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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

अंतर्राष्ट्रीय मौद्रिक एवं वित्तीय समिति की बैठक

  • 18 Apr 2020
  • 7 min read

प्रीलिम्स के लिये

अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष, विश्व बैंक

मेन्स के लिये

महामारी प्रबंधन में अंतर्राष्ट्रीय संस्थानों की भूमिका

चर्चा में क्यों?
हाल ही में केंद्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री निर्मला सीतारमण ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्‍यम से अंतर्राष्ट्रीय मौद्रिक एवं वित्तीय समिति (International Monetary and Financial Committee-IMFC) और विश्व बैंक-अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष की विकास समिति (Development Committee) की बैठक में भाग लिया। 

अंतर्राष्ट्रीय मौद्रिक एवं वित्तीय समिति की बैठक

  • यह बैठक अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (International Monetary Fund-IMF) के प्रबंध निदेशक के ‘वैश्विक नीतिगत एजेंडे’ पर आधारित थी, जिसका शीर्षक था ‘असाधारण परिस्थितियाँ - असाधारण कदम’ (Exceptional Times – Exceptional Action)। 
  • बैठक के दौरान IMFC के सदस्यों ने COVID-19 से निपटने के लिये सदस्य देशों द्वारा उठाए गए विभिन्न कदमों और उपायों पर समिति को अपडेट किया तथा इसके साथ ही वैश्विक तरलता एवं सदस्य देशों की वित्तपोषण संबंधी ज़रूरतों को पूरा करने के लिये IMF द्वारा प्रस्‍तुत किये गए संकट-निपटान पैकेज पर भी अपने-अपने विचार व्‍यक्‍त किये।
  • वित्त मंत्री ने बैठक में अपने संबोधन के दौरान स्वास्थ्य संकट से निपटने के साथ-साथ इसके प्रभावों को कम करने के लिये भारत सरकार द्वारा उठाए गए विभिन्न कदमों को रेखांकित किया।
  • ध्यातव्य है कि अंतर्राष्ट्रीय मौद्रिक एवं वित्तीय समिति, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) की मंत्रि‍स्तरीय समिति है।

विकास समिति की बैठक

  • बैठक में निर्मला सीतारमण ने कहा कि भारत की आबादी को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि भारत COVID-19 का एक बड़ा हॉटस्पॉट बन सकता था, किंतु स्वास्थ्य प्रणाली को मज़बूत बनाने और वायरस के प्रसार को रोकने में सरकार की भूमिका ने ऐसा नहीं होने दिया।
  • सोशल डिस्टेंसिंग, यात्रा प्रतिबंध, निजी और सार्वजनिक क्षेत्रों में वर्क फ्रॉम होम (WFH) की नीति, परीक्षण, स्क्रीनिंग और उपचार सुविधाओं में बढ़ोतरी जैसे महत्त्वपूर्ण उपायों ने सरकार को कोरोनावायरस के प्रभाव को कम करने में मदद की है।
  • वित्त मंत्री ने यह भी उल्लेख किया कि वैश्विक समुदाय का एक ज़िम्मेदार सदस्य होने के नाते भारत ज़रूरतमंद देशों को महत्त्वपूर्ण दवाइयाँ और आवश्यक सामग्री भी उपलब्ध करा रहा है और भविष्य में स्थिति के अनुसार ऐसा करता रहेगा।
  • विकास समिति (Development Committee) की बैठक विश्व बैंक तथा IMF के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स (Boards of the Governors) की बैठक के साथ ही दोनों संस्थानों के कार्यों की प्रगति पर चर्चा करने के लिये प्रत्येक वर्ष आयोजित की जाती है।

इस संदर्भ में सरकार द्वारा उठाए गए विभिन्न कदम

  • ध्यातव्य है कि हाल ही में कोरोनावायरस (COVID-19) से लड़ने और स्वास्थ्य प्रणाली को मज़बूत करने के लिये 2 अरब डॉलर (15,000 करोड़ रुपए) का आवंटन किया था। इस आपातकालीन पैकेज का उद्देश्य राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को आर्थिक तौर पर सहायता प्रदान करना था।
  • गरीबों एवं बुनियादी सुविधाओं से वंचित लोगों की कठिनाइयों को कम करने के लिये 23 अरब डॉलर (1.70 लाख करोड़ रुपए) की राशि के सामाजिक सहायता उपायों की एक योजना की घोषणा की थी।
    • सरकार द्वारा घोषित इस पैकेज का उद्देश्य निर्धनतम लोगों को भोजन आदि की सुविधा प्रदान कर उनकी भरसक मदद करना है, ताकि उन्‍हें आवश्यक आपूर्ति या वस्‍तुओं को खरीदने और अपनी अनिवार्य ज़रूरतों को पूरा करने में कठिनाइयों का सामना न करना पड़े।
  • देश की विभिन्न छोटी बड़ी कंपनियों को कोरोनावायरस (COVID-19) के प्रभाव से बचाने हेतु केंद्र सरकार ने वैधानिक एवं नियामकीय अनुपालन में कंपनियों को राहत देने के लिये कई प्रावधान किये हैं।
  • इस संबंध में RBI द्वारा भी कई उपायों की घोषणा की गई है, जिनमें रेपो रेट तथा रिवर्स रेपो रेट में कटौती करना और ऋणों की किस्त अदायगी में तीन माह की छूट प्रदान करना शामिल है।

आगे की राह

  • कोरोनावायरस वैश्विक समुदाय के समक्ष एक गंभीर चुनौती के रूप में उभर कर आया है और सभी देश इस वायरस से यथासंभव लड़ने का प्रयास कर रहे हैं।
  • भारत समेत दुनिया भर के कई देशों ने वायरस का मुकाबला करने के लिये विभिन्न उपायों की घोषणा की है। केंद्र सरकार ने देश में लॉकडाउन के दूसरे चरण को भी लागू कर दिया है।
  • हालाँकि इन प्रयासों के बावजूद देश में दिन-ब-दिन संक्रमित लोगों और संक्रमण के कारण मरने वाले लोगों की संख्या बढ़ती जा रही है। इसके अलावा देश के कई स्थानों से आवश्यक बुनियादी ज़रूरतों जैसे- मास्क और सैनिटाइज़र की कमी के मामले भी सामने आ रहे हैं।
  • नीति निर्माताओं को इस मुद्दों को जल्द-से-जल्द सुलझाने का प्रयास करना चाहिये और नीति के निर्माण के साथ-साथ उसके कार्यान्वयन पर भी ध्यान देना चाहिये।

स्रोत: द हिंदू

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