अंतर्राष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता रिपोर्ट 2021 | 23 Apr 2021
चर्चा में क्यों?
अमेरिकी अंतर्राष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता आयोग (USCIRF) की वर्ष 2021 की वार्षिक रिपोर्ट में भारत को दुसरे वर्ष भी यानी 2020 में भी धार्मिक स्वतंत्रता का सर्वाधिक उल्लंघन करने के लिये ‘कंट्रीज़ ऑफ पर्टिकुलर कंसर्न’ (प्रमुख चिंता वाले देशों) की श्रेणी में सूचीबद्ध किया गया है।
- इससे पूर्व अमेरिकी विदेश विभाग ने अपनी वर्ष 2020 की मानवाधिकार रिपोर्ट में भारत में कई मानवाधिकार मुद्दों की ओर ध्यान आकर्षित किया था।
प्रमुख बिंदु:
USCIRF के बारे में:
- USCIRF 'अंतर्राष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम' (International Religious Freedom Act-IRFA)- 1998 के तहत स्थापित एक स्वतंत्र, द्विदलीय अमेरिकी संघीय आयोग है। USCIRF अंतर्राष्ट्रीय मानकों के आधार पर वैश्विक स्तर पर धार्मिक स्वतंत्रता के उल्लंघन की निगरानी करता है
- यह अमेरिकी प्रशासन के लिये एक सलाहकार निकाय है।
- USCIRF की 2021 की वार्षिक रिपोर्ट कैलेंडर वर्ष 2020 के दौरान 26 देशों में धार्मिक स्वतंत्रता के उल्लंघन और प्रगति का आकलन करती है तथा अमेरिकी नीति के लिये स्वतंत्र सिफारिशें करती है।
- इसका मुख्यालय वाशिंगटन डीसी में स्थित है।
रिपोर्ट के बारे में:
- रिपोर्ट का मुख्य फोकस देशों के दो समूहों पर है:
- यह अंतर्राष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम, 1998 (IFRA) के अंतर्गत धार्मिक स्वतंत्रता के उल्लंघन के आधार पर देशों को विशेष चिंता वाले देश (Countries of Particular Concern- CPC) तथा विशेष निगरानी सूची (Special Watch List- SWL) में नामित करने के लिये अमेरिकी विदेश विभाग के सचिव को सिफारिश करता है।
- स्पेशल वॉच लिस्ट (SWL) सूची में उन देशों को शामिल किया जाता है, जिन देशों की सरकारों द्वारा गंभीर रूप से धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन किया जाता है या जिन पर ऐसा करने का आरोप है। हालाँकि इन देशों में अभी तक CPC सूची में शामिल देशों के स्तर पर धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन नहीं किया जा रहा है।
- CPC के रूप में नामित देशों में धार्मिक स्वतंत्रता के गंभीर उल्लंघनों को संबोधित करने के लिये IRFA अमेरिकी विदेश सचिव को विशिष्ट तथा लचीले नीतिगत निर्णय लेने की शक्तियाँ प्रदान करता है। इसमें प्रतिबंध लगाना, देशों को प्रदान की जाने वाली छूट को समाप्त करना आदि शामिल है।
- यह रिपोर्ट USCIRF को वैश्विक स्तर पर धार्मिक स्वतंत्रता के उल्लंघन या अंतर्राष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम की निगरानी के लिये अंतर्राष्ट्रीय मानकों का उपयोग करने के लिये आज्ञापित (Mandated) है और अमेरिकी विदेश विभाग को नीतियाँ बनाने की सिफारिश करता है।
USCIRF की नवीनतम सिफारिशें:
- विशेष चिंता वाले देश (CPC):
- CPC सूची में शामिल देशों रूस, सीरिया और वियतनाम तथा भारत के लिये सिफारिश करता है।
- CPC सूची में पहले से ही शामिल देशों और फिर से पदनाम के लिये USCIRF द्वारा अनुशंसित बर्मा, चीन, इरिट्रिया, ईरान, नाइजीरिया, उत्तर कोरिया, पाकिस्तान, सऊदी अरब, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और वियतनाम को CPC के रूप में नामित किये जाने की सिफारिश की गई है।
- विशेष निगरानी सूची (SWL):
- USCIRF वर्ष 2020 में SWL के लिये 15 देशों अफगानिस्तान, अल्जीरिया, अज़रबैजान, बहरीन, मध्य अफ्रीकी गणराज्य, क्यूबा, मिस्र, इंडोनेशिया, इराक, कज़ाखस्तान, मलेशिया, निकारागुआ, सूडान, तुर्की और उज़्बेकिस्तान की सिफारिश करता है।
- विशेष चिंता का विषय (EPCs):
- "विशेष चिंता के विषय" (EPC) के रूप में यह सात गैर-राष्ट्र गतिविधियों के पुन:एकीकरण की सिफारिश करता है- अल शबाब, बोको हराम, हौथिस, तहरीर अल-शाम (HTS), ग्रेटर सहारा में इस्लामिक स्टेट (ISGS), जमात नस्र अल-इस्लाम वाल मुस्किमिन (JNIM) और तालिबान ।
भारत की स्थिति
भारत में चिंता संबंधी प्रमुख क्षेत्र:
- नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, 2019 (CAA): यह अधिनियम दक्षिण एशियाई देशों के गैर-मुस्लिम शरणार्थियों को कुछ विशिष्ट मापदंडों के आधार पर फास्ट-ट्रैक नागरिकता प्रदान करने का प्रावधान करता है, इस तरह इस अधिनियम को धार्मिक आधार पर भेदभाव पूर्ण माना जा रहा है।
- दिल्ली दंगे: इस रिपोर्ट में फरवरी 2020 में दिल्ली दंगों के दौरान धार्मिक बहुसंख्यक आबादी द्वारा धार्मिक अल्पसंख्यकों पर किये गए हमलों का भी उल्लेख किया गया है।
- राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC): रिपोर्ट के मुताबिक, राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर में कुछ विशिष्ट लोगों को शामिल न किये जाने के विनाशकारी परिणाम हो सकते हैं, जो कि असम में बनाए जा रहे निरोध शिविरों से स्पष्ट है।
- धर्मांतरण विरोधी कानून: धार्मिक स्वतंत्रता की संवैधानिक सुरक्षा के बावजूद, भारत के 28 राज्यों में से लगभग एक-तिहाई राज्यों ने धार्मिक अल्पसंख्यकों के कथित वर्चस्व से धार्मिक बहुसंख्यकों की रक्षा के लिये धर्मांतरण विरोधी कानून लागू किये हैं, जो कि देश में धार्मिक स्वतंत्रता पर खतरा उत्पन्न करते हैं।
- अल्पसंख्यकों के विरुद्ध दुष्प्रचार और हिंसा में बढ़ोतरी: सोशल मीडिया और अन्य प्रकार के संचार माध्यमों का उपयोग मुस्लिमों, ईसाइयों और दलितों समेत विभिन्न अल्पसंख्यक समुदायों के विरुद्ध नफरत और दुष्प्रचार फैलाने के लिये किया जा रहा है।
- गोहत्या जैसे विषय अभी भी नीति-निर्माण के केंद्र में बने हुए हैं, उदाहरण के लिये दिसंबर माह में कर्नाटक ने मवेशियों के वध के लिये उनकी बिक्री और खरीद तथा उनके परिवहन पर जुर्माने और कारावास की सज़ा देने हेतु एक पूर्ववर्ती विधेयक में संशोधन किया था।
- जम्मू-कश्मीर में धार्मिक स्वतंत्रता: मुस्लिम बहुल जम्मू और कश्मीर में आवागमन और शांतिपूर्ण ढंग से एकत्र होने की स्वतंत्रता पर प्रतिबंधों ने धार्मिक स्वतंत्रता को भी प्रभावित किया है, इन प्रतिबंधों के कारण धार्मिक रूप से महत्त्वपूर्ण दिवसों के आयोजन और प्रार्थना के लिये एकत्रित होने पर नकारात्मक प्रभाव देखने को मिला है।
- लगभग 18 महीनों तक इंटरनेट शटडाउन, जो कि किसी भी लोकतांत्रिक देश में लागू किया गया सबसे लंबा इंटरनेट शटडाउन है और अन्य संचार प्रतिबंधों ने धार्मिक स्वतंत्रता को सीमित करने में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है।
- नागरिक समाज के लिये सीमित स्थान: सरकारी अधिकारियों द्वारा धार्मिक अल्पसंख्यकों समेत वकीलों, मीडियाकर्मियों और शिक्षाविदों को हिरासत में लेने के लिये गैर-कानूनी गतिविधियाँ (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) और इसी तरह के अन्य कानूनों का प्रयोग किया जा रहा है।
- सितंबर 2020 में सरकार द्वारा गैर-सरकारी संगठनों (NGOs) पर और अधिक प्रतिबंध लागू करते हुए विदेशी अंशदान (विनियमन) अधिनियम, 2010 में संशोधन किया गया था, जिसके तहत प्रशासनिक खर्चों के लिये विदेशी अंशदान की मात्रा को सीमित किया जाना और सरकार द्वारा नामित बैंक में ही खाता शुरू करना आदि शामिल हैं।
USCIRF की सिफारिशें
- इसके तहत अमेरिकी प्रशासन को ‘धार्मिक स्वतंत्रता के गंभीर उल्लंघन’ के मामलों में विशिष्ट भारतीय व्यक्तियों और संस्थाओं पर लक्षित प्रतिबंध लागू करने की सिफारिश की गई है।
- रिपोर्ट में धार्मिक स्वतंत्रता के उल्लंघन की निंदा करने और धार्मिक स्वतंत्रता की वकालत करने वाले धार्मिक संगठनों और मानवाधिकार समूहों का समर्थन करने की बात की गई है।
- अमेरिकी प्रशासन को ‘क्वाड’ जैसे विभिन्न द्विपक्षीय और बहुपक्षीय मंचों पर अंतर-विश्वास वार्ताओं और सभी समुदायों के अधिकारों को बढ़ावा देना चाहिये।
भारत में धार्मिक स्वतंत्रता
- भारतीय संविधान के अनुच्छेद 25-28 में धार्मिक स्वतंत्रता को एक मौलिक अधिकार के रूप में उल्लेख किया गया है।
- अनुच्छेद 25 (अंतःकरण की स्वतंत्रता एवं धर्म को अबाध रूप से मानने, आचरण करने और प्रचार करने की स्वतंत्रता)।
- अनुच्छेद 26 (धार्मिक कार्यों के प्रबंधन की स्वतंत्रता)।
- अनुच्छेद 27 (किसी विशिष्ट धर्म की अभिवृद्धि हेतु करों के संदाय को लेकर स्वतंत्रता)।
- अनुच्छेद 28 (कुछ विशिष्ट शैक्षिक संस्थाओं में धार्मिक शिक्षा या धार्मिक उपासना में उपस्थित होने को लेकर स्वतंत्रता)।
- इसके अलावा संविधान के अनुच्छेद 29-30 में अल्पसंख्यकों के हितों की सुरक्षा से संबंधित प्रावधान हैं।