निम्न-कार्बन कार्य योजना (LCAP) | 22 Mar 2024

प्रिलिम्स के लिये:

निम्न-कार्बन कार्य योजना, अपशिष्ट प्रबंधन, नेट ज़ीरो, ग्रीनहाउस गैस , वेस्ट टू वेल्थ पोर्टल

मेन्स के लिये:

निम्न-कार्बन कार्य योजना, अपशिष्ट प्रबंधन पहल और नियम, सरकारी नीतियाँ और हस्तक्षेप।

स्रोत: डाउन टू अर्थ 

चर्चा में क्यों?

बिहार ने अपने अपशिष्ट प्रबंधन प्रोफाइल को बढ़ाने के लिये एक सुविचारित कार्य योजना के हिस्से के रूप में अपशिष्ट और आवासीय अपशिष्ट जल क्षेत्र के लिये एक निम्न कार्बन कार्य योजना (Low-Carbon Action Plan (LCAP) विकसित की है।

  • यह वर्ष 2070 तक खुद को नेट ज़ीरो राज्य में बदलने की उसकी प्रतिबद्धता का हिस्सा है।
  • ICLEI (इंटरनेशनल काउंसिल फॉर लोकल एनवायर्नमेंटल इनिशिएटिव्स), दक्षिण एशिया द्वारा अपशिष्ट और अपशिष्ट जल क्षेत्रों का विस्तृत मूल्यांकन रणनीति का एक मह
    त्त्वपूर्ण हिस्सा है।
    • ICLEI वैश्विक विशेषज्ञों की एक टीम द्वारा समर्थित 2500 से अधिक स्थानीय और क्षेत्रीय सरकारों का एक नेटवर्क है, जो दुनिया भर में सतत् शहरी विकास को बढ़ावा देता है।
    • ICLEI स्थिरता नीति को प्रभावित करता है और शून्य उत्सर्जन, प्रकृति-आधारित, न्यायसंगत, लचीला तथा परिपत्र विकास के लिये स्थानीय स्तर पर कार्रवाई करता है।

निम्न कार्बन कार्य योजना (LCAP) क्या है?

  • परिचय:
  • LCAP ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन की चुनौतियों का समाधान करने और सतत् अपशिष्ट प्रबंधन प्रथाओं को बढ़ावा देने के लिये विकसित एक रणनीतिक दस्तावेज़ है।
  • विशेष रूप से बिहार के लिये तैयार किया गया एलसीएपी अपशिष्ट और घरेलू अपशिष्ट जल क्षेत्रों से उत्सर्जन को कम करने के लिये एक व्यापक रोडमैप की रूपरेखा तैयार करता है, जिससे वर्ष 2070 तक राज्य को कार्बन तटस्थ बनने के लक्ष्य में योगदान मिलेगा।
  • घटक:
    • आकलन एवं सूची: LCAP मौजूदा अपशिष्ट प्रबंधन बुनियादी ढाँचे के गहन मूल्यांकन के साथ शुरू होता है, जिसमें ठोस अपशिष्ट और घरेलू अपशिष्ट जल दोनों क्षेत्र शामिल हैं।
      • इसमें अपशिष्ट उत्पादन, उपचार विधियों और GHG उत्सर्जन पर डेटा एकत्र करना शामिल है।
    • मुख्य मुद्दों की पहचान: LCAP अपशिष्ट प्रबंधन में अपर्याप्त सीवेज संग्रह और उपचार, खराब अपशिष्ट पृथक्करण तथा अप्रबंधित ठोस अपशिष्ट निपटान जैसी प्रमुख चुनौतियों की पहचान करता है।
    • लक्ष्य निर्धारित करना: मूल्यांकन के आधार पर, LCAP उत्सर्जन में कटौती और अपशिष्ट प्रबंधन सुधार के लिये महत्त्वाकांक्षी लक्ष्य स्थापित करता है। 
      • ये लक्ष्य वर्ष 2030, 2050 और 2070 सहित विभिन्न समय-सीमाओं के लिये निर्धारित किये गए हैं।
    • हस्तक्षेप रणनीतियाँ: LCAP पहचाने गए मुद्दों के समाधान के लिये निम्न-कार्बन हस्तक्षेपों और सिफारिशों की एक शृंखला का प्रस्ताव करता है।
      • इन रणनीतियों में स्रोत पर अपशिष्ट पृथक्करण में सुधार करना, संग्रह और परिवहन प्रणालियों को बढ़ावा देना, कुशल उपचार प्रौद्योगिकियों को लागू करना एवं अपशिष्ट जल से मीथेन पुनर्प्राप्ति को बढ़ावा देना शामिल है।
      • सामुदायिक सहभागिता और नीति प्रवर्तन: LCAP की सफलता सरकारी एजेंसियों, स्थानीय समुदायों और निजी क्षेत्र की संस्थाओं सहित विभिन्न हितधारकों की सक्रिय भागीदारी पर निर्भर करती है। इसके अतिरिक्त, अपशिष्ट प्रबंधन नियमों का अनुपालन सुनिश्चित करने और संधारणीय प्रथाओं को बढ़ावा देने के लिये नीति-संचालित प्रवर्तन तंत्र आवश्यक हैं।

LCAP के क्या लाभ हैं?

  • पर्यावरणीय लाभ: मुख्य लाभ वातावरण में हीट ट्रैप करने अर्थात् उष्मा अवशोषित करने वाले उत्सर्जन को कम करके जलवायु परिवर्तन का मुकाबला करना है। यह ग्लोबल वार्मिंग और इससे जुड़ी समस्याओं जैसे चरम मौसमी घटनाओं, समुद्र के बढ़ते स्तर एवं पारिस्थितिक तंत्र को नुकसान को कम करने में मदद कर सकता है।
  • सार्वजनिक स्वास्थ्य लाभ: कोयले जैसे जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम करने से वायु की गुणवत्ता में सुधार हो सकता है, जिससे श्वसन संबंधी बीमारियाँ कम होंगी। कम कार्बन योजनाएँ प्रायः पैदल चलने, साइकिल चलाने और सार्वजनिक परिवहन जैसी चीज़ों को प्रोत्साहित करती हैं, जो शारीरिक गतिविधि के स्तर को बढ़ा सकती हैं।
  • आर्थिक लाभ: नवीकरणीय/अक्षय ऊर्जा स्रोतों और ऊर्जा दक्षता में निवेश करने से इन क्षेत्रों में नई नौकरियों का सृजन हो सकता है। आयातित जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम होने से दीर्घकालिक लागत बचत भी हो सकती है।

LCAP की चुनौतियाँ क्या हैं?

  • अग्रिम लागत: नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों या ऊर्जा-कुशल प्रौद्योगिकियों में स्थानांतरण के लिये प्रायः प्रारंभिक निवेश की आवश्यकता होती है।

आदतें बदलना: योजना के लिये लोगों के रहने और काम करने के तरीके में बदलाव की आवश्यकता हो सकती है, जैसे सार्वजनिक परिवहन का अधिक उपयोग करना या वाहनों का कम प्रयोग करना। लोग इन परिवर्तनों के प्रति प्रतिरोधी हो सकते हैं।

  • राजनीतिक इच्छाशक्ति: निम्न कार्बन योजनाओं के परिणाम दिखाने में समय और निरंतर प्रयास लग सकता है। उन परिवर्तनों के प्रति राजनीतिक प्रतिरोध हो सकता है जो शक्तिशाली उद्योगों को बाधित कर सकते हैं।
  • इक्विटी संबंधी चिंताएँ: निम्न कार्बन अर्थव्यवस्था में परिवर्तन को निष्पक्ष रूप से प्रबंधित करने की आवश्यकता है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि सभी को लाभ हो और इसका बोझ वंचित समूहों पर असमान रूप से न डाला जाए।

भारत में अपशिष्ट प्रबंधन से संबंधित पहल क्या हैं?

  • ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियम 2016:
    • ये कानून, जो नगरपालिका ठोस अपशिष्ट (प्रबंधन और हैंडलिंग) कानून, 2000 को प्रतिस्थापित करते हैं, स्रोत पर अपशिष्ट पृथक्करण, सैनिटरी और पैकेजिंग अपशिष्ट के निपटान हेतु निर्माता की ज़िम्मेदारी एवं बल्क जनरेटर से संग्रह, निपटान तथा प्रसंस्करण के लिये उपयोगकर्त्ता शुल्क पर ध्यान केंद्रित करता है।
  • वेस्ट टू वेल्थ पोर्टल:
    • इसका उद्देश्य ऊर्जा उत्पन्न करने, सामग्रियों का पुनर्चक्रण करने और कचरे के उपचार हेतु प्रौद्योगिकियों की पहचान, विकास तथा तैनाती करना है।
  • अपशिष्ट से ऊर्जा:
    • अपशिष्ट-से-ऊर्जा या ऊर्जा-से-अपशिष्ट संयंत्र औद्योगिक प्रसंस्करण के लिये नगरपालिका एवं औद्योगिक ठोस अपशिष्ट को विद्युत और/या ऊष्मा में परिवर्तित करता है।
  • प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016:
    • यह प्लास्टिक कचरे के उत्पादन को कम करने, प्लास्टिक अपशिष्ट को फैलने से रोकने और अन्य उपायों के बीच स्रोत पर अपशिष्ट का अलग भंडारण सुनिश्चित करने के लिये कदम उठाने पर ज़ोर देता है।
    • फरवरी 2022 में प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन (संशोधन) नियम, 2022 को अधिसूचित किया गया था।
  • प्रोजेक्ट रिप्लान:
    • इसका उद्देश्य 20:80 के अनुपात में कपास के रेशों के साथ प्रसंस्कृत एवं उपचारित प्लास्टिक अपशिष्ट को मिलाकर कैरी बैग बनाना है।
  • प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन (संशोधन) नियम, 2022:
    • नियम विभिन्न हितधारकों जैसे- निर्माताओं, आयातकों, खुदरा विक्रेताओं और उपभोक्ताओं की ज़िम्मेदारियों को निर्दिष्ट करते हैं। इन सभी हितधारकों को यह सुनिश्चित करने में भूमिका निभानी है कि प्लास्टिक अपशिष्ट का उचित प्रबंधन किया जाए एवं इससे पर्यावरण प्रदूषित न हो।

आगे की राह

  • भार को विस्तृत करना: प्रारंभिक वित्तीय तनाव को कम करने के लिये सार्वजनिक और निजी फंडिंग स्रोतों के मिश्रण का उपयोग करना। अनुदान, कर छूट और कम ब्याज वाले ऋण व्यवसायों तथा व्यक्तियों को कम कार्बन प्रौद्योगिकियों को अपनाने के लिये प्रोत्साहित कर सकते हैं।
  • दीर्घकालिक बचत पर ध्यान देना: दीर्घावधि में LCA के लागत लाभों पर ज़ोर देने की आवश्यकता है। इसमें वायु गुणवत्ता में सुधार के परिणामस्वरुप दक्षता में उन्नयन अथवा कम स्वास्थ्य देखभाल लागत से कम ऊर्जा बिल के लाभ को उजागर करना शामिल हो सकता है।
  • महत्त्वाकांक्षी किंतु प्राप्य लक्ष्य निर्धारित करना: प्रगति प्रदर्शित करने और हितधारकों को जोड़े रखने के लिये LCAP का स्पष्ट तथा चरणबद्ध लक्ष्यों में विभाजित करना।
  • नौकरी प्रशिक्षण और पुनर्प्रशिक्षण: लोगों को निम्न-कार्बन अर्थव्यवस्था के लिये आवश्यक कौशल प्रदान करने के लिये कार्यक्रमों में निवेश करने की आवश्यकता है जिससे सभी के लिये एक उचित परिवर्तन सुनिश्चित किया जा सके।
  • निम्न कार्बन वाले विकल्पों को आकर्षक बनाना: सार्वजनिक परिवहन बुनियादी ढाँचे में निवेश करने, बाइक लेन और वाॅकेबल कम्युनिटीज़ (संगठित फुटपाथ, सड़क और भूमि उपयोग प्रणाली) संगठित करने तथा इलेक्ट्रिक वाहनों अथवा ऊर्जा-कुशल उपकरणों के लिये सब्सिडी प्रदान करने की आवश्यकता है।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स: 

प्रश्न. भारत में ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016 के अनुसार, निम्नलिखित में से कौन-सा कथन सही है? (2019)

(a) अपशिष्ट उत्पादक को पाँच कोटियों में अपशिष्ट अलग-अलग करने होंगे।
(b) ये नियम केवल अधिसूचित नगरीय स्थानीय निकायों, अधिसूचित नगरों तथा सभी औद्योगिक नगरों पर ही लागू होंगे।
(c) इन नियमों में अपशिष्ट भराव स्थलों तथा अपशिष्ट प्रसंस्करण सुविधाओं के लिये सटीक और विस्तृत मानदंड उपबंधित हैं।
(d) अपशिष्ट उत्पादक के लिये यह आज्ञापक होगा कि किसी एक ज़िले में उत्पादित अपशिष्ट, किसी अन्य ज़िले में न ले जाया जाए।

उत्तर: (c)


मेन्स:

प्रश्न. निरंतर उत्पन्न किये जा रहे फेंके गए ठोस कचरे की विशाल मात्रा का निस्तारण करने में क्या-क्या बाधाएँ हैं? हम अपने रहने योग्य परिवेश में जमा होते जा रहे ज़हरीले अपशिष्टों को सुरक्षित रूप से किस प्रकार हटा सकते हैं? (2018)