अंतर्राष्ट्रीय संबंध
दक्षिण कोरिया में मार्शल लॉ
- 18 Jan 2025
- 15 min read
प्रिलिम्स के लिये:महाभियोग, राष्ट्रपति, मार्शल लॉ , राष्ट्रीय आपातकाल, अनुच्छेद 34 मेन्स के लिये:भारत में मार्शल लॉ, मार्शल लॉ बनाम राष्ट्रीय आपातकाल, भारत और दक्षिण कोरिया संबंध |
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
चर्चा में क्यों?
15 जनवरी 2025 को दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति यूं सुक-योल को महाभियोग के तहत गिरफ़्तार किया गया। दिसंबर 2024 में मार्शल लॉ की उनकी घोषणा से देश में राजनीतिक उथल-पुथल को और बढ़ावा मिला।
- यद्यपि एक दिन बाद मार्शल लॉ हटा लिया गया लेकिन जन आक्रोश, बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन और त्वरित विधायी कार्रवाई के कारण उन पर महाभियोग चलाया गया।
नोट: भारत के राष्ट्रपति पर संविधान का उल्लंघन करने के लिये महाभियोग लगाया जा सकता है जिसके लिये संसद के दोनों सदनों में दो-तिहाई बहुमत की आवश्यकता होती है।
दक्षिण कोरिया के लोकतंत्र का इतिहास
- उपनिवेशवाद और कोरिया का विभाजन (1910-1945):
- कोरिया ने वर्ष 1910 से 1945 तक जापान के अधीन क्रूर औपनिवेशिक शासन का सामना किया।
- द्वितीय विश्व युद्ध के बाद, प्रायद्वीप को सोवियत-नियंत्रित उत्तर कोरिया और अमेरिका-नियंत्रित दक्षिण कोरिया के बीच 38वें समानांतर रेखा पर दो क्षेत्रों में विभाजित किया गया था।
- री सिंगमैन की निरंकुशता (1948-1960): री सिंगमैन, अमेरिका द्वारा समर्थित, वर्ष 1948 में दक्षिण कोरिया के पहले राष्ट्रपति बने।
- उनका प्रशासन निरंकुशता और दमन से भरा हुआ था, जब तक कि अप्रैल, 1960 में छात्रों के नेतृत्व में हुए विद्रोह के कारण उन्हें इस्तीफा नहीं देना पड़ा।
- सैन्य शासन: कोरिया गणराज्य की स्थापना के बाद से अब तक 16 बार मार्शल लॉ घोषित किया जा चुका है। इसे आखिरी बार वर्ष 1980 में घोषित किया गया था।
- लोकतांत्रिक परिवर्तन (1987 के बाद): वर्ष 1987 में हुए चुनावों के परिणामस्वरूप रोह ताए-वू राष्ट्रपति बने।
- फरवरी, 1988 तक दक्षिण कोरिया ने उदार लोकतंत्र स्थापित करने पर बल दिया।
मार्शल लॉ में क्या शामिल है?
- मार्शल लॉ (सैन्य शासन) से तात्पर्य ऐसी स्थिति से है जहाँ नागरिक प्रशासन, सैन्य अधिकारियों द्वारा सामान्य कानून से इतर बनाए गए अपने स्वयं के नियमों और विनियमों के अनुसार संचालित होता है।
- इस प्रकार इसका तात्पर्य सैन्य अधिकरणों द्वारा सामान्य कानून एवं प्रशासन का निलंबित होना है।
- यह सशस्त्र बलों पर लागू सैन्य कानून से अलग है।
- मार्शल लॉ लागू करना: यह कानून तब लागू किया जाता है जब सरकार को व्यापक नागरिक अशांति, प्राकृतिक आपदाओं या आक्रमण के खतरों का सामना करना पड़ता है।
- कानून के तहत नियंत्रण का दायरा: जब मार्शल लॉ लागू किया जाता है तो सैन्य प्राधिकारी द्वारा सामान्य नागरिक कार्यों के साथ-साथ राज्य की सुरक्षा का नियंत्रण भी अपने हाथ में ले लिया जाता है।
- इसमें स्वतंत्रता पर प्रतिबंध, कर्फ्यू और कानून प्रवर्तन एवं सार्वजनिक व्यवस्था में सैन्य भागीदारी भी शामिल है।
दक्षिण कोरिया का मार्शल लॉ भारत के मार्शल लॉ से किस प्रकार भिन्न है?
- दक्षिण कोरिया में मार्शल लॉ:
- घोषणा के लिये आवश्यक शर्तें: कोरिया गणराज्य के संविधान के अनुच्छेद 77 के अनुसार, युद्ध, सशस्त्र संघर्ष या इसी तरह की राष्ट्रीय आपात स्थिति के दौरान, जब सार्वजनिक सुरक्षा एवं व्यवस्था के लिये सैन्य बलों की आवश्यकता होती है, दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति द्वारा मार्शल लॉ घोषित किया जा सकता है।
- इससे सैन्य आवश्यकताओं से निपटने या राष्ट्रीय सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिये सैन्य बलों एकत्रित करने की अनुमति मिलती है।
- शक्तियों का दायरा: मार्शल लॉ वारंट, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, प्रेस, सभा और संघ जैसे अधिकारों के संबंध में विशेष उपाय करने की अनुमति देता है।
- संविधान मार्शल लॉ के तहत नियमित न्यायिक और कार्यकारी शक्तियों के निलंबन या परिवर्तन की अनुमति प्रदान करता है।
- घोषणा के लिये आवश्यक शर्तें: कोरिया गणराज्य के संविधान के अनुच्छेद 77 के अनुसार, युद्ध, सशस्त्र संघर्ष या इसी तरह की राष्ट्रीय आपात स्थिति के दौरान, जब सार्वजनिक सुरक्षा एवं व्यवस्था के लिये सैन्य बलों की आवश्यकता होती है, दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति द्वारा मार्शल लॉ घोषित किया जा सकता है।
- भारत में मार्शल लॉ:
- अनुच्छेद 34 के विषय में: भारत के राज्यक्षेत्र में किसी भी क्षेत्र में मार्शल लॉ लागू होने पर मौलिक अधिकारों पर प्रतिबंध लगाने का प्रावधान है।
- भारत में मार्शल लॉ की अवधारणा इंग्लिश कॉमन लॉ से लिया गया है। हालाँकि, संविधान में कहीं भी 'मार्शल लॉ' शब्द को परिभाषित नहीं किया गया है।
- अनुच्छेद 34 के तहत मार्शल लॉ की घोषणा अनुच्छेद 352 के तहत राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा से भिन्न है।
- अनुच्छेद 34 के विषय में: भारत के राज्यक्षेत्र में किसी भी क्षेत्र में मार्शल लॉ लागू होने पर मौलिक अधिकारों पर प्रतिबंध लगाने का प्रावधान है।
- मार्शल लॉ के दौरान की गई कार्रवाइयों के लिये क्षतिपूर्ति:
- अनुच्छेद 34 संसद को किसी सरकारी कर्मचारी या किसी अन्य व्यक्ति को किसी ऐसे क्षेत्र में, जहाँ मार्शल लॉ लागू हो, व्यवस्था बनाए रखने या बहाल करने के संबंध में उसके द्वारा किये गए किसी कार्य के लिये क्षतिपूर्ति देने का अधिकार देता है।
- संसद ऐसे क्षेत्र में मार्शल लॉ के तहत पारित किसी भी सजा, दिये गए दंड, जब्ती के आदेश या किये गए अन्य कार्य को भी वैध बना सकती है।
- संसद द्वारा पारित क्षतिपूर्ति अधिनियम को किसी भी मूल अधिकार के उल्लंघन के आधार पर किसी भी न्यायालय में चुनौती नहीं दी जा सकती।
- लागू करने की शर्तें:
- संविधान में ऐसा कोई विशिष्ट प्रावधान भी नहीं है जो कार्यपालिका को मार्शल लॉ घोषित करने का अधिकार देता हो।
- मार्शल लॉ युद्ध, आक्रमण, बगावत, विद्रोह या कानून के प्रति किसी भी हिंसक प्रतिरोध जैसी असाधारण परिस्थितियों में लगाया जा सकता है।
- शक्तियों का दायरा:
- मार्शल लॉ के दौरान, सैन्य अधिकारियों को सभी आवश्यक कदम उठाने के लिये असामान्य शक्तियाँ प्रदान की जाती हैं।
- सर्वोच्च न्यायालय ने माना कि मार्शल लॉ की घोषणा से स्वतः ही बंदी प्रत्यक्षीकरण रिट निलंबित नहीं हो जाती ।
मार्शल लॉ बनाम राष्ट्रीय आपातकाल
मार्शल लॉ |
राष्ट्रीय आपातकाल |
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
भारत और कोरिया गणराज्य के संबंध कैसे रहे हैं?
- राजनयिक संबंध:
- भारत-कोरिया गणराज्य (ROK) के बीच राजनयिक संबंध वर्ष 1973 में स्थापित हुए । साथ ही वाणिज्य दूतावास संबंध वर्ष 1962 में स्थापित हुए।
- दोनों देशों ने वर्ष 2010 में एक “रणनीतिक साझेदारी” का गठन किया, जिसे वर्ष 2015 में “विशेष रणनीतिक साझेदारी” में परिवर्तित कर दिया गया।
- ऐतिहासिक संबंध:
- 13 वीं शताब्दी के कोरियाई ऐतिहासिक ग्रंथ के अनुसार राजकुमारी सुरीरत्ना (अयोध्या) ने राजा किम-सुरो से विवाह किया , जिससे कोरिया के साथ पैतृक संबंध स्थापित हुए।
- नोबेल पुरस्कार विजेता रवींद्रनाथ टैगोर ने 'लैंप ऑफ द ईस्ट' शीर्षक से एक लघु कविता की रचना की थी, जिसका कोरियाई लोग प्रेमपूर्वक स्मरण करते हैं और कोरिया के वियालयों की पाठ्यपुस्तकों में इसका उल्लेख मिलता है।
- कोरियाई युद्ध में भारत की भूमिका: 1945 में कोरिया की स्वतंत्रता के बाद भारत ने कोरियाई प्रायद्वीप में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
- पूर्व भारतीय राजनयिक श्री के.पी.एस. मेनन ने कोरिया में चुनावों की देखरेख के लिये 1947 में स्थापित संयुक्त राष्ट्र (UN) आयोग के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया।
- युद्ध के समय, भारत ने संघर्ष के दौरान चिकित्सा सहायता प्रदान करने के लिये एक सेना चिकित्सा इकाई, 60वीं पैराशूट फील्ड एम्बुलेंस भेजी थी।
- इसके अतिरिक्त, दोनों युद्धरत पक्षों ने भारत द्वारा प्रायोजित संयुक्त राष्ट्र प्रस्ताव को स्वीकार किया था, जिसके परिणामस्वरूप 1953 में युद्ध विराम की घोषणा हुई।
- भारत ने कोरिया में कस्टोडियन फोर्सेज़-इंडिया (CFI) नामक एक ब्रिगेड ग्रुप भेजा, जिसने युद्धबंदियों के मुद्दे का समाधान करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
- आर्थिक संबंध:
- वर्ष 2010 में व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौते (CEPA) के कार्यान्वयन के बाद व्यापार और आर्थिक संबंधों में तेज़ी से सुधार हुआ।
- वर्ष 2023 में दोनों देशों का द्विपक्षीय व्यापार 24.4 बिलियन अमरीकी डॉलर था।
- भारत का आयात 17.9 बिलियन अमेरिकी डॉलर था जबकि निर्यात 6.7 बिलियन अमेरिकी डॉलर था।
- जून 2023 तक भारत में कोरिया गणराज्य का कुल प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) 8.02 बिलियन अमेरिकी डॉलर रहा।
- भारत और कोरिया गणराज्य ने भारत में कोरियाई निवेश को बढ़ावा देने और सुविधा प्रदान करने के लिये 'कोरिया प्लस' पहल की शुरुआत की।
- रक्षा:
- दोनों देशों के बीच वर्ष 2019 में रक्षा उद्योग सहयोग के लिये एक रोडमैप पर हस्ताक्षर किये गए थे।
- पहली बार सियोल अंतर्राष्ट्रीय एयरोस्पेस और रक्षा प्रदर्शनी 2023 (ADEX-2023) में एक भारतीय मंडप स्थापित किया गया, जिसमें भारत की रक्षा विनिर्माण क्षमताओं का प्रदर्शन किया गया।
- सांस्कृतिक:
- भारत की सांस्कृतिक शाखा के रूप में वर्ष 2011 में कोरिया में एक भारतीय सांस्कृतिक केंद्र (जिसे बाद में स्वामी विवेकानंद सांस्कृतिक केंद्र (SVCC) नाम दिया गया) की स्थापना की गई।
- कोरिया में भारत का उत्सव SARANG हर वर्ष आयोजित किया जाता है, ताकि कोरिया गणराज्य के विभिन्न क्षेत्रों में भारत की विविध कला और संगीत को प्रदर्शित किया जा सके।
दृष्टि मेन्स प्रश्न: प्रश्न. भारत में सांविधानिक तंत्र के रूप में मार्शल लॉ और राष्ट्रीय आपात की तुलना कीजिये और इनका अंतर स्पष्ट कीजिये। |