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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

बंगाल की खाड़ी के संदर्भ में ऑस्ट्रेलिया

  • 13 Apr 2017
  • 9 min read

संदर्भ

गौरतलब है कि हाल ही में भारत के दो सबसे अहम रणनीतिक देशों (बांग्लादेश और ऑस्ट्रेलिया) के शासनाध्यक्ष भारत के दौरे रहे हैं| ये दोनों ही देश भारत के बदलते भौगोलिक परिदृश्य को उभारने में सहायता करने में सक्षम राष्ट्र है| यदि इन दोनों देशों के संबंध में भारतीय परिदृश्य में विचार किया जाए तो ज्ञात होगा है कि ये न केवल भारत के भौगोलिक स्वरूप बल्कि देश के आर्थिक एवं सामाजिक परिदृश्य में अहम भूमिका निभाने में समक्ष है| ऐसी स्थिति में यदि इन दोनों देशों के शासनाध्यक्षों की भारत यात्रा के संबंध में गंभीरता से विचार किया जाए तो स्पष्ट होता है कि यहाँ दो संक्रमणकारी स्थितियाँ उभरकर सामने आती है - पहली दक्षिण एशिया से बंगाल की खाड़ी तक और दूसरी हिन्द महासागर से हिन्द - प्रशांत महासागर तक| 

महत्त्वपूर्ण बिंदु 

  • जैसा की हम सभी जानते हैं कि पारस्परिक रूप से लाभकारी आर्थिक सहयोग को बढ़ाने में पाकिस्तान की अनिच्छा के कारण दक्षिण एशियाई सहयोग संगठन (South Asian Association for Regional Cooperation - SAARC) अक्रियाशील बन चुका है|

  • चूँकि भारत दक्षिण एशियाई क्षेत्र में परियोजनों का निर्माण नहीं करना चाहता है, अतः स्पष्ट है कि भारत पूर्वी उपमहाद्वीप में अपनी कूटनीतिक क्षमता को केन्द्रित करने पर अधिक बल दे रहा है|

  • भारत के पूर्वी एशिया के साथ बढ़ते जुड़ावों के साथ ही बंगाल की खाड़ी ने क्षेत्रीय सहयोग को बढ़ावा देने के लिये दक्षिण एशिया को प्राथमिक साधन के रूप में प्रतिस्थापित करना शुरू कर दिया है|

  • पिछले कुछ दिनों में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना के मध्य कई मुद्दों को लेकर सहयोग देखने को मिला है| जल और भूमि विवाद इस द्विपक्षीय एजेंडे के नए तत्वों के तौर पर उभरकर सामने आए हैं|

 हिन्द-प्रशांत क्षेत्र में भारत एवं ऑस्ट्रेलिया 

  • हालाँकि, मोदी और ऑस्ट्रलियाई प्रधानमंत्री मल्कोल्म टर्नबल (Malcolm Turnbull) के मध्य हुई वार्ताओं में बंगाल की खाड़ी का ज़िक्र सीधे तौर पर नहीं हुआ है परन्तु जल्द ही भारत को उनका ध्यान इस और आकर्षित करने का प्रयास करना होगा|

  • उल्लेखनीय है कि हाल के कुछ वर्षों में हिन्द महासागरीय क्षेत्र में क्षेत्रवाद को बढ़ावा देने और क्षेत्रीय समुद्री सुरक्षा को मजबूती प्रदान करने जैसे मुद्दे भारत-ऑस्ट्रेलिया सहयोग के प्रमुख केंद्र बिन्दुओं में शामिल रहे हैं|

  • यदि आर्थिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो भारत के समुद्री हितों का विस्तार हुआ है| हिन्द-प्रशांत के विचार का प्रसार हिन्द महासागर तक भी हो चुका है|

  • चूँकि ऑस्ट्रेलिया प्रशांत और हिन्द महासागर के सामरिक महत्त्व का सामना कर रहा है अतः यह कहना आसान होगा कि इसीलिये हिन्द-प्रशांत क्षेत्र ऑस्ट्रेलियाई नीति में अत्यधिक महत्त्वपूर्ण बिंदु है|

 हिन्द-प्रशांत क्षेत्र में भारत एवं चीन  

  • वस्तुतः हिन्द-प्रशांत शब्द से तात्पर्य यह है कि हमारे चारों ओर की क्षेत्रीय संरचना में महत्त्वपूर्ण बदलाव आ रहे हैं| एक तथ्य यह भी है कि हिन्द महासागर में चीनियों के आर्थिक हित और नौसेना की उपस्थिति में पिछले एक दशक में काफी तीव्र गति से वृद्धि हुई है|

  • हालाँकि प्रशांत महासागर में होने वाली गतिविधियों की गति मंद है परन्तु प्रशांत महासागर में भारत के आर्थिक और सुरक्षा दृष्टिकोणों में भी बढ़ोतरी हुई है|

  • इन दोनों महासागरों के मध्य हुए समन्वय में गति और तीव्रता को चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की ‘वन रोड वन बेल्ट’ की पहल से गति दी जा रही है| ध्यातव्य है कि इस परियोजना के तहत भूमि और समुद्री गलियारों की सहायता से चीन को हिन्द महासागर से जोड़ेने की योजना बनाई जा रही है|

  • जैसा की हम सभी जानते हैं कि चीन ज़िबूती में अपने पहले विदेशी सैन्य आधार को भी अधिकृत कर चुका है और यह हिन्द महासागरीय समुद्र तट के विभिन्न भागों में दोहरी उपयोगी सुविधाओं का निर्माण कर रहा है तथा विशेष राजनीतिक संबंधों को भी विकसित करने पर अपना ध्यान केन्द्रित कर रहा है|

 हिन्द-प्रशांत क्षेत्र में भारत एवं जापान 

  • गौरतलब है कि इस समस्त संदर्भ में जापान और ऑस्ट्रेलिया अब भारत की क्षेत्रीय सुरक्षा के प्रश्न का केंद्रबिंदु बन चुके हैं| भारत ने इनके साथ सहयोग हेतु केवल द्विपक्षीय नहीं बल्कि त्रिपक्षीय संदर्भ में भी वृद्धि की है|

  • भारत के दो नए भौगोलिक क्षेत्रों के रूप में बंगाल की खाड़ी और हिन्द प्रशांत हैं| इसके लिये आवश्यक है कि भारत को अपनी पड़ोसी रणनीति में जापान के साथ सहयोग करने पर भी ध्यान केंद्रित करने पर बल देना आरंभ करना चाहिये|

 प्रधानमंत्री मोदी की ऑस्ट्रेलिया यात्रा 

  • उल्लेखनीय है कि वर्ष 2014 के अंत में मोदी की ऑस्ट्रेलिया यात्रा के दौरान इन दोनों देशों ने सुरक्षा सहयोग के लिये एक विस्तृत योजना बनाने की आवश्यकता को रेखांकित किया था, जिसमें प्रमुख समुद्री मुद्दों (नौसैनिक अभ्यास, मानवता सहयोग, आपदा राहत और क्षेत्रीय समुद्री फोरम में शांति एवं कुटनीतिक सहयोग को शामिल करते हुए) को प्राथमिकता दी गई थी|

  • इस सबमें सबसे महत्त्वपूर्ण बात यह है कि दोनों देशों ने श्वेत शिपिंग सूचना (white shipping information) को साझा करने पर सहमति व्यक्त की|

  • ऑस्ट्रेलिया सामरिक उद्देश्यों की पूर्ति के लिये दो हिन्द महासागरीय क्षेत्रों (कोकोस और क्रिसमस द्वीप) का विकास करने के लिये योजनाएँ बना रहा है| भारत भी अपने अंडमान और निकोबार द्वीपीय श्रृंखला का विकास कर रहा है| परन्तु अभी भी इस संबंध में भारत की गति काफी मंद है|

निष्कर्ष

स्पष्ट है कि भारत और ऑस्ट्रेलिया के मध्य सामरिक सहयोग इनकी भौतिक और राजनीतिक दूरी के कारण कई दशकों तक सीमित रहा है| परन्तु हाल के वर्षों में ऑस्ट्रेलिया उद्देश्यपूर्ण वचनबद्धता के कारण इससे उभर चुका है| इन दोनों देशों के द्वीपीय क्षेत्रों के समन्वित विकास के कारण हिंद - प्रशांत भौगोलिक स्थिति का वर्णन किया जा सकता है| सुविधाओं और सूचनाओं का आदान-प्रदान तथा बंगाल की खाड़ी और पूर्वी हिन्द महासागर में एक स्थायी नौसेना के निर्माण में योगदान के द्वारा भारत और ऑस्ट्रेलिया की नौसैनिक पहुँच में उल्लेखनीय सुधार दर्ज किया गया है|

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