ला नीना: प्रभाव, तंत्र और पूर्वानुमान | 11 Jan 2025
प्रिलिम्स के लिये:ला नीना, प्रशांत महासागर, एल नीनो दक्षिणी दोलन (ENSO), व्यापारिक पवनें, मानसून, पाम ऑयल उत्पादन, महासागरीय नीनो सूचकांक। मुख्य परीक्षा के लिये:एल नीनो और ला नीना, मौसम की स्थिति पर इसका प्रभाव। |
स्रोत: बिज़नेस स्टैंडर्ड
चर्चा में क्यों?
दीर्घ काल से हो रही ला नीना प्रतीक्षा अब समाप्त हो चुकी है, जबकि प्रशांत महासागर में शीतलता अभी भी कम है, हालाँकि इससे अधिक जलवायु समस्याएँ उत्पन्न होने की संभावना नहीं है।
- इसका विलंब से आगमन संभवतः इसलिये हुआ है क्योंकि विश्व के महासागर पिछले कुछ वर्षों की तुलना में अत्यधिक उष्ण हो गए हैं।
- दिसंबर में उष्णकटिबंधीय प्रशांत क्षेत्र में ला नीना की स्थिति उत्पन्न होती है।
ला नीना क्या है?
- परिचय: ला नीना, जिसका स्पेनिश में अर्थ है "छोटी लड़की", एल नीनो दक्षिणी दोलन (ENSO) का एक शीतल चरण है।
- पूर्वी प्रशांत महासागर में समुद्र की सतह का तापमान सामान्य से अधिक शीतल होना इसकी विशेषता है।
- ला नीना, एल नीनो (उष्ण चरण) और तटस्थ चरण के साथ ENSO के तीन चरणों में से एक है।
- क्रियाविधि: ला नीना में व्यापारिक पवनें प्रबल हो जाती हैं, तथा उष्ण जल को पश्चिमी प्रशांत क्षेत्र की ओर प्रवाहित करती हैं।
- पूर्वी प्रशांत महासागर में नीचे से शीतल जल का प्रवाह होता है, जिससे उस क्षेत्र में तापमान में गिरावट आती है।
- चक्र: ला नीना अनियमित चक्रों में घटित होती है, जो आमतौर पर दो से सात वर्षों तक चलती है, तथा प्रायः अल नीनो घटना के बाद घटित होता है।
- हाल की घटनाएँ: सबसे हालिया ला नीना चरण वर्ष 2020 से वर्ष 2023 तक चला, जो वर्ष 2023 के मध्य में एल नीनो चरण में परिवर्तित हो गया।
- जलवायु परिवर्तन: ला नीना के प्रभावों की तीव्रता, जैसे अत्यधिक तापमान और असामान्य मौसम पैटर्न, मानवजनित जलवायु परिवर्तन के कारण और भी बढ़ जाती है।
ला नीना के संभावित क्षेत्रीय प्रभाव क्या हैं?
- एशिया: भारत में, ला नीना के कारण जुलाई से सितंबर तक औसत से अधिक मानसूनी वर्षा होने की संभावना है, जिसके परिणामस्वरूप सिंधु-गंगा के मैदानों में दालों के उत्पादन में कमी हो सकती है, लेकिन चावल के उत्पादन में वृद्धि देखी जा सकती है।
- इंडोनेशिया, मलेशिया और फिलीपींस सहित दक्षिण-पूर्व एशिया में ला नीना के कारण औसत से अधिक वर्षा होती है, जिससे बाढ़ आती है, लेकिन चावल और पाम ऑयल के उत्पादन में वृद्धि होती है।
- दक्षिण अमेरिका: दक्षिणी ब्राजील, उरुग्वे, उत्तरी अर्जेंटीना और दक्षिणी बोलीविया में ला नीना के कारण औसत से कम वर्षा होती है, जिससे सूखा पड़ता है और सोयाबीन और मक्का की फसल प्रभावित होती हैं।
- इसके विपरीत, उत्तरी ब्राजील, कोलंबिया, वेनेज़ुएला तथा इक्वाडोर और पेरू के कुछ हिस्सों में अधिक वर्षा होती है, जिससे बाढ़ आने की संभावना रहती है।
- अफ्रीका: पूर्वी अफ्रीका में ला नीना से दिसंबर और जनवरी में शुष्क परिस्थितियाँ बनती हैं जिसका नकारात्मक प्रभाव फरवरी और मार्च में काटी जाने वाली फसलों पर पड़ता है।
- दक्षिणी अफ्रीका में ला नीना के कारण गर्मियों में औसत से अधिक वर्षा होती है जिससे मक्का, ज्वार, गेहूँ और सोयाबीन की अधिक पैदावार के साथ कृषि को लाभ होता है।
- ओशिनिया: ऑस्ट्रेलिया के उत्तरी और पूर्वी क्षेत्रों में औसत से अधिक वर्षा होती है जिसके कारण अक्सर तीव्र बाढ़ आती है।
- उत्तरी अमेरिका: अमेरिका में ला नीना के कारण दक्षिण में शुष्क स्थिति तथा उत्तर में आर्द्र, तूफानी मौसम की स्थिति बनती है, जिसमें अलास्का और कनाडा भी शामिल हैं।.
अल नीनो-दक्षिणी दोलन क्या है?
- परिचय: ENSO एक आवर्ती जलवायु पैटर्न है जिसमें मध्य और पूर्वी उष्णकटिबंधीय प्रशांत महासागर में जल के तापमान में आवधिक परिवर्तन होने से वैश्विक मौसम पैटर्न प्रभावित होता है।
- ऐतिहासिक संदर्भ: अल नीनो शब्द का प्रयोग दक्षिण अमेरिकी मछुआरों द्वारा क्रिसमस के गर्म जल के लिये किया जाता था।
- सर गिल्बर्ट वॉकर ने 1960 के दशक में समुद्री दाब में परिवर्तन को वायुमंडलीय स्थितियों से जोड़ते हुए दक्षिणी दोलन की खोज की, जिसके परिणामस्वरूप ENSO शब्द की उत्पत्ति हुई।
- 1980 के दशक में ला नीना और न्यूट्रल का व्यापक रूप से उपयोग किया जाने लगा।
- ENSO के चरण:
- अल नीनो: मध्य/पूर्वी प्रशांत क्षेत्र में महासागर का तापमान बढ़ने से पूर्वी पवनें कमज़ोर होने से इंडोनेशिया में वर्षा कम हो जाती है तथा मध्य/पूर्वी प्रशांत क्षेत्र में वर्षा बढ़ जाती है।
- ला नीना: मध्य/पूर्वी प्रशांत क्षेत्र में महासागर का तापमान कम होने के साथ पूर्वी पवनें मज़बूत हो जाती हैं जिससे इंडोनेशिया में वर्षा बढ़ जाती है तथा मध्य/पूर्वी प्रशांत क्षेत्र में वर्षा कम हो जाती है।
- न्यूट्रल: उष्णकटिबंधीय प्रशांत महासागर की सतह का तापमान औसत रहता है तथा वायुमंडलीय स्थितियाँ अल नीनो या ला नीना का संकेत देती हैं।
- ENSO चक्र: ENSO चक्र का प्रत्येक 3 से 7 वर्ष में दोलन होता है जिसमें समुद्र की सतह का तापमान औसत से 1°C से 3°C अधिक या कम हो जाता है।
ला नीना और अल नीनो की भविष्यवाणी कैसे की जाती है?
- जलवायु और अवलोकन संबंधी डेटा: वैज्ञानिक ENSO घटनाओं (अल नीनो और ला नीना) की शुरुआत की भविष्यवाणी करने के लिये अवलोकन संबंधी डेटा (जैसे समुद्र की सतह का तापमान, पवनों की स्थिति और उपग्रहों तथा महासागर में स्थापित उपकरणों से प्राप्त डेटा ) के साथ-साथ जलवायु मॉडल का उपयोग करते हैं।
- महासागरीय उपकरणों को विभिन्न प्रयोजनों के लिये रखा जाता है, जिनमें पर्यावरण निगरानी, डेटा संग्रहण तथा नेविगेशन शामिल हैं।
- महासागरीय नीनो सूचकांक: ONI यह पूर्व-मध्य उष्णकटिबंधीय प्रशांत क्षेत्र में 3 माह के औसत सागरीय सतह के तापमान की तुलना 30 वर्ष के औसत से करता है।
- जब दोनों के बीच का अंतर 0.5º सेल्सियस या इससे अधिक होता है तो इसे एल नीनो कहा जाता है, तथा जब यह -0.5º सेल्सियस या इससे कम होता है तो इसे ला नीना कहा जाता है।
- नीनो-3.4 सूचकांक: यह सूचकांक एल नीनो और ला नीना परिघटनाओं को परिभाषित करने वाली सीमाओं की पहचान करने में मदद करता है।
- 0.5°C या इससे अधिक का मान परिघटना के आरंभ का सूचक है, जबकि प्रबल परिघटना के लिये 1.5°C या इससे अधिक तापमान विसंगति की आवश्यकता होती है।
- पूर्वानुमान के लिये अग्रणी समय: यदि ला नीना परिघटना प्रबल अल नीनो के बाद घटित होती हैं, तो उनका पूर्वानुमान दो वर्ष पूर्व तक लगाया जा सकता है।
निष्कर्ष
ला नीना, एल नीनो-दक्षिणी दोलन (ENSO) की शीतल अवस्था, वैश्विक जलवायु पैटर्न को प्रभावित करता है, जिससे वर्षा, कृषि एवं जलवायु चरम सीमाएँ प्रभावित होती हैं। ONI और नीनो-3.4 जैसे मॉडल तथा सूचकांकों के माध्यम से सटीक पूर्वानुमान इसके प्रभावों को कम करने के लिये महत्त्वपूर्ण है, मूलतः जब मानवजनित जलवायु परिवर्तन इसकी तीव्रता और अप्रत्याशितता को बढ़ाता है।
दृष्टि मुख्य परीक्षा प्रश्न: प्रश्न: अल नीनो-दक्षिणी दोलन (ENSO) विश्व के जलवायु पैटर्न को कैसे प्रभावित करता है? |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्सप्रश्न 1. ला नीना के ऑस्ट्रेलिया में हाल ही में बाढ़ आने का संदेह है। ला नीना अल नीनो से कैसे अलग है? (2011)
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (d) मेन्सप्रश्न : सूखे को उसके स्थानिक विस्तार, कालिक अवधि, मंथर प्रारंभ और कमज़ोर वर्गों पर स्थायी प्रभावों की दृष्टि से आपदा के रूप में मान्यता दी गई है। राष्ट्रीयआपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एन.डी.एम.ए.) के सितंबर 2010 के मार्गदर्शी सिद्धांतों पर ध्यान केंद्रित करते हुए, भारत में एल नीनो और ला नीना के संभावित दुष्प्रभाव से निपटने के लिये तैयारी की कार्यविधियों पर चर्चा कीजिये? (2014) |