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चिकित्सा उपकरण पार्क योजना

  • 25 Sep 2021
  • 6 min read

प्रिलिम्स के लिये:

चिकित्सा उपकरण पार्क योजना

मेन्स के लिये:

चिकित्सा उपकरण पार्क योजना और चिकित्सा क्षेत्र से संबंधित मुद्दे  

चर्चा में क्यों?

हाल ही में रसायन और उर्वरक मंत्रालय ने आत्मनिर्भर भारत के अनुरूप चिकित्सा उपकरण उद्योग का समर्थन करने के लिये "चिकित्सा उपकरण पार्कों को बढ़ावा देने" ("Promotion of Medical Device Parks") की योजना प्रारंभ की है।

प्रमुख बिंदु 

  • चिकित्सा उपकरण उद्योग के बारे में:
    • चिकित्सा उपकरण उद्योग इंजीनियरिंग और चिकित्सा का एक अनूठा मिश्रण है। इसमें मशीनों का निर्माण करना शामिल है जिनका उपयोग जीवन बचाने के लिये किया जाता है।
      • चिकित्सा उपकरणों में सर्जिकल उपकरण, डायग्नोस्टिक उपकरण जैसे- कार्डिएक इमेजिंग, सीटी स्कैन, एक्स-रे, मॉलिक्यूलर इमेजिग, एमआरआई और हाथ से प्रयोग किये जाने वाले उपकरणों सहित लाइफ सपोर्ट इक्विपमेंट जैसे- वेंटिलेटर आदि के साथ-साथ इम्प्लांट्स एवं डिस्पोज़ल तथा अल्ट्रासाउंड इमेजिंग शामिल हैं।
  • उद्देश्य:
    • चिकित्सा उपकरण पार्कों के माध्यम से विश्व स्तरीय सामान्य बुनियादी सुविधाओं के निर्माण द्वारा मानक परीक्षण और बुनियादी सुविधाओं तक आसान पहुँच।
    • चिकित्सा उपकरणों के उत्पादन की लागत को कम करना और घरेलू बाज़ार में चिकित्सा उपकरणों की बेहतर उपलब्धता तथा क्षमता को बढ़ाना।
  • वित्तीय सहायता:
    • योजना का कुल वित्तीय परिव्यय 400 करोड़ रुपए है और योजना का कार्यकाल वित्त वर्ष 2020-2021 से वित्त वर्ष 2024-2025 तक है।
    • चयनित चिकित्सा उपकरण पार्कों के लिये वित्तीय सहायता सामान्य बुनियादी सुविधाओं की परियोजना लागत का 70% होगी।
      • उत्तर-पूर्वी राज्यों और पहाड़ी राज्यों के मामले में यह वित्तीय सहायता परियोजना लागत का 90% होगी।
    • एक चिकित्सा उपकरण पार्क के लिये योजना के तहत अधिकतम सहायता 100 करोड़ रुपए तक होगी।
    • केंद्र सरकार ने हिमाचल प्रदेश, तमिलनाडु, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में पार्कों के निर्माण के लिये सैद्धांतिक मंज़ूरी दे दी है। 
  • भारत में चिकित्सा उपकरण क्षेत्र:
    • भारत में चिकित्सा उपकरण उद्योग 5.2 बिलियन अमेरिकी डॉलर का है, जो 96.7 बिलियन अमेरिकी डॉलर के भारतीय स्वास्थ्य उद्योग में लगभग 4-5% का योगदान देता है।
    • भारत में चिकित्सा उपकरणों का क्षेत्र अन्य विनिर्माण उद्योग की तुलना में आकार में बहुत छोटा है, हालाँकि भारत दुनिया में चिकित्सा उपकरणों के लिये शीर्ष बीस बाज़ारों में से एक है और जापान, चीन एवं कोरिया के बाद एशिया में चौथा सबसे बड़ा बाज़ार है।
    • भारत वर्तमान में 15 बिलियन अमेरिकी डॉलर के बाज़ार के 80-90% चिकित्सा उपकरणों का आयात करता है।
      • भारत को उच्च प्रौद्योगिकी चिकित्सा उपकरणों के पाँच सबसे बड़े निर्यातकों में  अमेरिका, जर्मनी, चीन, जापान और सिंगापुर शामिल हैं।
  • संबंधित पहलें:
    • जून 2021 में क्वालिटी काउंसिल ऑफ इंडिया (QCI) और एसोसिएशन ऑफ इंडियन मैन्युफैक्चरर्स ऑफ मेडिकल डिवाइसेस (AiMeD) ने चिकित्सा उपकरणों की गुणवत्ता, सुरक्षा एवं प्रभावकारिता का सत्यापन करने के लिये भारतीय चिकित्सा उपकरणों की प्रमाणन (ICMED) 13485 प्लस योजना शुरू की। .
    • चिकित्सा उपकरणों के घरेलू निर्माण को बढ़ावा देने और भारत में भारी निवेश को आकर्षित करने के लिये फार्मास्युटिकल विभाग ने वित्त वर्ष 2021-28 की अवधि हेतु 3,420 करोड़ रुपए के कुल परिव्यय के साथ चिकित्सा उपकरणों के घरेलू निर्माण के लिये एक उत्पादन आधारित प्रोत्साहन (Production Linked Incentives- PLI)  शुरू किया है।
    • स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने अधिसूचित किया है कि चिकित्सा उपकरण 1 अप्रैल, 2020 से औषधि और प्रसाधन सामग्री अधिनियम (डी एंड सीए), 1940 की धारा 3 के तहत 'दवाओं' के रूप में जाने जाएंगे।
    • चिकित्सा उपकरण पार्क आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु और केरल में स्थापित किये गए हैं।
      • वर्ष 2020 में केरल ने तिरुवनंतपुरम में देश के पहले चिकित्सा उपकरण पार्कों में से एक मेडस्पार्क की स्थापना की।
    • भारत सरकार ने 2014 में 'मेक इन इंडिया' अभियान के तहत चिकित्सा उपकरणों को एक सनराइज़ क्षेत्र के रूप में मान्यता दी।

स्रोत: द हिंदू  

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