अंतर्राष्ट्रीय संबंध
गौ-माँस और गोहत्या पर प्रतिबंध लगाने संबंधी कानून की संभावना
- 05 Jan 2017
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सन्दर्भ
राष्ट्रीय स्तर गौहत्या को रोकने और गौ-माँस तथा इससे बने उत्पादों के आयात-निर्यात या बिक्री को प्रतिबंधित करने के लिये केन्द्र सरकार की तरफ से एक राष्ट्रीय कानून बनाए जाने की संभावना है।
महत्त्वपूर्ण बिंदु
- पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय से अनुरोध किया है कि वह गौमाँस की खरीद-फरोख्त पर प्रतिबंध लगाने के लिये एक राष्ट्रीय कानून बनाने पर विचार करे।
- पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने 23 दिसंबर को केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के पशुपालन, डेयरी और मत्स्य पालन विभाग (मवेशी प्रभाग) को इस आशय का एक पत्र भेजा है।
- ‘पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय’ भारत की पर्यावरण एवं वानिकी संबंधी नीतियों और कार्यक्रमों के कार्यान्वयन के नियोजन, संवर्द्धन, समन्वय और निगरानी के लिये केंद्र सरकार के प्रशासनिक ढाँचे के अंतर्गत एक नोडल एजेंसी है।
- इस मंत्रालय का मुख्य दायित्व देश की झीलों और नदियों, जैव विविधता, वनों और वन्यजीवों सहित इसके प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण, पशु-कल्याण और प्रदूषण का निवारण एवं उपशमन सुनिश्चित करने से संबंधित नीतियों और कार्यक्रमों का क्रियान्वयन करना है। इन नीतियों और कार्यक्रमों के कार्यान्वयन में मंत्रालय सतत् विकास और जन-कल्याण को बढ़ावा देने के सिद्धांतों द्वारा निर्देशित होता है।
पृष्ठभूमि
- ऐसा पहली बार नहीं है जब ‘गौ-संरक्षण’ चर्चा के केंद्र में है | दरअसल, गाय को हिंदू धर्म में पवित्र माना जाता है अतः गौ-हत्या को वर्जित बताया गया है। इसलिये, धार्मिक कारणों तथा पशु संरक्षण के लिये प्रयासरत संस्थाओं द्वारा भी समय-समय पर यह मुद्दा प्रकाश में आता रहता है |
- केंद्र की वर्तमान भाजपा सरकार ने 2014 के लोकसभा चुनाव के लिये अपने घोषणा-पत्र में भी गौ-संरक्षण के लिये कदम उठाने का वादा किया था।
- भाजपा के नेतृत्व वाली हरियाणा सरकार ने राज्य में किसी भी रूप में गोमाँस की बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया है और गौ-ह्त्या के लिये 10 साल के कारावास की सज़ा का प्रस्ताव रखा है।
- महाराष्ट्र, एक अन्य भाजपा शासित राज्य है जहाँ गौ-माँस की बिक्री और गौ-हत्या पर प्रतिबंध लगा दिया गया है| 2015 में यहाँ गौ-हत्या के लिये पाँच साल की जेल की सज़ा का प्रावधान किया गया|
- पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय’ के इस पत्र को हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के जुलाई 2016 के उस निर्णय से संबंधित माना जा रहा है जिसमें न्यायालय ने केंद्र सरकार से गाय/बछड़े के आयात या निर्यात; माँस या माँस उत्पादों की बिक्री पर रोक लगाने और गौ-हत्या पर प्रतिबन्ध लगाने को राष्ट्रीय स्तर पर अधिनियमित करने को कहा गया था|
- हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने कहा था कि गौ-हत्या को रोकने, गौ-माँस और इससे बने उत्पादों के आयात, निर्यात या बिक्री पर रोक के लिये केन्द्र की ओर से राष्ट्रीय स्तर पर कोई कानून बनाया जाना चाहिये|
- साथ ही, उच्च न्यायालय ने केन्द्र सरकार को इस संबंध में छह महीने के भीतर आवश्यक कार्रवाई करने के लिये कहा था|
- केन्द्र सरकार ने एक हलफनामे में कहा कि चूँकि यह विषय राज्य सूची के अंतर्गत आता है लेकिन इस समय देश में पाँच राज्यों और एक केंद्र शासित प्रदेश के पास इस विषय पर कोई कानून नहीं है।
- हालाँकि, केन्द्र सरकार ने इस बात पर ध्यान नहीं दिया कि यह विषय समवर्ती सूची में भी शामिल है अतः इस सन्दर्भ में राष्ट्रीय स्तर पर कानून बनाने का विकल्प केंद्र के पास खुला है।
अन्य प्रमुख बिंदु
- इस दिशा में केंद्र सरकर द्वारा देश की कृषि के साथ-साथ सामाजिक-आर्थिक और सांस्कृतिक जीवन के लिये गाय के योगदान को देखते हुए, पशुपालन विभाग को मज़बूत बनाया जाएगा तथा गाय और उसकी संतति के संरक्षण और संवर्द्धन को बढ़ावा देने के लिये कानून को सशक्त किया जाएगा।
- इस बीच, बाघ की जगह गाय को भारत का राष्ट्रीय पशु घोषित करने की मांग भी की जा रही है|
- गृह मंत्रालय द्वारा बांग्लादेश से मवेशियों (मुख्य रूप से गायों) की तस्करी की जाँच करने के तरीकों पर भी चर्चा की गई है।
- पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने नए गाय-आश्रयों के निर्माण की लागत का आकलन करने और सम्पूर्ण भारत में आवारा पशुओं को रखने के लिये उपलब्ध आश्रयों को व्यवस्थित करने के लिये भी भारत के पशु कल्याण बोर्ड से अनुरोध किया है।