ठोस अपशिष्ट प्रबंधन का मुद्दा | 20 May 2024
प्रिलिम्स के लिये:ठोस अपशिष्ट प्रबंधन, लैंडफिल, ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016 मेन्स के लिये: |
स्रोत: द हिंदू
चर्चा में क्यों?
हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय ने नई दिल्ली में ठोस अपशिष्ट प्रबंधन को लेकर कड़ी आलोचना करते हुए गंभीर चिंता व्यक्त की, क्योंकि राष्ट्रीय राजधानी में 3,800 टन से अधिक का अनुपचारित अपशिष्ट लैंडफिल में एकत्र होने के कारण यह सार्वजनिक स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिये जोखिम उत्पन्न करता है।
भारत में ठोस अपशिष्ट प्रबंधन संबंधी मुद्दे क्या हैं?
- परिचय:
- ठोस अपशिष्ट में ठोस या अर्द्ध-ठोस घरेलू अपशिष्ट, स्वच्छता अपशिष्ट, वाणिज्यिक अपशिष्ट, संस्थागत अपशिष्ट, खानपान और बाज़ार अपशिष्ट के साथ ही अन्य गैर-आवासीय अपशिष्ट शामिल होते हैं।
- इसमें सड़क की सफाई, सतही नालियों से एकत्र गाद, बागवानी अपशिष्ट, कृषि और डेयरी अपशिष्ट, उपचारित बायोमेडिकल अपशिष्ट (औद्योगिक, जैव-चिकित्सा एवं ई-अपशिष्ट को छोड़कर), बैटरी तथा रेडियोधर्मी अपशिष्ट शामिल हैं।
- भारत में विश्व की लगभग 18% जनसंख्या है और यह वैश्विक नगरपालिका अपशिष्ट का 12% हिस्सा उत्पन्न करता है।
- द एनर्जी एंड रिसोर्सेज़ इंस्टीट्यूट (The Energy and Resources Institute-TERI) की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत हर साल 62 मिलियन टन अपशिष्ट उत्पन्न करता है। लगभग 43 मिलियन टन (70%) एकत्र किया जाता है, जिसमें से लगभग 12 मिलियन टन का निपटान किया जाता है और 31 मिलियन टन लैंडफिल साइट्स पर डंप कर दिया जाता है।
- बदलते उपभोग प्रतिरूप तथा तीव्र आर्थिक विकास के साथ यह अनुमान लगाया गया है कि शहरी नगरपालिका ठोस अपशिष्ट वर्ष 2030 में बढ़कर 165 मिलियन टन हो जाएगा।
- ठोस अपशिष्ट में ठोस या अर्द्ध-ठोस घरेलू अपशिष्ट, स्वच्छता अपशिष्ट, वाणिज्यिक अपशिष्ट, संस्थागत अपशिष्ट, खानपान और बाज़ार अपशिष्ट के साथ ही अन्य गैर-आवासीय अपशिष्ट शामिल होते हैं।
- मुद्दे:
- नियमों का अप्रभावी क्रियान्वयन:
- अधिकांश मेट्रो शहर कूड़ेदानों से भरे पड़े हैं जो या तो पुराने, क्षतिग्रस्त हैं या ठोस अपशिष्ट रखने के लिये अपर्याप्त हैं।
- एक प्रमुख मुद्दा स्रोत पर अपशिष्ट पृथक्करण की कमी है, जिसके कारण ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016 के उल्लंघन में असंसाधित मिश्रित अपशिष्ट लैंडफिल में प्रवेश कर रहा है।
- इसके अतिरिक्त कुछ क्षेत्रों में नियमित अपशिष्ट संग्रहण सेवाओं का अभाव है, जिसके कारण अपशिष्ट एकत्र हो जाता है तथा कूड़ा-कचरा फैल जाता है।
- डंपिंग साइट्स की समस्या:
- मेट्रो शहरों में अपशिष्ट प्रसंस्करण संयंत्रों को भूमि की कमी का सामना करना पड़ता है, जिसके कारण अपशिष्ट अनुपचारित रह जाता है तथा अवैध डंपिंग और हितधारक समन्वय की कमी के कारण नगरपालिका अपशिष्ट प्रबंधन जटिल हो जाता है।
- मेट्रो शहरों में अपशिष्ट-प्रसंस्करण सुविधाओं के बावजूद बड़ी मात्रा में ठोस अपशिष्ट असंसाधित रहता है, जिससे मीथेन उत्सर्जन, लीचेट और लैंडफिल आग जैसे पर्यावरणीय परिसंकट उत्पन्न होते हैं, जो अक्सर पुराने अपशिष्ट में परिवर्तित हो जाते हैं।
- वर्ष 2019 में शुरू किये गए बायोमाइनिंग प्रयासों को अब वर्ष 2026 तक पूर्ण किये जाने का अनुमान है, जिससे ताज़ा अपशिष्ट का उचित प्रबंधन होने तक पर्यावरणीय प्रभाव लंबे समय तक रहेगा, जिससे लैंडफिल की वृद्धि जारी रहेगी।
- डेटा संग्रहण तंत्र का अभाव:
- ऐतिहासिक डेटा (समय शृंखला) या कई क्षेत्रों (पैनल डेटा) पर डेटा के बिना, निजी कंपनियाँ अपशिष्ट प्रबंधन परियोजनाओं में भाग लेने की संभावित लागत और लाभों का प्रभावी तरीके से आकलन नहीं कर पाती हैं।
- आँकड़ों की यह कमी निजी संस्थाओं के लिये समग्र बाज़ार आकार और संभावित लाभप्रदता के साथ भारत के विभिन्न क्षेत्रों में अपशिष्ट प्रबंधन समाधानों का आकलन करना चुनौतीपूर्ण बनाती है।
- औपचारिक और अनौपचारिक अपशिष्ट प्रबंधन प्रणाली: निम्न आय वाले समुदायों में नगरपालिका अपशिष्ट संग्रहण सेवाओं में कमी देखी जाती है, जिस कारण से अनौपचारिक क्षेत्र की भागीदारी को बढ़ावा मिलता है।
- अनौपचारिक तौर पर अपशिष्ट एकत्रित करने वालों को अक्सर अस्वच्छ परिस्थितियों और सुरक्षा उपकरणों की कमी के कारण स्वास्थ्य जोखिमों का सामना करना पड़ता है, कुछ क्षेत्रों में बाल श्रम एक चिंता का विषय है।
- जनजागरूकता का अभाव: इसके अलावा सामान्यतः सार्वजनिक जागरूकता और उचित अपशिष्ट प्रबंधन तकनीकों की कमी अनुचित निपटान प्रथाओं और अपशिष्ट के योगदान में वृद्धि करती है।
- नियमों का अप्रभावी क्रियान्वयन:
ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियम 2016 क्या हैं?
- इन नियमों ने नगरपालिका ठोस अपशिष्ट (प्रबंधन और हैंडलिंग) नियम, 2000 को प्रतिस्थापित किया और स्रोत पर कचरे के पृथक्करण, स्वच्छता एवं पैकेजिंग के साथ कचरे के निपटान के लिये निर्माता की ज़िम्मेदारी तथा थोक उत्पादक से संग्रह, निपटान एवं प्रसंस्करण के लिये उपयोगकर्त्ता शुल्क पर ध्यान केंद्रित किया।
- प्रमुख विशेषताएँ:
- अपशिष्ट उत्पादकों को इसे तीन श्रेणियों में विभाजित करने की ज़िम्मेदारी सौपी गई है:
- गीला (जैव निम्नीकरण)
- सूखा (प्लास्टिक, कागज़, धातु, लकड़ी आदि)
- घरेलू खतरनाक अपशिष्ट (डायपर, नैपकिन, सफाई एजेंटों के खाली कंटेनर, मच्छर प्रतिरोधी आदि) और पृथक किये गए अपशिष्ट को अधिकृत रूप से अपशिष्ट एकत्रित करने वालों अथवा अपशिष्ट संग्रहकर्त्ताओं या स्थानीय निकायों को सौंप देना चाहिये।
- अपशिष्ट उत्पादकों को शुल्क का भुगतान करना होगा:
- अपशिष्ट संग्रहकर्त्ताओं के लिये 'उपयोगकर्त्ता शुल्क'।
- अपशिष्ट फैलाने और पृथक न करने पर 'स्पॉट फाइन'।
- जैव-निम्नीकरणीय अपशिष्ट को जहाँ तक संभव हो परिसर के भीतर कंपोस्टिंग अथवा बायो-मिथेनेशन (Bio-Methanation) के माध्यम से संसाधित, उपचारित और निपटाया जाना चाहिये।
- टिन, काँच और प्लास्टिक पैकेजिंग जैसे डिस्पोज़ेबल उत्पादों के निर्माताओं और ब्रांड मालिकों को अपशिष्ट प्रबंधन प्रणाली स्थापित करने में स्थानीय अधिकारियों को वित्तीय सहायता प्रदान करनी चाहिये।
- अपशिष्ट उत्पादकों को इसे तीन श्रेणियों में विभाजित करने की ज़िम्मेदारी सौपी गई है:
अपशिष्ट प्रबंधन से संबंधित अन्य पहल:
- प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन (PWM) नियम, 2016: यह प्लास्टिक अपशिष्ट उत्पादकों को प्लास्टिक अपशिष्ट के उत्पादन को कम करने, प्लास्टिक अपशिष्ट के प्रसार को रोकने और अन्य उपायों के साथ स्रोत पर अपशिष्ट का अलग-अलग भंडारण सुनिश्चित करने के लिये कदम उठाने का आदेश देता है। फरवरी 2022 में प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन (संशोधन) नियम, 2022 अधिसूचित किये गए थे।
- जैव-चिकित्सा अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016: नियमों का उद्देश्य देश भर में स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं (Healthcare Facilities- HCF) से प्रतिदिन निकलने वाले जैव-चिकित्सा अपशिष्ट का उचित प्रबंधन करना है।
- अपशिष्ट से धन पोर्टल: इसका उद्देश्य ऊर्जा उत्पन्न करने, सामग्री का पुनर्चक्रण और मूल्यवान संसाधनों को निकालने के लिये अपशिष्ट के उपचार के लिये प्रौद्योगिकियों की पहचान, विकास और कार्यान्वयन करना है।
- अपशिष्ट से ऊर्जा: अपशिष्ट से ऊर्जा संयंत्र औद्योगिक प्रसंस्करण के लिये नगरपालिका और औद्योगिक ठोस अपशिष्ट को विद्युत्/ताप में परिवर्तित करता है।
- प्रोजेक्ट रीप्लान: इसका लक्ष्य प्रसंस्कृत और उपचारित प्लास्टिक अपशिष्ट को 20:80 के अनुपात में कपास फाइबर के कपड़ों (Cotton Fibre Rags) के साथ मिलाकर कैरी बैग बनाना है।
आगे की राह
- नगर पालिकाओं की भूमिका: शहरों को भविष्य की जनसंख्या वृद्धि को ध्यान में रखते हुए बायोडिग्रेडेबल कचरे के लिये खाद और बायोगैस उत्पादन पर ध्यान केंद्रित कर और हितधारक परामर्श के माध्यम से सुविधाओं की स्थापना एवं संचालन करके अपशिष्ट प्रसंस्करण क्षमताओं को बढ़ाना चाहिये।
- भूमि की पहचान करना, संयंत्र स्थापित करना और उनका प्रभावी ढंग से संचालन विभिन्न हितधारकों से परामर्श करके किया जाना चाहिये।
- अपशिष्ट-से-ऊर्जा औचित्य: रिफ्यूज़-व्युत्पन्न ईंधन (RDF), जिसमें प्लास्टिक, कागज़ और कपड़ा जैसे गैर-पुनर्चक्रण योग्य सूखा कचरा शामिल होता है, का उच्च ऊष्मीय मान होता है और इसका उपयोग अपशिष्ट-से-ऊर्जा परियोजनाओं में बिजली उत्पादन के लिये किया जा सकता है।
- विकेंद्रीकृत अपशिष्ट प्रसंस्करण: इसे खाद सुविधाएँ स्थापित करने के लिये पड़ोसी राज्यों (हरियाणा, उत्तर प्रदेश) के साथ सहयोग करके दिल्ली जैसे महानगरीय क्षेत्रों में लागू किया जा सकता है।
- इन राज्यों में जैविक खाद बाज़ार भी मौजूद होते हैं।
- प्रत्येक वार्ड में 5 TPD क्षमता वाले (तमिलनाडु और केरल से प्रेरित) गीले अपशिष्ट के कार्यान्वयन के लिये माइक्रो-कम्पोस्टिंग केंद्र (MCC)।
- सूखे कचरे के लिये प्रत्येक वार्ड में 2 TPD क्षमता (बंगलूरू से प्रेरित) के साथ सूखा कचरा संग्रह केंद्र (DWCC) स्थापित किये जा सकते हैं।
- एकीकृत दृष्टिकोण: सभी कचरे का उपचार सुनिश्चित करने के लिये बड़े पैमाने पर प्रसंस्करण सुविधाओं के साथ विकेंद्रीकृत विकल्पों को संयोजित करना।
दृष्टि मेन्स प्रश्न: प्रश्न. शहरी क्षेत्रों में कचरे के प्रभावी प्रबंधन में आने वाली चुनौतियों पर चर्चा कीजिये और इन मुद्दों के समाधान के लिये आवश्यक उपाय सुझाइये। |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्सप्रश्न. भारत में ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016 के अनुसार, निम्नलिखित में से कौन-सा एक कथन सही है? (2019) (a) अपशिष्ट उत्पादक को पाँच कोटियों में अपशिष्ट अलग-अलग करने होंगे। उत्तर: (c) मेन्स:प्रश्न. निरंतर उत्पन्न किये जा रहे, फेंके गए ठोस कचरे की विशाल मात्राओं का निस्तारण करने में क्या-क्या बाधाएँ हैं? हम अपने रहने योग्य परिवेश में जमा होते जा रहे ज़हरीले अपशिष्टों को सुरक्षित रूप से किस प्रकार हटा सकते हैं? (2018) प्रश्न. "जल, सफाई एवं स्वच्छता की आवश्यकता को लक्षित करने वाली नीतियों के प्रभावी क्रियान्वयन को सुनिश्चित करने के लिये लाभार्थी वर्गों की पहचान को प्रत्याशित परिणामों के साथ जोड़ना होगा।" 'वाश' योजना के संदर्भ में इस कथन का परीक्षण कीजिये। (2017) प्रश्न. सामाजिक प्रभाव और समझाना-बुझाना स्वच्छ भारत अभियान की सफलता में किस प्रकार योगदान कर सकते हैं? (2016) |