अंतर्राष्ट्रीय जैव विविधता दिवस | 24 May 2021
चर्चा में क्यों?
हर वर्ष 22 मई को अंतर्राष्ट्रीय जैव विविधता दिवस (International Day for Biological Diversity- IDB) के रूप में मनाया जाता है।
प्रमुख बिंदु:
अंतर्राष्ट्रीय जैव विविधता दिवस के बारे में:
- वर्ष 1993 में संयुक्त राष्ट्र महासभा (United Nations General Assembly- UNGA) ने जैव विविधता के मुद्दों पर समझ और जागरूकता बढ़ाने हेतु 22 मई को अंतर्राष्ट्रीय जैव विविधता दिवस (IDB) के रूप में घोषित किया।
- वर्ष 2011-2020 की अवधि को UNGA द्वारा संयुक्त राष्ट्र (United Nations-UN) के जैव विविधता दशक के रूप में घोषित किया गया ताकि जैव विविधता पर एक रणनीतिक योजना के कार्यान्वयन को बढ़ावा दिया जा सके, साथ ही प्रकृति के साथ सद्भाव से रहने के समग्र दृष्टि को बढ़ावा दिया जा सके।
- वर्ष 2021-2030 को संयुक्त राष्ट्र द्वारा सतत् विकास हेतु महासागर विज्ञान दशक' (Decade of Ocean Science for Sustainable Development) और पारिस्थितिकी तंत्र की बहाली पर संयुक्त राष्ट्र दशक (UN Decade on Ecosystem Restoration) के रूप में घोषित किया गया।
वर्ष 2021 की थीम:
- वर्ष 2021 में अंतर्राष्ट्रीय जैव विविधता दिवस की थीम “हम समाधान का हिस्सा हैं” (We’re Part Of The Solution) है। इस वर्ष की थीम वर्ष 2020 की थीम- “हमारे समाधान प्रकृति में हैं” (Our Solutions Are In Nature) की निरंतरता को दर्शाती है।
- जैव विविधता द्वारा कई सतत् विकास (Sustainable Development) चुनौतियों का समाधान प्रस्तुत करने के लिये यह एक अनुस्मारक (Reminder) के रूप में कार्य करता है।
जैव विविधता के संरक्षण हेतु कुछ वैश्विक पहलें:
- जैव विविधता अभिसमय:
- यह जैव विविधता के संरक्षण हेतु कानूनी रूप से बाध्यकारी संधि है जिसे वर्ष 1993 से लागू किया गया।
- भारत सीबीडी का एक पक्षकार (Party) है।
- यह जैव विविधता के संरक्षण हेतु कानूनी रूप से बाध्यकारी संधि है जिसे वर्ष 1993 से लागू किया गया।
- वन्य जीवों एवं वनस्पतियों की लुप्तप्राय प्रजातियों के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर कन्वेंशन:
- यह सार्वजनिक, निजी एवं गैर-सरकारी संगठनों (Non-Governmental Organisations) को ज्ञान तथा युक्तियाँ प्रदान करता है ताकि मानव प्रगति, आर्थिक विकास और प्रकृति का संरक्षण सुनिश्चित किया जा सके।
- भारत इस कन्वेंशन का सदस्य है।
- यह सार्वजनिक, निजी एवं गैर-सरकारी संगठनों (Non-Governmental Organisations) को ज्ञान तथा युक्तियाँ प्रदान करता है ताकि मानव प्रगति, आर्थिक विकास और प्रकृति का संरक्षण सुनिश्चित किया जा सके।
जैव विविधता:
- जैव विविधता शब्द का प्रयोग पृथ्वी पर जीवन की विशाल विविधता का वर्णन करने के संदर्भ में किया जाता है। इसका उपयोग विशेष रूप से एक क्षेत्र या पारिस्थितिकी तंत्र में सभी प्रजातियों को संदर्भित करने हेतु किया जा सकता है। जैव विविधता पौधों, बैक्टीरिया, जानवरों और मनुष्यों सहित हर जीवित चीज को संदर्भित करती है।
- इसे अक्सर पौधों, जानवरों और सूक्ष्मजीवों की विस्तृत विविधता के संदर्भ में समझा जाता है, लेकिन इसमें प्रत्येक प्रजाति में विद्यमान आनुवंशिक अंतर भी शामिल होता है।
चिंताएँ:
- वर्ल्ड वाइड फंड फॉर नेचर (World Wide Fund for Nature) द्वारा अपनी प्रमुख लिविंग प्लैनेट रिपोर्ट 2020 (Living Planet Report 2020) में इस बात के प्रति चेताया गया है कि वैश्विक स्तर पर जैव विविधता में भारी गिरावट आ रही है।
- इस रिपोर्ट में 50 वर्षों से भी कम समय में 68 प्रतिशत वैश्विक प्रजातियों के नष्ट होने की बात कही गई है जबकि पहले प्रजातियों में इतनी गिरावट नहीं देखी गई।
संरक्षण की आवश्यकता:
- जैव विविधता के संरक्षण से पारिस्थितिकी तंत्र की उत्पादकता में बढ़ोत्तरी होती है जहांँ प्रत्येक प्रजाति, चाहे वह कितनी भी छोटी क्यों न हो, सभी की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है।
- पौधों की प्रजातियों की एक बड़ी संख्या के होने का अर्थ है, फसलों की अधिक विविधता। अधिक प्रजाति विविधता सभी जीवन रूपों की प्राकृतिक स्थिरता सुनिश्चित करती है।
- जैव विविधता के संरक्षण हेतु वैश्विक स्तर पर संरक्षण किया जाना चाहिये ताकि खाद्य शृंखलाएँ बनी रहें। खाद्य शृंखला में गड़बड़ी पूरे पारिस्थितिकी तंत्र को प्रभावित कर सकती है।
जैव विविधता के संरक्षण हेतु कुछ भारतीय पहलें:
- जलीय पारिस्थितिक तंत्र के संरक्षण के लिये राष्ट्रीय योजना
- आर्द्रभूमि (संरक्षण और प्रबंधन) नियम 2017
- जैविक विविधता अधिनियम, 2002
- वन्य जीवन (संरक्षण) अधिनियम, 1972
अन्य महत्त्वपूर्ण पहलें:
- 5 जून: विश्व पर्यावरण दिवस
- 22 मार्च: विश्व जल दिवस
- 22 अप्रैल: पृथ्वी दिवस
- मार्च का अंतिम शनिवार: अर्थ ऑवर