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भारतीय अर्थव्यवस्था

अंतर्राष्ट्रीय एमएसएमई दिवस

  • 29 Jun 2022
  • 10 min read

प्रिलिम्स के लिये:

एमएसएमई, एमएसएमई दिवस और महत्त्व, एमएसएमई को बढ़ावा देने के प्रयास।

मेन्स के लिये:

भारतीय अर्थव्यवस्था के लिये एमएसएमई का महत्त्व।

चर्चा में क्यों?

हर साल 27 जून को अंतर्राष्ट्रीय एमएसएमई दिवस मनाया जाता है, इसका आयोजन विश्व भर में MSME के महत्त्व को उजागर करने तथा देश की अर्थव्यवस्था में इसके योगदान के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिये किया जाता है।

प्रमुख बिंदु

  • इतिहास:
    • अप्रैल 2017 में संयुक्त राष्ट्र (United Nations- UN) ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में पारित एक प्रस्ताव के माध्यम से 27 जून को सूक्ष्म, लघु और मध्यम आकार के उद्यम दिवस के रूप में नामित किया।
    • मई 2017 में ‘एनहेनसिंग नेशनल केपेसिटीज़ फॉर अनलेशिंग फुल पोटेंशियल्स ऑफ एमएसएमई इन अचीविंग द एसडीजीज़ इन डेवलपिंग कंट्रीज़' (Enhancing National Capacities for Unleashing Full Potentials of MSMEs in Achieving the SDGs in Developing Countries') नामक एक कार्यक्रम शुरू किया गया।
    • इसे संयुक्त राष्ट्र शांति और विकास कोष (United Nations Peace and Development Fund) के सतत् विकास उप-निधि के लिये 2030 एजेंडा द्वारा वित्तपोषित किया गया है।
  • वर्ष 2022 के लिये थीम: ‘लचीलापन और पुनर्निर्माण: सतत् विकास के लिये एमएसएमई’ (Resilience and Rebuilding: MSMEs for Sustainable Development)।
    • थीम मुख्य रूप से इस बात पर प्रकाश डालती है कि किसी देश के सामाजिक-आर्थिक विकास के लिये सूक्ष्म-लघु और मध्यम आकार के उद्यम एक आवश्यक घटक हैं।
  • उद्देश्य:
    • विश्व MSME दिवस 2022 वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं को मज़बूत करने में MSMEs की क्षमता और उनकी भूमिका को मान्यता प्रदान करता है।
    • इसका उद्देश्य विश्व आर्थिक विकास और सतत् विकास में MSMEs के योगदान के बारे में सार्वजनिक जागरूकता बढ़ाना भी है।
  • महत्व:
    • संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, औपचारिक और अनौपचारिक सभी फर्मों में MSMEs की भागीदारी 90% से अधिक है तथा कुल रोज़गार में औसतन 70% एवं सकल घरेलू उत्पाद में 50% हिस्सेदारी है। देश की अर्थव्यवस्था में इतने महत्त्वपूर्ण योगदान के साथ MSMEs रोज़गार- सृजन, नवाचार और उत्पादकता में वृद्धि के लिये आवश्यक हैं।
    • हालांँकि रोज़गार सृजन में एक प्रमुख भूमिका होने के बावज़ूद दुनिया भर में MSMEs को सरकारों और प्रशासन से समर्थन की कमी के अलावा काम करने की स्थिति, उत्पादकता तथा अनौपचारिकता में चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।
    • विश्व MSME दिवस ऐसे उद्यमों के क्षमता विस्तार और वैश्विक अर्थव्यवस्था की मज़बूती हेतु इसका उपयोग बढ़ाने के लिये मनाया जाता है।

सूक्ष्म-लघु और मध्यम आकार के उद्यम:

  • परिचय:
    • सूक्ष्म-लघु और मध्यम आकार के उद्यम ऐसे संगठन हैं जो आमतौर पर 250 से अधिक कर्मचारियों को रोज़गार नहीं देते हैं, हालांँकि वैश्विक स्तर पर यह क्षेत्र दो-तिहाई से अधिक रोज़गार सृज़न करने के लिये ज़िम्मेदार हैं।
Revised MSME Classification
Composite Criteria : Investment and Annual Turnover
Classification Micro Small Medium
Manufacturing & Services Investment < Rs 1 cr
and
Turnover < Rs 5 cr
Investment < Rs 10 cr
and
Turnover < Rs 50 cr
Investment < Rs 20 cr
and
Turnover < Rs 100 cr
  • भारतीय अर्थव्यवस्था में MSME की भूमिका:
    • वे भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास को गति प्रदान करते हैं, देश के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में लगभग 30% का योगदान देते हैं।
    • निर्यात के संदर्भ में वे आपूर्ति शृंखला का एक अभिन्न अंग हैं और कुल निर्यात में लगभग 48% का योगदान करते हैं।
    • MSME रोज़गार सृजन में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, क्योंकि वे देश भर में लगभग 110 मिलियन लोगों को रोज़गार देते हैं।
      • दिलचस्प बात यह है कि MSME ग्रामीण अर्थव्यवस्था से भी जुड़े हुए हैं, क्योंकि आधे से अधिक MSME ग्रामीण भारत में कार्यरत हैं।

MSME क्षेत्र से संबंधित पहलें:

  • सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय खादी, ग्राम एवं जूट उद्योगों सहित MSME क्षेत्र के वृद्धि और विकास को बढ़ावा देकर एक जीवंत MSME क्षेत्र की कल्पना करता है।
  • सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम विकास अधिनियम को वर्ष 2006 में MSME को प्रभावित करने वाले नीतिगत मुद्दों के साथ-साथ क्षेत्र की कवरेज और निवेश सीमा को संबोधित करने के लिये अधिसूचित किया गया था।
  • प्रधानमंत्री रोज़गार सृजन कार्यक्रम (PMEGP): यह नए सूक्ष्म उद्यमों की स्थापना तथा देश के ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में रोज़गार के अवसर पैदा करने के लिये एक क्रेडिट लिंक्ड सब्सिडी योजना है।
  • पारंपरिक उद्योगों के उत्थान के लिये निधि की योजना (SFURTI): इसका उद्देश्य कारीगरों और पारंपरिक उद्योगों को समूहों में व्यवस्थित करना तथा इस प्रकार उन्हें वर्तमान बाज़ार परिदृश्य में प्रतिस्पर्द्धी बनाने के लिये वित्तीय सहायता प्रदान करना है।
  • नवाचार, ग्रामीण उद्योग और उद्यमिता को बढ़ावा देने हेतु योजना (ASPIRE): यह योजना 'कृषि आधारित उद्योग में स्टार्टअप के लिये फंड ऑफ फंड्स', ग्रामीण आजीविका बिज़नेस इनक्यूबेटर (LBI), प्रौद्योगिकी व्यवसाय इनक्यूबेटर (TBI) के माध्यम से नवाचार और ग्रामीण उद्यमिता को बढ़ावा देती है।
  • MSME को वृद्धिशील ऋण प्रदान करने के लिये ब्याज सबवेंशन योजना: यह भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा शुरू की गई थी, जिसमें सभी एमएसएमई को उनकी वैधता की अवधि के दौरान उनके बकाया, वर्तमान/वृद्धिशील सावधि ऋण/कार्यशील पूंजी पर 2% तक की राहत प्रदान की जाती है।
  • सूक्ष्म और लघु उद्यमों के लिये क्रेडिट गारंटी योजना: ऋण के आसान प्रवाह की सुविधा के लिये शुरू की गई इस योजना के अंतर्गत MSME को दिये गए संपार्श्विक मुक्त ऋण हेतु गारंटी कवर प्रदान किया जाता है।
  • सूक्ष्म और लघु उद्यम क्लस्टर विकास कार्यक्रम (MSE-CDP): इसका उद्देश्य MSME की उत्पादकता एवं प्रतिस्पर्द्धात्मकता के साथ-साथ क्षमता निर्माण को बढ़ाना है।
  • क्रेडिट लिंक्ड कैपिटल सब्सिडी और टेक्नोलॉजी अपग्रेडेशन स्कीम (CLCS-TUS): इसका उद्देश्य संयंत्र और मशीनरी की खरीद के लिये 15% पूंजी सब्सिडी प्रदान करके सूक्ष्म और लघु उद्यमों (MSME) को प्रौद्योगिकी उन्नयन की सुविधा प्रदान करना है।
  • CHAMPIONS पोर्टल: इसका उद्देश्य भारतीय MSME को उनकी शिकायतों को हल करके और उन्हें प्रोत्साहन, समर्थन प्रदान कर राष्ट्रीय एवं वैश्विक चैंपियन के रूप में स्थापित होने में सहायता करना है।
  • MSME समाधान: यह केंद्रीय मंत्रालयों/विभागों/सीपीएसई/राज्य सरकारों द्वारा विलंबित भुगतान के बारे में सीधे मामले दर्ज करने में सक्षम बनाता है।
  • उद्यम पंजीकरण पोर्टल: यह नया पोर्टल देश में MSME की संख्या पर डेटा एकत्र करने में सरकार की सहायता करता है।
  • एमएसएमई संबंध: यह एक सार्वजनिक खरीद पोर्टल है। इसे केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों द्वारा MSME से सार्वजनिक खरीद के कार्यान्वयन की निगरानी के लिये शुरू किया गया था।

स्रोत: द हिंदू

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