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जैव विविधता और पर्यावरण

मरीन हीटवेव्स

  • 09 Feb 2022
  • 6 min read

प्रिलिम्स के लिये:

मरीन हीटवेव, मन्नार की खाड़ी, समुद्री धाराएँ, अल-नीनो, ग्रेट बैरियर रीफ, महासागरीय अम्लीकरण।

मेन्स के लिये:

मरीन हीटवेव, इसके प्रभाव और कारण।

चर्चा में क्यों?

एक अध्ययन के अनुसार, मरीन हीटवेव्स (या जो महासागरों पर बनती हैं) भारत के आसपास के पानी को तेज़ी से बढ़ा रही हैं।

  • कई अध्ययनों ने वैश्विक महासागरों में हीटवेव की घटनाओं और प्रभावों की सूचना दी है, लेकिन उष्णकटिबंधीय हिंद महासागर में इसे लेकर काफी कम अध्ययन किया गया है।
  • इसके अलावा ‘जलवायु परिवर्तन पर अंतर-सरकारी पैनल’ (IPCC) की छठी आकलन रिपोर्ट (AR6) के मुताबिक, 1.5 डिग्री सेल्सियस से 2 डिग्री सेल्सियस ग्लोबल वार्मिंग होने पर हिंद महासागर में समुद्र की सतह का तापमान 1 से 2 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ सकता है। .

Marine-Heatwaves

अध्ययन के निष्कर्ष:

  • पश्चिमी हिंद महासागर क्षेत्र ने प्रति दशक लगभग 1.5 घटनाओं की दर से मरीन हीटवेव में सबसे बड़ी वृद्धि का अनुभव किया, इसके बाद प्रति दशक 0.5 घटनाओं की दर से बंगाल की खाड़ी का स्थान है।
  • पश्चिमी हिंद महासागर और बंगाल की खाड़ी में समुद्री हीटवेव ने मध्य भारतीय उपमहाद्वीप में शुष्कन की स्थिति को बढ़ा दिया।
  • इस प्रकार उत्तरी बंगाल की खाड़ी में हीटवेव की प्रतिक्रिया के कारण दक्षिण प्रायद्वीपीय भारत में वर्षा में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।
    • वर्ष1982 से 2018 तक पश्चिमी हिंद महासागर में कुल 66 घटनाएँ, जबकि बंगाल की खाड़ी में 94 घटनाएँ हुईं।
    • यह पहली बार है जब एक अध्ययन ने समुद्री हीटवेव और वायुमंडलीय परिसंचरण तथा वर्षा के बीच घनिष्ठ संबंध का प्रदर्शन किया है।

मरीन हीटवेव:

  • समुद्री हीटवेव की घटना समुद्र में उच्च तापमान के साथ अत्यधिक अवधि के लिये होती है।
  • ये घटनाएँ प्रवाल विरंजन, समुद्री घास के विनाश और केल्प वनों के नुकसान से जुड़ी हुई हैं, जो मत्स्य पालन क्षेत्र पर प्रतिकूल प्रभाव डालती हैं।
    • अध्ययन से पता चला है कि मई 2020 में तमिलनाडु तट के पास मन्नार की खाड़ी में 85% प्रवाल  मरीन हीटवेव के बाद प्रक्षालित हो गए।
  • मरीन हीटवेव के सामान्य कारकों में समुद्री धाराएँ शामिल हैं जो गर्म जल और समुद्र में ऊष्मा प्रवाह के क्षेत्रों का निर्माण या वातावरण को समुद्र की सतह के माध्यम से गर्म कर सकती हैं।
    • ये वायुराशियाँ मरीन हीटवेव्स में वार्मिंग को बढ़ा या घटा सकती हैं और अल नीनो जैसी जलवायु परिवर्तनकारी घटनाओं की संभावना को बदल सकती हैं।

मरीन हीटवेव्स के प्रभाव:

  • पारिस्थितिकी तंत्र संरचना को प्रभावित करना:
    • मरीन हीटवेव्स कुछ प्रजातियों का समर्थन करके और दूसरों को दबाकर पारिस्थितिकी तंत्र की संरचना को प्रभावित करती हैं।
    • यह समुद्री अकशेरुकी जीवों की सामूहिक मृत्यु दर से संबंधित है और प्रजातियों को अपना व्यवहार बदलने के लिये मजबूर कर सकता है जिससे वन्यजीवों को नुकसान का खतरा बढ़ जाता है।
  •  कुछ प्रजातियों के निवास स्थान को परिवर्तित करना:
    • मरीन हीटवेव्स कुछ प्रजातियों के निवास स्थान को बदल सकती हैं।
  • आर्थिक हानि:
    • मरीन हीटवेव्स मत्स्य पालन और जलीय कृषि पर प्रभाव के माध्यम से आर्थिक नुकसान का कारण बन सकती हैं।
  • जैव विविधता पर प्रभाव:
    • मरीन हीटवेव्स से जैव विविधता बुरी तरह प्रभावित हो सकती है। 
      • वर्ष 2016 में उत्तरी ऑस्ट्रेलिया में समुद्री हीटवेव ग्रेट बैरियर रीफ के गंभीर विरंजन का कारण बनी।
  • ऑक्सीकरण और अम्लीकरण का जोखिम:
    • ऐसे मामलों मेंमरीन हीट वेव्स से न केवल आवासों की क्षति होती है, बल्कि डीऑक्सीजनेशन और अम्लीकरण का जोखिम भी बढ़ता है।

आगे की राह 

  • चूंँकि मरीन हीटवेव की आवृत्ति, तीव्रता में बढ़ोतरी हो रही है, इसलिये इन घटनाओं की सटीक निगरानी करने हेतु समुद्र के नियमित अवलोकन की आवश्यकता है तथा वर्तमान में मौजूद मौसम मॉडल को अपडेट कर बढ़ते वैश्विक तापन के कारण उत्पन्न चुनौतियों का कुशलतापूर्वक समाधान करने की आवश्यकता है।
  • जलवायु परिवर्तन के कारण मरीन हीटवेव वैश्विक रूप से तीव्र हो सकती है और इसके परिणामस्वरूप दैनिक उच्चतम तापमान अधिक एवं लंबी अवधि का होगा।
  • मरीन हीटवेव के प्रतिकूल प्रभावों और उनके कारण होने वाली दुर्घटनाओं की संख्या को कम करने के लिये दीर्घावधि उपायों के साथ-साथ अल्पावधि क्रियान्वयन योजनाओं को भी लागू करना होगा।
  • जलवायु परिवर्तन का सामना करने के लिये स्थानीय, राज्य और राष्ट्रीय सरकारों की तत्परता के साथ-साथ अंतर्राष्ट्रीय सहकारिता एवं सहयोग मुख्य निर्धारक सिद्ध हो सकता है।

स्रोत- द हिंदू

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