुता में हस्तक्षेप कर रहा है।
    • भारत, नेपाल के अंदर और बाहर मुक्त पारगमन व मुक्त व्यापार में भी बाधा उत्पन्न कर रहा है तथा अपने लोगों और सरकार पर दबाव बनाता रहता है।
  • सैन्य उपायों पर ध्यान केंद्रित करना:
    • भारत सामाजिक तत्त्वों के बजाय सैन्य उपायों पर ध्यान केंद्रित कर रहा है, इसने पूरे क्षेत्र में तनाव बढ़ाने में मदद की है, जिससे भारत विरोधी भावना में वृद्धि हो रही है।
  • भारत की घरेलू राजनीति का प्रभाव:
    • भारत की घरेलू नीतियाँ मुस्लिम-बहुल देश बांग्लादेश में समस्याएँ पैदा कर रही हैं, जो यह दर्शाता है कि भारत की नेबरहुड फर्स्ट नीति को बांग्लादेश जैसे मैत्रीपूर्ण क्षेत्रों में भी गंभीर चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।
    • कई बांग्लादेशी वर्तमान में भारत के राजनीतिक नेतृत्व को इस्लामोफोबिक या इस्लाम विरोधी मानते हैं।
  • पश्चिम की ओर भारत के झुकाव का प्रभाव:
    • भारत विशेष रूप से क्वाड और अन्य बहुपक्षीय तथा लघु-पार्श्व पहलों के माध्यम से पश्चिम के साथ करीबी संबंध स्थापित कर रहा है।
    • लेकिन पश्चिम के साथ श्रीलंका के संबंध अच्छी दिशा में नहीं बढ़ रहे हैं क्योंकि देश की वर्तमान सरकार को मानवाधिकारों के मुद्दों और स्वतंत्रता पर पश्चिमी देशों से बढ़ती आलोचना का सामना करना पड़ रहा है।
    • नतीजतन, श्रीलंका ने चीन के साथ अपने संबंधों को मज़बूत करना शुरू कर दिया है, जिससे यह संभावना बढ़ गई है कि भारत-श्रीलंका के संबंध किसी समय खराब हो सकते हैं।

आगे की राह

  • भारत की नेबरहुड फर्स्ट नीति गुजराल सिद्धांतों पर आधारित होनी चाहिये।
    • इससे यह सुनिश्चित होगा कि भारत के कद और ताकत को उसके पड़ोसियों के साथ उसके संबंधों की गुणवत्ता से अलग नहीं किया जा सकता है तथा उनका क्षेत्रीय विकास भी हो सकता है।
  • भारत की क्षेत्रीय आर्थिक और विदेश नीति को एकीकृत करना एक बड़ी चुनौती बनी हुई है।
  • इसलिये भारत को छोटे आर्थिक हितों के लिये पड़ोसियों के साथ द्विपक्षीय संबंधों से समझौता करने का विरोध करना चाहिये।
  • क्षेत्रीय संपर्क को अधिक मज़बूती के साथ आगे बढ़ाया जाना चाहिये, जबकि सुरक्षा चिंताओं को लागत प्रभावी, कुशल और विश्वसनीय तकनीकी उपायों के माध्यम से संबोधित किया जाता रहा है जो दुनिया के अन्य हिस्सों में उपयोग में हैं।

यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्षों के प्रश्न (PYQs):

प्रश्न. कभी-कभी समाचारों में आने वाले 'वेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव' किसके मामलों के संदर्भ में आता है? (2016) 

(a) अफ्रीकी संघ
(b) ब्राज़ील
(c) यूरोपीय संघ
(d) चीन

उत्तर: (d) 

स्रोत: द हिंदू

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