प्रारंभिक परीक्षा
प्रीलिम्स फैक्ट्स: 05 जून, 2020
- 05 Jun 2020
- 16 min read
मराठी भाषा
Marathi Language
हाल ही में महाराष्ट्र राज्य के स्कूल शिक्षा विभाग ( State School Education Department) ने सीबीएसई, आईसीएसई, आईबी एवं आईजीसीएसई बोर्ड से जुड़े सभी स्कूलों में दसवीं कक्षा तक एक अनिवार्य विषय के रूप में मराठी भाषा को अनिवार्य करने की घोषणा की।
प्रमुख बिंदु:
- महाराष्ट्र के उन स्कूली छात्रों के लिये जिनके शिक्षण का माध्यम मराठी नहीं है वहाँ केंद्र सरकार का त्रि-भाषा फाॅर्मूला लागू होगा।
- कक्षा I से V तक के छात्रों को मराठी में सुनने, बोलने, पढ़ने एवं लिखने के कौशल पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। जबकि कक्षा 6 से 10 तक मराठी भाषा में आत्म-अभिव्यक्ति एवं उसकी समझ पर ध्यान दिया जाएगा।
- एक अधिसूचना में कहा गया है कि विदेशी छात्र भाषा से संबंधित कुछ छूटों का लाभ उठा सकते हैं किंतु अन्य राज्यों के छात्रों के लिये भाषा से संबंधित कोई छूट नहीं दी जाएगी।
- उल्लेखनीय है कि फरवरी, 2020 में ‘महाराष्ट्र कंपलसरी टीचिंग एंड लर्निंग ऑफ मराठी लैंग्वेज़ इन स्कूल बिल, 2020’ (Maharashtra Compulsory Teaching and Learning of Marathi Language in Schools Bill, 2020) को राज्य विधानसभा में सर्वसम्मति से पारित किया गया था।
- इस बिल के प्रावधानों के अनुसार, इस नियम का पालन नहीं करने पर स्कूलों पर जुर्माना लगाया जा सकता है।
- वर्तमान में महाराष्ट्र में अधिकांश बोर्डों में मराठी को केवल विषय के रूप में कक्षा 8 तक ही पढ़ाया जाता है।
मराठी भाषा:
- मराठी एक इंडो-आर्यन भाषा है जो मुख्य रूप से महाराष्ट्र के मराठी लोगों द्वारा बोली जाती है।
- यह पश्चिमी भारत के महाराष्ट्र राज्य की आधिकारिक भाषा एवं गोवा की सह-आधिकारिक भाषा है।
- भारतीय संविधान में आठवीं अनुसूची में 22 भाषाएँ सूचीबद्ध हैं जिन्हें राज्यों द्वारा आधिकारिक प्रयोजन हेतु प्रयोग किया जा सकता है। मराठी भारतीय संविधान में उल्लेखित भारत की 22 अनुसूचित भाषाओं में से एक है।
- पहली-दूसरी शताब्दी में मराठी भाषा की उत्पत्ति संस्कृत की महाराष्ट्री (Maharashtri) नामक प्राकृत बोली (Prakrit Dialect) से हुई है। 15वीं एवं 16वीं शताब्दी में ‘महाराष्ट्री’ धीरे-धीरे मराठी भाषा में विकसित हुई।
इबोला प्रकोप
Ebola outbreak
हाल ही में ‘कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य’ (Democratic Republic of Congo) के उत्तर-पश्चिमी भाग में दो वर्ष बाद इबोला प्रकोप की जानकारी मिली है।
प्रमुख बिंदु:
- विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organisation) ने भी इस प्रकोप की पुष्टि की है।
- कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य में इबोला प्रकोप एक चिंता का विषय है क्योंकि उत्तर-पश्चिमी भाग में स्थित शहर कांगो नदी (Congo River) के किनारे एक परिवहन हब के रूप में विकसित हुआ है जिसका अन्य क्षेत्रों से प्रत्यक्ष जुड़ाव है और इसकी आबादी दस लाख है। अंतिम बार वर्ष 2018 में यहाँ इबोला के कारण 33 मौतें हुई थी।
कांगो नदी (Congo River):
- कांगो नदी, नील नदी के बाद अफ्रीका महाद्वीप की दूसरी सबसे लंबी नदी है तथा जल की निर्वहन मात्रा (Discharge Volume) के आधार पर अमेज़न नदी के बाद यह दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी नदी है।
- इस नदी का अपवाह बेसिन नील नदी से भी बड़ा है। पहले इसे ज़ायरे नदी (Zaire River) के नाम से जाना जाता था।
- यह नदी अफ्रीका उच्च भूमि से निकलकर अटलांटिक महासागर में समाहित हो जाती है।
- यह भूमध्य रेखा को दो बार काटती हुई स्टैनली और लिविंग स्टोन जल प्रपातों का निर्माण करती है।
- कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य के पूर्वी भाग में इबोला के कारण वर्ष 2018 के मध्य से 2,280 लोगों की मौत हुई थी।
- वर्ष 2019 में 28,000 से अधिक इबोला के मामलों और उनमें 11,000 से अधिक मौतों के कारण WHO ने इबोला को ‘वैश्विक स्वास्थ्य आपातकाल’ (Global Health Emergency) घोषित किया था।
विश्व पर्यावरण दिवस 2020
World Environment Day 2020
विश्व पर्यावरण दिवस (World Environment Day- WED) प्रत्येक वर्ष 5 जून को मनाया जाता है।
थीम:
- इस वर्ष इस दिवस की थीम 'जैव विविधता' (Biodiversity) है। यह थीम जैव विविधता संरक्षण के लिये तत्काल प्रयास किये जाने का आह्वान करती है।
उद्देश्य:
- इसका उद्देश्य पर्यावरण की सुरक्षा के लिये वैश्विक स्तर पर जागरूकता फैलाना है।
प्रमुख बिंदु:
- COVID-19 महामारी के कारण ‘पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय’ (Ministry of Environment, Forest & Climate Change) इस बार विश्व पर्यावरण दिवस समारोह वर्चुअल तरीके से आयोजित कर रहा है जिसमें ‘नगर वन’ नामक विषय पर विशेष ज़ोर दिया जायेगा।
- विश्व पर्यावरण दिवस के बारे में शुरुआती चर्चा वर्ष 1972 में मानव पर्यावरण पर आयोजित संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन के दौरान हुई थी।
- वर्ष 1974 से प्रत्येक वर्ष विश्व पर्यावरण दिवस का आयोजन किया जा रहा है।
- हर बार अलग- अलग देश विश्व पर्यावरण दिवस की मेज़बानी करते हैं। इस वर्ष अर्थात् 2020 में इसकी मेज़बानी कोलंबिया एवं जर्मनी साथ मिलकर कर रहे हैं। इसका आयोजन प्रत्येक वर्ष ‘संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम’ (UNEP) द्वारा किया जाता है।
- इस अवसर पर जैव विविधता संरक्षण के लिये ‘संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम’ (UNEP) एवं इसके सहयोगी ‘यूएन डिकेड ऑन इकोसिस्टम रीस्टोरेशन’ (UN Decade On Ecosystem Restoration) नामक पहल की शुरुआत करेंगे।
- यह मानव और प्रकृति के बीच के संबंधों को पुनर्स्थापित करने वाली एक वैश्विक पहल है।
- इस पहल की अवधि वर्ष 2021 -2030 तक होगी।
जैव विविधता के संदर्भ में भारत की स्थिति:
- भारत में भूमि क्षेत्र की तुलना में मानव एवं मवेशियों की आबादी ज्यादा होने के बावजूद यहाँ 8% जैव विविधता मौजूद है।
- विश्व के 35 जैव-विविधता वाले हॉटस्पॉटों में से 4 हॉटस्पॉट भारत में स्थित हैं जिसमें कई स्थानिक प्रजातियाँ पाई जाती हैं।
‘वारजे शहरी वन क्षेत्र’ (Warje Urban Forest): जैव विविधता की एक प्रयोगशाला
- महाराष्ट्र के पुणे शहर में 40 एकड़ की वन भूमि पर एक जंगल (वारजे शहरी वन क्षेत्र) विकसित किया गया है। इस जंगल में 65000 से अधिक पेड़, 5 तालाब और 2 वॉच टॉवर बनाए गए हैं।
- वर्तमान में यह जंगल 23 पौधों की प्रजातियों, 29 पक्षी प्रजातियों, 15 तितली प्रजातियों, 10 सरीसृप एवं 3 स्तनपायी प्रजातियों के साथ जैव विविधता से समृद्ध है। यहाँ कई पेड़ 25-30 फीट तक लंबे हैं।
- यह शहरी वन परियोजना शहरी पारिस्थितिकी संतुलन को बनाए रखने में मदद कर रही है।
- पुणे का यह ‘वारजे शहरी वन क्षेत्र’ (Warje Urban Forest) अब देश के बाकी हिस्सों के लिये एक रोल मॉडल है।
भारतीय नौसेना पर्यावरण संरक्षण रोडमैप
(Indian Navy Environment Conservation Roadmap- INECR):
- भारतीय नौसेना के लिये पर्यावरण संरक्षण और हरित पहल एक प्रमुख लक्ष्य है।
- एक ज़िम्मेदार बहुआयामी बल के रूप में भारतीय नौसेना ने ऊर्जा संरक्षण, समुद्री प्रदूषण में कमी और ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोतों का उपयोग करके अपने पर्यावरणीय फुट प्रिंट में कमी लाने पर ज़ोर दिया है।
- भारतीय नौसेना पर्यावरण संरक्षण रोडमैप (INECR), भारतीय नौसेना के ‘ब्लू वॉटर ऑपरेशन’ के लिये ‘ग्रीन फुट प्रिंट वाले विज़न’ की प्राप्ति का मार्गदर्शक दस्तावेज़ एवं प्रमुख प्रवर्तक रहा है।
- नौसैनिक जहाज़ों के इंजन से होने वाले प्रदूषण को कम करने के उद्देश्य से भारतीय नौसेना ने ईंधन मानकों में सुधार करने के लिये ‘इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन लिमिटेड’ (IOCL) के साथ समझौता किया है।
- उल्लेखनीय है कि नए मानक अंतरराष्ट्रीय मानदंडों से बेहतर होंगे इसमें सल्फर की मात्रा अत्यंत कम होगी जो लंबे समय में उत्सर्जन के स्तर के साथ-साथ जहाज़ों पर रख-रखाव की आवश्यकताओं को भी कम करेगी।
- भारतीय नौसेना ने स्वैच्छिक रूप से ‘जहाज़ों से होने वाले प्रदूषण की रोकथाम के लिये अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन’ (MARPOL 73/78) की सभी छह अनुसूचियों को लागू किया है।
मारपोल 73/78 (MARPOL 73/78):
- मारपोल (MARPOL) जहाज़ों के परिचालन या उनसे आकस्मिक कारणों से होने वाले प्रदूषण की रोकथाम पर आधारित मुख्य अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन है।
- अंतर्राष्ट्रीय समुद्री संगठन (IMO) द्वारा मारपोल कन्वेंशन को 2 नवंबर, 1973 को अपनाया गया था।
- इस कन्वेंशन से संबंधित वर्ष 1978 के प्रोटोकॉल को वर्ष 1976-77 की समुद्री टैंकर दुर्घटनाओं के मद्देनज़र अपनाया गया था।
- गौरतलब है कि ‘वर्ष 1973 का मारपोल कन्वेंशन’ को वर्ष 1978 तक लागू नहीं किया गया था किंतु जब इस कन्वेंशन से संबंधित ‘वर्ष 1978 के मारपोल प्रोटोकॉल’ को अपनाया गया तो इसने वर्ष 1973 के कन्वेंशन को अपने में समाहित कर लिया।
- नौसैनिक जहाज़ों से उत्पन्न होने वाले कचरे का निपटान करने के लिये इन पर ‘MARPOL 73/78 के अनुरूप’ प्रदूषण नियंत्रक उपकरणों जैसे- ऑयल वॉटर सेपरेटर्स (OWS) और सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (STP) को लगाया गया है। इसके अलावा बंदरगाह के पानी का रख-रखाव सुनिश्चित करने के लिये मुंबई स्थित ‘नवल मैटीरियल्स रिसर्च लैबोरेटरी’ (Naval Materials Research Laboratory- NMRL) द्वारा त्वरित बायोरेमेडिएशन तकनीक भी विकसित की गई है।
एंटिफा
Antifa
संयुक्त राज्य अमेरिका में जॉर्ज फ्लॉयड की मौत के बाद बड़े पैमाने पर हो रहे हिंसक विरोध प्रदर्शनों को देखते हुए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने घोषणा की है कि उनकी सरकार द्वारा एंटिफा (Antifa) समूह को आतंकवादी संगठन के रूप में नामित किया जाएगा।
प्रमुख बिंदु:
- ‘एंटिफा’ (Antifa), फासीवाद-विरोधी (Anti-Fascists) का लघु रूप है।
- यह एक एकल संगठन नहीं है बल्कि ‘फार-लेफ्ट-लीनिंग मूवमेंट्स’ के लिये एक सामूहिक शब्दावली है जो अपने प्रदर्शनों में नव-नाज़ियों एवं श्वेत वर्चस्ववादियों का विरोध करता है।
- आंदोलन से संबंधित फासीवाद विरोधियों को अमेरिकी राजनीतिक परिदृश्य में वामपंथी ताकतों के रूप में वर्गीकृत किया जाता है जबकि इससे जुड़े कई लोग खुद को समाजवादी, अराजकतावादी, कम्युनिस्ट या पूंजीवाद विरोधी बताते हैं।
- इस आंदोलन की उत्पत्ति का संबंध नाज़ी जर्मनी से बताया जाता है। जबकि इस आंदोलन की कई यूरोपीय देशों में उपस्थिति रही है और हाल के वर्षों में यह संयुक्त राज्य अमेरिका में चर्चा में आया है।
- इसका कोई औपचारिक संगठनात्मक ढाँचा नहीं है। 1980 के दशक में संयुक्त राज्य अमेरिका में पहली बार इस आंदोलन की उपस्थिति को दर्ज किया गया था।
- एंटिफा के सदस्य आमतौर पर काले रंग के कपड़े पहनते हैं तथा विरोध प्रदर्शनों पर अक्सर एक मुखौटा पहनते हैं। और ये पूंजीवाद विरोधी जैसी विभिन्न विचारधाराओं का पालन करते हैं।
- वे एलजीबीटीक्यू (LGBTQ) और देशज अधिकारों (Indigenous Rights) जैसे मुद्दों को उठाते हैं।