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शासन व्यवस्था

इंटरनेट शटडाउन

  • 28 Feb 2025
  • 9 min read

प्रिलिम्स के लिये:

इंटरनेट शटडाउन, अनुच्छेद 21, कृत्रिम बुद्धिमत्ता, अनुच्छेद 19

मेन्स के लिये:

भारत में इंटरनेट शासन और डिजिटल अधिकार, राष्ट्रीय सुरक्षा बनाम डिजिटल स्वतंत्रता

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

चर्चा में क्यों? 

डिजिटल अधिकार समूह 'एक्सेस नाउ' की वर्ष 2024 की रिपोर्ट में वैश्विक इंटरनेट शटडाउन की रिकॉर्ड-उच्च संख्या पर प्रकाश डाला गया, जिसमें म्यांमार 85 शटडाउन मामलों के साथ सूची में सबसे ऊपर है और इसके बाद भारत का स्थान है।

इंटरनेट शटडाउन के संबंध में इस रिपोर्ट के मुख्य निष्कर्ष क्या हैं?

  • भारत: भारत में कुल इंटरनेट शटडाउन की 84% घटनाएँ (कुल शटडाउन की 28%) हुईं।
    • भारत में सबसे अधिक (21 बार) इंटरनेट शटडाउन की घटनाएँ मणिपुर में दर्ज की गईं, इसके बाद हरियाणा तथा जम्मू-कश्मीर का स्थान रहा। 
    • कुल मिलाकर, वर्ष 2024 में 16 राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों में इंटरनेट शटडाउन के मामले देखे गए।
    • शटडाउन के मुख्य कारण: भारत में शटडाउन मुख्य रूप से विरोध प्रदर्शन (41 उदाहरण), सांप्रदायिक हिंसा (23 उदाहरण) और परीक्षा-संबंधी सुरक्षा उपायों (5 उदाहरण) से संबंधित थे।
      • स्थानीय संघर्षों और प्रशासनिक निर्णयों के कारण अतिरिक्त शटडाउन लागू किये गये।
      • अधिकारी अक्सर सांप्रदायिक हिंसा, दंगों और सोशल मीडिया के माध्यम से गलत सूचना फैलने से रोकने के लिये शटडाउन को आवश्यक बताते हैं।
  • वैश्विक: वर्ष 2024 में विश्व में कुल 296 इंटरनेट शटडाउन दर्ज किये गए, जो अब तक का सबसे अधिक है। 
    • म्याँमार (85), भारत और पाकिस्तान (21) में वर्ष 2024 में दर्ज सभी शटडाउन का 64% से अधिक हिस्सा होगा।

भारत में इंटरनेट शटडाउन के लिये कानूनी प्रावधान:

  • दूरसंचार नियम: भारत में इंटरनेट शटडाउन दूरसंचार अधिनियम, 2023 के तहत जारी दूरसंचार (सेवाओं का अस्थायी निलंबन) नियम, 2024 द्वारा शासित होते हैं। 
    • ये नियम दूरसंचार निलंबन नियम, 2017 का स्थान लेंगे तथा इंटरनेट सहित दूरसंचार सेवाओं के निलंबन की प्रक्रिया को विनियमित करेंगे।
  • शटडाउन आदेश जारी करने का प्राधिकार: केंद्रीय गृह सचिव (राष्ट्रीय स्तर के शटडाउन के लिये) और राज्य गृह सचिव (राज्य स्तर के शटडाउन के लिये)।
    • अपरिहार्य परिस्थितियों में, संयुक्त सचिव स्तर का अधिकारी (विधिवत प्राधिकृत) आदेश जारी कर सकता है, लेकिन इसकी पुष्टि 24 घंटे के भीतर होनी चाहिये, अन्यथा यह आदेश समाप्त हो जाएगा।
  • न्यायिक प्रावधान: अनुराधा भसीन बनाम भारत संघ के 2020 के मामले में, भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने घोषणा की कि अनिश्चितकालीन इंटरनेट शटडाउन गैरकानूनी है और ऐसे प्रतिबंधों को आनुपातिकता एवं आवश्यक मानकों का पालन करना चाहिये।
    • हालाँकि, कई शटडाउन आदेशों में उचित दस्तावेज़ीकरण और औचित्य का अभाव है।

इंटरनेट शटडाउन के संबंध में क्या चिंताएँ हैं?

  • अधिकारों का उल्लंघन:  यह अनुच्छेद अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता (अनुच्छेद 19) को प्रतिबंधित करता है तथा अनुच्छेद 21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार) के तहत मान्यता प्राप्त इंटरनेट तक पहुँच के अधिकार को सीमित करता है।
  • निगरानी का अभाव: दूरसंचार अधिनियम 2023 में औपनिवेशिक युग के टेलीग्राफ अधिनियम, 1885 के प्रावधानों को बरकरार रखा गया है, जो शटडाउन की अनुमति देता है।
    • सख्त स्वतंत्र निरीक्षण तंत्र का अभाव है, जिसके कारण मनमाने ढंग से कार्यान्वयन होता है।
  • आर्थिक और सामाजिक व्यवधान: भारत को वर्ष 2023 में इंटरनेट शटडाउन के कारण तीसरा सबसे बड़ा आर्थिक नुकसान हुआ, जिसकी कुल लागत 255.2 मिलियन अमरीकी डॉलर तक पहुँच गई।
    • लंबे समय तक बंद रहने के कारण व्यवसायों, छात्रों और डिजिटल सेवा प्रदाताओं को काफी नुकसान उठाना पड़ता है।
  • लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं पर प्रभाव: डिजिटल संचार पर प्रतिबंध प्रेस की स्वतंत्रता और लोकतांत्रिक भागीदारी को बाधित करते हैं।
    • विरोध-प्रवण क्षेत्रों में बंद नागरिकों को असहमति के अपने अधिकार का प्रयोग करने से रोकता है।
  • शासन पर प्रभाव: आलोचकों का दावा है कि बार-बार इंटरनेट बंद होना, कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI), डिजिटल शासन और तकनीकी प्रगति में वैश्विक नेता बनने की भारत की महत्त्वाकांक्षाओं के विपरीत है।

आगे की राह

  • निरीक्षण: शटडाउन आदेशों की समीक्षा के लिये संसदीय जाँच या एक स्वतंत्र निरीक्षण निकाय की स्थापना की जानी चाहिये।
  • वैकल्पिक उपाय: पूर्ण शटडाउन के बजाय, अधिकारी लक्षित सामग्री हटाने, तथ्य-जाँच तंत्र और सोशल मीडिया अनुवीक्षण का उपयोग कर सकते हैं।
    • डिजिटल जोखिम प्रबंधन पर विधि प्रवर्तन प्रशिक्षण से कठोर प्रतिबंध के बिना खतरों को कम करने में सहायता मिल सकती है।
  • अंतर्राष्ट्रीय सर्वोत्तम प्रथाएँ: संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (UNHRC) मनमाना रूप से इंटरनेट बंद करने का विरोध करती है और इसके अनुसार पूर्णतः इंटरनेट शटडाउन मानवाधिकारों का उल्लंघन है तथा वर्ष 2030 तक सार्वभौमिक इंटरनेट पहुँच को मानवाधिकार बनाने का आग्रह करती है।
    • यूरोपियन यूनियन और अमेरिका ब्लैकआउट के बजाय सामग्री मॉडरेशन नीतियों और साइबर सुरक्षा साधनों का उपयोग करते हैं।
  • जन जागरूकता और समर्थन: नागरिक समाज समूहों को डिजिटल अधिकारों के बारे में लोगों को और अधिक जागरूक करना चाहिये और विधिक सुधारों के लिये प्रयास करना चाहिये।
    • डिजिटल साक्षरता अभियान से, शटडाउन की आवश्यकता के बिना, गलत सूचनाओं के प्रसारण की रोकथाम करने में मदद मिल सकती है।

दृष्टि मेन्स प्रश्न:

प्रश्न. बारंबार इंटरनेट प्रतिबंध से भारत में लोकतांत्रिक भागीदारी, प्रेस की स्वतंत्रता और असहमति का अधिकार किस प्रकार प्रभावित होता है?

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

मेन्स: 

प्रश्न. आप ‘वाक् और अभिव्यक्ति स्वातंत्र्य’ संकल्पना से क्या समझते हैं? क्या इसकी परिधि में घृणा वाक् भी आता है? भारत में फिल्में अभिव्यक्ति के अन्य रूपों से तनिक भिन्न स्तर पर क्यों हैं? चर्चा कीजिये। (2014)

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