अंतर-सरकारी वार्ता समिति: UNEP | 03 Jun 2023
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चर्चा में क्यों?
हाल ही में संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) की अंतर-सरकारी वार्ता समिति (INC-2) का दूसरा सत्र पेरिस, फ्राँस में आयोजित हुआ।
- अंतर-सरकारी वार्ता समिति (INC-1) का पहला सत्र वर्ष 2022 में उरुग्वे में संपन्न हुआ।
- INC-2 का उद्देश्य प्लास्टिक प्रदूषण को समाप्त करने के लिये वैश्विक समझौते पर वार्ता के लिये मंच प्रदान करना है ताकि पारिस्थितिकी तंत्र, प्रजातियों और मानवता को रैखिक प्लास्टिक अर्थव्यवस्था के गंभीर प्रभावों से बचाया जा सके।
INC-2 बैठक की मुख्य विशेषताएँ:
- INC-2 का प्राथमिक एजेंडा प्रक्रिया के नियमों को अपनाना था। ये नियम विभिन्न पहलुओं जैसे कि बातचीत की प्रक्रिया, निर्णय लेने की प्रक्रिया (सर्वसम्मति या मतदान) और निर्णय लेने के लिये अधिकृत संस्थाओं को नियंत्रित करते हैं।
- पिछली INC-1 बैठक के दौरान नियम 37 का एक हिस्सा, जिसमें कहा गया था कि "प्रत्येक सदस्य के पास एक वोट होगा," को असहमति का संकेतक मानते हुए कोष्ठक में रखा गया था।
- कोष्ठक वाले हिस्से में अब मिनामाता अभिसमय के प्रावधान शामिल हैं जो क्षेत्रीय आर्थिक एकीकरण संगठनों (जैसे यूरोपीय संघ) को अपने सदस्य राज्यों की ओर से मतदान करने की अनुमति देता है। हालाँकि सदस्य राज्यों को मतदान के दौरान या समिति के भाग के रूप में उपस्थित होना चाहिये।
- भारत ने लगातार नियम 38 को कोष्ठक में रखने पर ज़ोर दिया है, जिसमें कहा गया है, "समिति सभी मामलों पर आम सहमति से समझौते तक पहुँचने का हरसंभव प्रयास करेगी।
- यदि आम सहमति तक पहुँचने के सभी प्रयास समाप्त हो गए हैं और कोई समझौता नहीं हुआ है, तो अंतिम उपाय के रूप में उपस्थित एवं मतदान करने वाले सदस्यों के दो-तिहाई बहुमत द्वारा निर्णय लिया जाएगा।
- OEWG (ओपन-एंडेड वर्किंग ग्रुप) के गठन से मूल मामलों पर संपर्क समूहों में चर्चा शुरू होने में देरी हुई है।
- UNEA प्रस्ताव 5/14 में सभा ने बातचीत के लिये आधार तैयार करने हेतु एक तदर्थ ओपन-एंडेड वर्किंग ग्रुप (OEWG) को अनिवार्य कर दिया।
अंतर-सरकारी वार्ता समिति (INC):
- परिचय:
- INC की स्थापना फरवरी 2022 में संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण सभा (UNEA-5.2) के 5वें सत्र में हुई थी।
- वर्ष 2024 के अंत तक वार्ता को पूरा करने की महत्त्वाकांक्षा के साथ समुद्री पर्यावरण सहित प्लास्टिक प्रदूषण पर एक अंतर्राष्ट्रीय कानूनी रूप से बाध्यकारी उपकरण विकसित करने के लिये एक ऐतिहासिक संकल्प (5/14) को अपनाया गया था।
- आवश्यकता:
- प्लास्टिक प्रदूषण का तेज़ी से बढ़ता स्तर एक गंभीर वैश्विक पर्यावरणीय मुद्दे का प्रतिनिधित्व करता है जो सतत् विकास के पर्यावरणीय, सामाजिक, आर्थिक और स्वास्थ्य आयामों पर नकारात्मक प्रभाव डालता है।
- आवश्यक हस्तक्षेपों के अभाव में जलीय पारिस्थितिक तंत्र में प्रवेश करने वाले प्लास्टिक कचरे की मात्रा वर्ष 2016 में लगभग 9–14 मिलियन टन प्रतिवर्ष से बढ़कर वर्ष 2040 तक अनुमानित 23–37 मिलियन टन प्रतिवर्ष हो सकती है।
- उद्देश्य:
- कानूनी रूप से बाध्यकारी समझौते के तहत देशों से अपेक्षा की जाएगी कि वे साधन के उद्देश्यों में योगदान करने के लिये देश-संचालित दृष्टिकोणों को दर्शाते हुए राष्ट्रीय कार्ययोजनाओं को विकसित, कार्यान्वित और अद्यतन करें।
- उनसे प्लास्टिक प्रदूषण की रोकथाम, कमी और उन्मूलन की दिशा में काम करने तथा क्षेत्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय सहयोग का समर्थन करने के लिये राष्ट्रीय कार्ययोजनाओं को बढ़ावा देने की उम्मीद की जाएगी।
संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण सभा:
- यह संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम का शासी निकाय है।
- यह पर्यावरण पर दुनिया की सर्वोच्च स्तर की निर्णय लेने वाली संस्था है।
- यह सभा 193 संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों से बनी है और वैश्विक पर्यावरण शासन को आगे बढ़ाने हेतु प्रत्येक दो वर्ष में बैठक करती है।
- इसे जून 2012 में सतत् विकास पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन के दौरान बनाया गया था, जिसे RIO+20 भी कहा जाता है।
प्लास्टिक प्रदूषण से निपटने हेतु पहल:
- भारतीय पहल:
- वैश्विक: