वार्मिंग को 1.8 डिग्री सेल्सियस से नीचे सीमित करना | 16 Feb 2023

प्रिलिम्स के लिये:

संयुक्त राष्ट्र द्वारा आदेशित पेरिस समझौता, समुद्र स्तर में वृद्धि, ग्रीनलैंड की बर्फ की चादरें, शुद्ध-शून्य कार्बन उत्सर्जन, ग्रीनहाउस गैसें, समुद्री हीटवेव।

मेन्स के लिये:

जलवायु परिवर्तन से संबंधित मुद्दे, जलवायु परिवर्तन के न्यूनीकरण के लिये पहल।

चर्चा में क्यों?   

पेरिस समझौते के तहत वैश्विक तापमान वृद्धि को 2 डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखने का लक्ष्य रखा गया था, नेचर कम्युनिकेशंस में प्रकाशित एक हालिया अध्ययन के अनुसार, इस लक्ष्य की प्राप्ति के बावजूद अगली सदी तक भी समुद्र के स्तर में वृद्धि को रोकना शायद असंभव है।

बढ़ते तापमान पर अध्ययन के प्रमुख बिंदु:  

  • अध्ययन के अनुसार, यदि वैश्विक तापमान में 1.8 डिग्री सेल्सियस से अधिक की वृद्धि होती है, तो पश्चिम अंटार्कटिक बर्फ और ग्रीनलैंड की बर्फ की चादरें स्थायी रूप से पिघल जाएंगी, जिससे समुद्र का स्तर तेज़ी से बढ़ेगा।
  • शोधकर्त्ताओं के अनुसार, अंटार्कटिक के एक बड़े ग्लेशियर थवाइट्स ग्लेशियर (जिसे डूम्सडे ग्लेशियर भी कहा जाता है) में गर्म जल का रिसाव हो रहा है। इस प्रकार बढ़ते तापमान के कारण बर्फ पिघलने की स्थिति लगातार बनी हुई है।
    • आइसफिन, मूरिंग डेटा और सेंसर के रूप में पहचाने जाने वाले जल के नीचे रोबोट वाहन का उपयोग करते हुए उन्होंने ग्लेशियर की ग्राउंडिंग लाइन की जाँच की, जहाँ ग्लेशियर से बर्फ फिसलकर समुद्र में जा मिलती है।
  • इस अध्ययन में इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि इस तबाही से बचने के लिये वर्ष 2060 से पहले शुद्ध-शून्य कार्बन उत्सर्जन के लक्ष्य को प्राप्त करना अति महत्त्वपूर्ण है।
  • वर्ष 2150 तक वैश्विक समुद्र स्तर में वृद्धि क्रमशः उच्च, मध्य और निम्न-उत्सर्जन परिदृश्यों के अनुरूप लगभग 1.4, 0.5 और 0.2 मीटर तक होने का अनुमान है।

जलवायु परिवर्तन के कारण होने वाली आपदा की प्रमुख घटनाएँ: 

  • परिचय:  
    • जैसे-जैसे पृथ्वी का तापमान बढ़ रहा है हिम टोपियाँ और ग्लेशियर त्वरित दर से पिघल रहे हैं। भूमि आधारित बर्फ का पिघलना जैसे कि ग्लेशियर और हिम टोपियाँ, समुद्र स्तर की वृद्धि में योगदान करती हैं क्योंकि बर्फ पिघलने से जल समुद्र में प्रवाहित होता है।
    • तापमान में वृद्धि मुख्य रूप से वातावरण में ग्रीनहाउस गैसों में वृद्धि के कारण होती है, मुख्य रूप से कार्बन डाइऑक्साइड, जो जीवाश्म ईंधन के जलने और वनों की कटाई जैसी मानवीय गतिविधियों से उत्पन्न होती है।
  • प्रमुख प्रभाव:  
    • ग्रीनहाउस गैसों की सांद्रता में वृद्धि:
      • तीन मुख्य ग्रीनहाउस गैसें कार्बन डाइऑक्साइड (CO2), मीथेन (CH4) और नाइट्रस ऑक्साइड (NO2) की सांद्रता वर्ष 2021 में रिकॉर्ड उच्च स्तर पर थी।
      • मीथेन का उत्सर्जन, जो ग्लोबल वार्मिंग पैदा करने में कार्बन डाइऑक्साइड की तुलना में 25 गुना अधिक शक्तिशाली है, वास्तव में अब तक की सबसे तेज़ गति से बढ़ रहा है। 
    • तापमान: 
      • वर्ष 2022 में वैश्विक औसत तापमान वर्ष 1850-1900 के औसत से लगभग 1.15 डिग्री सेल्सियस ऊपर होने का अनुमान है। 
      • ला नीना (भूमध्यरेखीय प्रशांत महासागर में समुद्र की सतह के जल का ठंडा होना) की स्थिति वर्ष 2020 के अंत से अधिक प्रभावी है।
    • समुद्र स्तर में वृद्धि:
      • उपग्रह अल्टीमीटर रिकॉर्ड के 30 वर्षों (1993-2022) में वैश्विक औसत समुद्र स्तर प्रतिवर्ष अनुमानित 3.4 ± 0.3 मिमी. बढ़ गया है।
    • महासागरीय ऊष्मा:
      • कुल मिलाकर समुद्र की सतह के 55% हिस्से ने वर्ष 2022 में कम-से-कम एक मरीन हीटवेव का अनुभव किया।
    • चरम मौसम:
      • पूर्वी अफ्रीका में लगातार चार आर्द्र मौसमों में वर्षा औसत से कम रही है, जो 40 वर्षों में सबसे लंबी अवधि है और यह इस बात का संकेत है कि वर्तमान मौसम भी शुष्क हो सकता है।
        • वर्ष 2022 में भारत और पाकिस्तान दोनों देशों में अत्यधिक हीटवेव के कारण बाढ़ आई थी। 

जलवायु परिवर्तन से निपटने हेतु लिये गए निर्णय:

  • राष्ट्रीय: 
    • जलवायु परिवर्तन से निपटने हेतु राष्ट्रीय कार्ययोजना: 
      • जलवायु परिवर्तन से उभरते खतरों का मुकाबला करने के लिये, भारत ने जलवायु परिवर्तन से निपटने हेतु राष्ट्रीय कार्ययोजना (NAPCC) जारी की है।
      • इसके 8 उप-मिशन हैं जिनमें राष्ट्रीय सौर मिशन, राष्ट्रीय जल मिशन आदि सम्मिलित हैं। 
    • इंडिया कूलिंग एक्शन प्लान:
      • यह तापमान में कमी की मांग के साथ संबंधित क्षेत्रों के लिये एक एकीकृत दृष्टिकोण प्रदान करता है।
        • इससे उत्सर्जन को कम करने में मदद मिलेगी जिससे ग्लोबल वार्मिंग का मुकाबला किया जा सकेगा। 
  • वैश्विक: 
    • पेरिस समझौता:
      • यह पूर्व-औद्योगिक समय से वैश्विक तापमान में वृद्धि को "2 डिग्री सेल्सियस से नीचे" रखना चाहता है, जबकि इसका लक्ष्य 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करने के "प्रयासों को आगे बढ़ाना" है।
    • संयुक्त राष्ट्र सतत् विकास लक्ष्य: 
      • सतत् विकास लक्ष्य प्राप्त करने हेतु समाज में ये 17 व्यापक लक्ष्य हैं। उनमें से 13  लक्ष्य विशेष रूप से जलवायु परिवर्तन से निपटने पर केंद्रित है।
    • ग्लासगो संधि: 
      • इसे अंततः COP26 वार्ताओं के दौरान वर्ष 2021 में 197 पार्टियों द्वारा अपनाया गया था।
      • इसने इस बात पर ज़ोर दिया है कि 1.5 डिग्री के लक्ष्य को हासिल करने के लिये मौजूदा दशक में की गई कार्यवाही सबसे महत्त्वपूर्ण थी। 
    • शर्म-अल-शेख अनुकूलन एजेंडा (COP27 में):
      • यह वर्ष 2030 तक सबसे अधिक संवेदनशील जलवायु समुदायों के 4 अरब लोगों के लिये लचीलापन बढ़ाने हेतु 30 अनुकूलन परिणामों की रूपरेखा तैयार करता है।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. निम्नलिखित में से कौन-सा भारत सरकार के 'हरित भारत मिशन' के उद्देश्य का सबसे अच्छा वर्णन करता है? (2016)

  1. संघ और राज्य के बजट में पर्यावरणीय लाभों और लागतों को शामिल करते हुए 'ग्रीन एकाउंटिंग' को लागू करना।
  2. कृषि उत्पादन बढ़ाने के लिये दूसरी हरित क्रांति की शुरुआत करना ताकि भविष्य में सभी के लिये खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
  3. अनुकूलन और शमन उपायों के संयोजन द्वारा वन आवरण को बहाल करना एवं बढ़ाना तथा जलवायु परिवर्तन का जवाब देना।

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (c)


प्रश्न. 'भूमंडलीय जलवायु परिवर्तन संधि’ (ग्लोबल क्लाइमेट चेंज अलायन्स) के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं? (2017)

  1. यह यूरोपीय संघ की एक पहल है।
  2. यह लक्ष्याधीन विकासशील देशों को उनकी विकास नीतियों और बजट में जलवायु परिवर्तन के एकीकरण हेतु तकनीकी एवं वित्तीय सहायता प्रदान करता है।
  3. इसका समन्वय विश्व संसाधन संस्थान (WRI) और धारणीय विकास हेतु विश्व व्यापार परिषद (WBCSD) द्वारा किया जाता है।

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 3
(c) केवल 2 और 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (a)


प्रश्न. संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन फ्रेमवर्क सम्मेलन (यू.एन.एफ.सी.सी.सी.) के सी.ओ.पी. के 26वें सत्र के प्रमुख परिणामों का वर्णन कीजिये। इस सम्मेलन में भारत द्वारा की गई वचनबद्धताएँ क्या हैं? (मुख्य परीक्षा, 2021)

प्रश्न. 'जलवायु परिवर्तन' एक वैश्विक समस्या है। भारत जलवायु परिवर्तन से कैसे प्रभावित होगा? जलवायु परिवर्तन द्वारा भारत के हिमालयी और समुद्रतटीय राज्य किस प्रकार प्रभावित होंगे? (मुख्य परीक्षा, 2017)  

स्रोत: डाउन टू अर्थ