सामाजिक न्याय
मानवाधिकार रिपोर्ट 2020: अमेरिका
- 02 Apr 2021
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चर्चा में क्यों?
अमेरिकी विदेश विभाग ने अपनी वर्ष 2020 की मानवाधिकार रिपोर्ट में भारत में कई मानवाधिकार मुद्दों की ओर ध्यान आकर्षित किया है।
- प्रत्येक वर्ष अमेरिकी काॅन्ग्रेस को प्रस्तुत की जाने वाली इस रिपोर्ट में मानव अधिकारों के विषय में देशवार चर्चा की जाती है।
- इससे पहले मार्च 2021 में ‘फ्रीडम इन द वर्ल्ड 2021’ रिपोर्ट में भारत की स्थिति को ‘स्वतंत्र’ से 'आंशिक रूप से स्वतंत्र' कर दिया गया था।
- स्वीडन के ‘वैरायटीज़ ऑफ डेमोक्रेसी’ संस्थान ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट में भारत को ‘चुनावी निरंकुशता’ के रूप वर्गीकृत किया गया था।
प्रमुख बिंदु
पत्रकारों का उत्पीड़न
- सोशल मीडिया पर रिपोर्टिंग के माध्यम से सरकार की आलोचना करने वाले पत्रकारों का उत्पीड़न और उनकी नज़रबंदी अभी भी जारी है, जबकि सरकार सामान्य तौर पर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के सम्मान की बात करती है।
- इस रिपोर्ट में प्रेस पर प्रतिबंध, हिंसा, हिंसा की धमकी, या पत्रकारों की अनुचित गिरफ्तारी या उन पर मुकदमा चलाए जाने का उल्लेख किया गया है।
निजी डेटा तक पहुँचना
- इंटरनेट कंपनियों द्वारा उपयोगकर्त्ताओं के डेटा के लिये सरकार से किये गए अनुरोधों में नाटकीय रूप से वृद्धि दर्ज की गई है।
- सरकार द्वारा वर्ष 2019 में फेसबुक से 49,382 उपयोगकर्त्ताओं से संबंधित डेटा का अनुरोध किया गया, जो कि वर्ष 2018 की तुलना में 32 प्रतिशत अधिक है। इसी अवधि में गूगल और ट्विटर से किये गए अनुरोधों में क्रमशः 69 प्रतिशत और 68 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है।
मनमानी के आधार पर जीवन की क्षति
- इस रिपोर्ट में तमिलनाडु में हिरासत में हुई मौतों के मामले को भी रेखांकित किया गया।
अनुचित नज़रबंदी
- रिपोर्ट में अप्रैल 2020 में गैर-कानूनी गतिविधियाँ (रोकथाम) अधिनियम, 1967 के तहत नागरिकता कानून का विरोध कर रहे लोगों और अन्य प्रदर्शनों में शामिल लोगों को हिरासत में लिये जाने के मामलों का भी उल्लेख किया गया है।
- इसके अलावा रिपोर्ट में जम्मू और कश्मीर सार्वजनिक सुरक्षा अधिनियम, 1978 के तहत राजनेताओं को नज़रबंद करने की भी बात की गई है।
जम्मू और कश्मीर में मानवाधिकार स्थिति में सुधार
- रिपोर्ट की मानें तो सरकार ने सुरक्षा और संचार प्रतिबंधों को धीरे-धीरे समाप्त कर जम्मू और कश्मीर में सामान्य स्थिति बहाल करने हेतु कई महत्त्वपूर्ण कदम उठाए हैं।
- सरकार ने इंटरनेट को आंशिक रूप से बहाल कर दिया है, हालाँकि जम्मू और कश्मीर के अधिकांश हिस्सों में वर्ष 2020 तक उच्च गति का 4G मोबाइल इंटरनेट प्रतिबंधित था।
प्रतिबंधात्मक नियम और जाँच का अभाव
- रिपोर्ट में भारत के संदर्भ में गैर-सरकारी संगठनों पर अत्यधिक प्रतिबंधात्मक नियम, राजनीतिक भागीदारी पर प्रतिबंध, सरकार में सभी स्तरों पर व्यापक भ्रष्टाचार, महिलाओं के विरुद्ध हिंसा की उपयुक्त जाँच और जवाबदेही का अभाव तथा अनिवार्य बाल श्रम आदि बिंदुओं पर भी चर्चा की गई।
धार्मिक स्वतंत्रता
- रिपोर्ट में धार्मिक स्वतंत्रता के उल्लंघन और धार्मिक संबद्धता या सामाजिक स्थिति के आधार पर महिलाओं सहित तमाम अल्पसंख्यक समूहों के सदस्यों के साथ हिंसा और भेदभाव आदि की भी बात की गई है।
भारत में मानव अधिकारों का प्रावधान
संविधान में शामिल प्रावधान
- मौलिक अधिकार: संविधान के अनुच्छेद 12 से 35 में मौलिक अधिकारों से संबंधित प्रावधान किये गए हैं। इनमें समानता का अधिकार, स्वतंत्रता का अधिकार, शोषण के विरुद्ध अधिकार, धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार, सांस्कृतिक और शैक्षिक अधिकार, कुछ विशिष्ट कानूनों से सुरक्षा का अधिकार तथा संवैधानिक उपचारों का अधिकार आदि शामिल हैं।
- राज्य के नीति-निर्देशक सिद्धांत: इससे संबंधित प्रावधान संविधान के अनुच्छेद 36 से 51 में किये गए हैं। इनमें सामाजिक सुरक्षा का अधिकार, काम करने का अधिकार, स्वतंत्र रोज़गार चयन का अधिकार, बेरोज़गारी के विरुद्ध सुरक्षा का अधिकार, समान कार्य के लिये समान वेतन का अधिकार, मुफ्त एवं अनिवार्य शिक्षा का अधिकार, समान न्याय एवं निशुल्क कानूनी सहायता का अधिकार आदि शामिल हैं।
सांविधिक प्रावधान
- मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993 (जिसे वर्ष 2019 में संशोधित किया गया था) मानव अधिकारों के संरक्षण हेतु राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, राज्य मानवाधिकार आयोग और मानवाधिकार न्यायालयों के गठन की व्यवस्था करता है।
- अधिनियम की धारा 2(1)(d) मानवाधिकार को जीवन, स्वतंत्रता, व्यक्ति की गरिमा और समानता से संबंधित अधिकारों के रूप में परिभाषित करता है, जिनकी गारंटी भारतीय संविधान द्वारा दी गई है अथवा जो अंतर्राष्ट्रीय कन्वेंशन्स में सन्निहित है, साथ ही ये न्यायालय द्वारा प्रवर्तनीय होते हैं।
- भारत ने मानवाधिकारों की सार्वभौम घोषणा (UDHR) के प्रारूपण में सक्रिय रूप से हिस्सा लिया था।
- इन 30 अधिकारों और स्वतंत्रता में नागरिक एवं राजनीतिक अधिकार जैसे- जीवन का अधिकार, स्वतंत्रता, स्वतंत्र भाषण और गोपनीयता का अधिकार तथा आर्थिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक अधिकार जैसे- सामाजिक सुरक्षा, स्वास्थ्य और शिक्षा का अधिकार आदि शामिल हैं।