येरुशलम की अल-अक्सा मस्जिद | 20 Apr 2022
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चर्चा में क्यों?
हाल ही में येरुशलम की अल-अक्सा मस्जिद में फिलिस्तीनी और इज़रायली सुरक्षा बलों के बीच हिंसा से फिर तनाव बढ़ गया।
- येरुशलम के पुराने शहर में स्थित यह स्थल दशकों से फिलिस्तीनियों कट्टरपंथी समूहों और इज़रायली सुरक्षा बलों के बीच हिंसा का एक फ्लैशपॉइंट रहा है और ऐतिहासिक दावों के लिये प्रतिस्पर्धा के केंद्र में रहा है।
- ये आवर्ती संघर्ष चल रहे इज़रायल-फिलिस्तीनी संघर्ष का हिस्सा हैं।
अल-अक्सा मस्जिद और संबद्ध संघर्ष क्या है?
- अल-अक्सा मस्जिद येरुशलम के मान्यता प्राप्त स्मारकों में से एक है।
- यह स्थल येरुशलम के पुराने शहर का हिस्सा है, जो ईसाइयों, यहूदियों और मुसलमानों का पवित्र स्थल है।
- संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) ने पुराने शहर येरुशलम और इसकी दीवारों को विश्व धरोहर स्थल के रूप में वर्गीकृत किया है।
- मस्जिद का परिसर इज़रायल और फिलिस्तीन (इस्लाम और यहूदी धर्म) के बीच संघर्ष का कारण है।
- अल-अक्सा मस्जिद इस्लाम के सबसे प्रतिष्ठित स्थानों में से एक है और टेंपल माउंट यहूदी धर्म का सबसे पवित्र स्थल है।
- टेंपल माउंट येरुशलम में पुराने शहर के अंदर एक चारदीवारी वाला परिसर है और यहाँ दो संरचनाएँ हैं:
- उत्तर में डोम ऑफ द रॉक और दक्षिण में अल-अक्सा मस्जिद है।
- टेंपल माउंट के दक्षिण-पश्चिम में, पश्चिमी दीवार, दूसरे मंदिर का अवशेष और यहूदी धर्म का सबसे पवित्र स्थल है।
- इस्लाम में डोम ऑफ द रॉक एक सातवीं शताब्दी की संरचना है, जो एक महत्त्वपूर्ण इस्लामी स्थापत्य है, माना जाता है कि जहाँ पैगंबर मुहम्मद स्वर्ग में चढ़े थे।
- इस क्षेत्र में आधुनिक सीमाओं को तैयार करने से पहले, मुस्लिम पवित्र शहरों मक्का और मदीना के तीर्थयात्री इस मस्जिद में प्रार्थना करने के लिये येरूसलम में रुकते थे।
- यहूदी धर्म में, यह वह स्थान माना जाता है जहाँ भगवान ने आदम को बनाने के लिये धूल इकट्ठी की थी।
- बाइबिल के अनुसार, 1000 ईसा पूर्व में राजा सुलेमान ने इस पहाड़ पर यहूदियों का पहला मंदिर बनवाया था, जिसे बेबीलोन के राजा नबूकदनेस्सर के आदेश पर बेबीलोन के सैनिकों ने लगभग 400 वर्षों बाद तोड़ दिया था।
- पहली शताब्दी ईसा पूर्व में, यहूदी अपने निर्वासन से लौटे और उन्होंने दूसरा मंदिर बनाया।
येरुशलम पर संघर्ष की भू-राजनीति क्या हैं?
- येरुशलम इज़रायल-फिलिस्तीनी संघर्ष के केंद्र में रहा है।
- वर्ष 1947 की मूल संयुक्त राष्ट्र (यूएन) विभाजन योजना के अनुसार, येरुशलम को एक अंतर्राष्ट्रीय शहर के रूप में प्रस्तावित किया गया था।
- हालाँकि वर्ष 1948 के पहले अरब इज़रायल युद्ध में, इज़रायलियों ने शहर के पश्चिमी आधे हिस्से पर कब्जा कर लिया और जॉर्डन ने पुराने शहर सहित पूर्वी भाग पर कब्जा कर लिया, जिसमें हराम अल-शरीफ भी शामिल है।
- 1967 में छह-दिवसीय युद्ध के बाद, इज़रायल और अरब राज्यों के गठबंधन जिसमें मुख्य रूप से जॉर्डन, सीरिया और मिस्र शामिल थे, के बीच एक सशस्त्र संघर्ष के बाद, अल-अक्सा मस्जिद का नियंत्रण रखने वाले जॉर्डन के वक्फ मंत्रालय ने, देखरेख करना बंद कर दिया।
- इज़रायल ने 1967 के छह-दिवसीय युद्ध में जॉर्डन से पूर्वी येरुशलम पर कब्जा कर अपना हिस्सा घोषित कर दिया।
- अपने विलय के बाद से इज़रायल ने पूर्वी येरुशलम में बस्तियों का विस्तार किया है।
- इज़रायल पूरे शहर को अपनी "एकीकृत, शाश्वत राजधानी" के रूप में देखता है, जबकि राजनीतिक स्पेक्ट्रम में फिलिस्तीनी नेतृत्व ने यह सुनिश्चित किया है कि वे भविष्य के फिलिस्तीनी राज्य के लिये किसी भी समझौते के फार्मूले को स्वीकार नहीं करेंगे जब तक कि पूर्वी येरुशलम इसकी राजधानी न हो।
आगे की राह
- बड़े पैमाने पर दुनिया में शांतिपूर्ण समाधान के लिये एक साथ आने की ज़रूरत है लेकिन इज़रायल सरकार और अन्य शामिल दलों की अनिच्छा ने इस मुद्दे को और अधिक जटिल कर दिया है।
- इस प्रकार, एक संतुलित दृष्टिकोण अरब देशों और इज़रायल के बीच अनुकूल संबंधों को बनाए रखने में मदद करेगा।
- इज़रायल और संयुक्त अरब अमीरात, बहरीन, सूडान और मोरक्को के बीच हालिया सामान्यीकरण समझौते, जिन्हें अब्राहम समझौते के रूप में जाना जाता है, इसी दिशा में एक कदम हैं।
- सभी क्षेत्रीय शक्तियों को अब्राहम समझौते के अनुरूप दोनों देशों के बीच शांति की परिकल्पना करनी चाहिये।